الــمقـدمـة - Portal del hispanismo - Instituto Cervantes

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08.05.2013 Views

ينايزلا مير .ميمصت ةـمدـقمــلا

ينايزلا مير .ميمصت<br />

ةـمدـقمــلا


ةـمدـقمــلا<br />

اهبادآو ةينابسلإا ةغّللا يسرادل ةيسنوتلا ةّيعمجلا<br />

ينا ّثلا ينابسلإا يسنو ّتلا ىقتلملا<br />

2012 باتكلاو نير ّكفملل<br />

) 2012 ربمفون 05 ىلإ ربوتكأ 29 نم(<br />

،دادغب ،توريب ،ةجاطرق ،ايداكرأ ،رع ّشلا ضرأ ىلإ نينحلا ناك رع ّشلا ناك ذم<br />

ّنلأ ،خيراتلا ةنمزأ لاو ايفارغجلا دودحب فرتعت لا ةريثك ءامسأ ،ما ّشلاو سلدنلأا<br />

ءارع ّشلا ناك ضرلأا هذه ىلإو .ناكملاب لاو نامزلاب فرتعي لا رع ّشلا ضرأ ىلإ نينحلا<br />

وأ ،ةعئاض ةّنج وأ ،ةلضاف ةنيدم نع اثحب نورجاهي ّرحلا ركفلاو ملقلا باحصأو<br />

، ّيرعش وحن ىلع ملاعلا يف نك ّسلل ةفلتخم بيلاسلأ تايمست اهّلكو ...دوعوم سودرف<br />

تايسنجلا دودح جراخ رشبلا هيف يقتلي ، ّ ينوك نكس هّنلأ ،ءيش ّلك لبق ّ يناسنإو<br />

ماربإو ،ةعّونتملا تاغّللاو ةنسللأاو ،تاراقلل ةرباع روسج ءانبل ،ةقلغنملا تايوهلاو<br />

لعافتتو ،تافاقّثلا رواحتتو ،لوقعلا اهيف حقلاتت ،ةّيعامتجلاا دوقعلا ّلك جراخ دوقع<br />

ءاقّللا دنع أشني ءاضف هّنلأ ،ةنيدملا دودح هعست لا ديدج ّ يمومع ءاضف يف تافلاتخلاا<br />

.ةفاي ّضلا قيثاومو ةقاد ّصلا دوهعب<br />

يه ةبسانم هلو ،"بدلأاو خيراتلاب نيمأوت : اينابسإو سنوت" ناونع هل ءاقّللا اذه<br />

ربوتكأ 30 نم ،سنوت( »2012 باتكلاو نيركفملل يناّثلا ينابسلإا يسنوتلا ىقتلملا«<br />

ىلإ نابسلإاو نيّيسنوتلا نيرّكفملاو باّتكلا وعدي ءاقل وهو ،)2012 ربمفون 05 ىلإ<br />

ماهلإ تحتو ةزاتمم ةبحص عم ديرف راطإ يف ّيركفلاو يعادبلإا مهجاتنإ اومّدقي نأ<br />

همساقتي يذلا خيراتلاو ةفاقثلاو ةغللاب جزتمي ماهلإ ،نيّيسنوتلا بدلأاو خيراتلا<br />

.ملاعلا عاقب ىتش نم ةينابسلإا ةغللاب نيقطانلا نييلام<br />

كراشملا<br />

2


Participante<br />

3<br />

ةـمدـقمــلا<br />

رواحملا ديدع ىلع باتكلاو نيركفملل يناّثلا ينابسلإا يسنوتلا ىقتلملا زكتري<br />

جاتنإو يركف داز يوذو نيزراب باتكو نيركفمل نوكيس ىلوأ ةيحان نم .ةطشنلأاو<br />

اينابسإو سنوت « :ىقتلملا راعش تحت روضحلا عم فيطلو حوتفمو رشابم ٌراوح خسار<br />

.»بدلأاو خيراتلاب نيمأوت :<br />

نيزرابلا ،نابسلإاو نييسنوتلا باتكلا نم ةبخن ثّدحتتس ةيناث ةيحان نمو<br />

ليبس ىلع ةفاحصلاو رعشلاو ةلاقملاو ةصقلا( ةيبدلأا طامنلأا فلتخمل نيلثمملاو<br />

اهلامعأ داعبأو ةّيساسلأا اهعادبإ زومر ىلع انعلطُتو يعادبلإا اهراسم نع ،)ركذلا<br />

.ةقيمعلا ةّيركفلاو ةيبدلأا<br />

رامعلأا فلتخم نم ،ءارعشلا نم ةزاتمم ةعومجم انُعِتمُتس ،ةثلاث ةهج نم<br />

ىقتلملا ثّثؤيسو .زّيمتم راطإ يف اهراعشأ لمجأ ةءارقب ةيعادبلإا تايساسحلاو<br />

ىحّمي نل ، ّ يناسنإ ثارتب ةئيلم ةّيسنوت ندمل ةّيفاقث تارايزو ةيقيسوم ضورعب<br />

.ةركاّذلا نم<br />

نيّيسنوّتلا نيعدبملاو نيرّكفملا رابك نم ةّلث ىقتلملا وم ّظنم مّركيس اريخأ<br />

»جاطرق ةنيدم« رع ّشلل ةّيملاعلا ةزئاجلا ىقتلملا لامعأ رخآ يف دنستسو ،نابسلإاو<br />

.ةيناثلا اهترود يف


2012 ربوتكأ 30 ءاثلاثلا<br />

اــحاــبــــص<br />

)سنوتب ةّينطولا ةبتكملاب(<br />

.نيكراشملا و نيّوعدملا ليجست : 09:00<br />

.روضحلا لابقتسا : 09:30<br />

.ىقتلملا حاتتفا : 10:00<br />

حاتتفلاا تاملك ةفاقثلا ريزو ،كوربم يدهملا<br />

سنوتب اينابسإ ريفس ،وناسوك وينوطنأ<br />

ديردمب ستنافريث دهعمل ّماعلا بتاكلا ،اقنوب ثاغيردور ليئافار<br />

ةبوّنم تايناسنلإاو نونفلاو بادلآا ةيلك ديمع ،يلغدزقلا بيبحلا<br />

تامولعملاو يملعلا ثحبلل يميمّتلا ةسسؤم سيئر ،يميمّتلا ليلجلا دبع<br />

ايقيرفإ تافاقثب نيّمتهملل ةّينابسلإا ةّيعمجلا سيئر ،ادايناك ثاغيردور ويليساب<br />

اهبادآو ةينابسلإا ةغّللا يسرادل ةّيسنوّتلا ةّيعمجلا سيئر ،يمام اضر<br />

ةحارتسا : 11:00<br />

ىلولأا ةّيراوحلا ةريدتسملا ةدئاملا<br />

"بدلأاو خيراتلاب نيمأوت : اينابسإو سنوت"<br />

اقنوب ثاغيردور ليئافر :سيئر<br />

ريطاسلأل احرسم ءارمحلا رصق : ةخيش ةعمج : 11:30<br />

ءارمحلا رصق يف لاوجتو ةءارق ةداعإ : يدنوماهاب رييفاخ : 11:45<br />

ط ّسوتملا يتّفض نيب نوّيكسيروملا :يكرّتلا دّمحم : 12:00<br />

اينابسإو سنوت ،ةّيط ّسوتملا ةقاد ّصلا :نويبراش اوسنرف :12:15<br />

ةكرتشم ةيفاقث روذج :اينابسإو سنوت نيب نوّيقينيفلا :دباعلا يحتف :12:30<br />

ىقتلملا جمانرب 4


Programa <strong>del</strong> II Encuentro<br />

5<br />

2012 ربوتكأ 30 ءاثلاثلا<br />

رهظـــلا دعــب<br />

)سنوتب ةّينطولا ةبتكملاب(<br />

ةينا ّثلا ةّيراوحلا ةريدتسملا ةدئاملا<br />

"بدلأا يف عجرملاو ةروطسلأا"<br />

يلرم ّزلا يزوف :سيئ ّرلا<br />

رشع نماّثلا نرقلا يف ايديموكلا باّتك دنع ةسيّلع ةكلملا ةروطسأ :ودلابات ويرتساك ناوخ : 16:00<br />

برغلاو قر ّشلا نيب ةياكحلا ةرجه :يمام اضر : 16:15<br />

دشر نباو يديحوّتلاو ظحاجلا ،باتك لكش يف فّلؤملا ةدوع :رضخ لداعلا : 16:30<br />

رارسلأا رون ،ةزغلملا تاراعتسلاا :يناطأ لاونام : 16:45<br />

ينابق رازن رعش يف ّ ينابسلإا ّيوثنلأا روضحلا :ديبع ىحض : 17:00<br />

بدلأا يف ةروطسلأا :سكونرف سيول :17:15<br />

ةثلا ّثلا ةّيراوحلا ةريدتسملا ةدئاملا<br />

.ةحارتسا : 17:30<br />

"ةريصقلا ة ّصقلا ىلإ ّيوف ّشلا ديلقتلا نم يكحلا نف"<br />

ثاينون ويتساك سلخنأ :سيئ ّرلا<br />

فّيرخ ريشبل "ةرّلاب" ةياور ةيرعش :يلرمّزلا يزوف :17:45<br />

ةّيبدأ تاويح :ايثارق اّيرام :18:00<br />

عادبلإل ةقّيش ةّدام :عزفملا انخيرات :ينرا ّشلا ةديشر :18:15<br />

ةريصقلا ة ّصقلا ىلإ ةّيوف ّشلا ةري ّسلا نم ،يكحلا ّنف :يكيسور لاطسين ايرولق :18:30<br />

ةياورلا لبقتسم :يكيبلا اتلاوفر يكيرنأ :18:45<br />

:اينابسإو سنوت نم لّولأا يرع ّشلا ءاقللإا ،ىلولأا ةّيقيسوملا ةيسملأا : 19:00<br />

ليمج - يدنومهاب اّيرام - دومحم نب ةمطاف – يناطأ ليونام – ةدوّمح نب حاّتفلا دبع<br />

ىفطصم – ثيدانرف وشتاماك ليونام - يزيعملا لداع – ايثارغ اّيرام – يمامع<br />

ىفسويلا ىلع دمحم -ةّيض


2012 ربوتكأ 31 ءاعبرلاا<br />

احابص<br />

)ىسرملاب ريون ّتلاو ةفاق ّثلل روشاع نب لضافلا زكرمب(<br />

ةعبا ّرلا ةّيراوحلا ةريدتسملا ةدئاملا<br />

"خيرا ّتلاو ةياو ّرلا"<br />

يسنو ّتلا أشر :سيئ ّرلا<br />

ةّيلّوأ تاظحلام ،ةياوّرلاو خيراّتلا :ةموسق قدا ّصلا : 09:00<br />

ميهافملا يف ةلوج ،ةياوّرلاو خيراّتلا :ساتراو روتكه : 09:15<br />

ةروريصو ةنونيك نيب ارسج ةّيخيراّتلا ةياوّرلا :وّمع نب نينسح : 09:30<br />

ينابسلإا يكسراكيبلا ىحنملاو ةّيبرعلا ةّيرا ّط ّشلا ةياوّرلا نيب ةّي ّطخ ةبراقم :يناّيزلا مير : 09:45<br />

خيراّتلاو بدلأا :اتام سيول يسوخ : 10:00<br />

ةسماخلا ةّيراوحلا ةريدتسملا ةدئاملا<br />

.ةحارتسا : 10:15<br />

"1 ةّيطسوتم بادآو تافاقث :اينابسإو سنوت"<br />

يطانمد ةّيزوف :سيئرلا<br />

ةسردملا ىلإ بهذي مل يّدج :ثاينون ويرارغس : 10:30<br />

؟رع ّشلا مجرتي له :يعاّنملا كوربم : 10:45<br />

ةّيسنوّتلا جاطرق ىلإ ةّيلي ّشلا ةّنجاطرق نم ،وربوديوأ يتناثيب :لايروب متاح: 11:00<br />

يبرع نبا نيّدلا ييحمو يتنلاف دنع ، ّبحلا ةنايد :نسح نميأ: 11:15<br />

ءاقّللا دّدجتو ءاقل ،سنوتو اينابسإ :وقساير ليونام ناوخ : 11:30<br />

جاطرق ةنيدم راثآ ةرايز : 11:45<br />

ىقتلملا جمانرب 6


Programa <strong>del</strong> II Encuentro<br />

7<br />

2012 ربوتكأ 31 ءاعبرلاا<br />

ءاسم<br />

)ىسرملاب ةّيلدبعلا رصقب(<br />

.ةيناثلا ةّيقيسوملا ةيسملأا : 16:00<br />

:اينابسإو سنوت نم يناّثلا يرع ّشلا ءاقللإا : 16:30<br />

رّيغ ّصلا دّمحم - وناسوك انلايإ – رئاّزلا ةمامأ - ودلابات ويرتساك ناوخ - ةليجعوب لامك<br />

- يجاّدهلا دلاخ - لاتسين ايرولغ – يديمحلا رازن - لايان ليونام – دمحأ دلاوأ<br />

.يثراق يدناص – يبياهولا فصنم - ثاينون ويرارغاس


2012 ربمفون 1 سيمخلا<br />

احابص<br />

)ةبوّنم ةعماجب(<br />

ةسدا ّسلا ةّيراوحلا ةريدتسملا ةدئاملا<br />

"2 ةّيطسوتم بادآو تافاقث :اينابسإو سنوت"<br />

وتانيفور ودلأ :سيئ ّرلا<br />

يلاد رودافلس تاموسر يف ةركاّذلاو ّنفلا : ةخيش نب نيزلا مأ : 09:00<br />

؟ترّرحت ةرمعتسم مأ دوقفم سودرف ، ّ يبرعلا باتكلا يف سلدنلأا :يفسويلا يلع دمحم : 09:15<br />

ةكرتشم بادآو خيرات ،اينابسإو سنوت :ادايناك ثاغيردور ويليساب : 09:30<br />

رع ّشلا روبع :يساّبعلا نيسح : 09:45<br />

ةعبا ّسلا ةّيراوحلا ةريدتسملا ةدئاملا<br />

"ةفاح ّصلاو بدلأا"<br />

وناسوك انيلإ :سيئ ّرلا<br />

نيرشعلاو دحاولا نرقلا ةفاحص :يروتساريبأ ساردنأ : 10:00<br />

ةّيفح ّصلا ةباتكلا لاكشأ نم لاكش باتكلا ميدقت ّنف :يسنوّتلا أشر :10:15<br />

لخادّتلا روص ،ةفاح ّصلاو بدلأا :لايان ليونام :10:30<br />

ةّيبدلأا ةفاحصلا يف يتبرجت :نامثع نب نسح : 10:45<br />

ّيئاوّرلاو ّ يئامنيسلا نيب لصو ةزمه ّ يفح ّصلا :يطايخلا سيمخ : 11:00<br />

ةحوتفم دودح ،ةفاح ّصلاو بدلأا :يتناوبلا لاقيم يد ويليروم :11:15<br />

.ةحارتسا : 11:30<br />

ىقتلملا جمانرب 8


Programa <strong>del</strong> II Encuentro<br />

9<br />

2012 ربمفون 1 سيمخلا<br />

ةنما ّثلا ةّيراوحلا ةريدتسملا ةدئاملا<br />

"ةايحلاو بدلأا"<br />

يعاّنملا كوربم :سيئ ّرلا<br />

ةّيّرحلا لاؤس ،عادبلإا لاؤس :ينابغّزلا لامك : 12:00<br />

؟ةباتكلا ُتأدب فيك :يدنوماهاب اّيرام :12:15<br />

ةّيرع ّشلا يتبرجت يف ةداهش :يحتف مدآ :12:30<br />

لضفأ ملاع لجأ نم :ثدنانرف وشتاماك ليونام :12:45<br />

ةّيرع ّشلا يتبرجت يف ةداهش :يبياهولا فصنملا :13:00<br />

رهظلا دعب<br />

)سنوتب ةّينطولا ةبتكملاب(<br />

ةايحلاو بدلأا :لايليف اكنرب : 13:15<br />

.ودراب فحتم ةرايز: 15:00<br />

.ةثلاثلا ةّيقيسوملا ةيسملأا : 16:30<br />

:اينابسإو سنوت نم ثلاّثلا يرع ّشلا ءاقللإا : 17:00<br />

- ادايناك ثاغيردير ويليساب – يديبعلا اضر - اتلاوفير يكيرنأ - نسح نب طساب<br />

ناس ود سكيلأ يرام – داّيع نب نيدلا حلاص - زيزعلا دبع دادو – يساّبعلا رباص<br />

يدلاخلا دّمحم - بجر نايفس - لالايف اكنلاب - ّيوتلا دّي ّسلا - نامور<br />

يروتساريبأ ساردنأ :ىقتلملا فيض عم ءاقل: 18:30<br />

.ةيناّثلا اهتخسن يف "جاطرق ةنيدم" رعشلل ةّيملاعلا ةزئاجلا ميلست : 19:00<br />

.ىلولأا اهتخسن يف ةبلطلل "ةّيرعشلا ةدامح لضاف ةقباسم" ةزئاج ميلست : 19:15<br />

.ةحارتسا :19:30<br />

.ىقتلملل يمسرلا ماتتخلاا : 20:00<br />

توخبملا يركش اهيقلي ،ةبوّنم ةعماج سيئر ةملك<br />

وناسوك انيلإ اهيقلت ،ينابسلإا دفولا ةملك<br />

وتانيفور ودلأ ،ةّينابسلإا بادلآاو ةغّللاب نيّمتهملل ةّيملاعلا ةّيعمجلا سيئر ةملك<br />

يكرّتلا دّمحم اهيقلي ،اهبادآو ةّينابسلإا ةغّللا يسرادل ةّيسنوّتلا ةّيعمجلا سيئر ةملك


2012 ربمفون 2 ةعمجلا<br />

احابص<br />

)نييكسروملا قيرط( احابص<br />

.روطف : 08:00<br />

.روتستب ةيكسروملا ةيرقلا ةرايز : 10:00<br />

.سلدنلأا ةعلقب ةيكسروملا ةيرقلا ةرايز : 12:00<br />

رهظلا دعب<br />

)مركلا /سنوت(<br />

.ءادغ : 13:30<br />

.)مركلاب( باتكلل يلوّدلا ضرعملا ةرايز : 16:00<br />

اينابسإ و سنوت نم عباّرلا يرع ّشلا ءاقللإا : 16:00<br />

،يبياهولا فصنم ،يروتسريبأ ساردنأ ،دمحأ دلاوأ رّيغ ّصلا دّمحم ،زيزعلا دبع دادو<br />

دّمحم ،وناسوك انيلإ ،يمام اضر ،لالايب اكنلاب ،رضخ لداعلا ،ادايناك ثاغيردور ويليساب<br />

،دايع نب حلاص ،ودلابات ويرتساك ناوخ ،ةليجعوب لامك ،سكونرف سيول ،يدلاخلا<br />

،ثاينون ويرارغس ،دومحم نب ةمطاف ،لاتسين ايرولغ ،يزيعملا لداع ،لايان ليونام<br />

,ةدوّمح نب حاّتفلا دبع ،اّيثراق يدناص ،يجاّدهلا دلاخ ،وشتاماك ليونام ،رئازلا ةمامأ<br />

ءاسم<br />

)يسامولبدلا لزن(<br />

.ءاشع : 21:00<br />

.ةّيرعش ةيسمأ : 22:30<br />

ىقتلملا جمانرب 10


Programa <strong>del</strong> II Encuentro<br />

11<br />

2012 ربمفون 3 تبسلا<br />

احابص<br />

)تامامحلا(<br />

.روطف : 08:30<br />

.سنوتب ةقيتعلا ةنيدملا ةرايز : 09:00<br />

.تامامحلاب يلودلا يفاقثلا زكرملاو تامامحلا ةنيدم ةرايز : 11:00<br />

رهظلا دعب<br />

.ءادغ : 13:00<br />

)ةيراوهلا ةنيدمو ناوكركب ةيقينوبلا ةنيدملا(<br />

ءاسم<br />

.ناوكركب ةيقينوبلا راثلآا ةرايز: 16:00<br />

)تامامحلا صلااب انيرام لزن(<br />

.ةّيراوهلا تاراغم ةرايز: 17:00<br />

.ءاشع : 21:30<br />

.ةينابسإ ةيسنوت ةّيرعش ةيسمأ : 22:30


2012 ربمفون 4 دحلآا<br />

احابص<br />

)ةسوس(<br />

رهظلا دعب<br />

)يواطنقلا أفرم(<br />

.روطف : 08:30<br />

.ةسوس وحن جورخلا : 09:00<br />

.ةسوسب ةقيتعلا ةنيدملا ةرايز : 10:30<br />

.ءادغ : 13:00<br />

.يواطنقلاب يحايسلاو يضايرلا أفرملا ةرايز: 15:30<br />

ءاسم<br />

)صلااب ةيروق لزن(<br />

.يعيدوت ءاشع : 00: 21<br />

ىقتلملا جمانرب 12


Programa <strong>del</strong> II Encuentro<br />

13<br />

2012 ربمفون 5 نينثلاا<br />

احابص<br />

)ةسوس(<br />

. غارف تقو و روطف : 08:30<br />

.جاطرق سنوت راطم وحن قلاطنلاا : 11:30<br />

رهظلا دعب<br />

.ديردم وحن ةلحرلا قلاطنا: 15:15<br />

.ديردمب ساخاراب راطم ىلإ عقوتملا لوصولا : 17:15<br />

نوكتس ىقتلملل ةيمسرلا تاغللا<br />

.ةّيروفلا ةمجرتلا عم ةّيسنرفلاو ةّيبرعلاو ةّينابسلإا<br />

نومظنملا<br />

اهبادآو ةينابسلإا ةغللا يسرادل ةيسنوتلا ةيعمجلا<br />

ايقيرفإ تافاقثب ني ّمتهملل ةّينابسلإا ةّيعمجلاو<br />

ىقتلملا يم ّظنم نع<br />

.وربيدإ نويلامقيب رشّنلا رادو<br />

.اداينك ثقيرد ُر ويليساب و يمام اضر


تاـموــلعم<br />

اهبادآو ةينابسلإا ةغّللا يسرادل ةيسنوتلا ةّيعمجلا<br />

2012 باتكلاو نيرّكفملل يناّثلا ينابسلإا يسنوّتلا ىقتلملا<br />

بدلأاو خيراتلاب نيمأوت : اينابسإو سنوت<br />

2012 ربمفون 05 ىلإ ربوتكأ 29 نم<br />

2012 يناّثلا ىقتلملا جمانرب<br />

:نومظنملا<br />

اهبادآو ةينابسلإا ةغللا يسرادل ةيسنوتلا ةيعمجلا<br />

ايقيرفإ تافاقثب نيّمتهملل ةّينابسلإا ةّيعمجلا<br />

وربيدإ نويلامقيب رشّنلا راد<br />

ينا ّثلا ىقتلملا وم ّظنم<br />

يمام اضر<br />

اداينك ثقيردُر ويليساب<br />

ىقتلملا جمانرب 14


Programa <strong>del</strong> II Encuentro<br />

15<br />

تايسملأا يف نوكراشملا ءارعشلا<br />

يزيعملا لداع<br />

رضخ لداعلا<br />

يدنومهاب اّيرام ةدئاع<br />

ةدوّمح نب حاّتفلا دبع<br />

لاتسين ايرولغ<br />

دومحم نب ةمطاف<br />

ةليجعوب لامك<br />

سكونرف سيول<br />

نامور ناس ود سكيلأ يرام<br />

ايثارغ اّيرام<br />

يناطأ ليونام<br />

ثيدانرف وشتاماك ليونام<br />

لايان ليونام<br />

يدلاخلا دّمحم<br />

دمحأ دلاوأ رّيغ ّصلا دّمحم<br />

ةّيض ىفطصم<br />

يبياهولا فصنم<br />

يديمحلا رازن<br />

زيزعلا دبع دادو<br />

وناسوك انيلإ<br />

رئازلا ةمامأ<br />

يروتسريبأ ساردنأ<br />

اتلاوفير يكيرنأ<br />

نسح نب طساب<br />

ادايناك ثاغيردير ويليساب<br />

لالايب اكنلاب<br />

يمامع ليمج<br />

يجاّدهلا دلاخ<br />

ودلابات ويرتساك ناوخ<br />

يديبعلا اضر<br />

يمام اضر<br />

ثاينون ويرارغاس<br />

بجر نايفس<br />

ّيوتلا دّي ّسلا<br />

يساّبعلا رباص<br />

اّيثراق يدناص<br />

داّيع نب نيدلا حلاص


ينابغزلا لامك<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

نم .سقافصب بادلاا ةيلكب ةفسلفلا يف دعاسم ذاتسأ ،)1965 ،سنوت ،سباق-ةماحلا(<br />

،)ةياور( ةايحلا راظتنا يف ،)1998 ،ةيصصق ةعومجم(رخلآا هل تردص يتلا بتكلا<br />

،تلااقم(ةروثلاو ةيطارقوميهبلا يف طلاخ ،2002يبهذلا راموكلا ةزئاج ىلع تلصح<br />

.)2011<br />

.ةَيرحلا لاؤس ،عادبلاا لاؤس ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

ّرحلا نايكلل سيسأتلا نيب و ،بدلاا و ركفلا يف ،عادبلاا لعف نيب ةلصلا نمكت ميف<br />

نمكي ميف و ؟يقيتيتسلاا يف امك يقيتيلاا يف امك يسايسلا يف ،ةمَيقلا هداعبا ىَتش يف<br />

يه امب ةمواقملا نيب و ةَيَرح هرهوج يف وه امب عادبلاا لعف نيب يرورضلا مزلاتلا<br />

لاكشا ىَتشل اهيحانم ضعب يف "ةيتوشيكنود"تناك نا و ىَتح ،اهيف ةداوه لا برح<br />

ىلع هتانكمم ليطعتو "هميهبت"و هحيطستو هليوحت ربع نئاكلا لاذتباو ةنميهلا<br />

لاكشا فيصوتل "ةيطارقوميهبلا"ةرابع ىلع يرايتخا ءاج ةمث نم .زواجتلاو قارتخلاا<br />

ريكفتلا مهل قحي لا اياعرك نونطاوملا لماعي نيا ،ةيبرعلا ةقطنملا تداس يتلا مكحلا<br />

.مهنادلبل يخيراتلا كارحلا يفو ةيسايسلا ةايحلا يف ةكراشملا نع كيهان مهرما يف<br />

ءابغلاو قمحلا نم لعجي يذلا يسايسلا مكحلا نم عونلا كلذ يه "ةيطارقوميهبلاف"<br />

وهو .عيمجلا تلاَيخمو لوقع يف عرزُت ةَماع ةدعاق يفطاعلاو يفاقثلاو ينهَذلا دَلبتلاو<br />

.يئانثتسا و ردان ءيش عدبملا ةايحلا نف نم لعجي رما<br />

كراشملا<br />

16


Participante<br />

17<br />

ZOGHBANI, Kamel<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

(Al Hamma-Gabes, Túnez, 1965), es profesor titular de filosofía en la<br />

Facultad de Letras de Sfax, Túnez. Es autor de El otro (un conjunto<br />

de cuentos, 1998), A la espera de la vida (novela galardonada con<br />

el Premio”Alcomar de Oro”, 2002), Mezcolanzas conceptuales en la<br />

“burrocracia” y en la revolución (ensayos, 2011).<br />

Título de la ponencia La pregunta de la creación, la pregunta de la libertad<br />

Resumen de la ponencia<br />

¿Dónde radica la relación interna entre el acto creativo tanto en<br />

el pensamiento como en la literatura, y entre la fundación de una<br />

entidad en sus diversas dimensiones valiosas; a saber, en la política,<br />

la ética, y la estética? Luego, ¿dónde se ubicará la necesidad de<br />

una imperante interrelación entre el acto creativo, cuya esencia es<br />

la libertad, y entre la resistencia reflejada en esa guerra sin cuartel<br />

de tendencias “quijotescas” en algunas de sus facetas contra las<br />

diferentes formas de dominio y denigración de la condición<br />

humana, de esa entidad valiosa, anulándola, atontándola y poniendo<br />

trabas a toda posibilidad de crear, trascender o metamorfosearse<br />

hacia una caracterización <strong>del</strong> ser, tanto en su parcela individual<br />

como en su entorno colectivo. En esta ponencia, se hará especial<br />

hincapié en el vocablo”burrocracia”, puesto en marcha en tiempos<br />

<strong>del</strong> derrocado ex presidente Ben ALí; se trata de un término,<br />

que igual podría ser aplicado a los demás regímenes árabes que<br />

gobiernan su territorio con puño de hierro, donde la gente es<br />

tratada como siervos, sin derecho alguno a decidir por sí mismos,<br />

y muchísimo menos aún ser partícipes de la vida política y social<br />

de sus respectivos países. Así que, con el vocablo “burrocracia”, se<br />

quiere hacer referencia a un régimen político que tiende a ensalzar y<br />

transformar la imbecilidad, la estupidez, la vileza mental, la ruindad<br />

cultural y la degradación emocional, en la regla que tendría que regir<br />

a través de una progresiva implantación en el imaginario colectivo,<br />

haciendo de la existencia <strong>del</strong> vividor creativo, una pura quimera.


يلرمزلا يزوف<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

ةياورلا يف َصتخم ،ةيسنوتلا ةعماجلا نم ةلودلا هاروتكد ةداهش ىلع لصحتم<br />

ىلإ يمتني .ثيدحلا يسنوتلا بدلأاو ةثيدحلا ةيدقنلا جهانملا يفو ةيرعشلا ةيبرعلا<br />

هاروتكدلا ةنجلو ريتسجاملا ةنجل وضع وهف ، ةيملعلاو ةيبدلاا تائيهلا نم ديدعلا<br />

يبراغملا بدلأا يف ثحبلا قيرف وضعو ،ةيسنوتلا ةعماجلاب ةلودلا هاروتكد ةنجلو<br />

سنوت،"عادبلإل ةنيدملا ةزئاج" ميكحت ةنجل ماع قسنمو ،ةبونمب بادلآا ةيلكب<br />

ميدقتو قيقحت ركذن ةروشنملا هلامعأ نمو ،ةياورلل "راموكلا" ةنجل وضعو ،2008<br />

رشن راد( ةيبرعلا ةياورلا ةيرعش ،")1992ةمكحلا تيب،سنوت( "ةرلاب"ةياور : ةلءاسم<br />

-يعماجلا رشنلا زكرم( ةيسنوتلا ةياورلا يف لوصفو ،)ةيفاقثلا سومدقلا ةسسؤم<br />

.)رشنلل بونجلا راد( ثيدحلا يسنوتلا بدلأا يف برغلاو قرشلاو ،)2011سنوت<br />

فيرخ ريشبلل "ةرلاب" ةياور ةيرعش ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

اهيلا دانتسلاا بجو يتلا ةكرتشملا ةيساسلاا ناكرلاا ىلا يلرمزلا يزوف.د قَرطتي<br />

.اهب تبتك يتلا ةنسللاا تناك امهم ،ملاعلا بدا رئاس يف ةياورلا ةيرعش ديدحت دصق<br />

يتلا"ةرلاب"ةياور ةيرعش صحف ةياغل ي َصنلا يلاعتلا تاقلاعب نيعتسيس،انه نمو<br />

يف همامتها تسكع يتلاو يضاملا نرقلا تانيسمخ ةياهن يف فيرخ ريشبلا اهفلا<br />

.رشع سداسلا نرقلا ل لاخ يصفحلا يحيسملا ينامثعلا عارصلاب سنوت للاقتسا رجف<br />

.ةيخيراتلا ةياورلا لقح يف هجارداو ىرخلاا صوصنلا ىلع هحاتفنا ىدم ددحيسو<br />

ةيرعشلا عوضوم نا ىلا ارظن،"ةرلاب"ةياور ةيرعش انددح دق نوكن سسلاا هذه ىلعو<br />

ةرهاظلاو ةنطابلا تاقلاعلا يا، يصنلا هيلاعت وه امناو هتاذ دح يف درفملا صنلا سيل<br />

.صوصنلا نم هريغ عم اهميقي يتلا<br />

كراشملا<br />

18


Participante<br />

19<br />

ZMERLI, Faouzi<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Es doctor por la Universidad de Túnez, especialista en la novela poética<br />

árabe, en la metodología de la crítica moderna y en la literatura moderna<br />

tunecina. Es miembro <strong>del</strong> Tribunal <strong>del</strong> Máster y <strong>del</strong> Doctorado de la<br />

Universidad de Túnez, es coordinador general <strong>del</strong> Comité Arbitral<br />

<strong>del</strong> premio «Medina” de la creación (Túnez 2008), y es miembro <strong>del</strong><br />

Jurado” COMAR” de la novela. Es autor de diversos libros, artículos<br />

y publicaciones diversos, entre otros, investigación y presentación de<br />

una sesión de control: la novela poética ”bilara” (Tunez-Beit Al Hikma<br />

1992), El lado poético de la novela árabe (Editorial Alqadus cultural),<br />

Paisajes de la novela tunecina (centro universitario de ediciones, 2011),<br />

es autor (en colaboración) de Oriente y occidente en la literatura<br />

moderna tunecina.<br />

Título de la ponencia<br />

La poética en la novela de”Bilara” de Al-Bachir Khraif<br />

Resumen de la ponencia<br />

Se hará especial hincapié en el estudio de los pilares estructurales comunes<br />

que ayudan en el análisis de cualquier texto poético, fundamentos, estos<br />

últimos, en los que debemos basarnos a fin de determinar la poética de<br />

una novela perteneciente a cualquier ámbito de la literatura universal, con<br />

independencia <strong>del</strong> idioma en que se ha escrito. A partir de ahí, se hará<br />

uso de la las relaciones intertextuales para poder examinar, con exactitud,<br />

dónde radica la poética de la novela” Bilara”, objeto de este estudio, un<br />

texto poético con trasfondo histórico, escrito por el novelista tunecino<br />

Al-Bachir Khraif, a finales de los años cincuenta <strong>del</strong> siglo XX, y en la que<br />

se quiso insistir, ya en los albores de la independencia de Túnez de la<br />

colonización francesa, en el conflicto a tres bandas, otomano, cristiano<br />

y hafsí, que desgarraba al país a lo largo <strong>del</strong> siglo XVI. Este ambicioso<br />

análisis, tiende a poner de manifiesto los avanzados grados de apertura de<br />

este texto y las relaciones explícitas y subyacentes con los demás textos, y<br />

hasta qué punto es considerado novela de cierta relevancia histórica.


ينايزلا مير<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

ةسردملاب يراهشلإا نلاعلإاو يكيفارغلا ميمصّتلاو ةثيدحلا ةعابطلا تاينقت يف ةذاتسأ<br />

ناونعب ريتسجاملا ةداهش ىلع ةلصاح ،سنوتب ميمصّتلا تايجولونكتو مولعل ايلعلا<br />

هاروتكد ةحورطأ تعدوأ ،" ّ يسنوّتلا ّيديربلا عباطلا ىلع هريثأتو يجولونكتلا رّوطّتلا"<br />

كلام فيئر ذاتسلأا فارشإ تحت ،ةشقانملا راظتنا يف ميمصّتلا تاّيجولونكتو مولع يف<br />

يف تابراقم ثحبت ،" ّ يعابطلأ زاجنلإاو ّ يمقّرلا ريظنّتلا نيب ةرو ّصلا ميمصت" اهعوضوم<br />

تاّينف ىلع تلغتشا ،ةّيطخلا ةعان ّصلا يف يجولونكّتلا ينقّتلا زاجنلإاب هتقلاعو ميمصّتلا<br />

ّ يلئاتفلا فرخزلا ريرمت يف ةّينقت ةراشتسم ةّمهم تلغش ،يسئانكلأ رولبلا ةغايص<br />

ةعماجب ايميداكأ ةلجم ريرحت ةئيه يف هوضع ،ةّيسنوّتلا ةيروهمجلل ةّيمسّرلا ةعبطملاب<br />

.اّيسنوت اّيديرب اعباط رشع يتنثاب ةينطولا ةرظانملا يف ةزئاف ،ةبونم<br />

ينابسلاا يكسراكيبلا ىحنملاو ةيبرعلا "ةَيراَطشلا" ةياوَرلا نيب ةَيَطخ ةبراقم ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

سداسلا نرقلا يف ةيكسراكيبلا ةياورلا روهظ ل َجس .»سمروت يد وَيرثلا« ةياور جذومن<br />

ءاسرا تَرقاف ،يكيسلاكلا يكسروملا بدلاا ىحنم نع دعتبتل ةينمضو ةيعون ةلقن رشع<br />

اقلطم ،يسئانكلا بصعتلا دقتنيو ايكولعص ابدأ حرطي يعقاو ديدج يبدا سنج دعاوق<br />

بلجيل .ايندلا ةيبعشلا طاسولاا ىلإ ئراقلاب لقتنيف يتاَذلا يفارقوبوتلاا راوحلل نانعلا<br />

ةركاَذلا نيب ءاقتلا ةطقن يه ةياورلاف ،ةيكسراكيبلا ةياورلل يراطشلا ىحنملاب مامتهلاا<br />

..تاراضح دهم ،سنوت نم قلطننل ،ةيسلدنلاا ةيبراغملاو ةيقرشملا ةيبرعلا ةيعامجلا<br />

موقنو مهليح يف نعمتن ..دابدنسلا ،نسح رطاشلا تاياكح دنع فقنو .ةَيطسوتم ةباوب<br />

.اهل ضَرعتي يتلا نحملاو هتايحو سمروت يد ورثلا ةيصخش عم ةنراقملا هجوأ ةغايصب<br />

روذجلا ىلا ةدوعلا ةباثمب يهو ،ةيوهلا لوهجم بتاكل 1554 ةنس ةياورلا ترهظ<br />

ةغل هتزّيم،رخاسلاو يمكهّتلا يدقّنلا ّسحلا هيلع بلغي بولسا جاهتنا عم ةيثارتلا<br />

يف ةرصاعم نوكتس انتيؤر .شيتفتلا مكاحم لاوهلأ مامتها ّيأ ريعت لا ة ّضفو ةنشخ<br />

اهتاموسر يف ةيكيفارقلا ةلاسّرلا روطت للحنل ةيكسراكيبلا ةياورلل انلوانت مضخ<br />

ىلع ةنهارملا ىلا يديلقتلا picaro ةيراطشلا ةاكاحم دهشم تزواجت يتلا اهلاكشاو<br />

روطت يف ةءارق يه .ةيبورولااو ةيقرشلا تاعمتجملا ىلع هحاتفناو يبدلأا صّنلا ةيعاوط<br />

،يئامينيسلاو يحكرلا جارخلاا ّدح اهغولبو ةيكسراكيبلا ةياورلا يف يَكيفارقلا لعفلا<br />

دعابتلا تايوتسم ديدحتو ةّيطخلا ةبيكرّتلا دعاوق ءانب ىلا انلمحي يئامينيس ليوأت وهو<br />

.ينابسلاا يكسراكيبلا ىحنملا تادادماو ةّيبرعلا ةيرا ّطشلا ةياوّرلا نيب براقتلاو<br />

كراشملا<br />

20


Participante<br />

21<br />

ZAYANI, Rym<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Profesora de técnicas de imprenta moderna, de diseño gráfico y de promoción<br />

publicitaria en la Escuela Superior de Ciencias y Tecnologías <strong>del</strong> diseño de<br />

Túnez, graduada con un máster titulado “El progreso tecnológico y su impacto<br />

en el sello postal”. Tiene una tesis depositada en espera de ser leída y bajo la<br />

dirección <strong>del</strong> profesor Raíf Malek cuyo título es “Diseño de la imagen entre<br />

virtualidad numérica y ejecución impresa y que estudia las aproximaciones en<br />

diseño y su fiabilidad tecnológica en la industria gráfica; trabajó también en el<br />

ámbito de la filigrana y ejerció de consejera técnica en la ejecución de filigrana<br />

en la Imprenta Oficial de la República de Túnez. Es miembro de la redacción<br />

de la revista “Academia” de la Universidad de la Manouba y galardonado en el<br />

Certamen Nacional con doce sellos postales tunecinos.<br />

Título de la ponencia Una aproximación gráfica entre la novela de<br />

sagacidad y perspicacia árabe”shattaría” y la novela picaresca española<br />

Resumen de la ponencia<br />

Ejemplo, «la novela <strong>del</strong> Lazarillo de Tormes». El género de literatura picaresca<br />

española, que narra en forma autobiográfica y crítica las aventuras de un<br />

antihéroe, pícaro y sagaz, que aparece en el s. XVI, se considera como un<br />

salto cuantitativo, que conlleva el nacimiento de implícitas nuevas reglas de un<br />

género literario en ciernes, que se nutre <strong>del</strong> realismo circundante, desconocido<br />

hasta entonces, alejándose así de la tendencia clásica de la literatura morisca;<br />

la novela picaresca es una vuelta a las raíces, al sustrato social de donde parte,<br />

valiéndose de un hiriente estilo crítico, con un lenguaje burlesco y atrevido para<br />

la convencionalidad, de corte fanática, social y religiosa, entonces imperante;<br />

una corriente literaria que osaba desafiar y burlar incluso los preceptos éticos<br />

impuestos por la temible Inquisición. Este estudio grafico nos lleva a establecer<br />

los puntos de convergencia y divergencia entre la memoria colectiva árabe, por<br />

un lado, y la memoria magrebí y andalusí por otro lado. Partiremos de Túnez,<br />

cuna de civilizaciones diversas y puerta de entrada al Mediterráneo…para recalar,<br />

después, en las truculentas e intrincadas desventuras, fabulosas y desbordantes<br />

intrigas, perspicacia y astucia infinitas <strong>del</strong> antihéroe árabe <strong>del</strong> imaginario oriental,<br />

tales como Hassan o Sindibad, para revelar, luego, los aspectos comparativos<br />

entre ambas novelas de corte picaresco. Una escueta exposición gráfica basada<br />

en una nueva lectura para reinterpretar de manera mucho más escénica y<br />

cinematográfica la evolución estructural <strong>del</strong> género picaresco español.


يفسويلا يلع دمحم<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

ةيعامتجلاا مولعلاو ةفسلفلا يف ةيذاتسلأا ةداهش ىلع لصحتم ،)1950سنوت-ةجاب(<br />

ةعماجلا نم صاصتخلاا سفن يف ايلعلا تاساردلا ةداهشو ،قشمد ةعماج نم<br />

رعشلا يف تافلؤملا نم ديدعلا هل .ةفاحصلاو ةباتكلاو ةمجرتلا سرام ،ةينانبللا<br />

ةفاح اهنم ركذن، ثوحبلاو تاساردلا ضعبو ةيئامينيس لامعاو ةمجرتلاو دقنلاو<br />

ةيدجبا ،)2007رشنلل يبارافلا راد( ةَنجلا تابتع،)1988 رشنلل ةملكلا راد(ضرلاا<br />

لايربق يبملوكلا لابونلل ةياور ةمجرتب ماقو ،)1988صربق-ايسوقين( ةراجحلا<br />

ملاعلا اده ةكلمم ،)1980رشنلل دشر نبا راد( قيرغ راحب ةياكح ثاكرام ايثراق<br />

.)1982 قئاقحلا راد(رايتنيبراك وخيلا يبوكلا بتاكلل<br />

؟ترَرحت ةرمعتسم ما دوقفم سودرف : يبرعلا باتكلا يف سلدنلاا ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

؟ةركاذلاب اهعاجرتسا متي اذامل : برعلا باتكلا دنع سلدنلاا نع ةباتكلا صئاصخ<br />

نينحلا لمحت يتلا ةليخملا يحو نم يه مأ هيف طيرفتلا نكمي لا يبرع قح يه له<br />

كش لا ؟مهتارمعتسم ىلا نيرمعتسملا لك َنحي ول اذام و ؟رضاحلل اضفر يضاملا ىلا<br />

ةقيرطب سيلو ،دوقفملا سودرفلا عاجرتسا ةقيرط ىلع ،كلذ يف قحلا قلطم مهل نا<br />

.ةركاذلا جراخ يا ،عقاولا يف ةداعتسلاا<br />

كراشملا<br />

22


Participante<br />

23<br />

YOUSFI, Mohamed Ali<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

(Beja-Túnez, 1950), es licenciado en filosofía y sociología por la<br />

Universidad de Damasco, y obtuvo un Master en la misma disciplina<br />

por la Universidad libanesa. Es autor de varios libros, traducciones e<br />

investigaciones de mucho interés, con alguna que otra incursión en la<br />

escritura de cine histórico. Es autor de El borde de la tierra (Editorial<br />

Dar Alkalima, 1980), Los umbrales <strong>del</strong> paraíso (Editorial dar Alfourabi,<br />

2007), El abecedario de la piedra (Nicosia-Chipre, 1988). Es traductor<br />

al árabe de El naufrago, una novela <strong>del</strong> Nobel de literatura colombiano<br />

Gabriel García Márquez (Editorial Ibn Rochd, 1980), El reino de este<br />

mundo <strong>del</strong> cubano Alejo Carpentier (Editorial Hakaik, 1982).<br />

Título de la ponencia<br />

El-Ándalus en la literatura árabe: ¿un paraíso perdido o la liberación<br />

de un pueblo?<br />

Resumen de la ponencia<br />

Se expondrán las características esenciales de la literatura árabe acerca de Al-<br />

Ándalus… ¿Por qué motivo se la trata de recuperar a través de la memoria?<br />

En la intervención <strong>del</strong> profesor Yousfi, se revelarán las líneas básicas de un<br />

estudio con ciertas alusiones críticas hacia los nostálgicos que aún duermen<br />

en el profundo letargo de la historia, y expondrá la causa de esta insistencia<br />

patológica en algo cuya restauración se antoja frontal y totalmente anacrónica.<br />

¿Por qué se la quiere recuperar por medio de esta memoria esculpida en el<br />

imaginario colectivo, que se hereda de generación en generación? ¿Es realmente<br />

árabe hasta el punto de que algunos soñolientos siguen, machaconamente,<br />

evocando en sus memorias, sus reflexiones y escritos la idea de algo que fue<br />

enajenado o casi diría usurpado? ¿Se trataría solo de una ilusión, algo ficticio,<br />

como producto de la imaginación, que no nos deja ver más que espejismos,<br />

y que nos embellece la nostalgia para escapar en una huida hacia ninguna<br />

parte, de un presente en claro retroceso, y, probablemente, en una decadente<br />

e imparable deriva ? ¿Y qué pasaría si todos los colonizadores añorasen a<br />

sus ex colonias? Sin duda, tendrán todo el derecho <strong>del</strong> mundo a ilusionarse<br />

despiertos con la recuperación <strong>del</strong> paraíso perdido. Pero un hecho anacrónico,<br />

como lo es la restauración de este paraíso, no debe, en cualquier caso, anidar<br />

sino en la memoria, plasmada luego en creatividad literaria.


لاليف اكنارب<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

ةصقلاو رعشلا يف ةفلتخم زئاوج ايميلقإ )ةنس 14(رمعلا نم ةركبم نس يف تقلت<br />

لبون ةزئاج ةيامح تحت ةرشع ةنماثلا نس يف ىلولأا اهدئاصق ترشنو .ةريصقلا<br />

. لااس هيسوخ وليماك<br />

"ةركاذلا يف ةاقلم يسارم" اهعمو ترهظ ،بدلأا ملاع نع ةديدع تاونس اهداعتبا دعب<br />

ةعماجب ةسارد يف تمهاس "ساجوأ ساد انايساف " اهتعومجمب .)رشنلل لايس راد(<br />

ىلع اهدعاس امم نييكرملأا داقنلا نم فرشلا ةظحلام ىلع تلصحتو ةيلامشلا اتوكاد<br />

2008 ةرود ةبسانمب . ةيكيرملأا ةدحتملا تايلاولا تاعماج فلتخمب ةلوجب مايقلا<br />

راد رادصإ نم ةعومجم يهو ةيلودلا وفعلا ةمظنم عم نواعت لاب وّيراد نابور ةزئاجل<br />

ةئاملا نويع" ةيلزغلا اهتعومجم رهظتس 2012 ةنس .ةنسلا سفن يف لايس رشنلا<br />

عم" باتكب لافطلأا صصق ملاع تلخد ."ضرلأا ينتيطعأ" اهتعومجمو "دوسأ ناصح<br />

نم ديدعلا يف اهدئاصق رشن مت .اماردلا و ةصقلا كلذك بتكت ."عئار مويو لايناد<br />

ةيبرعلاو ةيسنرفلاو ةيزيلجنلإا ىلإ تمجرت و ةيكيرملأا ةدحتملا تايلاولاب تاعماجلا<br />

.يبوروأ يفاقث ثارت ،يّرتسينيف يد وباك ةيبدلأا مايلأا ةرادإ يف كراشت .ةيلاغتربلاو<br />

.ةينابسلاا ةيميلقلاا ةطبارلل سسؤم وضع اضيأ يهو<br />

ةايحلاو بدلأا ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

امّبر بدلأا نودب .هذه انمايأ ىتح و خيراتلا لبق ام ىلإ دوعت يباتك ريبعت ،زمر ،ةملك بدلأا<br />

وأ هيفرتلا يف طقف سيل فئاظولا ديدع يف ةقبطملا بتكلا لاو بوتكملا لصاوتلا دجوي لا<br />

باتك نم ،بدلأا ةايح يف نيخفانلا لاطبلأا دجوي نل ،ونيمودلا رجح أدبم نم اقلاطناو .ةيبرتلا<br />

ملاعلا اذه ةلجع رودت يك عيمجلا نيب طبرت رشن رودو نييحرسم باتكو ءارعش و نيخرؤمو<br />

.بدلأا وه يذلا<br />

نأ ملعن فيك ؟عادبلإا و قلخلا مل : لاؤاست حرطأ ءارعشلاو باتكلا رمتؤم روضح اننأ امبو<br />

نيذلا كئلوأ نيب زييمتلا ةلواحم ىلإ رملأا اذه عجرُأ و ؟رعاشلا وأ بتاكلا وه اّم اصخش<br />

.نوروطتيو نودلوي نيذلا كئلوأو اودلوي مل نكلو اونوكي نأ نوديري<br />

له ةبهومو ةردق نود لمعلا ناك اذإ نكلو عادبلإا و قلخلل يرورض لمعلا نأ اعيمج ملعن<br />

. كلذ دقتعا لا ؟اقح قلخت نأ نكمي يتلا تافصلا نم ديدعلا مادختسا ىلع انردقي نأ نكمي<br />

كراشملا<br />

24


Participante<br />

25<br />

VILELA, Branca<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

A la edad precoz de 14 años ya recibía diferentes premios a nivel comarcal en<br />

Poesía y Relato corto. Bajo la protección <strong>del</strong> Nobel Camilo José Cela, a los 18<br />

años, publica sus primeros poemas. Después de permanecer durante muchos<br />

años alejada <strong>del</strong> mundo literario, irrumpe con Anclas varadas en la memoria(<br />

Editorial Sial,2004). Con A faciana das augas (Editorial Toxosoutos, 2005)<br />

participa en un estudio de la Universidad de Dakota <strong>del</strong> Norte por lo cual<br />

recibe la mención de honor de la crítica Norteamericana, lo que la lleva a<br />

realizar una gira por diferentes Universidades de EEUU. Préstame tu voz,<br />

(Editorial SIAL,2008) es finalista <strong>del</strong> II Certamen Internacional, Rubén Darío<br />

2008 y con la colaboración de Amnistía Internacional. En 2012 aparecerán<br />

publicados: Los ojos de los cien caballos negros (poesía erótica) y Me diste la<br />

tierra. Con Daniel y un día especial se inicia en cuentos para niños. Trabaja el<br />

género de Novela y Dramaturgia.<br />

Sus poemas aparecen publicados en diferentes Universidades de EEUU y<br />

han sido traducidos al Inglés, Francés, Árabe y Portugés. Es codirectora de<br />

las Jornadas Literarias Cabo de Finisterre,Patrimonio Cultural Europeo. Es<br />

socia-fundadora <strong>del</strong> Pen Club España.<br />

Título de la ponencia La literatura y la vida<br />

Resumen de la ponencia<br />

La literatura es palabra, signo, expresión escrita que como hemos visto se<br />

remonta a la Prehistoria hasta nuestros días. Sin ella no existiría la comunicación<br />

escrita, los libros, aplicados a infinidad de funciones, no solamente de ocio o<br />

educativas. Por efecto dominó tampoco existirían los grandes protagonistas<br />

de darle vida, que son escritores, historiadores, poetas, dramaturgos y en<br />

esta rueda las editoriales con todo su engranaje de eslabones para crear esa<br />

vida que es la literatura. Pero quiero hacer una reflexión a todos Uds. Ya<br />

que estamos asistiendo a un Congreso de Escritores y Poetas, les pregunto:<br />

¿Donde nace esa necesidad de crear?, ¿Como se sabe que una persona es<br />

escritor o poeta porque quiero diferenciar a a aquellos que quieren ser pero<br />

no nacen y los que nacen y desarrollan. Para crear todos sabemos que es<br />

necesario el trabajo pero el trabajo sin capacidad, talento, don podría utilizar<br />

muchos adjetivos más, realmente se puede crear. Yo creo que no.


يكرتلا دمحم<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

نونفلاو بادلآا ةّيلكب ةيكيرمأونيتلالاو ةينابسلاا ةراضحلا يف رضاحم ذاتسأ<br />

نكمي هلامعا نيب نم ،نييكسروملا ةراضح و خيرات يف صتخم ،ةبونمب تايناسنلااو<br />

ثوحبلاو ،)1979("سنوت يف ةيكسروملا ةيسلدنلأا ةيرارمتسلاا "هباتك ركذن نأ<br />

)2007( "يكسيروملا بدلأا يف ةماه ريغ اهرهاظ يف عيضاومل ديرفلا لماعتلا"<br />

نم دعي .)2005("يكسروملا بدلأا يف ةينيدلا عيضاوملا ربع ةيكسروملا ةمواقملا"و<br />

يسرادل ةيسنوتلا ةيعمجلا سيئر بئانو )1975( سنوتب ةينابسلاا ةبعش يس ّسؤم<br />

.ةينابسلاا بادلاا و ةغللا<br />

هدعب و درطلا لبق نويكسيروملا ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

مكاحم قئاثو ىلع نييكسروملا خيرات يف نيصتخملا بلغأ دمتعا ،مولعم وه امك<br />

طوقس رثإ اينابسإ يف نيقابلا نيملسملا رخلآ ةحضاو ةروص انل اومدقي يك شيتفتلا<br />

.ةطانرغ ةكلمم<br />

ةنودملا نييكسروملا تاطوطخمب اهتنراقم ىدل ةقثلاب ةريدج تسيل تامولعملا هذه<br />

ةقيقح ةبراقم لواحأس يتلخادم يفو .سنوت يف ديدحتلابو ،ايقيرفإ لامش يف<br />

درطلا لبق شيتفتلا مكاحم فيشرأ ،نيردصملا ىلع دامتعلإاب نييكسيروملا<br />

ةددحملا طاقنلا نم اضعب صخت يتلاو ةرجهلا يف ةنودملا ةيكسيروملا تاطوطخملاو<br />

.ةينيدلاو ةيفاقثلاو ةيعامتجلإا مهتايح يف<br />

ىقتلملا جمانرب 26


Programa <strong>del</strong> II Encuentro<br />

27<br />

TURKI, Mohamed<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Catedrático de Civilización Española e Hispanoamericana de la<br />

Universidad de la Manouba de Túnez. Es especialista en historia<br />

y civilización de los moriscos. Entre sus trabajos destacan el libro<br />

Survivances andalouses et morisques en Tunisie (1979), y los<br />

artículos” la singular utilización de los temas aparentemente menores<br />

en la literatura aljamiado-morisca” (2007) y “la resistencia morisca<br />

a través de los temas religiosos en la literatura aljamiado- morisca<br />

“(2005). Es cofundador de la sección de español en Túnez (1975), y<br />

es vicepresidente de la ATH<br />

Título de la ponencia Los moriscos, antes y después de la expulsión<br />

Resumen de la ponencia<br />

Como es sabido, la mayoría de los especialistas en la historia de<br />

los moriscos, se basaron en los documentos de los tribunales de la<br />

Inquisición para presentarnos una imagen clara sobre los últimos<br />

musulmanes que se quedaron en España tras la caída <strong>del</strong> reino de<br />

Granada.<br />

Resulta que estas informaciones no son fidedignas al contrastarlas<br />

con los manuscritos de los moriscos que escribieron en el norte de<br />

África, y precisamente en Túnez. Mi intervención consiste en intentar<br />

aproximarme a la realidad de los moriscos, teniendo en consideración<br />

las dos fuentes; los archivos de los tribunales de Inquisición antes de la<br />

expulsión y los manuscritos moriscos escritos durante el exilio, referente<br />

a algunos puntos precisos de su vida social, cultural y religiosa.


وتانيفور ودلأ<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

ديدع فّلأ .ايلاطيإ يف ونيروط ةعماجب بادلآاو ةفسلفلا ةيلكب ينابسلإا بدلأا ذاتسأ<br />

ةينسللأاو تايئايميسلا و يصنلا دقنلا و صوصنلا قيقحت ىلع لمعو تلااقملا و بتكلا<br />

رعشلاو ةيسراكيبلا ةياورلا لوح تاساردلا ديدع رشن امك .ةياورلا روذجو ةطيسولا<br />

مدق وذ اضيأ وهو اقيف يد يّبولو ساتنافرث حرسم يف ناوخ نود عوضومو يفوصلا<br />

.سيتافرثو سمرّت يد وّيراثلاو ليونام ناوخ نودو وياثرب يف ةخسار<br />

مهأ ةسارد ىلع ّبكنم اّيلاح وهو .يلاطيلإاو ينابسلأا نراقملا بدلأاب اضيأ ينع<br />

تقولا يفو .سيتافرثو وّيراثلا و وصلايثراق رعش يف نيققحملا ضرتعت يتلا تابقعلا<br />

.)ةينابسلإاب قطانلا ملاعلا بادآو تاغلب متهت( ارافيترأ ةينورتكللإا ةلجملا ريدي هتاذ<br />

تاساردلل ةيلاطيلإا ةيعمجلاب يفرش وضعو .مولعلل ونيروط ةيميداكأب راق وضعو<br />

.اهبادآ و ةينابسلإا ةغللا يسرادل ةيملاعلا ةيعمجلا سيئر .ةيئاميسلا<br />

كراشملا<br />

28


Participante<br />

29<br />

RUFFINATTO, Aldo<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Catedrático de Literatura Española en la Facultad de Filosofía y<br />

Letras de la Universidad de Turín (Italia). Es autor de diversos<br />

libros, artículos y ensayos sobre ecdótica, crítica textual, semiología,<br />

lingüística medieval y sobre orígenes de la novela. Ha publicado<br />

también numerosos estudios sobre la novela picaresca, la poesía<br />

mística, el teatro de <strong>Cervantes</strong> y Lope de Vega, el tema de don Juan; es<br />

un reconocido especialista en Berceo, Don Juan Manuel, el Lazarillo<br />

de Tormes y <strong>Cervantes</strong>. Ha trabajado también sobre temas de<br />

literatura comparada hispano-italiana. En la actualidad está trabajando<br />

sobre los principales problemas ecdóticos planteados por la poesía de<br />

Garcilaso, el Lazarillo, y el Quijote. Director de la revista electrónica<br />

Artifara (Revista de lenguas y literaturas ibéricas y latinoamericanas,<br />

que comprende también una versión impresa). Es Socio numerario<br />

de la Accademia <strong>del</strong>le Scienze di Torino. Miembro de honor de la<br />

Associazione Italiana di Studi Semiotici (AISS). Es presidente de la<br />

Asociación Internacional de Hispanistas.


اكنملس اقنوب-ثاقيردور ليئافر<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

دهعمل ماع بتاك ةفيظوب علطضي ،ينابسا يسايسو ،تايناسللا و ةغللا يف ّصتخم<br />

اينابسا ةرافسب ةفاحصلاو ملاعلاا راشتسم بصنم لغش 1987 ةنس ،ستنافرس<br />

،يفاقثلا لاصتلاا و نواعتلل ماع ريدم ةمهم 1996 ةنس لغش دقو ،كيسكملا يف<br />

تاقلاعلا ماع ريدم بصنم يف 2000 ةنس ةيجراخلا نوؤشلا ةرازو ىلا لقتنا مث<br />

،يلودلا نواعتلل ةينابسلاا ةلاكولل اّماع ابتاك ،2001 ةنس ّ يعو .ةيملعلاو ةيفاقثلا<br />

نويزفلتو ويدار ماعلا عاطقلا ةانق ةرادا سلجم يف وضع وه ،2008 ةنس ذنمو<br />

.)ديردميليت( ديردم<br />

كراشملا<br />

30


Participante<br />

31<br />

RODRÍGUEZ-PONGA SALAMANCA, Rafael<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

es un filólogo, lingüista y político español. Actualmente es Secretario<br />

General <strong>del</strong> <strong>Instituto</strong> <strong>Cervantes</strong>.<br />

En 1987 es destinado en la Embajada de España en México (como<br />

Consejero de Información y Prensa).<br />

En 1996, a propuesta de la Ministra de Educación y Cultura, es<br />

nombrado Director General de Cooperación y Comunicación<br />

Cultural. Pasa al Ministerio de Asuntos Exteriores en el año 2000,<br />

como Director General de Relaciones Culturales y Científicas.<br />

Un año después, en 2001, es nombrado Secretario General de la<br />

Agencia Española de Cooperación Internacional (AECI).<br />

Desde 2008, es miembro <strong>del</strong> Consejo de Administración <strong>del</strong> Ente<br />

Público Radio Televisión Madrid (Telemadrid).


ادايناك ثاقيردور ويليساب<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

ةيبنجلأاو ةينابسلإا تاعماجلا ديدع يف رئاز ذاتسأو رعاشو يفاقث ريدمو رشانو بتاك<br />

.تلاجملا و فحصلا نم ديدعلا يف مهاسي<br />

ةئامسمخ نم رثكأ ترشنو 1998 ةنس تسسأت يتلا "رشنلل لايس" ةسسؤم ريدم وه<br />

نع لوؤسم اضيأ وهو . جاتناو رشن ةسسؤم ،وربيديإ نويلاممقيب ريدمو ناونع<br />

تاقلحلاو تاريتسجاملا ديدعب سردي .اهترادإو ةيفاقثلا تاطاشنلا نم ريثكلا ميظنت<br />

فلتخم يف ةءارقلا نيقلتو بدلأا و رشنلاو لاصتلإا تاشروو تايقتلملاو ةيساردلا<br />

رخآ" ايجولوطنأو ةيرعش ةعومجم ةرشع ىدحإ رشن دقو .تاسسسؤملاو تايقتلملا<br />

ةينابسلاا ةيعمجلا سيئر اّيلاح لغشي ."ةيفللأا" ايجولوطنأو )1997( "راعشلأا<br />

وضعو ةينابسلإا ةيملقلا ةطبارلا سيئر و سسؤم .ةيقيرفلإا تافاقثلاب نيمتهملل<br />

. ةيملاعلا ةيميلقلاا ةطبارلل ةيكيرمأوريبلاا ةسسؤملا سلجم<br />

ةكرتشم بادآو خيرات ،اينابسإو سنوت ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

ءيش اذه ، كرتشملا خيراتلا يف تاحفصلا نم ديدعلا اتمساقت دق اينابسا و سنوت نا<br />

امئاد نكت مل تلاعافتلا هذه نأ نم مغرلاب صوصنلا بتك يف هظحلان نأ عيطتسن<br />

.يفاكلا ردقلاب ةللحم وأ ةفورعم<br />

راهدزا ذنم ةيمهلاا نم ريبك ردق ىلع ةيفاقث و ةيخيرات طباور ىلع نادلبلا ظفاح<br />

ةيسلدنلاا ةرتفلا يف ةصاخ ةيويح امهل تناكو )م.ق عباسلا نرقلا(اهع ّسوتو جاطرق<br />

خيرات ىتح )16و 15 نرقلا( ةينامثعلا ةيروطاربملااو اينابسا نيب ةهجاوملا يفو<br />

دقو ةدحتملا مملاا ةمظنم يف اقحلا اهلوخدو )1956( اهللاقتسا ىلع سنوت زارحإ<br />

.1957 ذنم ةيمسر ةيسامولبيد تاقلاع نادلبلا ماقا<br />

ةيوق تاقلاع دجوت ،سنوت يف ةريخلاا ةيعامتجلااو ةيسايسلا تاريغتلا دعب ،ايلاح<br />

.ةّيداصتقلااو ةّيفاقثلاو ةّيسايسلا ةدصلأا ىلع ،اينابساو سنوت نيب ةقيثوو<br />

كراشملا<br />

32


Participante<br />

33<br />

RODRÍGUEZ CAÑADA, Basilio<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Escritor, editor, gestor cultural y poeta. Profesor invitado en diferentes universidades<br />

españolas y extranjeras. Colabora con diversos periódicos y revistas.<br />

Director de Sial Ediciones (www.sialediciones.es), fundada en 1998 y con más<br />

de quinientos títulos editados. Director de Pigmalión Edypro, empresa editora y<br />

productora (www.pigmalionedypro.es). Se encarga también de la coordinación y<br />

dirección de numerosas actividades culturales. Imparte Másteres, Cursos, Seminarios<br />

y Talleres de Comunicación, de Edición, de Literatura así como de Iniciación a la<br />

Lectura, en distintos foros e instituciones.<br />

Tiene publicados once libros de poesía así como las antologías Poesía Ultimísima<br />

(1997) y Milenio.<br />

En la actualidad es presidente de la Asociación Española de Africanistas (www.<br />

africanistas.es).<br />

Fundador y presidente <strong>del</strong> PEN Club de España (Spanish P.E.N. Club) y miembro <strong>del</strong><br />

Consejo de la Fundación Iberoamericana <strong>del</strong> PEN Internacional (www.penclub.es).<br />

Título de la ponencia Túnez y España: Historia y literaturas<br />

comunes.<br />

Resumen de la ponencia<br />

Que Túnez y España han compartido muchas páginas de historia común<br />

es algo que podemos constatarlo en los libros de texto, aunque estas<br />

interacciones no siempre han sido suficientemente conocidas o analizadas.<br />

Nuestros respectivos países han mantenido vínculos históricos y culturales<br />

sumamente importantes desde los tiempos de expansión y esplendor de<br />

Cartago (siglo VII a. de C.), teniendo especial pujanza en la etapa andalusí<br />

y de confrontación entre España y el imperio otomano (siglos XV y XVI),<br />

hasta la fecha en que Túnez logró su independencia (1956) y su posterior<br />

ingreso en la Organización de las Naciones Unidas, estableciendo ambos<br />

países oficialmente relaciones diplomáticas en 1957.<br />

En la actualidad, tras los últimos cambios políticos y sociales en Túnez,<br />

existen unas estrechas y sólidas relaciones entre Túnez y España, tanto en el<br />

contexto político, como en el ámbito empresarial y económico.


وغسيير ليونام ناوخ<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

مولعلاو رصاعملاو ثيدحلا خيراتلا يف ىلعلأا دهعملا جيرخ وغسيير ليونام ناوخ<br />

ماعلا ريدملا بئان ناك .يسنتولبموك ةعماج نم )ةيلود تاسارد صاصتخا( ةيسايسلا<br />

نوناقلا ةفسلفل اكراشم اذاتسأو ،تسيلجنفلاا ناوخ .س ةعماجب تاساردلا مسق سيئرو<br />

خيراتو رصاعملاو ثيدحلا خيراتلا يف اذاتسأو يسنتولبموك ةعماجب يسايسلاو يقلاخلأا<br />

.دعب نع ميلعتلل ةينطولا ةعماجلا يف ةيلودلا تاقلاعلا<br />

ةعماج' نم ةيناسنلإا مولعلا دهعم يف ةيلودلا تاقلاعلاو رصاعملا خيراتلا ذاتسأ وه ايلاح<br />

ايقيرفأب صتخم ةيلود تاسارد ذاتسأ 1979 ماع ذنمو ،ديردم يف 'سولراك ناوخ كلملا<br />

،اسابسا( ءادوسلا ايقيرفأ خيراتلل ةمدقم ةئطوت فلؤم وهو ةعبطلا دعأ'' .ةيملاسلإا ايسآو<br />

ينيمخلا ماملاا دهع يف ناريإ' ،'يرصنعلا زيملا' ايقيرفأ بونج '،16 خيرات رتافد )1984<br />

ءارحصلا بونج يف تاعارصلاو 'عقاولاو لدجلا نيب يلام يف ةحلسلأا' روس ةسسؤم رشن'<br />

حتفلا' .1993 ماع ةيسامولبدلا ةسردملا رتافدو 1980-1997 ايقيرفأ نم ىربكلا<br />

تاسارد' ررحم ،'دوسلأا ملاعلا' نم نينواعتملا وهو ردواي اشابب رجينلا ةيروطاربملإ<br />

.ايلاح ةقرافلا ةينابسلإا ةطبارلا سيئر بئانو 'ايبمولوك ةينطولا ةعذلا' قلعمو 'ةيقيرفأ<br />

ءاقّللا دّدجتو ءاقل ،سنوتو اينابسإ ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

مساوق ثلاث كانه. هيف رثؤيو رئازلا راظنأ فطخي رحاسو بلاخ لامج وذ دلب سنوت<br />

ةاواسملا مدق ىلع تداس يتلا ةكرتشملا ةيبرعلا ةفاقثلا لاوأ. اينابسإ عم ةكرتشم<br />

تناك امل ناكلراش دهع للاخ كرتشملا خيراتلا ايناث ،ةنس 800 ةليط نيدلبلا لاك يف<br />

دعب يلوبانو ةيلقص ،اينيدرس لثم ايلاطيإب ندم ةدع ىلا دتمت ةينابسلاا ةيروطاربملاا<br />

ثوروملا اثلاث .،خلإ .يداولا قلحو ،ةبرج ،ةقربطب ةيرثأ ملاعم و نوصح ةدع كرت نأ<br />

ضيبلأا رحبلا تربع اينابسإ يملسم نم ةحداك ةعومجم تلح ثيح 'يكسروملا'<br />

ددع كلذب يهاضي اهددع ناك ثيح قيقشلا يسنوتلا بعشلا عم جمدنتل طسوتملا<br />

ةريخلأا ةنولآا يف .رشع سداسلا نرقلا يف ايكرتو برغملاب اورقتسا نيذلا نيرجاهملا<br />

باتك دجويو ،ديردم يف يبرعلا تيبلا رشن يف .ةماه ةيسنوت ةمهاسم كانه تناك<br />

بتاكلا بتك دقو .'ديردم ىلإ تيريام نم' اينابسإ ةمصاع يف يبرعلا دوجولا نع عئار<br />

.ةعاربب بتاكلا اذه 'ملاس نب فيطللا دبع' يسنوتلا<br />

كراشملا<br />

34


Participante<br />

35<br />

RIESGO, Juan Manuel<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Juan Manuel Riesgo es Titulado Superior en Historia Moderna y Contemporánea Ciencias<br />

Políticas, (Especialidad de Estudios Internacionales) Derecho y Geografía. Por la Universidad<br />

Complutense. Ha sido Subdirector General y Jefe de Estudios <strong>del</strong> Colegio Mayor Universitario<br />

S. Juan Evangelista, Profesor Asociado de Filosofía <strong>del</strong> Derecho, Moral y Política en<br />

la Univ. Complutense, Profesor de Historia Moderna y Contemporánea y de Historia<br />

de las Relaciones Internacionales en la Universidad Nacional de Educación a Distancia.<br />

Actualmente es Profesor de Historia Contemporánea y de las Relaciones Internacionales en<br />

el <strong>Instituto</strong> de Humanidades de la Universidad Rey Juan Carlos de Madrid y desde 1979<br />

Profesor <strong>del</strong> Curso de Altos Internacionales Áreas de Continente africano y Asia Islámica.<br />

Preparó la Edición y es autor <strong>del</strong> prólogo de Introducción a la Historia de África Negra<br />

(Espasa, 1984) de los Cuadernos de Historia 16, “Sudáfrica”, Apartheid”,” El Irán <strong>del</strong> Imán<br />

Jomeini” En Cuadernos de la Fundación SUR “Los Armas de Máli polémica y realidad” y<br />

Conflictos en el África Subsahariana 1980-1997 y en Cuadernos de la Escuela Diplomática<br />

1993.”Conquista de un Imperio en el Níger por el Pachá Yaudar etc. Es colaborador de”<br />

Mundo Negro”, redactor de “Estudios Africanos” y comentarista de la Radio Nacional de<br />

Colombia y actualmente Vicepresidente de la Asociación Española de Africanistas.<br />

Título de la ponencia España-Túnez un encuentro y un reencuentro.<br />

Resumen de la ponencia<br />

Túnez es un país de una belleza especial y de una luz que traspasa, impregna, transporta<br />

e inspira al que lo visita. Con España tiene un triple vinculo, la común cultura árabe que<br />

impregnó por igual a ambos países durante 800 años, la presencia desde sus posesiones<br />

de Italia Cerdeña, Sicilia y Nápoles en tiempos <strong>del</strong> Carlos V en 1535 dejando un camino<br />

de fortificaciones en Tabarka, Djerba, Bujía, La Goleta, etc,. La tercera presencia es<br />

en la diáspora “morisca”, una industriosa e ilustrada población musulmana española<br />

cruzó el Mediterráneo para fundirse con el pueblo hermano tunecino en una cantidad<br />

que sólo fue comparable a la establecida en Marruecos o Turquía en el siglo XVI, pero<br />

que dejó una huella más profunda. Túnez es un país que da y recibe, que tiene la<br />

forma de una mano recogida que se abre al visitante y que a nadie deja indiferente. Más<br />

recientemente se ha producido una importante aportación tunecina. La Casa Árabe<br />

de Madrid ha publicado un muy notable libro de la presencia árabe en la capital de<br />

España “De Mayrit a Madrid”. El periodo de la Guerra Civil es fundamental. Un grupo<br />

de intelectuales árabes viven y estudian en Madrid y en el Ejército sublevado hay un<br />

decisivo contingente árabe. A un intelectual Nayati Sidqi, se le ocurrió una idea genial.<br />

Ese capítulo lo ha escrito magistralmente el ensayista tunecino Ab<strong>del</strong>atif Ben Salem .


يكيبلا اتلاوفير يكيرنا<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

اينابسإ ديردمب يسنتولبمكلا ةعماجب قوقحلا يف ةزاجإ ىلع لصحتم •<br />

سلااس سولبيف وفاتسوغ عم كارتشلااب ةاماحملا بتكم حتف •<br />

ةعماج سيئر بتكم عمو ةيجراخلا نوؤشلل سيئرلا بئان عم نواعت)UCM( •<br />

اينابسإ ديردمب يسنتولبمكلا<br />

يبقرلل ينابسلاا داحتلإا يف وضع •<br />

ةينابسلاا ةيبملولأا ةنجللا يف وضع •<br />

ةيضايرلا ضورعلا يف فنعلا ةحفاكم ةنجل يف بختنم وضع •<br />

:تاروشنملا<br />

تافلاس رشنلا راد ،ةرماغملا باتك •<br />

لايس رشنلا راد ،ركراب انول •<br />

وكنملافلا يئانغأ بتاك<br />

ةياورلا لبقتسم ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

نم نإ .كلذك طق نكت مل ،ةيعقاو ةصق وأ ةيلست درجم نوكت نأ ةياورلا ودعت لا<br />

.ائيش هقفي مل ،ةيدج تاياور يه عئاضلا نمزلا نع ثحبلا وأ طوشيك نود نأ يعدي<br />

دهز رملأا اذه ر ّسفي دق و .اهومهفي مل مهنلأ ةياورلا امئاد نوهركي نوددشتملا ناك<br />

ةياورلا ةباّوب نم ةثادحلا ملاع ىلإ اوفلد نيذّلا نييناطيربلل افلاخ اهيف اندادجأ<br />

.ةيلايخلا<br />

كراشملا<br />

36


Participante<br />

37<br />

REVUELTA LAPIQUE, Enrique<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

-Licenciado en Derecho. Universidad Complutense de Madrid (UCM). España<br />

-Despacho de Abogados con Gustavo Villapalos Salas.<br />

-Colabora con el Vicerrectorado de Relaciones Exteriores y en el Gabinete <strong>del</strong> Rector<br />

de la UCM.<br />

-Vocal de la Federación Española de Rugby<br />

-Miembro <strong>del</strong> Comité Olímpico Español.<br />

-Vocal Electo de la Comisión Antiviolencia en los Espectáculos Deportivos.<br />

Publicaciones:<br />

El Libro de la Aventura. Ed. Salvat<br />

Luna Parker. Ed. Sial<br />

CD. “Canciones a Esther”<br />

Letrista de cantes flamencos.<br />

Título de la ponencia El porvenir de la novela<br />

Resumen de la ponencia<br />

La novela ya no supera el ser un mero entretenimiento ni una historia seria.<br />

Es más, jamás lo ha sido; porque quién diga que D. Quijote ó La Búsqueda<br />

<strong>del</strong> Tiempo Perdido, son relatos serios, es que no ha entendido ninguna de<br />

las dos obras.<br />

Los fanáticos siempre han detestado la novela; de hecho, nunca la han<br />

entendido, tal vez por eso en la España <strong>del</strong> Siglo XVII, nuestros antepasados<br />

no la hicieron el más mínimo caso. Y, en cambio, los británicos iniciaron la<br />

modernidad a través de novelas fantásticas.


يبياهولا فصنم<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

سنوت ـ ةسوس:ةّيناسنلاا مولعلاو بادلآا ةيّلكب ٍلاع ميلعت ذاتسأ<br />

ماّمت يبأ دنع رع ّشلا ةعانص : ةلوّدلا هاروتكد ىلع لصاح<br />

:ةيرعشلا هلامعأ نم<br />

1991 سنوت ،ةّيمأ راد ،لابجلا يتأت رحبلا نم •<br />

1998 سنوت ،دماص راد 1.ط ،وتكبمت طوطخم •<br />

مساقلاوبأ" يسنوّتلا كنبلا ةزئاج ىلع لصح 2000ناوريقلا ،لمّرلا ةدرو اقيزيفاتيم •<br />

1999 ماعل "يبا ّشلا<br />

ينطولا زكرملا تاروشنم ،ةّينابسلاا ىلإ مجرُت 2007 سنوت ناويحلا تسرهف •<br />

2010سنوت ةمجرتلل<br />

2009 سنوت ربكت نأ تيسن يتلا ةدّيسلا ءايشأ •<br />

2011 يفناج 14 ةعمجلا موي ةباتك ىلع نيرمت •<br />

2012 سنوت يبهذلا راموكلا ةزئاج )ةيكوبسياف ةياور(مدآ ةقيشع •<br />

2012 سيراب ،Que toute chose se taise •<br />

سوستاغ سوكين :رعشلل ط ّسوتملا ةزئاج ىلع لصح دقو<br />

ةيبدلأا يتبرجت يف ةداهش ةلخادملا ناونع<br />

كراشملا<br />

38


Participante<br />

39<br />

OUHEIBI, Moncef<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Catedrático de árabe en la Facultade de Letras y Ciencias Humanas de Sousse.<br />

Tesis doctoral: “El verso en Abi Tamam”<br />

De sus obras:<br />

• “Del mar llegan las montañas”, ed. Umaya, Tunis 1991<br />

• “El manuscrito de Tombuktu”, ed. Dar Samed, Tunis 1998<br />

• “Metafísica de la rosa <strong>del</strong> desierto” galardonado por el Premio Abul Qacim Echebbi<br />

<strong>del</strong> Banco de Túnez, 1999<br />

• “Índice de los animales”, Tunis 2007 (Ha sido traducido al español y publicado por<br />

el Centro Nacional de Traducción, Tunis 2010)<br />

• “Cosas de la señora que se olvidó de crecer”, Tunis 2009<br />

• “Ejercicio de escritura <strong>del</strong> 14 de enero de 2011”<br />

• “La amada de Adán” (novela <strong>del</strong> facebook), Premio Comar, Tunis 2012<br />

• “Que cualquier cosa se calle”, Paris 2012<br />

Fue galardonado por el Premio mediterráneo de la poesía Nikos Gatsos<br />

Título de la ponencia Testimonio de mi experiencia literaria


انيلوم ثاينون ويرارقاس<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

تردص ،ةينابسا ةبتاك ،)1940 ،اينابسا،ايثروم-اكنلاب( انيلوم ثاينون ويرارقاس<br />

تاياكح ،)2009 ،رشَنلل لايس راد( ةريغ َصلا ةحا َسلا صصق اهنم بتك ةَدع اهل<br />

لهس ،)2009،رشَنلل لايس راد( نايسَنلا َلح َبحلا باغ اذا ،)2008(ايثرومل<br />

راد ناونع لمحي باتك ار َخؤم اهل ردصو ،)2010 ،رشَنلل لايس راد(يتوكَرلا<br />

تلاجملا َ نم ديدعلا يف لامعا ةَدعب تمهاس دقو .)2011 ،رشَنلل لايس راد(لانكبلا<br />

ةراداب اضيا تماقو ." ةَيسردملا ةَلجملا "و "انتوص "ةَلجم لثم ةَيوبرَتلا تاَيرشَنلاو<br />

ةَدع يف تل َصحتو ،ةَيئامين َسلا تاهويران َسلا فلتخم ةباتكو ةَيحرسم لامعا ةَدع<br />

ةزئاجلا اهنم ركذن ،يبدلأا اهراسمب افارتعا كلذو ،ةمَيق ةَيبدأزئاوج ىلع تابسانم<br />

ديردم ةعطاقم ةزئاجو 2008 ةنس" وسنلأ وسماد" لبق نم اهل تمَلس يَتلا ةَيبدلأا<br />

.2008 ةرود يف "بدلال ورتنثرتنا "<br />

ةسردملا ىلإ بهذي مل يّدج ةلخادملا ناونع<br />

كراشملا<br />

40


Participante<br />

41<br />

NUÑEZ MOLINA, Sagrario<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

(Blanca Murcia, España 1940), es escritora española, es autora de varios libros, entre<br />

otros: Cuentos en la plazuela Ed. Sial 2009, Cuentos para Murcia 2008, Si no hay<br />

amor hay olvido Ed. Sial 2009, El valle <strong>del</strong> Ricote Ed. Sial, 2010, y acaba de publicar<br />

su último libro La casa de El Bacanal Ed. Sial, 2011. Ha sido colaboradora de varias<br />

revistas , como Nuestra voz y Gaceta escolar, entre otros. También ha dirigido teatro<br />

y ha escrito diversos cortos y guiones cinematográficos. Por su labor literaria ha sidi<br />

galardonada en numerosas ocasiones con premios de relevancia, como el que le fue<br />

concedido y otorgado por Dámaso Alonso en 2008, y el Premio Literario Intercentros<br />

de la Comunidad de Madrid en su edición de 2008.<br />

Título de la ponencia Mi abuela no fue a la escuela.


يكيسور لاطسين ايرولغ<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

ّمث ةيجوغاديبلا ةءافكلا يف ةداهش ىلعو بادلآاو ةفسلفلا يف ةزاجلاا ىلع ةلصحتم<br />

ملاعلاا تاينقت يف ريتسجام يتداهش تزرحأ كلذ ىلإو .ةيملاعلإا يف هاروتكدلا<br />

ةينطولا ةعماجلابو ,ديردمب لايث يسوخ وليماك ةعماجب ةذاتسأ تلمع .تلاصاوملاو<br />

ةعماجب ةذاتسأو دعب نع ةيبرتلل ةينطولا ةعماجلاب ةرطؤمو ; ةيئاوتسلاا اينيغب<br />

ةدعب ةيلاطيلإاو ةيزيلجنلإاب ةينابسلااب تارضاحملا نم ديدعلاب تماق .ايفوصرف<br />

.ابوروأو ايقيرفا و اكيرمأب تاسسؤم<br />

.ىرخأ بتك ةدعو ةيئاوتسلاا اينيغل ةديدجلا ةيبدأ تاجتنم ةعومجم رادصا يف تمهاس<br />

.ةينولوبلاو ةيزيلجنلاا ىلإ ةيبدلأا تاجتنملا ديدع ةمجرت يف تمهاس امك<br />

عونتملا بحلا دئاصق,)2005( اكسيشنارف تايموي:اهدرفمب دئاصقلا هذه رشنب تماق<br />

رابتخا2011( ءاتشلاو )2009( انأو بحلا,)2008( ةيئاوتسلاا قطانملا نم,)2007(<br />

ىرخأ صصقو ةافحلسلا تاياور ,)2010(ىرخأ تايصخشو تابتكم ,تاهاتم ,ايارملا<br />

.)2010( حورلا راهنأ ةياورو )2010( ملاحلأا و رافسلأا ةركفمو )2008( ةبترم ريغ<br />

ةريصقلا ة ّصقلا ىلإ ةّيوف ّشلا ةري ّسلا نم ،يكحلا ّنف ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

.ايقيرفإ يف نورق ةدعل لاوادت رثكلأا يبدلأا ريبعتلل ةقيرط ةيبعشلا ةياورلا تلثم دقل<br />

ةطساوب ةفرعملا لقن يف يوفشلا ثارتلاب ةزيمتملا ةيقيرفلأا بوعشلا تعدبأ دقف<br />

يف ريطاسلأا و محلاملاو, يناغلأاو ,تاديوهتلا تقناعتف .ةيقيسوملا وأ ةيوفشلا ةملكلا<br />

.ةيقيرفلإا لئابقلا يلايل<br />

ءوض ىلع اصصق يوري خيشلاف ،ةبتكم تقلغأ دقف خيش يفوت املك هّنإ,ةقرافلأا لوقي<br />

خبطملا يف يهو تاياكح يورت ةدجلا كلذك .رهنلا فافض ىلع وأ لزنمب نارينلا ةنسلأ<br />

. ماه يفرعم نوزخم ىلع كلذب نيظفاحم لايجلأا اهلقانتتل<br />

ةينيتلالا اكيرمأب ةميدقلا تاراضحلاو نيصلاو دنهلاو طسولأا قرشلا نم انثرو دقل<br />

.رشع عساتلا نرقلا يف يلقعلا بهذملا روهظ عم تشلات اهنكل ةيبعش تاياور<br />

دئاصقلاو محلاملا يف تدتماو سوريموه راعشأ يف يوفشلا رثلأا زرب دقلف ابوروأب امأ<br />

تاياورلا لضفب رشع عساتلا نرقلا دودح ىلا تلصاوتو ىطسولا نورقلل ةيبعشلا<br />

.ةيبعشلا ةياورلل ءايحاو امامتها اذه انرصع يف ظحلانو .ةينابسلاا ةيبعشلا<br />

كراشملا<br />

42


Participante<br />

43<br />

NISTAL ROSIQUE, Gloria<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Licenciada en Filosofía y Letras, obtuvo el Certificado de Aptitud Pedagógica y finalizó<br />

los estudios de Doctorado en Informática. Posee dos Máster en Tecnologías de la<br />

Información y las comunicaciones. Ha sido profesora de la Universidad Camilo José Cela<br />

(UCJC) de Madrid, de la Universidad Nacional de Guinea Ecuatorial (UNGE), tutora en<br />

la Universidad Nacional de Educación a Distancia (UNED) y lectora en la Universidad<br />

de Varsovia (UW). Ha dado conferencias en español, inglés e italiano en instituciones de<br />

América, África y Europa.<br />

Es coautora de la Nueva antología de la literatura de Guinea Ecuatorial (SIAL, 2012) y<br />

de otros libros de autoría múltiple. Ha sido incluida en varias antologías y traducida al<br />

inglés y al polaco.<br />

En solitario ha publicado los poemarios: Diario de Francesca bicéfala (2005), Poemas<br />

<strong>del</strong> amor diverso (2007), Desde el trópico (2008), El amor y yo (2009) e Invierno w<br />

Warszawie (2011); el ensayo Espejos, laberintos, bibliotecas y otras cifras (2010); los libros<br />

de relatos La tortuga, el rombif y otros relatos desordenados (2008) y Cuaderno de Viajes<br />

y de sueños<br />

Título de la ponencia : El arte de contar De la tradición oral al<br />

relato corto.<br />

Resumen de la ponencia<br />

En África la tradición oral ha sido durante siglos la forma de expresión literaria<br />

más utilizada. Los pueblos africanos, de gran tradición ágrafa, han sido expertos<br />

en la transmisión <strong>del</strong> conocimiento a través de la palabra hablada o musicada.<br />

Las nanas, canciones, epopeyas, mitos y cuentos han poblado las noches de las<br />

tribus africanas.<br />

Los africanos dicen que cuando muere un anciano se cierra una biblioteca. El<br />

anciano cuenta historias a la luz <strong>del</strong> fuego, en la casa de la palabra o cerca de río.<br />

Desde su cocina la abuela cuenta historias que se transmiten de boca en boca y se<br />

repiten por generaciones preservando así un ingente corpus de conocimiento.<br />

Tanto de Oriente Medio, como de la India, de China o de la América<br />

precolombina hemos heredado una importante tradición oral que se difuminó<br />

con el racionalismo <strong>del</strong> siglo XIX.<br />

En Europa la oralidad viene desde los poemas de Homero y pasa por los cantares<br />

de gesta y los romanceros medievales, llegando residualmente también hasta el<br />

siglo XIX de la mano de los romances de ciego y los pliegos de cor<strong>del</strong>.<br />

En nuestro siglo constatamos una recuperación de la relegada tradición oral.


ساريمول لايان لوينام<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

تاونس ىضق .مجرتمو يبدأ دقانو رعاش وه ,1950 ةنس ساريثاك ،سافرهب دلو<br />

ىلع ل ّصحتو ودايفوأ ةعماجب بدلآاو ةفسلفلا سرد ,سايروتسأب هبابشو هتلوفط<br />

لبق اهبدآو ةينابسلاا ةغللا سّردو .ةّينيتلالا ةغللا عورف يف ةغللا هقف يف ةزاجلاا<br />

نم .ةينطولا تلاجملاو ةيمويلا فحصلا ديدع يف ايلاح مهاسي .ةباتكلل غّرفتي نا<br />

تلااقملا دلجم و )1998( "روسكملا تمصلا" مكحلا عومجم ةريخلاا هتاروشنم ّمها<br />

يذلاو )2003( "دودحلا ءانغ " باتكل نيتغللاب رشنلاو )2000( "ماّيلاا و تاملكلا"<br />

"ةايحلا فيض" ناويد يف ةّيرعشلا هبتك عمج .راس لاشيم ةيسنرفلا هتخسن تزجنأ<br />

.)2005(<br />

وتنايميثانير تاروشنم باسحل "يندلاا ّدحلاب" مكحلا ةعومجم ىلع ايلاح فرشي<br />

.ةيليبشإب<br />

يتوكاج بيليف و رلادوب لراش و لافران يد راريج مهنيب نمو ديدعلل مجرت<br />

,"يناتنوم"ـل ةراتخم تاحفص كلذك رشن .انازوس سكلاأ و يسوبماك يد ودلوراهو<br />

وينوطنلأ "ةقبل دودر و ةروثأم لاوقأ" ،ورافير ثاشنس ليخنلأ "ةافولا دعب تاقرو"<br />

.لايف اّيثراق هيسوخل ةيرعشلا لامعلاا ،"ةعضاوتملا تويبلا"و وداشتتام<br />

لخادّتلا روص ،ةفاح ّصلاو بدلأا ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

ةياورلا تبصأ اذكهو .رخآ دعب اموي عسّتت ةفاحصلا و بدلاا نيب دودحلا لازت لا<br />

ابيرقت )1719( "يوزورك نوسنيبور" وفاد لايناد بتك دقل .ةفاحصلا رصاعت ةثيدحلا<br />

A journal of the يئاورلا ريرقتلاب فرعي ام لوأ هيف بتك يذلا تقولا سفن يف<br />

ةثيدحلا ةياورلل نمازتملا دلايملا دعب .)journal of the plague year 1722<br />

ةجلاعملا يف قرفلا حبصأ اذل .كشلل لباق ريغ امهنيب لفاكتلا حبصأ ,ةفاحصلاو<br />

تاياورلل بسانم ريغ )ةصوصقأو ةياور( يلايخلا درسلل ص ّصخملاو مييقتلاو<br />

نل فوس ةيعضولا كلتو .امهباّتك ىلإ ةبسنلاب كلذكو)ريراقتو تاقيقحت( ةعنطصملا<br />

لييرباغ هنع عفاد امب رّكذنلو .لايخلا دعب ام وأ ةثادحلا دعب ام ةرتف ىتح ح ّحصت<br />

."يبدأ بولسأ انيقي يه ةبوتكملا ةفاحصلا" حوضو لكب ثاكرام اّيثراق<br />

كراشملا<br />

44


Participante<br />

45<br />

NEILA LUMERAS, Manuel<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Manuel Neila Lumeras (Hervás, Cáceres, 1950) es poeta, crítico literario y traductor.<br />

Pasó sus años de infancia y juventud en Asturias y cursó estudios de Filosofía y Letras<br />

en la Universidad de Oviedo, donde se licenció en Filología Románica. Ejerció como<br />

profesor de Lengua Castellana y Literatura antes de dedicarse al oficio de escritor. En<br />

la actualidad colabora en diversos diarios y revistas de ámbito nacional.<br />

Entre sus publicaciones más recientes destacan: el conjunto aforístico El silencio roto<br />

(1998), el volumen de ensayos Las palabras y los días (2000) y la edición bilingüe de<br />

Cantos de frontera (2003), cuya versión francesa corrió a cargo de Michelle Serre. Ha<br />

reunido sus libros de poesía en el volumen Huésped de la vida (2005).<br />

En la actualidad, dirige la colección de aforismos "A la mínima" para la editorial<br />

Renacimiento de Sevilla.<br />

Ha traducido a Gérard de Nerval, Charles Bau<strong>del</strong>aire, Philippe Jaccottet, Haroldo<br />

de Campos y Àlex Susanna, entre otros. También ha editado Páginas escogidas de<br />

Montaigne, Papeles póstumos de Ángel Sánchez Rivero, Sentencias y donaires de<br />

Antonio Machado, y Hogares humildes. Obra poética de José García-Vela.<br />

Título de la ponencia La literatura y el periodismo, figuras de la<br />

superposición<br />

Resumen de la ponencia<br />

Los límites entre literatura y periodismo resultan cada vez más difusos. La<br />

novela moderna y el periodismo son, de hecho, coetáneos. Daniel Defoe<br />

escribió Robinson Crusoe (1719), una de las primeras novelas modernas, casi<br />

al mismo tiempo que A Journal of the Plague Year (1722), el primer reportaje<br />

novelesco que se conoce.<br />

Tras el nacimiento coetáneo de la novela moderna y el periodismo, la simbiosis<br />

entre ambos medios llegaría a ser incuestionable. Por eso resulta inadecuada<br />

la diferencia de trato y valoración que se otorgó a las narraciones ficticias<br />

(novelas, relatos), frente a las narraciones facticias (crónicas y reportajes), así<br />

como a los autores de unas y de otras; situación que no se corregiría hasta la<br />

llamada época posmoderna o época de la posficción. Recordemos que García<br />

Márquez defendió sin ambages “la certidumbre de que el periodismo escrito<br />

es un género literario”.


اتام ثيور يسوخ<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

مسلاا لمحت يتلا تاروشنملا فلتخمو " ةدياحملا ضرلأا " ةيبدلأا ةلجملاريدم •<br />

.هسفن<br />

ةروشنملا لامعلأا<br />

ةيصصق ةعومجم .1991 ديردمب روبملااك راد رشن "جاجزلا ردحنم" •<br />

ةياور .1993 ديردمب روبملااك راد رشن "انقفاري يذلا لجرلا" •<br />

ةياور .1995 ديردمب روبملااك راد رشن ."ةوللأا ةرذب" •<br />

انقفاري يذلا لجرلا "يتياور لوح نيتحورطا ايلاطيإب وتنيرت ةعماج يف زجنأ •<br />

.ةيلاطيلإا ىلإ اتمجرت دقو "ةوللأا ةرذبو"<br />

ةينامللأاو ةيزيلقنلإا ىلإ مجرت 2002 ،ثيريخ ،لاطيخيد ،"ثيريخ ليلد" •<br />

.ةيسنرفلاو<br />

.لاقم .2003 ،ثيريخ ،ايراتاراب ،تاياكحلا يف تلامأت "ةعجبلا نول لوح" •<br />

ضرلأا" ةيبدلأا ةلجملا نم لولأا قحلملا ،ايراتاراب ،"1 يحلا يسلدنلأا رعشلا" •<br />

.سلدنلأا ءارعشل ايجووطنأ .2004 ،ثيريخ ،" ةدياحملا<br />

.ةياور .2006 )ةطانرغ( اينيربولاس ،ةيلوحلا تاروشنم "رادجلا " •<br />

.ةياور .2006 )ةطانرغ( اينيربولاس ،ةيلوحلا تاروشنم ،"ددرتملا ليرفأ" •<br />

.لاقم .2009 ،ةبطرق ،"اراثوملا تاروشنم ،"يرخأ ةرظن :سوسيتراط" •<br />

.ةيبابش ةياور 2010 )ةطانرغ( اينيربولاس ،ةيلوحلا تاروشنم "رانلا سراح سيلادسا" •<br />

خيراّتلاو بدلأا ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

لوح رودي امو نيعم نمز ىلإ اهنم يمتني لا ام ةّيصصقلا هلامعأ نم اينثتسا اذإ<br />

يتّلا ةرتفلا نوكت دقو اّم ةيخيرات ةرتف ىلإ يمتنت تاياورلا لك ّنإف ،يمحلملا لايخلا<br />

.ةيخيراتلاب تاياورلاب اهفصن نأ نكمي لا انّنأ ّلاإ اهايحن<br />

.تلااجملا ديدع يف ةكرحلا ددحت يتلا تاياورلا كلت تعنلا اذه يف لخدت لا كلذك<br />

لا ةنيدملا يحاوض يف وأ ىرقلا ءاوجأ يف اهثادحأ رودت يتلا كلت نأ فيك ىرنسو<br />

ىلإ ةياورلا دادشنا ةرورص ةلأسم ةجلاعم ىلإ دمعنس اذل .ةيمستلا هذه اهيلع قبطنت<br />

.عقاولاو عجرملا<br />

كراشملا<br />

46


Participante<br />

47<br />

MATA, José Ruiz<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Director de la Revista de Literatura Tierra de Nadie y de las diversas<br />

publicaciones <strong>del</strong> mismo nombre.<br />

Obras publicadas:<br />

—El talud de cristal, ed. Calambur, Madrid, 1991. Libro de cuentos.<br />

—El hombre que nos acompaña, ed. Calambur, Madrid, 1993. Novela.<br />

—Semilla de áloe, ed. Calambur, Madrid, 1995. Novela.<br />

—Guía de Jerez, Dígital, Jerez, 2002. Traducida al inglés, alemán y francés.<br />

—Del color <strong>del</strong> cisne. Una reflexión sobre los cuentos, Barataria, Jerez,<br />

2003. Ensayo.<br />

—Poesía Andaluza Viva I, Barataria, primer suplemento de la revista de<br />

literatura Tierra de Nadie, Jerez, 2004. Antología de poetas andaluces.<br />

—El muro, ed. Alhulia, Salobreña (Granada), 2006. Novela.<br />

-Indeciso abril, ed. Alhulia, Salobreña (Granada), 2008. Novela.<br />

-Tartesos: otra mirada, ed. Almuzara, Córdoba, 2009. Ensayo.<br />

-És<strong>del</strong>is, el guardián <strong>del</strong> fuego, ed. Alhulia, Salobreña (Granada), 2010.<br />

Novela juvenil.<br />

Título de la ponencia Literatura e historia<br />

Resumen de la ponencia<br />

Exceptuando las atemporales y las de fantasía épica, todas las novelas se<br />

sitúan en un período histórico, aunque éste sea el actual, pero no a todas se<br />

les puede aplicar el calificativo de histórica.<br />

A continuación analizaría las condiciones temporales para que se considere<br />

a una obra como histórica.Tampoco entraría dentro de ese apelativo las<br />

narraciones que sitúen la acción dentro de diferentes ámbitos. Veríamos<br />

como las que se desarrollan en ambientes pueblerinos o suburbiales no<br />

merecen esta calificación. Por ello analizaríamos porqué, para ser histórica,<br />

una novela necesita ambientarse en un momento o en un personaje así mismo<br />

históricos.


يعاَنملا كوربم<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

ةيناسنلإا مولعلاو بادلآا ةيلكف ايلعلا نيملعملا رادف يقداصلا دهعملا جيرخ<br />

ص َصختمو ،ةبونمب تايناسنلااو نونفلاو بادلاا ةيلكب يلاعلا ميلعَتلا ذاتسأ .سنوتب<br />

رعشلا قلق ،يَبنتملا اهنم ،تافَلؤم ةَدع هديصر يف هل .ميدقلا يبرعلا رعشلا يف<br />

،)2006( يبرعلا رعشلا ةيئاشنا يف ،)1998(لاملاو رعشلا ،)1992(رهَدلا ديشنو<br />

ىلا ةوعدو ،)1997( ةيطسوتموروا ةكارشل ةديدج ةيؤر وحن هتامجرت نمو<br />

.)2009(فارشتسلاا<br />

؟رعشلا مجرتي له ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

نا ىلا هجتت يهو ،مدقلا دنم تحرط دق تناك ةريهش ةلئساب ةغاي َصلا هذه رَكذت<br />

وه ام اهنيب نم ،ةقرولا هذه رادم نوكتس تايثيحب طورشم هنكلو يباجيا باوجلا<br />

طورش...رعشلا ةمجرت يف يعون وه ام...ةمجرتلا يف رعش وه امو رعشلا يف ةمجرت<br />

...ميغنتلا و ةمجرتلا...ةيراعتسلاا ةزهجلاا و ةمجرتلا...رعشلا ةمجرت<br />

كراشملا<br />

48


Participante<br />

49<br />

MANAI, Mabrouk<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Graduado por el Liceo Sadiki, la Escuela Superior y la Facultad de Letras y Ciencias<br />

Humanas de Túnez. Es Catedrático de la Facultad de Letras, Artes y Humanidades de<br />

la Manouba, y especialista en la poesía árabe clásica. Es autor de varios libros, entre<br />

otros, Al mutanabi, inquietud poética y canto a la eternidad (1992), La poesía y el<br />

dinero (1998), Estructura de la poesía árabe (2006). Es traductor de Hacia una nueva<br />

visión de una asociación euro mediterránea (1997), Una invitación a la prospectiva<br />

(2009)<br />

Título de la ponencia La poesía, ¿se puede traducir?<br />

Resumen de la ponencia<br />

Este planteamiento trae a la memoria preguntas de renombre, que se<br />

formularon desde la antigüedad, y cuyo desenlace tiene visos de ser favorable,<br />

pero sujeto, al parecer, a ciertos detalles, condicionamientos e limitaciones,<br />

que iremos desglosando a medida que avance el análisis de esta problemática.<br />

Uno de estos escollos que habría que sortear sería el de precisar qué es<br />

traducción en la poesía y qué es poesía en la traducción…cómo se determina<br />

lo cualitativo en la poesía…normas de la traducción poética…la traducción y<br />

los dispositivos externos…la traducción y la entonación…


يمام اضر<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

يسنتولبموك ةعماج نم هاروتكدلا ةداهش ىلع ل َصحتم ،)1964 ،سنوت-ةسوس(<br />

،سنوتب ةبونم ةعماجب ةينابسلاا بادلاا و ةغللا يف يلاعلا ميلعَتلا ذاتسأ وهو ،ديردمب<br />

اهنم ثوحبلا نم ريثكلا نَود و تلااقم ةَدع بتك .يكسيروم-ودايمخلأ بدأ صاصتخا<br />

ةَيناسل يف ةسارد و قيقحت : ديردمب ةَينطولا ةبتكملاب 9653يكسيروملا طوطخملا<br />

يكسيروملا رعا َشلاو ،)2002،رشنلل لاديب ثدنانيم نومار راد( تاحلطصملا سوماقو<br />

نويلامقيب راد( دَمحم لوسَرلا نع ةاهلمل يَر َسلا بتاكلا ىلا اَييروث سخور نم :<br />

رامقأ ناونع تحت ةَيرعش ةعومجم ةن َسلا هده لئاوا يف هل تردص و ،)2010،رشنلل<br />

ماق و .)2011،رشنلل نويلامقيب راد( ةَيبرعلا ىلا اهلقن َمث ةَينابسلااب اهبتك يتلا ،عيبر<br />

رعا َشلل دئاصق ةعومجم يهو ،بحلا يف تاريملأا عوقو ليلد )ةكراشملاب( بيرعتب<br />

يسرادل ةَيملاعلا ةَيعمجلاب وضع وه يمام اضر .د و .وقاق ثاب اَيرام يسوخ ينابسلاا<br />

،اهبادآو ةَينابسلاا يسرادل ةَيبرعلا ةَيعمجلل ماعلا بتاكلاو ،اهبادآ و ةَينابسلاا ةغللا<br />

وضعو ،ةَيقيرفلاا تافاقَثلا يسرادل ةَينابسلاا ةَيعمجلل ةريدملا ةئيهلا يف رصنعو<br />

دعاسم ريدمك اهلغشي يتلا ة َطخلا عم انمازت اده َلكو ،تاَيئايمسلل ةَيملاعلا ةَيعمجلاب<br />

يف سنوت يف اتيص رثكلأا و ةزرابلا هوجولا َمهأ نم َدعيو ،ةَيبدلاا "اتنامقارف "ةَلجم يف<br />

يسرادل ةَيسنوتلا ةَيعمجلا سيئر هَناو امَيس لا ،اهبادآو ةَينابسلاا ةغللا ةسارد لاجم<br />

.تايئايمسلل ةَيسنوَتلا ةَيعمجلا سيئر بئانو ةَينابسلاا بادلاا و ةغللا<br />

برغلاو قر َشلا نيب ةياكحلا ةرجه ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

تاياكحلا رجاهتو راكفلأا رشتنت نيرفاسملا عمف ،ةباتكلا و قيرَطلا نيب مزلات دجوي<br />

باتك يف تدرو ةميدق ةياكح ةرجاهملا تاياكحلا هذه نم .ريطاسلأاو تافارخلاو<br />

فلأ تاياكح يف اهيلع انرثع دق ةياكحلا هذهو ،يخوَنَتلا يضاقلل "ةَد َشلا دعب جرفلا"<br />

يفو ،سخروب سيول يخروخ صصق ضعب يف اهاندجو َمث ،)351 ةليللا(ةليلو ةليل<br />

ىلا يبدا سنج نمو ،ىرخأ ىلا ةغل نم ليحَرلا اذه .وهلاوك ولوابل يئايميخلا ةياور<br />

انهابتنا تفل دق ،ةباتكلا ىلا ةهفاشملا نمو ،مولعم فَلؤم ىلا لوهجم فَلؤم نمو ،رخا<br />

ةديدج باوثأ يف ةَرم َلك يف ىَلجتت ىلولأا ةياكحلا تلعج ةشهدم تلاَوحت نم هيف امل<br />

.ليوَطلا اهلاحرت يف اهتبستكا دق ىرخأ تلالاد و<br />

كراشملا<br />

50


Participante<br />

51<br />

MAMI, Ridha<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

(Sousse-Túnez, 1964), es Doctor por la Universidad complutense de Madrid, catedrático<br />

de lengua y literatura españolas en la Universidad de la Manouba de Túnez, y especialista<br />

en literatura aljamiado-morisca. Es autor de una larga serie de investigaciones y artículos,<br />

entre otros, sus libros El manuscrito morisco9653 de la Biblioteca Nacional de Madrid:<br />

Edición, estudio lingüístico y glosario (Editorial Ramón Menéndez Pidal2002), El poeta<br />

morisco: De Rojas Zorrilla al autor secreto de una comedia sobre Mahoma (Editorial<br />

Pigmalión, 2010), es autor de Lunas de primavera, escrita en castellano y, luego,<br />

traducida al árabe (Editorial Pigmalion,2011). Es traductor al árabe (en colaboración)<br />

<strong>del</strong> poemario Manual para enamorar princesas de José María Paz Gago. Es miembro de<br />

la AIH (Asociación Internacional de Hispanistas) y de la AIS (Asociación Internacional<br />

de Semiótica) y su corresponsal en Túnez, es presidente de la ATH(Asociación Tunecina<br />

de Hispanistas), es Secretario General de la AHA(Asociación de Hispanistas Árabes),<br />

es miembro de la junta directiva de la AEA(Asociación Española de Africanistas), y<br />

vicepresidente de la ATS(Asociación Tunecina de Semiótica), y es director adjunto de la<br />

revista literaria Fragmenta y máximo exponente <strong>del</strong> <strong>hispanismo</strong> tunecino.<br />

Título de la ponencia La emigración <strong>del</strong> cuento de Oriente a<br />

Occidente<br />

Resumen de la ponencia<br />

Existe un vínculo insoluble entre el viaje y la escritura, una intrínseca y<br />

subyacente relación que favorece, con el constante movimiento de los viajantes,<br />

la espontanea difusión e inocente propagación de ideas, cuentos, fábulas, mitos<br />

y leyendas. Uno de estos fabulosos cuentos que nos llamó, poderosamente, la<br />

atención, es el que aparece en el libro de Al-Kadhi Attannukhi,”Alfaraj baada<br />

ashedda” o “La calma después de la tempestad” en su versión castellana, y es<br />

el mismo con el que volvimos a toparnos en la noche351 de la obra literaria<br />

“Las mil y una noches”, para encontrarlo de nuevo, escudriñando entre<br />

los cuentos de Jorge Luis Borges; y, finalmente, emergió de las hojas de la<br />

novela de Paulo Coelho, El Alquimista. Este viaje de un idioma a otro, de un<br />

género literario a otro, de un autor anónimo a otro conocido, y <strong>del</strong> lenguaje<br />

oral al escrito, es digno de todo estudio por los constantes y asombrosos<br />

cambios experimentados, cual viajero curtido, por la novela a lo largo de sus<br />

interminables viajes.


يتنيوبلا لاقيم يد وّيروام<br />

ةروشنملا بتكلا<br />

زلوتيبلا ،)1990 ،تافلاس( زاتمملا عاقيلإا ،)1986 ،راكوخ( انيباص نيكاوخ<br />

رسكل ريمازم ،)1995 ،اكول تاروشنم( كورلا خيرات ،)1993 ،اكول تاروشنم(<br />

،)رعشلل لايس ةزئاج 2004 ،لايس( ملحلل ةصاخ تايفارغج ،)2003( دودحلا<br />

نوكيس ،)2005 ،ساناخ و اثلاب( يسنجلا فنعلا دض تانانفلا ءاسنلا فلاحت ةرماغم<br />

زغللا وساكيب ،)2005 ،اكور ثانيترام تروشنم(انيباص لبق انيباص .ارعش اذه<br />

.)2009 ،لوص لاد يلياب( تمصلا يباهرإ ،)2006 ،اكور ثانيترام تروشنم(<br />

ةسسؤم( انيت ولونام ،)1993 ،روطوأ ةسسؤم( انيباص نيكاوخ فيلأت يف كراش<br />

باتك ةئطوت ،)1990 ،روطوأ ةسسؤم .ويبور يناف عم( لاسور انيرام ،)1998 ،روطوأ<br />

ىقيسوملا ،)2001( نلايد بوب ،)1999 ،يتسلايث( يطوأ ودراودإ سيولل يناغأ<br />

)2012 ،ةيقدنبلا ةيدلب( ملاعلا يف ةملكلا رعشلا ناجرهم ،)2002 ،كانف( ةينابايلا<br />

)2013( سيروملاك يف ىقيسوملا نم ةنس نوثلاث و<br />

ةحوتفم دودح ،ةفاح ّصلاو بدلأا ةلخادملا ناونع<br />

كراشملا<br />

52


Participante<br />

53<br />

LAPUENTE, Maurillo de Miguel<br />

Libros publicados<br />

Joaquín Sabina (Júcar, 1986), Supertramp (Salvat, 1990), The Beatles (Luca Editorial,<br />

1993), Historia <strong>del</strong> rock (Luca Editorial, 1995), Gaitas para romper fronteras (2003),<br />

Geografías privadas <strong>del</strong> sueño (GPS) (Sial, 2004. Premio Sial de Poesía), La aventura<br />

de la Plataforma de Mujeres Artista contra la Violencia de Género (Plaza & Janés,<br />

2005), Eso será poesía. Sabina antes de Sabina (Martínez Roca & Editores, 2005),<br />

El enigma Picasso (Martínez & Roca Editores, 2006), “Terrorista <strong>del</strong> silencio” (Baile<br />

<strong>del</strong> Sol, 2009).<br />

Coautor de Joaquín Sabina (Fundación Autor, 1993), Manolo Tena (Fundación Autor,<br />

1998), Marina Rossell (junto Fanny Rubio. Fundación Autor, 1990), prólogo al libro<br />

Canciones de Luis Eduardo Aute (Celeste, 1999), Bob Dylan (2001), La Música de<br />

Japón (FNAC, 2002), Festival de Poesía Parole n`l mondo (Comuna de Venecia, 2012)<br />

y Treinta años de música en Clamores (2013)<br />

Título de la ponencia Literatura y periodismo: Fronteras abiertas


رضخ لداعلا<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

ةيروهمجلا ،ةبونم ةعماج نم ،ةيبرعلا بادلااو ةغللا يف ةلود هاروتكد ىلع ل َصحتم<br />

تايناسنلااو نونفلاو بادلاا ةيلكب يلاعلا ميلعتلا ذاتسا ةطخ لغشي .ةيسنوتلا<br />

تابراقملاو هثيدحو هميدق يبرعلا بدلاا سَردي ،2008 ذنم ةبونم ةعماج،ةبونمب<br />

ةيلكب )لوادتلا ةغلابو باطخلا وحن :ةبخن(ربخم يف ثحابو ،ةيدقنلا تايرظنلاو<br />

وضعو ،تايئايمسلل ةيسنوتلا ةيعمجلا سيئر وهو .ةبونمب تاَيناسنلااو نونفلاو بادلاا<br />

ةعاذلااب "درنلا ةيمر"يفاقث جمانرب جتنمو ،ةيركفلا ايميداكا ةلجم ريرحت ةئيه يف<br />

راد(ةيطئاسو ةبراقم ،برعلا دنع بدلاا هل تردص يتلا بتكلا نمو .ةيسنوتلا ةيفاقثلا<br />

ةفرعملا راد(يصصقلا ليوأتلا يف تلااقم ...نا ىكحي و ،)2004 ،سنوت ،رشنلل رحس<br />

يف تاءارقو تلااقم ؟نيدتلا ةياهنو ريخلاا ملسملا ةمزاو ،)2006 ،سنوت،رشنلل<br />

.)2011 ،سنوت’ىلولاا ةعبطلا ،رشنلل ةقرو راد(ينيدلا دقنلا<br />

دشر نباو يديحوتلاو ظحاجلا : باتك لكش يف فَلؤملا ةدوع : ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

هعادباب زيمتم نئاك وه امب فلؤملاب اما قلعتت ىتش ريطاسا ةيبدلاا ةسسؤملا جتنت<br />

يذلا فلؤملا ةروطسا دجن ريطاسلاا هذه نم .اهتروريصو بتكلاب وا ،هماهلا وا<br />

هذهو .باتك لكش يف دوعيف ،قينيفلا رئاطك هدامر نم ضفتني هنكلو ،رثدنيو ىنفي<br />

قلخي يذلا وه باتكلا ما ،باتكلا وبا وه فلؤملا له : لصلاا لاؤس حرطت ريطاسلاا<br />

بدلاا بتك يف ةجئارلا رابخلاا ضعب يف هدجن لاؤسلا اذه ؟هتومب وا هلتقب فلؤملا<br />

يديحوتلا قرح وا ،هبتك هيلع تطقس نا دعب ظحاجلا توم ربخك ،ميدقلا يبرعلا<br />

يتلا هبتك ةقفر سلدنلاا ىلا دشر نبا نامثج ةدوع وا ،بضغ و سأي ةلاح يف هبتكل<br />

.ةبطرق تاحاس نم ةحاس يف هؤادعا اهقرحأ<br />

كراشملا<br />

54


Participante<br />

55<br />

KHIDHR, Ala<strong>del</strong><br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Es Doctor por la Universidad de la Manouba de Túnez, es catedrático de lengua<br />

y literatura árabes en dicha Universidad, y especialista en literatura árabe clásica y<br />

moderna y en aproximaciones a teorías criticas. Investigador en un laboratorio de la<br />

facultad de Letras de la Manouba (Gramática <strong>del</strong> discurso y retórica pragmática). Es<br />

presidente de la ATS (Asociación Tunecina de Semiótica), es miembro <strong>del</strong> Consejo<br />

Editorial de la revista cultural «Academia”, productor de un programa de actualidad<br />

cultural”ramyatou al-nard” en la Radio Cultural de Túnez. Es autor de la literatura<br />

según árabes: una aproximación critica (Editorial Dar Sahar, Túnez, 2004), Erase una<br />

vez…ensayos sobre la interpretación de los cuentos (Editorial Dar Almaarifa, Túnez,<br />

2008), ¿Crisis <strong>del</strong> último musulmán y el fin de la religiosidad?, ensayos y lecturas en la<br />

critica literaria (Editorial Dar Waraka, primera edición, Túnez, 2011)<br />

Título de la ponencia El renacer <strong>del</strong> autor en forma de libro:<br />

Aljahadh, Attawhidi e Ibnu Rochd<br />

Resumen de la ponencia<br />

La literatura no ha dejado de producir leyendas y mitos relacionados con el<br />

autor, en cuanto a su creación e inspiración, inherentes a su característica<br />

de un ser privilegiado, se refiere, o bien en relación con el devenir de sus<br />

criaturas que son los libros propiamente dichos. De todos estos mitos, cabría<br />

destacar el <strong>del</strong> escritor que muere y desvanece, pero que no tarda en renacer<br />

de sus cenizas cual Ave Fénix, para adquirir, finalmente, la forma de un libro.<br />

Estos mitos inciden en el eterno planteamiento de este recurrente dilema:<br />

¿Acaso es el autor el padre <strong>del</strong> libro, o acabará el libro resucitando al autor<br />

con su muerte o asesinato? Esta pregunta recurrente abunda en algunos de<br />

los pasajes y citas que circulan en los prolíficos libros de la literatura clásica<br />

árabe como la muerte de Aljahadh, al caérsele encima sus libros; o la quema<br />

de Attawhidi de sus libros en medio de un angustioso cuadro depresivo; o el<br />

renacer de Ibnu Rochd y su retorno a Al-Ándalus en compañía de sus libros<br />

que fueron sacrificados en una de las plazas cordobesas.


يطاَيخلا سَيمخ<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

ةغللا يف هاروتكدلا ةداهش ىلع لصحتم وهو ،1946سنوت- ةنس روصقلا ديلاوم نم<br />

سفنب سيردتلا سرام دقو ،III سيراب ةعماج نم ،ةيبرعلا ةراضحلاو بادلااو<br />

ةيسنوت ةبوتكمو ةيئرم ملاعا لئاسول راق لسارم وهو .تاونس 8 ةدمل ةعماجلا<br />

يرابخا بتاك اضيا وهو ،"يبرعلا سدقلا"و "24 سنارف "اهنم ةيبورواو ةيبرعو<br />

ةَدع فَلأ ةيبورواو ةيبرع و ةيلحم تلاجمو فحص ةَدع عم نواعتمو دومع نودمو<br />

نوكي نا عطتسي مل يذلا لمجلا ،)1976 ،سيراب( امنيسلاو نيطسلف اهنم بتك<br />

،)2006 ،رشلل ناتمره راد( ةَيبرعلا امنيسلا ،)2012 ،سنوت ،ابيرق ردصتس(ةرقب<br />

راد(لمرلا بيرست ،)1990 ،سيراب ،رشنلل دابدنس راد( ةَيرصملا امنيسلا ةبسانمب<br />

روموكيس(ينيطسلفلا يفاقثلا ثارتلا )ةكراشملاب(اضيأ بتك و ،)2006 ،رشنلل رحس<br />

.)1996 ،سيراب ،رشنلل ترافوكيد راد(يدشر ناملسل ،)1980 ،سيراب ،رشنلل<br />

.يئاورلاو يئامنيسلا نيب لصو ةزمه ،يفح َصلا : ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

نيتفلتخم نيتغلبو ةفلتخم لماحم ىلع يفحص ةسرامم نع ةداهش يتلخادم...<br />

ديدع ىقتلا ةسرامملا هذه ربعو امني َسلا يف صتخم يفحص ...)ةَيسنرفلا / ةَيبرعلا(<br />

ةَيكلملا ،اذه دنع ىأرف ...يبرعلا ملاعلا يحانج نم نيَيئامنيسلارابكو نيَيئاورلا<br />

ةرو َصلاب سيلو روشنملا صَنلاب ةدَدحم ةَيلوؤسم رخلآل تناك نيح يف ،ةملكلل ةلماكلا<br />

ةءاضإ يفح َصلا ىقلي ،ةَيشماهلا وأ ةَينهملا تاءاقَللا نم جذامن ربع...هنع ةذوخأملا<br />

.امني َسلاو ةياوَرلا :ةَيبرعلا ةفاقَثلا ىلع نيديدج نيَنف نيب سفانت تاقلاعل ةفشاك<br />

كراشملا<br />

56


Participante<br />

57<br />

KHAYATI, Khemaies<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

(Kossour-Tunisie, 1946), es Doctor en lengua, literatura y civilización árabes por la<br />

Universidad de Paris III. Ejerció durante ocho años como profesor en la Universidad<br />

de Paris III, es corresponsal permanente de “France 24” y <strong>del</strong> diario “al-Quds al-<br />

Araby”, es cronista y colaborador de muchos medios de comunicación tunecinos,<br />

árabes y europeos. Es autor de once libros, entre otros, Palestina y el cine (Paris, 1976),<br />

El dromedario que no pudo convertirse en una vaca (saldrá en breve a la venta, Túnez,<br />

2012), Cine árabe (Editorial L Harmattan, Paris, 1996), Tasrib al-Raml (Editorial<br />

sahar, Tunis, 2006), A propósito <strong>del</strong> cine egipcio (Editorial sindbad, Paris, 1990). Es<br />

autor de otros libros (en colaboración) El patrimonio cultural palestino (Editorial Le<br />

sycomore, Paris, 1980), Para Salman Rushdi (Editorial La decouverte, Paris, 1996).<br />

Título de la ponencia : El periodista como nexo de unión entre<br />

el cineasta y el novelista.<br />

Resumen de la ponencia<br />

Ese nexo de unión entre el cineasta y el novelista, no es sino el reflejo de un fiel<br />

testimonio de una dilatada experiencia profesional, de un conocido especialista<br />

en cine, eso es, un experto versado en el mundo de la cinematografía, y con<br />

una acumulada práctica periodística a sus espaldas, ejercida en dos diferentes<br />

idiomas (árabe y francés), y en sus distintas facetas…Se trata, pues, de un<br />

especialista en el mundo <strong>del</strong> cine, cuya concienzuda y bien estructurada<br />

labor dedicada al séptimo arte, le permitió, por un lado, conocer a muchos<br />

novelistas.


ساتراوه روتكه<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

اينابسإب لاير دادويث( ساينابيدلاف يف 1942 ةيليوج 13 يف سترووه روتكه دلو<br />

Valdepeñas [Ciudad Real España(<br />

:ةيميداكا ةريس<br />

ديردمب "يسنتولبنك" ةعماج نم بطلا يف روتكد لافطلاا بط يف يئاصخا بيبط-<br />

:ةّيملع ةريس<br />

"3 سولراك" ة ّح ّصلا دهعمل ةعباتلا ةيقلخلا تاهوشتلل ثوحبلا زكرمب وضع-<br />

ةيقلخلا تاهوشتلل ةينابسلاا ةينواعتلا تاساردلاو<br />

1988 تاهاعلا نم ةياقولل "ايفوص" ةكلملا ةزئاج-<br />

:هلامعأ<br />

– لايس رشنلا راد – وكلااش دابا وكسيسنارف – اشتناملا سراف : ةيخيراتلا ةياورلا<br />

ربمسيد – لايس رشنلا راد يريبيلإا لطبلا – وتيروا يد نوسيروا ; 2009 ربمسيد<br />

نوسيروا ; 2012 يرفيف – نويلامقب رشنلا راد ارينوا بحلا صصق لمجأ ; 2010<br />

ايجولونكتلاو ضومغلا ; 2012 ليرفا -لايس رشنلا راد لطبلا بورغ – ةماز يف<br />

تاركذم ويليميا ; )رشنت مل( ةركاذلا عم تاراوح ; )رشنلا ددصب( ميحجلا توم –<br />

بيطلا يروهمجلا<br />

)دادعلاا روط يف( ىرخا دئاصق و اريوا: رعشلا<br />

ناس 2012 سوليس" ثلاثلا يملاعلا ىقتلملا( ةيهللإا ةيديجارتلا ةيديموكلا: حرسملا<br />

)ليرفا سوليس يد وقنمود وت<br />

ثيياراج يلافنك ةيعوبسلأا يف ةروشنم180 :يأر تلااقم<br />

ميهافملا يف ةلوج ةياورلاو خيراتلا ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

نيرّكفملل لّولاا ينابسلاا يسنوتلا ىقتلملا يف هيلا ضّرعتلا ّمت امل ةلمكت يه ةلخادملا<br />

ةياورلا فيرعت انلواح اهتقو .ناكملا اذه سفن يف ةنس ذنم دقع يّذلا ءابدلاا و<br />

ميهافمل ةبضتقم ةقيرطب قرطتلا ّمت دق و "بدلأا و خيراتلا" :ىّمسم تحت ةّيخيراتلا<br />

قّمعتلا ّمتيس ةبسانملا هذه يفو .ةيخيراتلا هبش ةياورلاو ةيخياتلا ةياورلاب قّلعتت<br />

نم دودح نودب دتميو عساشلا يجولويدلاا اهراطا يف اهعضوو ميهافملا ةجلاعم يف<br />

.درجملا درسلا ىلإ ةصلاخلا ةلاقملا<br />

كراشملا<br />

58


Participante<br />

59<br />

HUERTAS, Héctor<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Héctor Huertas (Valdepeñas [Ciudad Real, España], nacido el 13 de julio de 1942).<br />

LITERARIA; Novela histórica: “El húsar de La Mancha. Francisco Abad Chaleco”<br />

(Ediciones Sial, Diciembre de 2009); “Orisón de Oreto. El héroe ibero” (Ediciones<br />

Sial, Diciembre de 2010); “Las mejores historias de amor. Onyra”. (Ed. Pigmalión,<br />

febrero de 2012); “Orisón en Zama. El ocaso <strong>del</strong> héroe” (Ediciones Sial, abril de<br />

2012); Mystery & Tech. El morir de los infiernos” (pendiente de publicación).<br />

“Diálogos con la memoria” (sin publicar). “Emilio. Memorias <strong>del</strong> buen Republicano”.<br />

Poesía: “Oyira y otros poemas” (en preparación). Teatro: “La divina tragicomedia”<br />

(III Encuentro Internacional Silos 2012. Santo Domingo de Silos, abril). Artículos de<br />

opinión: 180, publicados en el semanario Canfali-Jaraíz.<br />

ACADÉMICA: Médico Especialista en Pediatría y Doctor en Medicina por la<br />

Universidad Complutense de Madrid. CIENTÍFICA: Miembro <strong>del</strong> Centro de<br />

Investigación de Anomalías Congénitas, perteneciente al <strong>Instituto</strong> de Salud Carlos III<br />

(Madrid) y <strong>del</strong> Estudio Colaborativo Español de Malformaciones Congénitas. Premio<br />

Reina Sofía de Prevención de Deficiencias 1988.<br />

Título de la ponencia la historia y la novela. Recorrido<br />

conceptual<br />

Resumen de la ponencia<br />

La conferencia complementa a la ya pronunciada el I Encuentro Tunecino-<br />

Español de Intelectuales y Escritores que, hace justamente un año, se celebró<br />

en este mismo lugar. Entonces se intentó definir la Novela Histórica bajo<br />

el epígrafe “Historia y Literatura y en él se mencionaban, de forma sucinta,<br />

conceptos tales como “Historia Novelada” y “Novela Pseudohistórica”. En<br />

esta ocasión trataré de profundizar algo más en estos conceptos, situándolos<br />

en el difuso arco ideológico que los abarca y que va, casi sin solución de<br />

continuidad, desde el puro ensayo hasta la mera narrativa.


نسح نميا<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

بادلآاو ةغّللا يف ةيذاتسلأا ىلع لصحتم ،)1981،سنوت-ةسوس مامح( نسح نميأ<br />

راثنو مجرتمو رعاش وهو ،اباتك رشع ةسمخ هل ردص .ةيسنوتلا ةعماجلا نم ةّيسنرفلا<br />

يسايسلا مازتللااو ميلعتلا نيب مزلاتلاب اخسار نمؤي .ةيبدلاا ةدمعاو تلااقم بتاكو<br />

.ىرخا ةيحان نم ةباتكلاو ،ةيحان نم<br />

يبرع نبا نيّدلا ييحمو يتنلاف دنع ، ّبحلا ةنايد ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

1165-(يبرع نبا نيدلا ييحم يباطخ لصفت نورق ةدع ىدم ىلع ةدتمم ةينمز ةوجف<br />

ةمظناو شيتفت مكاحمو بورح ةَدع .)1929-2000(يتنلاف لخنا يسوخو )1240<br />

،تارشؤملا ضعب ةللاد بسح ،ودبي نكل و .امهنيب ةلصافلا ةَوهلا يف ديزت ةَيداتبتسا<br />

.لمحتلا ةوقو خسارلا ناميلاا ةكرح ضبن ةدش عم لعافتي امهنم لك توص ّنأ<br />

تايجولويديلااو دئاقعلا زواجتيس ةطاسبب هنلا ،ةرملا هذه مواقي ّكفنا ام توصلا اذهف<br />

اذهو ،اّيرعشو اّيبدا اّيعوضوم بحلا نوكيسف .هتارايتخاو بحلا ءاوهأ عم ىشامتيل<br />

.ملاعلل ةيؤرو ةيفسلف ةبراقم هنا ينعي<br />

ةروص لك لاباق يبلق راص دقل..نابهرل ريد و نلازغل ىعرمف "<br />

نارق فحصمو ةاروت حاولاو ..فئاط ةبعكو ناثولا تيبو<br />

"يناميا و ينيد بحلاف ، هبئاكر تهجوت ينا بحلا نيدب نيدا<br />

كراشملا<br />

60


Participante<br />

61<br />

HASSAN, Aymen<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

(Hammam Sousse-Tunez, 1981), es licenciado por la Universidad de Túnez, profesor<br />

de lengua y literatura francesas. Es autor de quince obras, y es poeta, prosista, ensayista,<br />

columnista literario y traductor. Para el, existe una relación indisoluble entre el oficio<br />

de la escritura por un lado, y la enseñanza y el compromiso político, por el otro lado.<br />

Título de la ponencia La religión <strong>del</strong> amor: Mohyeddine ibn<br />

Arabi y José Ángel Valente<br />

Resumen de la ponencia<br />

Una brecha cronológica de muchos siglos separa las corrientes discursivas<br />

literarias de Mohyeddine ibn Arabi (1165-1240) y José Ángel Valente<br />

(1929-2000). Muchas guerras, Inquisiciones y despotismos, no han hecho<br />

sino agrandar aun más la brecha cronológica ya existente entre ellos. Pero,<br />

y como parece indicar, la voz de cada uno de ellos se asemeja a un acto<br />

de fe y de resistencia. Esta vez, la voz logra resistir porque, sencillamente,<br />

habría superado el yugo de los dogmas y de las ideologías. Esta vez habría<br />

optado por el amor. El amor será a la vez poesía y literatura, es decir, una<br />

aproximación filosófica y una visión <strong>del</strong> mundo<br />

“Mi corazón se hará extenso<br />

para albergar todas las formas.<br />

Es pasto para gacelas, es abadía para monjes!<br />

Es un templo para ídolos<br />

Y es la Kaaba para los que giran alrededor,<br />

Es tablas de la Tora, Y también hojas <strong>del</strong> Corán!<br />

La religión que profeso es la <strong>del</strong> amor.<br />

Y allá donde sus monturas se dirigen<br />

el amor será siempre mi religión y mi fe!”


ةموسق قداصلا<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

ةمجرتم وا ةفَلؤم تلااقم ةَدعرشن ،ثيدحلا بدلاا يف َصتخم ،يلاعلا ميلعَتلا ذاتسا<br />

ركفلاو دقَنلا جهانم ناديم يف مجارت ةعبرا هل ،ةيبورواو ةيبرعو ةيسنوت تاَيرودب<br />

درسلا ملع ،ةصقلا ليلحت قئارط اهنم ةفَلؤم بتك ةينامث هديصر يفو .ثيدحلا<br />

.ايناملاو اسنرف يف اصوصخ ةيلود تاودن يفو نيوكت تارود يف كراش .ةصوصقلااو<br />

ةَيلَوأ تاظحلام : ةياورلاو خيراتلا ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

ةياورلا يف توافت ىلع خيراتلاب رثكاف رثكا ةلوصوم نمزلا عم ةياوَرلا تراص مث...<br />

،عجرم وا دفار وا عوضوم وا راطا وا ردصم اهل ناكف ،ةمحلملا وه قيرع سنج ةليلس<br />

ىَتش قرطب هعم تلعافت كلذلو ،ىرخأب وا ةقيرطب اهيف رضاح لاوحلاا عيمج يف وهو<br />

ةيخيراتلا ىلا )ناديز و توكس (ةصلاخلا ةَيخيراَتلا ةبراقملا نم : عادبلاا ىوتسم يف<br />

ةيخيراتلا وا )قايدشلا سراف( ةيفاقثلا ةيخيراتلا ىلع )وفيد و ستنافراث( ةيراضحلا<br />

)نام ساموط( داعبا عم عمتجملا تلاَوحت ىلا )فيرخ ريشبلا( عقاولا يف ةخسارلا<br />

،خيراتلاب اهدقنو ةياوَرلا تاَيرظن تلصتا دقو ،)سارق رتنق( ةيجلويديا و ةيناسنا ىلا<br />

ةيخيراتو ،شتاكول دنع ةيفسلف ةيخيرات يه : ةفلتخم تاسراممو تايفلخب نكلو<br />

..نورتب دنع ةيناسل ةيخيراتو ،سكاد دنع ةيجولويديا<br />

كراشملا<br />

62


Participante<br />

63<br />

GSOUMA, Sadok<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

(Es catedrático, y especialista en literatura moderna. Ha publicado varios artículos,<br />

propios y traducidos, en varias revistas tunecinas, árabes y europeas. Es traductor de<br />

cuatro libros versados en el campo de las metodologías de la crítica y <strong>del</strong> pensamiento<br />

moderno; es autor de ocho libros, entre otros, los métodos de análisis de un cuento y<br />

La técnica narrativa y de los cuentos cortos. Participa, periódicamente, de varios ciclos<br />

de formación y simposios internacionales, sobre todo en Francia y Alemania.<br />

Título de la ponencia La historia y la novela: observaciones preliminares<br />

Resumen de la ponencia<br />

…luego, conforme transcurría el tiempo, la novela empezó, con fuerza,<br />

a adquirir cierta tonalidad histórica, relacionándose, cada vez más, con<br />

historias en las que la fuente, el marco, la temática (sinopsis), el afluente de<br />

inspiración, suelen tener trasfondo épico, o con cierta referencia histórica<br />

reivindicativa. En todos los casos, y de un modo u otro, siempre se percibe<br />

la presencia de la historia; una presencia a la que se ha adaptado la novela,<br />

haciéndola propia, y donde la reciprocidad entre novela e historia, eso es,<br />

entre un género literario y una disciplina científica, dio un salto cualitativo<br />

en lo que a la creatividad novelesca se refiere, dando ejemplos espectaculares<br />

tales como: aproximaciones y enfoques históricos exclusivos( Scott), novelas<br />

históricas(<strong>Cervantes</strong>), culturales (Fares Alshodyaq), o las novelas históricas<br />

con fuerte carga realista y reivindicativa (Al-Bachir Khraif), o las que evocan<br />

la temática de los cambios sociales con las dimensiones de (Tomas Mann); y<br />

otras de corte ideológico y humano (Alfred Döblin y Günter Gras). A todo<br />

esto, cabría destacar la estrecha relación existente entre la teoría y la crítica<br />

de la novela, por un lado, y la historia, por el otro, aunque con prácticas e<br />

intenciones distintas; pues, la novela es histórica-filosófica, según Lukács, y es<br />

también histórica-ideológica, e histórica-lingüística, según Botrone…


اّيثراق يدناص<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

يف ةينهملا اهتايح نم اريبك اءزج ت ّضقو اريثك ترفاس ةبتاكو لامعأ ةأرما<br />

ةيداصتقلاا مولعلا تسردو .يبدلأا اهبولسأو اهتيصخش يف رّثأ ام وهو كرويوين<br />

ةيبورولأا ةسردملاب لامعلأا ةرادإ يف ريتسجام تزجنأو ةيكيرملأا ةدحتملا تايلاولاب<br />

.ايلاطيإب لامعلأا ةرادلإ ىلعلأا دهعملاب ةيرشبلا دراوملا تسردو ديردمب لامعلأل<br />

)رشنلل ويفورتيف( "راثآ" ةيرعشلا اهتعومجمب 2003 ةنس ةّيبدلأا اهتريسم تدأو<br />

ةبيدلأا تايقتلملاو تارمتؤملا ديدع يف تكراشو .)2010 ،لايس رنلا راد( "للاظ" مث<br />

.ةيملاعلا تاقباسملاو ةّيرعشلا تايسملأاو<br />

هذه يف يهو ،ابيرق رونلا ىرتسف "يامدق صقارت يادي" ةيرعشلا اهتعومجم اّمأ<br />

.ةفيرط ةياور يهو "ءوضلا تمص" مامتإ ددصب ماّيلأا<br />

كراشملا<br />

64


Participante<br />

65<br />

GARCÍA, Sandy<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Sandy García, empresaria, escritora, infatigable viajera desarrolla gran parte de su<br />

vida profesional en Nueva York lo que ha configurado su personalidad y estilo<br />

literario. Estudio económicas en EE.UU, máster en Dirección de empresas en la<br />

Escuela Europea de Negocios en Madrid y Recursos Humanos en <strong>Instituto</strong> Superiore<br />

Direzione Aziendale, Italia. Inicia su andar literario en el año 2003 con el poemario<br />

“Huellas” (Vitruvio), Sombras (Sial-Fugger 2005), Vida (Sial-Fugger 2010).<br />

Participa en congresos, eventos literarios, recitales y conferencias nacionales al igual<br />

que certámenes internacionales. Su próximo poemario en ver la luz será “Mis manos<br />

bailan mis pies”. Actualmente termina “El silencio de la luz” y trabaja en un novela<br />

sorprendente.


يحتف مدآ<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

عم تانينامثلا يف مزتلملا رعشلا طمنب فرع يسنوت مجرتمو رعاش ،يحتف مدآ<br />

اي" ةينغا لثم هيناغأ تاملك ضعب مامإ خيشلل اضيأ بتك .يقيسوملا ثحبلا ةقرف<br />

ةينغلأا بتكف يئانغلا هعورشم يف قانشوب يفطل نانفلا قفار تانيعستلا يفو ."يدلو<br />

.ةينطولاو ةيفطاعلا<br />

ميدقتلاو جاتنلإا ناديم ةريخلأا تاونسلا يف محتقاو ريلدوب تاركذم ةيبرعلل مجرت<br />

.ةيسنوتلا ةزفلتلاو ةعاذلإا يف<br />

:بتك امم اضعب درون ةّيرعشلا هلامعأ نم<br />

1982 .رشنلل نيسوق نيب راد . ]رعش[ةعلقلا ةسراحل رامقأ ةعبس<br />

يقرشلا راد . ]بّيتك عم عومسم طيرش يف رعش[ ناودع ريملأاو ءارضخ ةياكح<br />

1984 رشنلل<br />

1986. مّدقتلا راد . ]رعش[ حيصفلا يباقنلا ةينغأ<br />

1991. رشنلل ساوقأ راد . ]رعش[رابغلا ةرهزل ديشانأ<br />

ىمعلأا جاجّزلا خفان<br />

ةّيرع ّشلا يتبرجت يف ةداهش ةلخادملا ناونع<br />

كراشملا<br />

66


Participante<br />

67<br />

FATHI, Adam<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Adem Fathi, poeta y traductor tunecino, se conoció por su poesía<br />

comprometida en los años ochenta con el grupo Al Bahz Al Musiqi.<br />

Escribió también para Cheikh Imam algunas de sus canciones como<br />

la canción “Hijo mío”. En los años noventa acompañó al cantante<br />

Lotfi Bouchnaq en su proyecto musical, así que escribió la canción<br />

sentimental y patriótica. Tradujo al árabe el diario de Bau<strong>del</strong>aire.<br />

En los últimos años se adentró en el ámbito de la producción y la<br />

presentación en la radio y televisión tunecinas.<br />

De su obra poética podemos citar algunos libros:<br />

“Siete lunas para la guardiana de la torre” [poesía] Ed. Bayna Qausayn,<br />

1982<br />

“Historia de Khadhra y el príncipe Oduen” [poesía audio con libro]<br />

Ed. Dar Echarqi, 1984<br />

“Canción <strong>del</strong> sindicalista elocuente” [poesía] Ed. Dar Etaqadom,<br />

1986<br />

“El invidente soplador de vidrio”, 2011<br />

Título de la ponencia Testimonio de mi experiencia poética.


سكونراف سيول<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

رشع ينثا نم رثكأ ردصأ ّ يقيسوم ،)قنيوس لاد وكيناكيملا( سكونراف سيول<br />

نم رثكأ تاناوطسا يف هتوصبو اكينومرهلا ةلآب كلذك لجس ،فلؤم و دؤمك ةناوطسا<br />

،ايدراوقلا ،ي ّسينيت ،رومأ ليئافار ،انيباص نيكاوخ :مهنم ركذن نيانفلا نانف نيعبرأ<br />

...يمسيتيب لاخنأ ،ساتروك وتربلأ ، ،وكيكلا<br />

:لايس رادب رشن<br />

باتكلا اذه– )2010( "رعاشلا حور انيفيسوخ"و )2009( "ارتسكرا لجر تايموي"<br />

-ثادننره لاغيم ةيوئمل ةيمسرلا تايلاعفلا يف هجارخإ عقو و حرسملا يف مّدق<br />

نابسلإا ءارعشلا ىلإ ةادهم ةناوطسا ردصأ ةنسلا سفن يف .)2012( "يركفلا رفسلا"و<br />

مايلأا يف .وكنملافلا مئاعد فلتخم يف اقمعتم ،"ءانغلل نومهلم ءارعش" ناونع تحت<br />

.ةيقيسوملا هتريسم نم ةنس 24 اصخلم لولأا ءزجلا ردصأ ةيضاملا<br />

بدلأا يف ةروطسلأا : ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

يف انايحأو رثلأا تاحفص سفن يف دقتعن اّمم رثكأ ناشياعتي ةروطسلأاو لقعلا نإ<br />

ليملا اهراوُد يف يهاضت ريطاسلأا اهنم لطت يتلا ةقيحسلا ةفرشلا نإ .ةرقفلا سفن<br />

رذحلا انفوخ ئجي اذه نم .ينلاقع و قطنم لك نع امغر غارفلا يف زفقلل يناسنلإا<br />

.تاعفترملا نم<br />

فيصرك تقولا تاذ يف اندصتو انيوهتست ةيلوصأ ةيبلول ةكرح بدلأا نوكي امبر<br />

يه اهتاذ دح يف ةءارقلا .ءيشلالا ةياهنلا وحن اقحلا انفرصي و انلأا قامعأ وحن انزجوي<br />

.لوحتن هيف لازن لا يذلا ريغتملا نئاكلل ةفلاخم ةيوهب ين زفقلا يف عرشن امدنع .طوقس<br />

.ةّوهلا عاق ىلع مطحتلا نم انيمحت يتلا ةيطاطملا ةقلحلاك يه بدلأا يف ةروطسلأا نإ<br />

افده دراطت ةيبدأ ةزفق لك نإف ةّوهلا ةياهن يف انرظتنت ةقيقحلا نأب كردن اننأ مغرلاب<br />

.هسفن لايخلا اهريثأتب تمده امبر يتلاو ةصلاخلا ةقيقحلا فنلأاب سملان نأ ،اديحو<br />

كراشملا<br />

68


Participante<br />

69<br />

FARNOX, Luís<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Luis Farnox (El Mecánico <strong>del</strong> Swing), ante todo es un agitador cultural, un hombre<br />

orquesta. Ha publicado más de una decena de discos como intérprete-compositor,<br />

también ha grabado su armónica y su voz en los discos de más de cuarenta artista,<br />

entre los que destacamos a Joaquín Sabina, Rafael Amor, Tennessee, La Guardia, El<br />

Queco, Alberto Cortés, Ángel Petisme…<br />

Ha publicado con SIAL: Memorias de un hombre orquesta (2009), Josefina el alma<br />

<strong>del</strong> poeta (2010),-este último libro ha sido llevado al teatro, y adaptado para la obra<br />

homónima incluida en los actos oficiales <strong>del</strong> Centenario de Miguel Hernández-, y<br />

Viaje Espiral (2012). En este mismo año ha publicado un disco dedicado a los poetas<br />

españoles titulado “Poetas que dan el Cante”, profundizando en los diferentes Palos<br />

<strong>del</strong> Flamenco. En los últimos días acaba de editar el primer volumen recopilatorio<br />

de 24 años de carrera musical.<br />

Título de la ponencia : El mito en la literatura<br />

Resumen de la ponencia<br />

Razón y mito cohabitan más veces de lo que creemos en las mismas páginas de<br />

una obra, a veces hasta en un mismo renglón. No se entendería El Realismo<br />

Mágico sin esta coexistencia literaria. El balcón abismal al que nos asoma<br />

los mitos, sólo se equipara en vértigo a la tendencia humana de lanzarse al<br />

vacío, a pesar de toda lógica y razonamiento. De ahí nuestro miedo prudente<br />

a las alturas.<br />

Tal vez sea la literatura una espiral atávica que nos atrae y nos repele al mismo<br />

tiempo, como un muelle que nos encoje hacia las profundidades <strong>del</strong> yo y luego<br />

nos expulsa al infinito de la nada. Leer es en sí una caída. Cuando iniciamos<br />

el salto nos precipitamos con una entidad distinta al ser cambiante en el que<br />

nos vamos convirtiendo. El mito en la literatura, viene a ser como el arnés<br />

elástico que nos protege de estrellarnos contra el fondo <strong>del</strong> abismo. Todos<br />

sabemos que al final <strong>del</strong> precipicio nos espera la realidad, y sin embargo cada<br />

salto literario persigue un único fin: rozar con la nariz la auténtica realidad que<br />

destruiría con su impacto la propia ficción.


يسنوتلا اشر<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

يف كراشتو ةيرود ةفصب رشنتو بتكت ثيح،رابخلاا رخا ةس َسؤمب لمعت ةيسنوت ةيفحصك<br />

.مويلا عمتجم يف اهتَيمهأو ةفاحصلا ملاعب ةلص اهل عيضاومب َمتهت يتلا تاودنلا ضعب<br />

ةّيفح ّصلا ةباتكلا لاكشأ نم لاكش باتكلا ميدقت ّنف ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

ميدقت ربع ةيفحصلا ةباتكلا لاكشا نم لكش ميدقت يسنوتلا اشر ةيفحصلا تراتخا<br />

ىدحا ،)1991-1904( وناربماث ايرام ةينابـسلاا ةرعاشلل "رعشلا و ةفسلفلا" باتك<br />

مهفل لَولأا وه باتكلا اذهو .ةرصاعملا ةيفاقثلا ةايحلا يف ةزرابلا تايصخشلا مها<br />

يكبي ناطيشلا ": رَعشلاو ةفسلفلا "ةينابسلاا باتك ةمدقم يف ةدوجوملا جًلاحلا ةلوقم<br />

اهحنمي نا ديري و،ءايشلاا لاوز يكبي هنا،رامدلا مغر رمتسي نا هل ديري هنلا ملاعلا<br />

ءاقل ،ىقتلـملا اذه فادها عم ىشامتت باتكلا اذه حور ."ريخلاا اهطوقس ءانثا ةايحلا<br />

يريرحت لكشك رابخلاا انزَيم اذإو .ةفلتـخم و ةهباشتمو ةشياعتـم تاراضـحو تافاقث<br />

ةباتكلا لاكشا وا ناولا لَوأ نمو ،ايفاقث اسناجت ةفاحصلاو بدلاا ىقبي ،ةصاخ ةلاسر هل<br />

جوتنم لاصيلا مهلاا لئاسولا يه فحصلاو تلاجملاف َ ،اهليلحتو بتكلا ميدقت ةيفحصلا<br />

ام وهو ،ةنيعم ةبخن ىلع اركح نوكي نا ىدافتن ىتح عسوا ةحاس ىلا يركفلا عادبلاا<br />

يف رسعلا ّلظي نكلو .عمتجملا دارفا نيب يفاقثلا خرشلا قمع يف ديزي نا هناش نم<br />

.عيرسلا كلاهتسلاا ىلع دوعت ئراق ىلا زيمتملا عادبلاا لاصيا ةقيرط<br />

كراشملا<br />

70


Participante<br />

71<br />

ETTOUNSI, Racha<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Periodista tunecina, trabajó para un medio informativo llamado “Última Notica”,<br />

autora de varios artículos de prensa, y da conferencias sobre temáticas relacionadas<br />

con el mundo de los medios de comunicación y su importancia en la sociedad.<br />

Título de la ponencia La literatura y el periodismo: el arte de la<br />

presentación <strong>del</strong> libro<br />

Resumen de la ponencia<br />

Para entender la cita de “Al-Hallaj”, que figura en el prólogo <strong>del</strong> libro de<br />

la española María Zambrano “la filosofía y la poesía”, y cuya técnica de<br />

presentación de este libro es objeto de esta ponencia,:” el diablo llora este<br />

mundo porque no quiere que desaparezca, pese a su manifiesta decadencia,<br />

llora el desvanecer de las cosas, y quiere darle vida en su última caída.”,<br />

es preciso desentrañar el espíritu filosófico y poético de este libro que<br />

casa a la perfección con las metas de este Encuentro, que no son otros,<br />

sino la convivencia de culturas y civilizaciones, con todo el potencial de<br />

enriquecimiento mutuo atesorado en sus similitudes y convergencias. Y si nos<br />

fijamos en la información periodística como un estilo propio de escribir o de<br />

redactar para transmitir a la sociedad esa información y cumplir con su noble<br />

cometido, no cabe duda de que ambas disciplinas, periodismo y literatura,<br />

coinciden, plenamente, en esa labor cultural que se les supone, inherente al<br />

desarrollo de su oficio. Uno de los primeros tipos de escritura periodística es<br />

el que se encarga de presentar y analizar los libros, de modo que, las revistas<br />

y los periódicos constituyen los medios de difusión cultural más importantes<br />

a la hora de hacer llegar la creatividad intelectual a la sociedad, procediendo<br />

a la transformación <strong>del</strong> lenguaje literario en otro mas asequible y ameno, y<br />

así, se evitaría que la cultura fuese un territorio vetado para la gente común,<br />

aumentando aún mas la brecha <strong>del</strong> conocimiento entre estratos sociales.<br />

Por último, lo difícil para un periodista seguirá siendo dar con la fórmula<br />

de transmitir información reflexiva a un lector acostumbrado a un consumo<br />

rápido y muy poco reflexivo.


نامور ناس يد سكيلأ يرام<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

اينابسإ ىلإ تلقتنا ّمث ،1955 ماع ذنم اسنرف يف تماقأو ،1953 ةنس سنوتب تدلو<br />

تامظنم يف تلمع دقو .يطارقميدلا لاقتنلأا ةلحرم اهيف تدهشو 1974 ةنس ذنم<br />

.ةمجرتمو نيناسلب ةبتاك يهو .ةيمنتلا لجأ نم نواعتلا لاجم يف ةصاخو ةيملاع<br />

تلاجمو بتك ةدع يف تمهاسو ،اسنرفو اينابسإ يف ةيرعش و ةيرثن لاامعأ ترشن<br />

يدان طشنت 2012 ذنمو .ةيرعش تاءارقو ةيبدأ تايقتلم يف تكراش امك .ةيبدأ<br />

.ةيليبشاب انيلا اتنفنا ةيمومعلا ةبتكملاب ةيسنرفلاب ةءارق<br />

:اهلامعأ<br />

.2011 ،ةيليبشإ ةعماج .وداشامو ةيليبشإ ةعوسوملا باتكلا فيلأت يف تكراش-<br />

.2010 سيراب ،نيسار ضرعم و ةبتكم رشن ,رعش باتك , عيبنايلا خسن -<br />

.2005 ،ايريملا ،ريتاكيراك ةياور ءاضفلا تانب -<br />

.2005 ماع، رشلا ةكلممو ضرلاارحس باتك فيلأت يف تكراش -<br />

،بدلأاو نفلا رشنلا راد ،افليس اد ارييف انيليه ايرام ىلإ ءادهاو ،ةصوصقا ، MEN -<br />

.2004 ،سيراب<br />

.2000 ،روداميرتسكإ /زيجيردور )أ( ةعبطلا .رعش باتك ،نيعلا داوس يف بنعلا-<br />

.2000 ،ةيليبشإ ،رشنل نايرا.رفس ةصق .ةيسنوت ةيديربلا تاقاطب -<br />

:ةمجرتلا ناديم يفو<br />

.2012 ماع ،سيراب, يشتيفوكسوم جريسل لاقم ,تافاقثلاو لقعلا -<br />

.2008 ،ةيليبشإ ،لوساخاك .يعجر رثأ تاذ ضرع ةعوسوم ،يسنرفلا يام لافطأ -<br />

.2008 ،سيرابب ,كيزوم سنورف ءاضلا تانبل يعاذا نبت، يروب يد تايتف -<br />

.ةيليبشإو ،رعشلا باتك ،راكنتسلااةكئلام -<br />

كراشملا<br />

72


Participante<br />

73<br />

DE SAINT ROMAN, Marie-Alix<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Nacida en Túnez en 1953, reside en Francia desde 1955. En 1974 se traslada a<br />

España donde vive la Transición. Ha trabajado en ámbitos internacionales como la<br />

CE y la Cooperación al Desarrollo (Mali). Hispanista, escritora bilingüe y traductora,<br />

publica prosa y poesía en España y en Francia, y colabora en revistas literarias y libros<br />

colectivos. Participa a encuentros literarios y lecturas poéticas. Desde 2012 anima un<br />

Club de lectura en francés en la Biblioteca pública Infanta Elena de Sevilla.<br />

Publicaciones<br />

-Coautora <strong>del</strong> libro-catálogo Sevilla y los Machado. Universidad de Sevilla, ICAS,<br />

2011.<br />

-Pétri des sources, libro de poesía. Ed. Librairie-Galerie Racine. París, 2010.<br />

-Las hijas <strong>del</strong> Aire, cuento. Detebeos, Almería, 2005. Col. Andersen ahora,<br />

(colectivo).<br />

- Coautora <strong>del</strong> libro Magie en terre et l’Empire du Mali, FISA/Junta de Andalucía,<br />

2005.<br />

-NEM, relato, homenaje a Mª Helena Vieira da Silva. Ed. Art & Littérature, París,<br />

2004.<br />

-La uva en la pupila, libro de poesía. Ed. A. Rodríguez/Junta de Extremadura, 2000.<br />

-Cartes postales de Tunisie. Relato de viaje. Arrayán Ediciones, Sevilla, 2000.<br />

Traducción literaria:<br />

-Raison et Cultures, ensayo, de Serge Moscovici. EHESS, París, 2012.<br />

-Hijos <strong>del</strong> Mayo francés, catálogo Exposición retrospectiva. CAJASOL, Sevilla, 2008.<br />

-Les filles de Borée, adaptación radiofónica de Las hijas <strong>del</strong> Aire por France Musique<br />

(RFI) París, 2008.<br />

-Los ángeles <strong>del</strong> No, libro de poesía, de P. <strong>del</strong> Barco, Sevilla.


سروك ايليما<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

ةيسنوتلا ةيعمجلاو ةينابسلاا ةغللا يسرادل ةيسنوتلا ةيعمجلا لبق نم ميركت-<br />

نم ةبراه"يرعشلا اهناويد لوح ةريدتسم ةدئام ميظنتب كلذو ةيئايميسلا تاساردلل<br />

)2011 سرام(،سنوت ،ةيبرعلا ىلا مجرتم وهو( "نمزلا<br />

)2011( ديردمب نييئايميكلا ةيعمجل ساملاو بهذلا حاشو -<br />

)2011 ةيكيرملأا ةدحتملا تايلاولا( ةيلودلا ملاسلا ةزئاج -<br />

)2008( ةلطيلطب نيثحابلل ةيلودلا ةينابهرلا ةطبارلا لبق نم ميركت -<br />

)2007( ةيكيشتلا ةيروهمجلا افابوا يف انايسليس ةعماج نم ةيضف ةيلاديم -<br />

)2007( ةيبمولوكلا ةيروهمجلا ةموكح لبق نم ناسرفلا بيلصو ةيعماج ةداهشب ٌةمركم -<br />

اميلب "سوكرام نس يد رويام لانويسان" ةعماج لبق نم ماركإو ةيبهذ ةيلاديم -<br />

)2007( )وريبلا(<br />

2004 ةنس ةأرما -<br />

ةفطاعلاو ةنهملاو ةايح" باتكل رشنو اينابسإ وكسا نم ميركت -<br />

)2002( ترفكنرفب قيثوتلل ةينامللأا ةيعمجلا لبق نم ةيبهذ ةيلاديم -<br />

)1999( ةيليزاربب بادلآا ةيميداكأ نم ةزئاج -<br />

)1988( ديردمب ءابطلأل ةيكلملا ةيميداكلأا نم ةزئاج -<br />

)1985( ةلطيلطب ةيخيراتلا مولعلاو ةليمجلا نونفلل ةيكلملا ةيميداكلأا نم ةزئاج -<br />

كراشملا<br />

74


Participante<br />

75<br />

CURRÁS, Emilia<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

--Homenaje ofrecido por la Asociación Tunecina de Hispanistas y la Asociación<br />

Tunecina de Estudios Semióticos en la Universidad de la Manouba, por el contenido<br />

de su libro bilingüe de poesía, titulado “Fugitiva <strong>del</strong> Tiempo”, Túnez, marzo 2012.<br />

-Insignia de Oro y Brillantes de la Asociación de Químicos de Madrid (2011).<br />

-Premio Internacional para la Paz (USA) (2010)<br />

-Homenaje de la Cofradía Internacional de Investigadores de Toledo (2008).<br />

-Medalla de Plata de la Univ. Silesiana de Ópava (República Checa) (2007).<br />

-Condecorada con el Pergamino y la Cruz de Caballero por el Gobierno de la<br />

República de Colombia (2007).<br />

-Medalla de Oro y Homenaje de la Univ. Nacional Mayor de San Marcos de Lima<br />

(Perú) (2007).<br />

-Mujer <strong>del</strong> Año 2004, ABI, (USA).<br />

-Homenaje de ISKO-España y publicación <strong>del</strong> libro: “Una vida, profesión y Pasión”<br />

(2003).<br />

-Medalla de Oro de la DGI (Sociedad Alemana de Documentación), Frankfurt<br />

(2002).<br />

-Académica de la Academia de las Letras de Brasilia (1999).<br />

-Académica de la Real Academia de Doctores de Madrid (1988).<br />

-Académica de la Real Academia de Bellas Artes y Ciencias Históricas de Toledo<br />

(1985).


وناسوك انيليإ<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

تاونس تضمأ كانهو )دنهلا(يهلد وين ةنيدمب وناسوك انيلإ ةبيدلأاو ةرعاشلا تدلو<br />

ةيبونجلا ايروكو يتايفوسلا داحتلإاك ةديدع نادلب يف تماقأ دقو ،ىلولأا اهتايح<br />

ةيسنرفلا ةموكحلا لبق نم ينابسلإا بدلأل يلولأا ةزئاجلا يلع تزاح .اسنرف ةصاخو<br />

.1994 ةنس "دهاعملل ةماعلا ةقباسملا" راطإ يف كلذو<br />

يف ةيسورلا ةغللا هقفو قوقحلاو ،سفنلا ملعو ،ةفسلفلا يف ةيعماج اسورد تعبات<br />

.وكسومو ديردمو انايفو سيراب<br />

رشنلا راد Fama "ةرهشلا" ْ يباتكل اهتمجرت تزرب ةيبدأ ةمجرتمك اهلمع راطإ يفو<br />

انروتكون رشنلا راد La noche <strong>del</strong> mago رحاسلاةليلو Anagrama امارغنأ<br />

ةينامللأا ةغللا نم كلذو Daniel Kehlmann ناملك لايناد بيدلأل Nocturna<br />

.ةينابسلإا ةغللا ىلإ<br />

عستو تاءاقل ثلاث" ناونعب 2004 ربمسيد يف ىلولأا اهتياور وناسوك انيلإ تردصأ<br />

Tres reencuentros y nueve días de amor teórico "يرظنلا بحلا نم مايأ<br />

"تاشارف" ناونع تحت ةيصيصق ةعومجم اهتلت« Dossoles زلوسود رشنلا رادب<br />

Mariposas<br />

Cándida DIPLOMÁTICA ةطيسبلا ةيسامولبدلا" باتك رادصإب تماق 2011 ةنس<br />

اضيا يه وناسوك انيلإ Anaya ايانأ ةعومجم Algaida اديغلأ رشنلا راد عم"<br />

.ةيسامولبد<br />

كراشملا<br />

76


Participante<br />

77<br />

COSANO, Helena<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Helena Cosano nació en Nueva Delhi (India) y pasó allí sus primeros años.<br />

Vivió en varios países, en la antigua Unión Soviética, en Corea <strong>del</strong> Sur, y sobre todo<br />

en Francia.<br />

Fue laureada por el gobierno francés con el primer premio de literatura española en el<br />

“Concours Général des Lycées” en 1994.<br />

Cursó estudios universitarios de Filosofía, Psicología, Derecho y Filología rusa en<br />

París, Viena, Madrid y Moscú.<br />

Entre su labor como traductora literaria, cabe destacar la traducción de "Fama" <strong>del</strong><br />

alemán al español (editorial Anagrama) así como “La noche <strong>del</strong> mago” (editorial<br />

Nocturna), <strong>del</strong> autor Daniel Kehlmann.<br />

En diciembre de 2004 publicó su primera novela, “Tres reencuentros y nueve días de<br />

amor teórico”, en la Editorial Dossoles, seguido por un libro de cuentos, "Mariposas”.<br />

En el año 2011 ha publicado "Cándida DIPLOMÁTICA", con la editorial Algaida<br />

(Grupo Anaya).<br />

Helena Cosano es diplomática.


ةخيش ةعمج<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

ةعماجلاب داتسأ ،ةلودلا هاروتكد ةداهش ىلع لصحتم ،)1944،سقافص -ةنقرق(<br />

بورحلاو نتفلا هتافلؤم نم .مولعلا خيراتو ةيسلدنلأا ةراضحلا يف صتخم ،ةيسنوتلا<br />

ةطانرغ طوقس ىلا رشع يداحلا نرقلا يف ةفلاخلا طوقس نم يسلدنلاا رعشلا يف<br />

قارشتسلاا ةرجش يف لاصخلاو ميقلا ،)1994،سنوت( رشع سماخلا نرقلا يف<br />

اهنم تاساردلاو ثوحبلا نم ديدعلا هلو .)2004،تيوكلا(للاَظلا ةفراولا ينابسلاا<br />

دهعملا ةلجمب رشن )رايلبلا رزج( ةيقرشلا رئازجلا يف ةّيبدلأا و ةيركفلا ةايحلا<br />

اميدق ابوروأ يف اهرثأ ةيناوريقلا ةيبطلا ةسردملا ،)1982،ديردم(يبرعلا ينابسلاا<br />

لاوكسب ةلئاع" ةياور دجن هتامجرت نمو .)2009 ربمفون يف دعأ ثحب( اثيدحو<br />

دقنلاو ،)1992،سنوت( )كارتشلااب( ةيبرعلا ىلا ةينابسلاا نم لايث يسوخل"يتراود<br />

يف ةطانرغب ءارمحلا رصقو ،)1995،ناوطت( سلدنلااب يبرعلا رعشلا يف يسايسلا<br />

ةيسلدنا تاسارد( ةّيبنجأو ةيبرع : ةّيعادبإ خدامن للاخ نم نيرخلآا نويع و اننويع<br />

.)2004<br />

ريطاسلأل احرسم ءارمحلا رصق ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

نأ ىلإ يركسعلاو يسايسلا رارقلل اردصم ةَيرصاَنلا ةلودلا نمز ءارمحلا رصق ناك<br />

هنوتأي حايسلل ةلبق رصقلا اذه حبصأ مث ،1492 ةنس ايئاهن ملاسلإا ةلود تطقس<br />

شوقنلا تم ّسج دقلو .يبدلأاو ينفلا عادبلإل ماهلإ ردصمو ملاعلا عاقصأ عيمج نم<br />

اذه ىحضأ و ،ءارعشو نينانف نم نيعدبملا ىدل روعش ةفاهر هناردج فرخزت يتلا<br />

تبتك هّنأ ذإ ،ريطاسلأا ديدعل كلذك ماهلإ ردصم رشع سماخلا نرقلا دعب رصقلا<br />

ماكح سانأ نم اورّيغت هناّكس ّنكلو ،ءارمحلا رصق خيرات رارمتسا يف ةمهاسم هنع<br />

يجاعلا هرصق نم خيراتلا لزن ريطاسلأا هذهب و ،نييداع ءاطسب سانأ ىلإ نيبلغتم<br />

نم ولخت لا ةديدج ةايح هيف ثعبتو ّهلوح و حاورلأا هيف فرفرت روحسم رصق ىلإ<br />

.لامج و ةعتم<br />

كراشملا<br />

78


Participante<br />

79<br />

CHIKHA, Jomaa<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

(Kerkenah-Tunez, 1944), es doctor por la Universidad de Túnez y es profesor en la<br />

misma Universidad, es especialista en civilización Andalusí e historia de las ciencias, es<br />

autor de conspiraciones y guerras en la poesía andalusí, de la caída <strong>del</strong> califato en el s.<br />

XI hasta la caída de Granada en el s. XV(Túnez, 1994), Los valores y cualidades éticas<br />

en el frondoso árbol <strong>del</strong> orientalismo español(Kuwait, 2004).Fruto de su incansable<br />

labor de investigación citamos La vida intelectual y literaria en la Argelia Oriental(Islas<br />

Baleares)(Madrid, 1982), La escuela de medicina de Qairuán y su influencia en Europa<br />

antes y ahora(noviembre, 2009). Es traductor al árabe (en colaboración) de la novela<br />

<strong>del</strong> premio Nobel el español Camilo José Cela La familia de Pascual Duarte (Túnez,<br />

1992), La crítica política en la poesía árabe en El-Ándalus (Tetuán, 1995), y El palacio<br />

de la Alhambra en Granada según dos puntos de vistas: los árabes y los extranjeros<br />

(Estudios andalusíes).<br />

Título de la ponencia El palacio de la Alhambra: escenario de<br />

mitos.<br />

Resumen de la ponencia<br />

En esta ponencia hará el profesor Chikha especial hincapié para dotar a la<br />

orgullosa Alhambra de una cierta perspectiva histórica con tintes artísticos,<br />

evocando la nostalgia hacia un pasado, aunque extinguido, glorioso, dejando<br />

entrever su admiración por semejante monumento, testigo vivo de una<br />

esplendorosa época histórica Nazarí. Fue el centro <strong>del</strong> poder político y<br />

militar hasta la irremediable y definitiva caída de presencia musulmana en<br />

El-Ándalus, al capitular Boabdil, entregando a los reyes católicos la ultima<br />

plaza mora en la península ibérica, eso es, el último reino taifas de Granada.<br />

Luego, el palacio se convirtió en un lugar de obligada visita para la mayoría<br />

de los turistas atraídos por su mítico embrujo y su glorioso pasado, y cuyo<br />

valor artístico y arquitectónico fue y sigue siendo fuente de inspiración para<br />

muchos creadores y artistas de todo el mundo.


نويبراش اوسنارف<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

،ةراجتلا دهعم نم مولبيد ىلع لصحتمو )اسنرف( يسنانب قوقحلا ةيلك نم جرخت<br />

ةبقارم ةرادإب افلكم سنوتب ةضيفنلاب تنمسلاا ةكرش عمجمب 2002 ةنس قحتلا<br />

.فرصتلا<br />

ررق دقو ،اماع اريدم حبصأ مث 2004 ةنس ذنم ةيداصتقلاا نوؤشلل اريدم نيع<br />

اماع اريدم هنييعت 2012 ةيليوج 10 ذنم ةضيفنلاب تنمسلاا ةكرشل ةرادلاا سلجم<br />

رهش ذنم انيتتفانل اسيئر نيع يذلا اتلوفير لاونام ىسوخ ديسلا فلخي كلذب وهو<br />

.طرافلا ليرفأ<br />

تنمسلاا ةكرشل ةعباتلا "نوتيب تكلايس" ةكرش ةرادا سلجم ررق ةرتفلا سفن يفو<br />

ةيلامو ةيرادا ىرخأ بصانم لغش امك .اهل اسيئر نويبراش اوسنارف نييعت ةضيفنلاب<br />

.سنوتب يكيرملأا عمجملا ىدل<br />

اينابسإو سنوت ،ةّيط ّسوتملا ةقاد ّصلا ةلخادملا ناونع<br />

كراشملا<br />

80


Participante<br />

81<br />

CHERPION, François<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Diplomado en Derecho por la Facultad de Nancy (Francia) y posee un Diploma <strong>del</strong><br />

<strong>Instituto</strong> Comercial de Nancy.<br />

En 2002 se incorporó al Grupo para asumir la Dirección de Control de Gestión<br />

de la Société des Ciments d’Enfidha en Túnez. En 2004 fue nombrado director<br />

económico y seguidamente en 2009 asumió la responsabilidad de director general<br />

tras el cese de D. A<strong>del</strong> Ben Ahmed. El Consejo de Administración de la Société des<br />

Ciments d'Enfidha, filial <strong>del</strong> Grupo Cementos Portland Valderrivas en Túnez, acordó<br />

el pasado 10 de julio nombrarle nuevo presidente. Sucede en esta posición a José<br />

Manuel Revuelta que fue nombrado presidente de Navantia el pasado mes de abril. En<br />

la misma fecha el Consejo de Administración de Select Betón, filial de la Société des<br />

Ciments d’Enfidha, acordó el nombramiento de François Cherpion como presidente<br />

de esta misma empresa.<br />

Anteriormente, fue responsable administrativo, financiero y logístico <strong>del</strong> grupo<br />

americano VF en Túnez.<br />

Título de la ponencia La amistad mediterránea, Túnez y<br />

España.


ينرا َشلا ةديشر<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

صصقلاب تّمتها َمث ،ةليوط ةرتفل سيردَتلا ترشابو قوقحلا تسرد ،ةَيسنوت ةبتاك<br />

لمحت ةيناث ةعومجمو ،اينَدلا ةفاح ىلع ةايحلا ىلولأا ةَيصصقلا اهتعومجم تردصأو<br />

ىَلجتيل هزواجت لب َدحلا اذه دنع يركفلا اهعادبا فَقوتي مل و .ةلئسلأا ليهص ناونع<br />

لوصف ةَدع ةمجرت تعقو دقو ،اهملا لا ليتارت هناونع زَيمتم َ يئاور بوثل اهئادترا يف<br />

وضع يهو .ةَيني َصلا و ةَيسنرفلا و ةَيزيلقنلاا ةغللا ىلا اهصصق نم ضعبلا و اهتاور نم<br />

فوفص يف ةطشانو ،2002 ةنس اهيلا تَمضنا يتلا "رارحلأا باَتكلا ةطبار" يف زراب<br />

. يفناج 14 ةروث ةرارش علادنا لبق نم يندملا عمتجملا<br />

عادبلال ةقَيش ةَدام ،عزفملا انخيرات ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

هليصافت يف يتلَيخم تحرس ام اريثكف ،هل ةقشاعو خيراَتلاب ةنوكسم ينَنأ فرتعأ<br />

يخيراَتلا جرعنملا اذه دعب نمَزلا راودب نلاا رعشأ ينَنأ ريغ...هتاهاتم يف تباغو<br />

ثدحلا ليوحت و عقاولا تاقرافم باعيتسا يف ىوصق ةبوعص دجأ ينَنأ َدح ىلا ريبكلا<br />

هتكاحو ةلتقلاو صوصللا هعنص اخيرات بتكن نأ ىسقأ ام...عيدب يَنف قايس ىلا<br />

نم نوركاملاو ءانبجلا اهقرس ةروث نع بتكن نأ عجوأ ام...تارماؤملاو سئاسَدلا<br />

انيضام فرجيو عداخ رون لثم انملاحأ دَدبتت نأ ىشخأ مك...ءاطسبلاو رارحلأا<br />

اناطخ بسحي نلاا خيراتلاف...يساملا و نتفلا نم لائاه اَمك اندافحلأ لمحنو انرضاح<br />

.هتركاذ يف ةيهانتم ةَقدب اهل َجسيو<br />

كراشملا<br />

82


Participante<br />

83<br />

CHARNI, Rachida<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Es escritora tunecina, licenciada en derecho y ha sido docente por muchos anos.<br />

Tan pronto empezó a precipitarse su alegórico torrencial de creatividad literaria, no<br />

tardo mucho en dar rienda suelta a su pluma para que plasmara bellas y subliminales<br />

palabras, que dieron origen a su primera criatura literaria, una colección de cuentos<br />

titulada La vida al borde de la existencia mundana, que, luego, fue refrendada con su<br />

segunda colección bautizada como El relinchar de las preguntas. Más tarde, no se lo<br />

pensó dos veces, y optó por mudar de piel, en pleno proceso de catarsis narrativa,<br />

para salir ataviada con un bello atuendo novelesco que llevaba el sello de Himnos<br />

a las penas. Muchos cuentos y algunos paisajes de su novela fueron traducidos al<br />

inglés, chino y francés. Es miembro de la “Liga de Autores Libres” desde 2002, y<br />

activista comprometida en las filas de la sociedad civil mucho antes <strong>del</strong> estallido de la<br />

revolución <strong>del</strong> 14 de enero.<br />

Título de la ponencia Nuestra espantosa historia, interesante<br />

material para la creatividad.<br />

Resumen de la ponencia<br />

Reconozco que estoy absolutamente embrujada por la historia, y totalmente<br />

enamorada de ella; por la que me dejo llevar, dando rienda suelta a mi<br />

prolífica imaginación para que navegue en sus más recónditos e inhóspitos<br />

recovecos…no obstante, este gran giro histórico acaecido en Túnez, me dio<br />

un vértigo de órdago, hasta el punto de que, realmente, me está costando, dios<br />

y ayuda, salir de mi asombro y poder asimilar, primero, las paradojas de la<br />

realidad, y, luego, convertir semejante evento en un contexto creativo… ¡Qué<br />

difícil es escribir una historia hecha a imagen y semejanza de unos ladrones<br />

y asesinos, y urdida por múltiples conspiraciones e intrigas!…¡Qué doloroso<br />

es escribir sobre una revolución arrebatada y usurpada por cobardes y astutos<br />

de los hombres libres y humildes!...Mucho me temo que se están esfumando<br />

nuestros sueños, cual luz engañosa, que arrastrará en su camino nuestro<br />

pasado y presente, dejando a nuestros nietos un penoso legado atiborrado de<br />

ingentes cantidades de tribulaciones y tragedias…Así que, ¡no nos durmamos<br />

en los laureles!, porque la historia estará allí, acechando cada paso que demos,<br />

para luego, registrarlo, con suma precisión, en su memoria.


ودلابت وّيرتساك ناوخ<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

ديلاوم نم ،Palacios de la Sierra, Burgos سقرُوب ،اّرييسلا يد سويثلااب<br />

ملعو ةسايسلاو توهلالا ملعو ةفسلفلا يف ايلع تاداهش ىلع لصحتمو ..1923 ةنس<br />

جرخت امك .Lovaina انيافول يف ةيعامتجلاا مولعلا يف هتسارد لصاو دق و .عامتجلاا<br />

،ةفسلفلا سردف ،كرويوين ةعماج نم ةيعامتجلاا مولعلا يف جروج يرنه ةسردم نم<br />

.ينيدلا عامتجلاا ملعو ةينيتلالا ةغللا ،نيدلا<br />

ديدع يف مهاس امك ديردمب Claret تيرلاك ةيعماجلا ةماقلإاب ةفاقثلا لوؤسم وهو<br />

.ةيبنجلأا و ةينطولا تايرشنلا<br />

La Virgen en los ةيملاعلا ةيسنكلا تارمتؤملا يف ءارذعلا :هلامعأ زربا نم<br />

Juan XXIII نورشعلا و ثلاثلا انحوي ابابلا ،Concilios Ecuménicos 1964<br />

لا يد سويثلاابل ةيئانغلاروذجلا ،Dolor de Luz 2007 رونلا ملأ ،1968<br />

ةيرعش اجولوطنأ ،Raíces líricas de Palacios de la Sierra 2005 اّرييس<br />

دئاصق ، Fulgor de serranía 2006 لابجلا جهو ،Antología poética 2005<br />

ةيناثلا ةعبطلا ،Poemas espirituales 2006 ةيحور دئاصق ،Sonetos 2006<br />

سوينوطنأ باتك "ماعلا نوناقلا" تاظحلام و ةمدقم و ةمجرت ،2007 "رونلا ملأ" نم<br />

Burgos يعامجلا ديصقلا يف سوقروب ،2007 }1657 ةنس اينافولب رشن{ سويزاريب<br />

Niña con ةمطاف يد اتنثاخ ،كلاملا عم ةلفط ،en plural poema 2008<br />

Poemas de un ermitaño كسان دئاصق ،Ángel, Jacinta de Fátima 2009<br />

نم زاوجلا ديدع ىلع لصحت .Una llama de amor 2010 بح ةلعشو 2010<br />

اديريل ةنيدمب Mariana انايرام ةيميدكأ<br />

نماّثلا نرقلا يف ايديموكلا باّتك دنع ةسيّلع ةكلملا ةروطسأ ةلخادملا ناونع<br />

)ورتساك يد ثادومراب نوريدلاك دنع ديدحتلاب( رشع<br />

كراشملا<br />

84


Participante<br />

85<br />

CASTRILLO TABLADO, Juan<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

(Palacios de la Sierra, Burgos, 1923) es titulado superior en Filosofía, Teología,<br />

Políticas y Sociología. Ha ampliado estudios sociales en Lovaina y se diplomó en la<br />

Henry Gorge School of Social Science de la Universidad de Nueva York. Ha sido<br />

profesor de filosofía, religión, latín y sociología religiosa. Responsable de cultura en la<br />

Residencia Universitaria Claret de Madrid.<br />

Es autor de las obras: La Virgen en los Concilios Ecuménicos (1964), Juan XXIII<br />

(1968), Dolor de Luz (2005), Raíces líricas de Palacios de la Sierra (2005), Antología<br />

poética (2005), Fulgor de serranía (2006), Sonetos (2006), Poemas espirituales (2006),<br />

2ª ed, de Dolor de luz (2007), Traducción, introducción y notas IUS PUBLICUM,<br />

libro de Antonius Perezius, editado en Lovaina el año 1657 (2007), Burgos en plural<br />

poema (2008), Niña con Ángel, Jacinta de Fátima (2009), Poemas de un ermitaño<br />

(2010) y Una llama de amor (2010). Ha colaborado en publicaciones nacionales y<br />

extranjeras.<br />

Ha sido premiado reiteradamente por la Academia Mariana de Lérida.<br />

Título de la ponencia La leyenda de la reina Dido según los<br />

autores de la comedia en el siglo XVIII.


ثاينون وّيتساك سيليخنأ<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

ديردمب يسنتولبموك ةعماجب طيسولا ينابسلإا بدلأا ةذاتسأ<br />

ديردمب يسنتولبموك ةعماجب صوصنلا قيقحتو يصلا دقنلا يف ريتسجام<br />

كرووينب كورب ينوتس ةعماجب ةينيتلالا تاغللا<br />

كراشملا<br />

86


Participante<br />

87<br />

CASTILLO NUÑEZ, Ángeles<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Literatura Española Medieval, Universidad Complutense, Madrid, España<br />

Máster Crítica Textual y Edición de Textos, Universidad Complutense, Madrid,<br />

España<br />

Lenguas Romances, Universidad de Stony Brook, New York, USA


ثادننرف وشتاماك ليونام<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

انولاياسب 1944 ةنس ربمفون نم رشع يناثلا يف ثادنانرف وشتاماك ليونام دلو<br />

ةقلام ةنيدم برق )Axarquía( اّيكرسكأب ةريغص ةيرق يهو )Sayalonga(<br />

ى ّضق ثيح ديردمب نطقيو ءاوزنا ةيعضو يف وه ، اّيلاح لمعلل اريثك رفاس .ةليمجلا<br />

اّمكو ةددعتم تاياورو ةيرعشلا تاعومجملا ديدع فلأ دقو .هتايح نم اريبك اءزج<br />

ريسي ابورد هلامعأ قشت كلذل ،لضفأ ملاع قيقحت وحن هلامعأ هجتتو .مكحلا نم لائاه<br />

.ةداعسلا نع اثحب ئراقلا اهيف<br />

)Aromas de sándalo("لدنصلا حئاور" ناونعب ةيرعش ةعومجم ارخؤم ردصأ<br />

ةنس Senderos de gloria "دجملا بورد" ناونعب ةيصصق ةعومجمو 2010 ةنس<br />

Sueños( "رعاش ملاحأ" :ةديدج ةيرعش تاعومجم ثلاث هفيلأت بناج ىلإ اذه ،2011<br />

Llamas de( بحلا بيهل ،)Rocío de la mar( "رحبلا ّلط" )de un poeta<br />

.)amor<br />

لضفأ ملاع لجأ نم ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

لاخدم ديصق يف هملأ نع رّبعيو ،ملاعلا اذهل وشتاماك ليونام بتاكلا و رعاشلا ملأتي<br />

ريبكلا رعاشلل "ةايحلا ةدارإ" ديصق تايبأ يف هئازع وشتاماك ليونام دجيف .هتلخادمل<br />

ديصق لثم صاخلا هجاتنإ نم ىرخأ دئاصق يفو يباشلا مساقلا يبأ رزوت ةقطنم ليصأ<br />

نعو يناملأا قيقحت نع ربعت دئاصق ةعومجم يهو )Determinacón( "ةميزع"<br />

.ةتباث ىطخلا تااك اذإ قوتلا ةلاحتسا<br />

ءيش ىلع لوصحلا لجلأ :بيجي مث ؟مل :ةميزع و ةايحلا ةدارإ :لائاق رعاشلا لءاستي<br />

،لضفأ ملاع لجأ نم داهجلا :ناسنلإا هيلإ لصي نأ نكمي ام لبنأ لجلأ ،اّدج ديعس<br />

.هينكاستم ّلكل ةليمجو ةحرم ةايحلا نوكت ثيح ديعسو ئضم ملاع<br />

.يبدلأا هجاتنإو هتايح نم اريبك اءزج رذن ،ةياغلا هذه غولب لجأ نم<br />

نإ توملا لجأ نم ىنعمو ةمواقملل ةّوق ينطعأ ،يهلإ" :ةيلاتلا ةلمجلاب هتلخادم متخي<br />

."قحلا لجأ نم تومأو مواقأ يك لاقعو ،ةمواقملا نم دب لا ناك<br />

كراشملا<br />

88


Participante<br />

89<br />

CAMACHO FERNÁNDEZ, Manuel<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Manuel Camacho Fernández nació el 12 de noviembre de 1944 en<br />

Sayalonga; un pueblecito de la Axarquía: comarca hermosa de Málaga la<br />

bella. Ha viajado mucho por razones de trabajo; actualmente en encuentra<br />

en la situación de retirado y reside en Madrid, donde ha pasado gran parte<br />

de su vida. Es autor, entre otras obras, de varios poemarios, de numerosos<br />

relatos y de un sinfín de máximas. Sus obras están dirigidas a la consecución<br />

de un mundo mejor, de un mundo feliz, y, en ese sentido, abren senderos<br />

por los que el lector pueda caminar en busca de la felicidad. Últimamente<br />

ha publicado un libro de poemas, Aromas de sándalo, año 2010 y otro de<br />

relatos, Senderos de gloria, año 2011; y ha escrito tres nuevos poemarios:<br />

Sueños de un poeta, Rocío de la mar y Llamas de amor.<br />

Título de la ponencia Por un mundo mejor<br />

Resumen de la ponencia<br />

Al poeta y escritor Manuel Camacho, le duele el mundo; tanto le duele, le<br />

duele tanto –así lo expresa en un poema con el que da entrada a su ponencia-,<br />

que el dolor le mata. Para su dolor, encuentra consuelo en los versos <strong>del</strong><br />

poema Voluntad de vivir, <strong>del</strong> gran poeta de Tozeur, Abou el Kacem Chebbi,<br />

y en otros de su propia autoría, como el titulado Determinación; poemas<br />

que expresan, respectivamente, que los deseos se cumplen y que, cuando se<br />

camina con pasos firmes, nadie te detiene. Voluntad de vivir y Determinación<br />

¿para qué? –se pregunta. Y responde: para algo muy hermoso, para lo más<br />

noble y hermoso que puede y debe hacer el ser humano: luchar por un<br />

mundo mejor, un mundo luminoso y alegre donde la vida sea hermosa y bella<br />

para todos los que lo habitan. A ese fin ha dedicado gran parte de su vida y de<br />

su obra literaria, y, como muestra, presenta un artículo de opinión suyo que<br />

habla sobre deberes humanos. Considera que si con toda su obra consigue<br />

que una sola persona emprenda la lucha, le ha merecido la pena la dedicación<br />

y el esfuerzo empleados en escribirla y no habrá vivido en vano. Termina su<br />

ponencia con la siguiente oración:<br />

Señor, dame fuerzas para luchar; valor para morir, si fuese preciso, en la lucha;<br />

y juicio para luchar y morir por la verdad


لايروب متاح<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

بـصانملا نم ديدعلا ىلوت ،اباتك رشع ىدحا نم رثكا هديصر يف هل ،يسنوت بتاك<br />

ىلع ايلاح رهسيو ،ةيئرملاو ةبوتكملا ةفاحصلا يف لمعو ،ةيفاقثلا ةغبصلا تاذ<br />

.ةقيتعلا سنوت ةنيدم يف "رو ُسلا قوف" ةريدتسملا ةقلحلا طيشنت<br />

ةّيسنوّتلا جاطرق ىلإ ةّيلي ّشلا ةّنجاطرق نم ،وربوديوأ يتناثيبب ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

لاايرباق امّيس لا ،يليشلا يف رعشلا ةقلامع نيب ةَيفرشلا ةناكملا وربوديا يتناثيب لتحي<br />

ىطخ ءافتقا ىلع رباث دقو ،بادلال لبون ةزئاج ىلع نازئاحلا ،ادورين ولبابو لارتسيم<br />

ةناكم هاَيا احنام ماملاا ىلا ةينابسلااب بوتكملا رعشلاب عفد دق ناك يَذلا ويراد نابور<br />

يف نفُد نئلو .يرصعلا رعشلا زئاكر َمها دحا وربوديوا نلاا َدعي و ،اهب ناهتسي لا<br />

مجرُت نا دعب سنوت جاطرق يف ةَيزمر ةفصب ديدج نم دلوي هّنإفو ةيليشلا ةنجاطرق<br />

يف يناعملا داعبا نع لءاستن نا انلو ،"يرعشلا نفلا" ةيبرعلا ىلا يرعشلا هناويد<br />

شقن ام تلالاد امو ؟هيلا يمتني يذلا يبدلاا رايتلاو ،ةيساسلاا هعادبا زئاكرو ،هرعش<br />

؟"رحبلا نودجتس هقمع يف و ربقلا اوحتفا"وربوديوا يتناثيب حيرض رجح ىلع<br />

كراشملا<br />

90


Participante<br />

91<br />

BOURIAL, Hatem<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Es autor de más de once libros publicados, desempeñó varios cargos y misiones<br />

de carácter cultural. Ejerció de periodista tanto en la prensa escrita como en la<br />

audiovisual, y se está haciendo cargo, hoy en día, de las actividades culturales <strong>del</strong><br />

círculo “Fouk Essour“en la Medina de Túnez.<br />

Título de la ponencia Vicente Huidobro: de Cartagena de Chile<br />

a Cartago de Túnez.<br />

Resumen de la ponencia<br />

Ocupa Vicente Huidobro, junto con Pablo Neruda y Gabriel Mistral, ambos<br />

galardonados con el Premio Nobel de Literatura, un lugar destacado dentro<br />

<strong>del</strong> universo poético de chile. Se le considera a Vicente Huidobro como uno<br />

de los poetas más importantes pertenecientes a la moderna corriente poética<br />

latinoamericana, siguiendo la misma estela <strong>del</strong> poeta Rubén Darío que fue, a<br />

su vez, uno de los grandes impulsores, y un pilar de suma importancia de la<br />

poesía en castellano. Enterrado en Cartagena de Chile, Huidobro resucitó,<br />

simbólicamente, en Cartago de Túnez, merced a la traducción al árabe de<br />

su obra titulada “Arte Poética”. En esta aproximación crítica, Hatem Bourial<br />

abordara los aspectos que más luz podrían arrojar sobre la vida y la obra <strong>del</strong><br />

autor chileno, y un posible atisbo de claridad acerca <strong>del</strong> sublime mundo <strong>del</strong><br />

verso poético de Huidobro, planteándonos, al menos, dos reflexiones que<br />

nos podrían ayudar a despejar ciertas incógnitas, tales como las limitaciones<br />

<strong>del</strong> contexto interpretativo de la obra poética de Huidobro por un lado, y las<br />

articulaciones estructurales de su creatividad, eso es, sus bases fundamentales<br />

y las corrientes literarias que le sirvieron de ejemplo e inspiración . Quizá,<br />

al inspirarnos en el epitafio escrito sobre la tumba de Huidobro, que reza lo<br />

siguiente:” Abrid la tumba, y al fondo de la misma, hallarais la mar”, radica<br />

una hipotética respuesta que podría satisfacer parte de la inquietud existencial<br />

que envolvió al poeta en sus procesos creativos…


نامثع نب نسح<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

يفحصلا لمعلا فرتحا .لبان ةيلاو ،ةبلاقصلاب 1959 ديلاوم نم يفاحصو بتاك<br />

تلااقملاب مهاسو ،ةلقتسملاو ةضراعملا ربانملا يف تانينامثلا لئاوأ ذنم بوتكملا<br />

برعلا لك ةلجم ،ةيتيوكلا سبقلا ةيموي( ةرجاهم ةيبرع تلاجمو فحص يف صوصنلاو<br />

ةريدملا ةئيهلا يف بختنم وضع .نييسنوتلا نييفاحصلا ةيعمج وضع .)ةيسيرابلا<br />

…نييفاحصلل ةيلودلا ةيلاردفلا وضعو )1998 1996 ( نييفاحصلا ةيعمجل<br />

ماقو ةيسايسو ةيعامتجاو ةيفاقث جمارب ةدع هيتانقب يسنوتلا نويزفلتلل جتنأ<br />

ةيملاعلإا ةسايسلاب قلعتت ةريخلأا ةقلحلا تناكو )2000 ىلإ 1996 نم( اهميدقتب<br />

.هءافعإ بلط اهرثإ ىلعو .ةيسنوتلا<br />

اهيف زجنأو ةيسنوتلا رشنلل ساريس راد باسحل "لغاوش " ناونعب بتك ةلسلس رادأ<br />

دبع عم 1989 ةنس دوشنملاو دوجوملا يف :راكب قيفوت عم :بتك يف ةلّوطم تاراوح<br />

،لله لايع : يبلاطلا دمحم عم 1990 ةنس ،ايندلاو نيدلا نوؤش يف :ةليهلا نامحرلا<br />

.ةيسنرفلل ىلإ باتكلا اذه مجرت دقو 1992 ةنس<br />

تردوص ، 1986 ةنس ،صصق ةعومجم "باوصلا دقفي سابع" :ةيدرس ابتك ردصأ<br />

يف اهعون نم ةمكاحم لّوأ يف ايئاضق اهبتاك مكوحو ،ةعبطملاب ةيصصقلا ةعومجملا<br />

1987 ةنس يسايسلا رييغتلا دعبو ،ذيفنتلا ةلجؤم انجس رهشأ ةثلاثب نيدأو ،سنوت<br />

،1991 ةنس ،صصق ةعومجم "اهتحت لا ضرلأا قوف لا" .اهبسكو ةيضقلا فنأتسا<br />

اهنع لانو ،1998 ةنس ةياور "يضايرلا ناهرلاب زوفلل سمخلا دعاوقلا :روبسومورب"<br />

2004 ةنس "لاجر ةملك" : ناونعب مليف ىلإ ةياورلا تلوحتو .يبهذلا راموكلا ةزئاج<br />

2000 ةنس ةياور "يلايللا ةليل" ،نوّمك زعم جارخا نم<br />

ةيزيلجنلأاو ةيسنرفلا ىلإ هصوصن ضعب تمجرت 2002 ةنس ةياور "ناخيش"<br />

.ةينامللأاو<br />

.ةيبدأ زئاوج ةّدع ىلع لصحت<br />

ةّيبدلأا ةفاحصلا يف يتبرجت ةلخادملا ناونع<br />

كراشملا<br />

92


Participante<br />

93<br />

BEN OTHMANE, Hassan<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Constituyó y presidió varias páginas y suplementos culturales en los periódicos<br />

y revistas tunecinos (el periódico La Opinión(ةعوبسلأا يأرلا ةديرج), el periódico El<br />

Futuro(ةيعوبسلأا لبقتسلما ةديرج), la revista El Magreb Árabeةيعوبسلأا يبرعلا برغلما ةلجم)),<br />

el diario La Prensa(ةيمويلا ةفاحصلا ةديرج), suplementos culturales en el mismo periódico<br />

que presidió su Departamento cultural diario, presidió también la redacción <strong>del</strong><br />

Departamento cultural en el diario de Opinión General(ةيمويلا ماعلا يأرلا ةديرج) en 1993<br />

, posteriormente demitió de su cargo.<br />

Miembro de la asociación tunecina de periodistas, miembro elegido en el comité<br />

ejecutivo de la asociación de periodistas (1996-1998) y miembro de la Federación<br />

Internacional de Periodistas. Productor y presentador de varios programas culturales,<br />

sociales y políticos en los dos canales de la Televisión Tunecina con sus dos canales<br />

varias emisiones culturales, ( desde 1996 hasta 2000). El último programa fue dedicado<br />

a la política informativa en Túnez, después <strong>del</strong> cual demitió de su cargo.<br />

Administró una serie de libros titulada “Preocupaciones” (لغاوش) para el Editorial<br />

tunecino Siras (ةيسنوتلا رشنلل ساريس راد) donde organizó entrevistas sobre varios libros<br />

con Taoufik Bacar: " En lo existencial y lo deseado" ("دوشنلما و دوجولما يف") en 1989,<br />

con Abd Al Rahman Al Hila: "En los asuntos de la Religion y la vida" ("نيدلا نوؤش يف<br />

ايندلا و") en 1990, con Mohamed Al Talbi: "Los hijos de Dios"( "للها لايع") traducido<br />

al francés en 1992.<br />

Publicó obras narrativas: "Abbas pierde la razón" , es una serie de relatos publicados<br />

en 1986, por los cuales fue condenado a tres meses de cárcel. Fue la primera condena<br />

de su género en Túnez; “Ni debajo ni encima de la tierra”en 1991<br />

”Promosport: las cinco reglas para ganarlas quinielas en 1998 que le permitió obtener<br />

el premio <strong>del</strong> Comar dorado. Esta última se realizó en una película titulada “Palabra<br />

de hombre”("لجر ةملك") en 2004 producida por Moez Kammoun.<br />

Posteriormente publicó otras obras tal como : “Noche de las noches”("يلايللا ةليل") en<br />

2000, “Chihkane”("ناخيش") en 2002.<br />

Algunos textos fueron traducidos al francés, al inglés y al alemán.<br />

Obtuvo varios premios literarios.<br />

Título de la ponencia Testimonio de mi experiencia periodística- literaria.


ةخيش نب نيزلا ما<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

ةرضاحم ةذاتسأ يهو ،سنوت ةعماج نم ةثيدحلا ةفسلفلا يف هاروتكدلا ىلع ةل َصحتم<br />

يف ةصتخمو ،سنوتب رانملا ةعماجب ةيناسنلاا مولعلل يلاعلا دهعملاب ةفسلفلا مسقب<br />

عئارلا تايلامج وا هروط نع جرخي َنفلا"باتك اهل ردص دقو .تايلامجلاو َنفلا ةفسلف<br />

ناونعب عبطلا تحت ةياورو ،)2010 توريب ،رشنلل لوادج( "اديرد َ ىلا طناك نم<br />

ةَدع اهديصر يف اهل مث ،)2011 ،توريب ،رشنلل لوادج راد( "ءامسلا ىحرج"<br />

ةيموي دئارجب ةيفحص ةدمعاو تلااقم ىلا ،ةيبرغو ةيبرع تلاجم يف تلااقمو ثوحب<br />

.ةيسنوت ةيعوبساو<br />

يلاد رودفلاس تاموسر يف ةركاَذلا و َنفلا : ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

...يلاد رودفلاس تاموسر اهب قرتخنس يتلا ةحوللا مسا وه )1931،ةركاَذلا رارمتسا(<br />

له ؟يدبا بايسنا ةلاح يف اهلوح ءيش لكو رارمتسلاا ىلع ةركاذلا َرصت اذامل<br />

ةركاذلل ىنعم َيا ؟اهمسر ربع اهعييمت دارا ما ةركاذلا ىلع ةظفاحملا يلاد دارا<br />

يلاد تاموسر يف ةركاذلل ٍلجت نم رثكا ةلخادملا هده يف دصرن فوس ؟يلاد دنع<br />

ىلع برحلل ةركاذ اضيا ةمثو ،)1936(هكاوفلا و محللا ديلختل ةَيخبطم ةركاذ ةمث :<br />

زغل" لوح ةيسوريا ةركاذ ةمثو ،)1934(ونايب ةلا عجاضت يتلا اهتمجمج ةلكاش<br />

نم" : هفصوب هسفن نع نلعي هلعجت ةَيوق ةَيكيلوثاك ةَينيد ةركاذو ،)1929("ةبغرلا<br />

ىلع ةدَرمتم ىرخا تاركاذ بناج ىلا اذه َلكو ..."هسفن ينابسلاا فَوصتلا ءايحا داعا<br />

ةمثو ...زيكاكعب انيعتسمو تس ةهَوشم ةر َخؤمب نينيل هجو اهم َسجي يتلا و بلاا<br />

ةعيضف تاركاذل ضرع اذه َلك...هضرتعا امَلك سحل ىلع رداقلا وساكيب يزاهتنلاا<br />

...عيظفلا توملل و لتاقلا نمزلل ةَداضم تاركاذ عارتخا ىلا نفلاب عفدت<br />

كراشملا<br />

94


Participante<br />

95<br />

BEN CHIKHA, Oumezine<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Es Doctora en filosofía moderna por la Universidad de Túnez, catedrática en el<br />

departamento de filosofía <strong>del</strong> <strong>Instituto</strong> Superior de Humanidades, Universidad<br />

Almanar, Túnez, y especialista en filosofía <strong>del</strong> arte y de la estética. Es autora de El arte<br />

más allá de sus dimensiones o las estéticas de lo sublime de Kant a Darida (Editorial<br />

Jadawel, Beirut, 2010), otra novela, en proceso de publicación, titulada” los heridos<br />

<strong>del</strong> cielo (Editorial Jadawel, Beirut). Es ensayista y columnista en varios periódicos,<br />

diarios y semanales tunecinos, y varios estudios de investigación publicados en revistas<br />

árabes y occidentales.<br />

Título de la ponencia El arte y la memoria en las pinturas de<br />

salvador Dalí<br />

Resumen de la ponencia<br />

“Memoria persistente” (1931), es el título de la pintura de Salvador Dalí<br />

que nos va a permitir infiltrarnos dentro de las pinturas <strong>del</strong> genial Dalí…<br />

¿Por qué persiste la memoria en seguir dando aletazos, mientras todo<br />

alrededor está en constante movimiento? ¿Acaso quiso Dalí conservar la<br />

memoria, o fundirla, o, quizá, pretendió, más bien, corromperla a través de<br />

sus pinceladas? ¿Qué entiende Dalí por memoria? Intentaremos detectar,<br />

conforme avanza la ponencia, distintas formas de memoria que Salvador Dalí<br />

ha plasmado en su legado artístico…Así, pues, existe una memoria culinaria<br />

a fin de eternizar la imagen de la carne y de las frutas…una memoria bélica<br />

en forma de calavera, cogida in fraganti copulando con un piano (1934)…y<br />

está la memoria <strong>del</strong> Dios <strong>del</strong> amor, Eros, que es una enigmática incitación<br />

al deseo y la lujuria…luego, también, nos llama la atención la existencia<br />

de una memoria fanática y católicamente religiosa, que lo llevó a Dalí, en<br />

pleno fervor místico, a autodeclararse como ”el pionero en revivir el sofismo<br />

español”…Por último, nos remueve las entrañas una fatídica memoria con<br />

careto de rebelde renegado, que anuncia su discordia y total desobediencia,<br />

representando, alegóricamente, a un Lenin, completamente descuidado,<br />

apoyado en bastones, y sufriendo un deplorable proceso de senectud…y allí<br />

está, contigua, la memoria <strong>del</strong> oportunista Picasso…Patéticas y horripilantes<br />

memorias inducen a que el arte siga inventando memorias antídoto contra la<br />

lacra de unos mortíferos tiempos y la detestada muerte.


و ُمع نب نينسح<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

.يسنوت يئاور<br />

ةروريصو ةنونيك نيب ارسج ،ةيخيراتلا ةياورلا : : ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

يذلا رخلآا خيرات اصوصخ و ثادحلااب ءيلملا خيراتلا مهف مويلا ىقتلمل نكمي فيك...<br />

ادياحم نوكي نأ مويلا ىقتلمل نكمي فيكو ؟لباقملا فرطلل امداص نوكي ام ةداع<br />

ىقبي ىتح ريغ لا ةفرعملا و ةربعلا باب نم ىضم ام نأ اربتعم سملأا ثادحأ هاجت<br />

رود وه كلذ ؟رضاحلاو يضاملا فافض نيب امئاق يراضحلا و يناسنلإا لصاوتلا رسج<br />

.ةيخيراتلا ةياورلا<br />

كراشملا<br />

96


Participante<br />

97<br />

BEN AMMOU, Hassanine<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Novelista tunecino.<br />

Título de la ponencia La novela histórica, un puente entre el ser<br />

y el devenir<br />

Resumen de la ponencia<br />

…Descifrando las claves para una existencia mucho más sostenible…Se<br />

plantea la forma de cómo se puede abordar, en un Encuentro llamado a ser<br />

de comunicación y cooperación cultural, la compleja problemática <strong>del</strong> papel<br />

que se supone que tiene que cumplir una novela histórica, en un mundo<br />

lleno de desafíos e intereses que, muchas veces, entorpecen y manipulan su<br />

cometido; una historia llena, a decir verdad, de acontecimientos chocantes<br />

para unos y normales para otros. Así que, nos preguntaremos de qué manera<br />

podemos permanecer neutrales hacia los sucesos de antaño, limitándonos,<br />

única y exclusivamente, a sacar lecciones de dicho pasado y a empaparnos<br />

<strong>del</strong> valioso conocimiento de los datos históricos objeto de estudio y análisis.<br />

Pues, solamente a través de conocernos mutuamente, tendremos la ocasión<br />

de reforzar los puentes de comunicación e intercambio entre los pueblos,<br />

garantizando, así, la continuidad de dichas relaciones bilaterales, y la sólida<br />

estrechez de los lazos humanos y, por ende, culturales, que se tienden entre<br />

pasado y presente. Ese es el papel que debe desempeñar la novela histórica en<br />

un mundo desbordado ya por unos desafíos cada vez más complejos.


(ايثارغ ايرام( ا َدر ِث رابراب رلايب<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

ةروشنملا لامعلأا .1<br />

2004. ةأرملا ةعيبط •<br />

2008 يدحتلا •<br />

2009 يجولاتنيب تايركذ نم( لخلاوزفاحلا •<br />

2012 يناثلا ءزجلا ،يجولاتنيب تايركذ نم( .ةمرتحملا ةرهاعلا •<br />

زئاوجلا .2<br />

حورلا ملؤت ثيح 2005 :)انوريخ( ةريصقلا ةصقلا ةقباسم يف ةعساتلا ةزئاجلاب ةزئاف •<br />

)وديلوت( اينس ِس لايف 2005 يف ةيسنامورلا ةياورلل ةيلودلا ةزئاجلل ىلولأا ةزئافلا •<br />

"ةيسنرف سرد"<br />

"راذنلإا ةرافص ةينغأ" 2006 :)سايروتسأ( رامل اينس ِس يف ةريصقلا ةصقلل ةزئاجب ةزئاف •<br />

ةتوخيكلا 2007: )ىتناكيلا( طسوتملاب ةيفيرلا اجاك ةزئاجل يئاهنلا رودلا •<br />

ةينيتنافرثلا<br />

ةّيبدأ تاويح ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

وه يذلا نفلا كلذ ىلإ هليبسو .جضني ىّتح مّلعتلاو ةبرجتلا ىلإ جاتحي نئاك ناسنلإا<br />

ىلإ قلقلاو لايخلا ليوحتب ققحتي رمأ وهو ، ةنيعم ةقيرطب دسجم روعش نع ريبعت<br />

رشبلا اهيف يمتني يتلا ةايحلا ،ةصاخلا هتايحل ًاخرؤم ناسنلإا حبصيف ،سوملم ءيش<br />

يتلا تاردقلا ىلإ ةجاح ةّمث تناك يوفشلا ديلقتلا أدب امدنع كلذلو .يملاع خيرات ىلإ<br />

،نيرصاعملا نم ةقحلالا خسنلا عابتإ سيلو ،ىلولأا ةصقلا ةنيعم ةقيرطب لجستس<br />

رسك ول امك ساسح لكشب شورب ءاطعإ :يأ ةباتكلا نف ىلإ ةجاحلا نوكت انه نمو<br />

...ئراقلا يف رثؤي نانفلا ساسحإ لعجي امم ،امد ربحلا حبصيو،ربحلا حورلا<br />

كراشملا<br />

98


Participante<br />

99<br />

BARBER CERDÁ, Pilar (María Gracia)<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

1. LIBROS PUBLICADOS. OBRA.<br />

• 2004. Carácter de mujer.<br />

• 2008. El desafío.<br />

• 2009. Acicate y vinagre. (De la pentalogía Remembranzas)<br />

• 2012. La respetuosa ramera. (De la pentalogía Remembranzas, II parte)<br />

2. PREMIOS.<br />

• 2005.Ganadora <strong>del</strong> IX Premio <strong>del</strong> certamen de relato corto (Gerona) : “Dónde<br />

el alma duele”.<br />

• 2005.Ganadora <strong>del</strong> 1 Premio Internacional de Novela Romántica Villa de Seseña<br />

(Toledo):<br />

“Una Clase de francés”.<br />

• 2006.Ganadora <strong>del</strong> Premio de cuento corto de Seseña La Mar (Asturias): “Canto<br />

de sirena”.<br />

• 2007.Finalista <strong>del</strong> Premio de La Caja Rural <strong>del</strong> Mediterráneo (Alicante): “ La quijota<br />

cervantina”.<br />

Título de la ponencia Vidas literarias.<br />

Resumen de la ponencia<br />

El hombre es un ser que necesita experimentar para poder aprender y por<br />

tanto madurar. Así pues, cuando lo hace a través de un arte, es decir la<br />

expresión de un sentimiento plasmado en algún medio, o lo que es lo mismo,<br />

materializar su fantasía e inquietud en algo concreto, se convierte en un<br />

historiador de su propia vida. La vida que en los seres humanos pertenece<br />

a una historia universal. Por tanto, cuando comenzó la tradición oral, se<br />

necesito la capacidad de que quedara grabado de alguna forma la historia<br />

inicial, y no las posibles versiones subsiguientes de los contemporáneos, de<br />

ahí que se necesitara <strong>del</strong> arte de escribir. Es decir: dar un broche fino como<br />

si <strong>del</strong> alma se rompiera la tinta, tinta hecha sangre, que mella en los que leen<br />

la impresión <strong>del</strong> artista, para que quede incorrupta la esencia <strong>del</strong> sentimiento<br />

<strong>del</strong> que suscribe.


يدنوماهاب ايرام<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

اهمامتها اهتلوفط ذنم تدبأ دقو ،1997 ماع يف )اينابسا( انوروك لا يف تدلو<br />

تزاف 2012 ماع يف ةيلايخلا صصقلا ريوطتو بدلأاو نفلاب ةقلعتملا عيضاوملاب<br />

هيسوخ وليماك ةسسؤمى ةريصقلا صصقلل ةيلودلا ةقباسملا يف ىلولأا ةزئاجلاب<br />

2012 ماع يف كلذك.لايس<br />

:تلااجم ةثلاث يف ايلاح لمعت يهو . عماوصلل عباسلا يلودلا عامتجلاا ىف تكراش<br />

برحلاب ةقلعتملا تاياورلا نم ةلسلس ,ةريصقلا ةيرعشلا صصقلا نم ةعومجم<br />

لصفلا سردت.اهبحت يتلا ةنيدملا ةيقدنبلا يف تعضو ةريصق ةياورو ,ىلولأا ةيملاعلا<br />

.اهنم عبارلا<br />

؟ةباتكلا ُتأدب فيك ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

يدلاو يل ىرتشا امدنع ديدحتلاب و يرمع نم ةسماخلا يف تنك امدنع ءيش لك أدب<br />

يتلا نكاملأا فصوب تأدب ثيح اغراف اباتك ،مانغلأا يف ،لاغتربلا ىلإ ةلحر للاخ<br />

,صصق راكتبلا ةيبذاجلا ضعبب رعشأ تأدب ائيشف ائيش .خلإ ،اهملاعمو ،اهبعش اهترز<br />

اهريغو دوسلأا مهسلا و ةعئارلا رتوب يراه تارماغم يل تحتف ،تقولا كاذ يفو<br />

يا لوح, ابيرقت ناكم يا يف تبتك ،ةظحللا كلت ذنم.,لايخلاو رحسلا نم املاع<br />

ةسردملاب, تاونس ةدع دعب ...اربولأا نش ,لزنملا يف قيلعت ،ةفيحص يف ربخ , ءيش<br />

فصلا يف ةصق ةءارق ىلع يعيجشتب نيتسيركو اترام يتذتاسأ تماق ةيدادعلإا<br />

قيدص وجاج زاب اماش ،ىلولأا ةزئاجلا ىلع تلصحت امدنعو .ةقباسملا يف ةكراشمللو<br />

يبدلأا رمتؤملا روضح ىلإ يناعد يذلا ادنك زيغيردور ويليساب ىلإ ينمدق ةلئاعلل<br />

نيذلا نيركفملاو باتكلا عم عامتجلااف ,ةعئار ةبرجت ّ يلإ ةبسنلاب تناك ،عماوص يف<br />

يف ديكأتلاب كلذ ينزّفح دقل ،ةرمثملا مهبراجت مهعم تمساقت نيذلاو ينوعجش<br />

رعاشملا نع ريبعتلاب يمامتها دادزي رمي موي لك نيحلا كلذ ذنمو .ةباتكلا ةلصاوم<br />

ملاوع ضوخ نم يننكمت يتلا يتملك قيرط نع اهلقناف .ناسنلإا ىدل ةيمهأ رثكلأا<br />

.توميو يناعي ،بحي ،رعشيو ،ركفي ثيح ةركتبم<br />

كراشملا<br />

100


Participante<br />

101<br />

BAHAMONDE, María<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Nace en La Coruña (España) en 1997. Desde muy pequeña manifiesta interés por los<br />

temas relacionados con el arte y la literatura y por el desarrollo de historias imaginadas.<br />

En 2012 gana el Primer Premio <strong>del</strong> I Concurso internacional de microrrelatos de<br />

la Fundación Camilo José Cela. También en 2012 participa en VII encuentro<br />

internacional de Silos. En la actualidad trabaja en tres ámbitos: una colección de<br />

pequeños relatos poéticos, una serie de historias ambientadas en la Primer Guerra<br />

Mundial y una novela corta desarrollada en Venecia, ciudad que le apasiona.<br />

Estudia cuarto de ESO.<br />

Título de la ponencia ¿Cómo empecé a escribir?<br />

Resumen de la ponencia<br />

Todo empezó cuando yo tenía 5 años, y mis padres me compraron, durante<br />

un viaje a Portugal, en Óvidos, un libro en blanco, donde empecé a describir<br />

los lugares que visitaba, su gente, sus monumentos, etc. Poco a poco, empecé<br />

a sentir cierta atracción a inventar historias, pues, por aquella época, las<br />

fantásticas aventuras de Harry Potter y más tarde las de La Flecha Negra,<br />

entre otras, me abrieron el mundo de lo mágico y de la imaginación. Desde<br />

entonces, escribía casi en cualquier sitio y sobre cualquier cosa, una noticia<br />

en el periódico, un comentario en casa, el montaje de una ópera…Años<br />

más tarde, en el colegio, mis profesoras Marta y Cristina, me animaron a<br />

leer algún relato en clase y a participar en un concurso, en el que obtuve el<br />

primer premio. Chema Paz Gago, amigo de a familia, me presentó a Basilio<br />

Rodríguez Cañada, el cual me invitó a un congreso literario en Silos. Fue<br />

una experiencia impresionante para mi, el conocer a escritores y pensadores<br />

que me animaban y compartía sus fecundas experiencias conmigo, me<br />

animó definitivamente a seguir escribiendo. Desde ese momento, cada día<br />

que pasa me interesa más la posibilidad de expresar los sentimientos más<br />

importantes para el ser humano, transmitiéndolos con mi palabra, que me<br />

permite transportarme a mundos creados, pero en los que el ser humano<br />

piensa, siente, ama, padece y muere.


يدنوماهب رييفاخ<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

كراش ،باسنلأا ملع يف بتاكو نفلل خرؤم وه ،)اينابسإ( اينوروكلا يد ةنيدم ليصأ<br />

.اكيرمأو ابوروأ يف بدلأاو خيراتلاو نفلا لوح ةيميداكلأا تلاافتحلاا نم ديدعلا يف<br />

نارمعلاو ةيرامعملا ةسدنهلاو ،ثيدحلا خيراتلا نم نيدايملا فلتخم يف ثحبلاب ينع<br />

تاسسؤملا فلتخم ىلإ يمتنت يتلا .نيرشعلاو رشع عساتلا نرقلا نم اساسأ<br />

ريثكلا اهل سرك يتلا ةظفاحملا كلت ،ينفلاو يخيراتلا ثارتلا ىلع ظافحلل ةسركملا<br />

تاراعش"و "رشع عساتلا نرقلا يف وغيفلا نارمع" :هتاروشنم لمشتو .دوهجلا نم<br />

.وغايتناس ةيئاردتاك ريد يف<br />

ءارمحلا رصق يف ةلوجو ةءارق ةداعإ ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

وه ،اّيملاسإ-اّينابسإ اّينفو ايفاقث اراوح سكعي يذلا ميقلا زاجنلإا اذه ،ءارمحلا رصق<br />

جاوزلا وه اهققح يتلا تازاجنلإا زربأ نم ةدحاو .نفلا خيرات روطت يف ةزراب ةملاع<br />

يجراخلا ءزجلا يف دحتملا ءزجلا اذه ينب ،ةعيبطلاو ةيرامعملا ةسدنهلل يلاثملا<br />

يلخادلا ءانبلا يفو ،عقاولا ضرأ عم ةقباطملا يف جردنت ةيقن ةيسدنه تادحو نم<br />

ىسنن نأ نكمي لا .ةينبملا تاحاسملا عم ليمج و نقتم لكشو ءارضخ تاحاسم<br />

ثيح نم ،ةلماكلا ةقيدحلا ئشنيو ةعومجملا لك نيب دحوي يذلا ،هايملا عوضوم<br />

،يلامجلإاروصتلا ةدحوو ،ساوحلا عيمجل اهرسأب ةقيدح يأ توصلاو ،ةحئارلا ،رصبلا<br />

.رشبلا عيمجب عتمتلاو لمأتلل<br />

تاحتفلاو ناردجلاو ةدمعلأا شياعتت ثيحب ةغلابلا ةمكحلا نم يناكملا ميظنتلا<br />

يتلا ةيعيبطلا رظانملا عم ،افوشكم وأ لعفلاب ىطغم ناك ءاوس ،لخادلاب مهلصتل<br />

تأدب ىتح ،نمزلا رورم عم فعض دق ميكحلا سردلا اذه .ةديعب تافاسم ىلع دتمت<br />

.نيمثلا زنكلا اذه ىلإ مامتهاب رظنلاب ،ديرفلاو بيرغلل اهبح عم ،ةيسنامورلا<br />

كراشملا<br />

102


Participante<br />

103<br />

BAHAMONDE, Bahamonde<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Natural de La Coruña (España). Historiador <strong>del</strong> Arte. Genealogista. Ha participado<br />

en numerosos actos académicos sobre arte, historia y literatura en Europa y América.<br />

Comisario de exposiciones de arte y conferenciante. Cultiva la investigación en diversos<br />

campos de historia moderna y de arquitectura y urbanismo fundamentalmente <strong>del</strong><br />

siglo XIX y <strong>del</strong> XX. Pertenece a diversas instituciones dedicadas a la preservación <strong>del</strong><br />

patrimonio histórico y artístico, a cuya conservación ha dedicado muchos esfuerzos.<br />

Entre sus publicaciones señalamos: “Urbanismo vigués <strong>del</strong> siglo XIX” y “Heráldica<br />

en el claustro de la catedral de Santiago”.<br />

Título de la ponencia Relectura y paseo por la Alhambra<br />

Resumen de la ponencia<br />

La Alhambra, como obra cumbre de un dialogo cultural y artístico hispanomusulmán,<br />

marca un hito en el desarrollo de la historia <strong>del</strong> arte. Uno de<br />

sus logros más destacados es la unión perfecta de la arquitectura y de la<br />

naturaleza, ya sea pura, ya intervenida por el hombre. Esta unión parte<br />

en lo exterior de la utilización de volúmenes geométricos puros que se<br />

incardinan en la conformación <strong>del</strong> terreno y en la construcción interior de<br />

espacios ajardinados que se relacionan de forma primorosa con los espacios<br />

construidos. Como hilo conductor no podía faltar el agua, que une todo<br />

el conjunto y crea el jardín perfecto, visual, olfativo y sonoro, un todo para<br />

todos los sentidos, una unidad de percepción total, para contemplación y<br />

disfrute de todo el ser humano.


وّيروم يناطأ لاونام<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

ثوخداب ةنيدم برق اسومرا يروت يد اخنارق ةيرقب ويروم يناطأ لاونم دلو<br />

يدلاكلأو,ةيلبشاو اقاوثأك ندم ةدع ىلا لوحت مث ةينمز ةرتفل شاع ثيح اينابساب<br />

.ةلاحرو ملعم و بتاك وهو .سنيلوم يروتو,اريداوق<br />

ردصأ 2010 ةنس يف و "ركفأ" ايرعش اناويد رادصإب 1980 ةنس ةيبدلأا هتايح تأدب<br />

ةنس يفو ،اريبك لاابقا ىقلا يذلا "ةيجلثلا ةفصاعلا يف رابغلاك" لولأا يئاورلا هلمع<br />

حاجنب يظح يذلا "بحلا ديع موي أدب ءيش لك" يناثلا يئاورلا هلمع ردصأ 2012<br />

. ّيدقنلا ىلعو تاعيبملا ىوتسم ىلع كلذو,رهاب<br />

ةيبدأ لامعأ ةدع نلاا هيدلو .افيترن لايص"رادب ترشن دق ةيئاورلا هلامعأ ّنأ ركذُيو<br />

.يبدلأا هعادبإو هلمع ةلصاوم ىلا حمطي وهو ةيرعشو ةيئاورو<br />

رارسلأا رون ،ةزغلملا تاراعتسلاا ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

كلذ ناك ءاوس ّ يلايخ وأ ّ يعقاو ثدح ةءارق وأ عامتسلاا ىلع "ىور " لعف انّثحي<br />

.ةّيرعش ةقيرطب مأ ةطسبم ةقيرطب اغاصم<br />

ةنيدمب ةريصق ةرتفل يدجاوت للاخ اهتشع ةفيرط ةعقاو نع مكثدحأ نأ يل اوحمساو<br />

ةخسارلا تاملكلا ةعزعز ىلع ةرداق ةروصلا نأ ىلع ليلد هّنلأ .سنوتب يداولا قلح<br />

لحلا نع اثحب ةيقطنملا لمجلا ءاقتنلا كلذو لايخلاو عادبلاا ءايحاو ةركاذلا يف<br />

.هيلا اوبصن يذلا يبدلأا<br />

دقل ةيلقصب انتا لبج حفس ىلع سمشلا بورغ يف لثمتت تناك ةعئارلا ةروصلا كلت<br />

ةظحللا دح ىلا اهب ظفتحأ تيقبو رعاشملاو سيساحلأا لكب يتركاذ يف ةخسار تيقب<br />

ىلع ةربعم ةيرعش ةروصك ةقرولا ىلع ةريبك ةيانعب اهتغصف تزرب يتلا ةيرحسلا<br />

.يسحلا رثلأا<br />

لايخلاو ةقيقحلا نيب يعولاو كشلا نيب يلخاد عارص نع ربعت ةضماغ ةروص يه<br />

يفو توملاو دلوملا نيب ةهجولاو قفلأا نيب بنذلاو لايخلا نيب ةأرملاو عادبلإا نيب<br />

ةياور لكش ىلع ةروصلا هذه ةءارقب متخأسو ،ملأا ةأرملاو ةياورلا نيب فاطملا ةياهن<br />

,"ضومغلا ءوض" :ناونعب ةيرعش<br />

كراشملا<br />

104


Participante<br />

105<br />

ATHANÉ, Manuel Morillo<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Nació en Granja de Torrehermosa (Badajoz, España). Ha vivido en Granja de<br />

Torrehermosa, Azuaga, Sevilla, Alcalá de Guadaira, Villanueva de la Serena,<br />

Torremolinos, y en la actualidad reside en Colmenar Viejo (Madrid). Es escritor,<br />

maestro relojero, viajante, imaginador, trotamundos y comunicador.<br />

Su obra literaria comienza en 1980 con el poemario Pienso. En el 2010 llega su<br />

primera novela Como polvo en la ventisca, la cual obtiene una gran acogida entre<br />

los lectores. En el 2012, ve la luz su segunda novela Todo comenzó en San Valentín,<br />

una intrigante novela que logra un magnífico éxito, tanto en lo personal, de ventas,<br />

y honrosas críticas. Ambas novelas están editadas por Sial/Narrativa. Actualmente<br />

trabaja en varios proyectos literarios: narrativos y poéticos, con el objetivo de<br />

continuar su producción creativa.<br />

Título de la ponencia Metáforas enigmáticas, luz de los<br />

misterios<br />

Resumen de la ponencia<br />

Desearía significar la fuerza esencial de la palabra tanto oral como escrita<br />

en “el arte de contar”. Desarrollar la palabra “contar” como una suculenta<br />

expresión que nos incita a escuchar o leer, un suceso real o imaginario, sea<br />

formulado de una forma sencilla en los términos, o metafóricamente poética;<br />

a esta última me referiré a continuación: comentaré un pequeño episodio<br />

vivido el pasado mes de junio, tras una corta estancia en La Guolette (Túnez).<br />

Les mostraré cómo una imagen es capaz de remover las palabras grabadas<br />

en la mente hasta despertar a la inventiva o inspiración, con el fin de elegir<br />

las frases lógicas para la solución literaria que se pretende. Aquella imagen<br />

fue una genial puesta de sol en la ladera <strong>del</strong> volcán Etna (Sicilia), la guardé<br />

en mi cerebro junto a los muchos estímulos recibidos, y la retuve intacta<br />

hasta el minuto mágico en el que apareció y plasmé con esmero en el papel<br />

una fabulosa metáfora aclarativa <strong>del</strong> impacto sensitivo. Enigmática metáfora<br />

con una especial lucha interna: entre la duda y la conciencia; entre la verdad<br />

y la razón; entre la creación y la mujer; entre la fantasía y el pecado; entre<br />

el horizonte y el destino; entre el origen y la muerte; en definitiva: entre la<br />

historia y la mujer madre. Concluiré leyendo la mencionada metáfora en<br />

forma de relato poético con el título La luz <strong>del</strong> misterio.


روتساريبأ ساردنأ<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

.تانرتنلأا و ةزفلتلا و ةعاذلإا و ةفاحصلا يف هتريسم رّوط ينابسإ يفحص و بتاك وه<br />

لمجأب تجّوُت ةينابسلإا ةيرحبلاك انأ" : يتلآا وحنلا ىلع هتايح يروتساريبأ فّرع<br />

."مئازهلا ربكأ و لمجلا<br />

مسقب 1976 ةنس قحتلاو .ةيمسرلا ةسردملاب كلذ ناكو .ةفاحصلا بابشلا نمز سرد<br />

ةعاذلإاب اهمّدقو جماربلا نم ديدعلا رادأ مث ةينابسلإا ةينطولا ةعاذلإاب رابخلأا ريرحت<br />

دقف ّيزفلتلا هطاشنب قّلعتي اميف اّمأ .وريث ادنوُأ و ثوف ويدار و ةينابسلإا ةينطولا<br />

يليت و سارت انيتنا و ةينابسلإا ةزفلتلا يف جماربلا نم ديدعلا ميدقت ىلع فرشأ<br />

.ديردم يليت و يب يت يإ و روس لانك و وكنيث<br />

يف ةباتك دومع هل ص ّص ُخ ذإ ةفاحصلا لاجم يف لغتشا هّنأ اضيأ ةراشلإاب ريدجلا ّلعلو<br />

.ةيوهجلا و ةينطولا دئارجلا ضعب باسحل ايزفلت ادقان لمعو اسيبلوك و ودنوملآ<br />

هرشنب 1972 ةنس بدلأا ملاع يفحصلا هطاشن ىلإ ةفاضلإاب يروتساريبأ جلوو<br />

ةّيصصقلا ةعومجملا اهتلتو ."سلافلا نمز يف نمازتلا" ،ىلولأا ةيرعشلا هتعومجم<br />

ةنس ردصأو .)1994( "برلا و انأ" يلزهلا لاقملا و )1986( "افنوفنكناراكلا ةلزع"<br />

هادهأ و "سيركل تاملك" يعرف ناونع عم "ضيبلأا قارشلإا" هتاعومجم يناث 1999<br />

.هئانبأ دحأ ىلإ<br />

دقلو .يغامد للشب باصم امهدحأ نانبا هل و جوزتم هّنأ اهل ّصحمف ةّيلئاعلا هتايح اّمأ<br />

.ةهاعلا هذهب نيباصملا لافطلأاب ىنعت يتلا ودين ةيعمج يس ّسؤم دحأ ناك<br />

نيرشعلاو دحاولا نرقلا ةفاحص ةلخادملا ناونع<br />

كراشملا<br />

106


Participante<br />

107<br />

ABERASTURI, Andrés<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Es un escritor y periodista español, que ha desarrollado su carrera en prensa, radio,<br />

televisión e internet.<br />

Aberasturi ha definido su vida de la siguiente manera: «soy como la Armada Española,<br />

que ha logrado las más hermosas frases y las más grandes derrotas».<br />

Durante su juventud, cursó estudios de Periodismo en la Escuela Oficial. En 1976, pasa<br />

a formar parte <strong>del</strong> equipo de redacción de Informativos de RNE y, posteriormente, su<br />

carrera en radio se desarrolló con la dirección y presentación de diferentes programas<br />

en RNE, Radio Voz y Onda Cero. En televisión, ha dirigido y presentado programas<br />

en Televisión Española, Antena 3, Telecinco, Canal Sur, ETB y Telemadrid.<br />

En prensa, cabe mencionar que ha sido columnista en El Mundo y Colpisa y ha<br />

ejercido como crítico televisivo para el suplemento de algunos periódicos nacionales<br />

y regionales. Además de su actividad como periodista, Aberasturi también se ha<br />

adentrado en el mundo de la literatura. En 1972 vio la luz su primer poemario,<br />

Sincronía en tiempo de vals. A este primer libro siguieron un volumen de relatos,<br />

Las soledades de la Carancanfunfa (1986); y el ensayo humorístico Dios y yo (1994).<br />

En 1999, publicó su segundo poemario: Un blanco deslumbramiento que subtitula<br />

Palabras para Cris, dedicado a uno de sus hijos.<br />

Está casado y tiene dos hijos, uno de ellos con parálisis cerebral. Fue uno de los<br />

fundadores de la Fundación Nido, dedicada a la atención de estos niños.<br />

Título de la ponencia El periodismo <strong>del</strong> siglo XXI


ديبع ىحض<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

تايناسنلااو نونفلاو بادلآا ةّيلكب ينابسلاا بدلأا و ةينسللأا ةذاتسأ ديبع ىحض<br />

ديردمب)Autónoma( ةعماجب ةقمعملا تاساردلا ةداهش ىلع ةلصاح ،ةبونمب<br />

نيذاتسلأا فارشا تحت ،ديردمب سرانيا يدلااكلأ ةعماجب هاروتكدلا ةحورطأ رضحتو<br />

يهو ،ةيلودلاو ةينطولا تارمتؤملا نم ديدعلا يف تكراش .يمام اضرو رافلا سولراك<br />

ايسراق وكيريديف لامعأ ،نييسايسلا ةغل لمشت يتلا ثوحبلا نم ةعومجمل ةبتاك<br />

.ئراقلا لبق نم هلبقت ةسارد عم توشيك نود ةياور يف ةيبدلأا رهاظملا ضعب و اكرول<br />

ةيعمجلا يف ةوضع اّيلاح يهو ،اتنمقرف ةيبدلأا ةلجملل ةلسارم ةطخ لغشت امك<br />

ةمهمب علطضتو ،ةينابسلاا ةغللا يسرادل ةيلودلا ةيعمجلاو تايئايميسلل ةيلودلا<br />

.ةينابسلاا بادلااو ةغللا يسرادل ةيسنوتلا ةيعمجلا يف ماعلا بتاكلا<br />

ينابق رازن رعش يف ّ ينابسلإا ّيوثنلأا روضحلا ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

ةرضاح تناكف ،نيرصاعملا و ىمادقلا برعلا ءارع َشلا لايخ بهلت سلدنلأا تئتف ام<br />

زومرب مهدئاصق يف ةلثامو ،ةَيليبشإو ةطانرغو ةبطرقك ةفلتخم ءامسأب مهراعشأ يف<br />

،ةَيرجغلا ةروصك ةدَدعتملا هروصب يوثنلأا زمَرلا اروضح اهاوقأ َلعل ،عَونَتلا ةديدش<br />

،ةراتيقلا ىقيسومو وكنملافلا تاعاقيإ ىلإ ةفاضإ ةَيتوشيكنوَدلا ينسلود ةروصو<br />

رعش اهلزتخا دق يناعملا هذه َلك .يلاتشقلا قشعلا فنعو ناَتفلا يسلدنلأا لامجلاو<br />

روضحلا اذه عقو مجرتت ةفيثك روصب هدئاصق نم ريثكلا ترخز يَذلا يناَبق رازن<br />

.ةصلاخلا ةَينابسلإا ةهكَنلا يذ يوثنلأا<br />

كراشملا<br />

108


Participante<br />

109<br />

ABID, Dhouha<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Profesora titular de Lengua y Literatura Españolas en la Facultad de Letras, Artes y<br />

Humanidades de la Manouba (Túnez), y doctorando en las Universidades Autónoma<br />

de Madrid y Alcalá de Henares, donde prepara una tesis bajo la dirección de Carlos<br />

Alvar y Ridha Mami. Ha participado en varios congresos nacionales e internacionales,<br />

y es autora de trabajos que abarcan el lenguaje de los políticos, la obra de García Lorca<br />

y distintos aspectos <strong>del</strong> Quijote y de su recepción. Es corresponsal de la revista literaria<br />

Fragmenta(Univ. Autónoma de Madrid); miembro de la Asociación Internacional de<br />

Semiótica y de la Asociación Internacional de Hispanistas, es Secretaria General de la<br />

Asociación Tunecina de Hispanistas.<br />

Título de la ponencia La presencia femenina española en la poesía<br />

de Nizar Kabani<br />

Resumen de la ponencia<br />

Desde tiempos remotos hasta la actualidad, el mundo de El-<br />

Ándalus sigue suscitando sumo interés y avivando la imaginación de<br />

muchos poetas, tanto aquellos clásicos como los contemporáneos.<br />

De hecho, ocupa espacios peculiares en sus versos bajo diferentes<br />

denominaciones, a saber: Córdoba, Granada y Sevilla; y, por otra<br />

parte, a través de sus diversas representaciones simbólicas. Tal vez,<br />

uno de los más relevantes sea, precisamente, la presencia femenina<br />

en sus diferentes manifestaciones, como la figura de la gitana y la<br />

<strong>del</strong> emblemático personaje quijotesco, Dulcinea <strong>del</strong> Toboso. A todo<br />

esto, habría que añadir los indómitos ritmos de la música flamenca,<br />

las arrebatadas melodías que las finas cuerdas de la guitarra destilan<br />

sin cesar, sin que se nos olvide el impactante efecto de la abrumadora<br />

belleza andalusí, y la vehemente pasión castellana. Así, pues, todas<br />

estas abundantes imágenes de El-Ándalus, albergadas en los versos<br />

de Kabani, han sido un fiel y desbordante reflejo <strong>del</strong> impacto de la<br />

presencia femenina y su simbología más significativa, impregnada de<br />

pura esencia española.


دباعلا يحتف<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

يف دعاسم ذاتسا ،سيرابب نوبرصلا ةعماج نم هاروتكدلا ةداهش ىلع ل َصحتم<br />

سنوت(انيتوأ يف ينكس يح فاشتكا اهنيب نم تافلؤم ةثلاث هل و ،سنوت ةعماج<br />

طسوتملا ضيبلأا رحبلاو ،)2008 نامع ةنطلس( يلوح نم ملاعلاو ،)2003<br />

كراش )2012 ةبونم ةعماج(يسايسو يداصتقاو يعامتجا ليلحت ،ينامورلا يقيرغلإا<br />

.سنوت،انيتواب ةيرثأ تايرفح يف<br />

.ةكرتشم ةيفاقث روذج : اينابساو سنوت نيب نوَيقينيفلا ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

زكارملا نم ديدعلا دلايملا لبق نماثلا نرقلا و عساتلا نرقلا رخاوأ يف ترهظ<br />

وريت ةنيدم نم تَدتماو ،يطسوتملا ضوحلا قطانم بلغأ يف ةيقينيفلا ةيراجتلا<br />

رارقلا زكرم تناك يتلا سنوتب جاطرقب ارورم ،ينابسلاا بونجلا يف ثيداك ىلإ<br />

،ةيقينيفلا ةيراجتلا ةسايسلا قاطن يفو ،طسوتملا برغ لكل ةبقارملاو يسايسلا<br />

يتلا قطانملا بوعش عم ةيئانثلا تاقلاعلاو ةقادصلا ىرع ديطوتب اغلاب امامتها اولوأ<br />

لدابتلا تلاماعم رييست نسح يف لماع اذه دعاسو ايراجت اهيف نوطشني اوناك<br />

ريغ ،ايقيرفا لامش يف قطانم و ينابسلاا بارتلا لخاد اوقمعت مهنأ دح ىلإ يراجتلا<br />

تايناكملإاو ةحوتفم قافلآا اولعج لب ،ةيويحلاو ةيجيتارتسلاا مهحلاصمب نيفتكم<br />

.عساو تيص تاذ ةيريبياو ةيقينوب ةيفاقث قطانم نيوكتل ةحاتم<br />

كراشملا<br />

110


Participante<br />

111<br />

Abed, Fathi<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Es doctor por la Universidad de la Sorbona, profesor titular en la Universidad<br />

de Túnez. Es autor de varios libros publicados, entre otros, sus obras Uthina,<br />

descubrimiento de un barrio residencial (Túnez, 2003), El mundo me rodea(Al alam<br />

min Hawli), (Sultanato de Omán, 2008), El Mediterráneo greco<br />

Título de la ponencia Los fenicios entre Túnez y España: raíces<br />

culturales comunes<br />

Resumen de la ponencia<br />

A finales <strong>del</strong> siglo IX y comienzos <strong>del</strong> VIII A.C., empezaron a aflorar los<br />

centros de comercio fenicios diseminados a lo largo y ancho de la cuenca<br />

Mediterránea, abarcando desde Tiro, en Oriente, hasta Cádiz en Occidente,<br />

y pasando por Cartago, que constituyó también el centro de toma de<br />

decisiones político- militar de toda la parte Occidental <strong>del</strong> Mare Nostrum.<br />

Velando por sus actividades de intercambio comercial, los fenicios reforzaron<br />

sus lazos con los pueblos autóctonos a fin de facilitar aun más la actividad<br />

comercial, llegando incluso a adentrarse en las zonas más remotas <strong>del</strong> interior<br />

peninsular y <strong>del</strong> norte de África. Esta ponencia nos desvelará la estrechez<br />

de los lazos históricos entre los moradores de las orillas de la cuenca<br />

mediterránea, urdidos por unos sabios fenicios, y donde se hará hincapié en<br />

los puntos que más nos unen y hermanan, eso es, puntos convergentes, que<br />

confirman, aún más si cabe, las estrechas relaciones históricas que comparten<br />

Túnez y España.


يسابعلا نيسح<br />

ةزجوم ةيتاذ ةريس<br />

ذاتسأ .سنوتب بادلآا ةيلك نم ةينابسلإا بادلآاو ةغللا يف ةيذاتسلأا ىلع لصحتم<br />

ةلجملا لسارم .سداسلا هزنملا دهعمب ايلاح سرديو 1979 ةنس ذنم يوناثلا ميلعتلاب<br />

نيب يوناثلا ميلعتلا ةذتاسأ ةدئافل يجوغاديبلا ريطأتلا ىلع فرشأ ."اتنمقارف" ةيبدلأا<br />

.ةبونمب بادلآا ةيلكب ةيضرع ةفصب ينابسلإا بدلأا سرديو 1994و 1989 يتنس<br />

ةيعمجلاب وضعو اهبادآو ةينابسلإا ةغللا يسرادل ةيسنوتلا ةيعمجلا سيئر بئان<br />

يسرادل ةيلودلا ةيعمجلاو تايئايميسلل ةيلودلا .ةيئايميسلا تاسرادلل ةيسنوتلا<br />

ةغللا يسرادل ةيسنوتلا ةيعمجلا يف ماعلا بتاكلا ةمهمب علطضيو ،ةينابسلاا ةغللا<br />

.ةينابسلاا بادلااو<br />

رع َشلا روبع ةلخادملا ناونع<br />

ةلخادملا صخلم<br />

لمح نم َلكف ،"لَوحت" و"لَقنت" و "لمح" يقيرغلإا ناسللا يف ةراعتسلاا يناعم نم<br />

رع َشلا ىلع اذه قدصي .ىرخأ ىلإ لاح نم لَوحتي و ةرور َضلاب رَيغتي هب لَقنت و ائيش<br />

عضخي و هباوثأ رَيغتتف ،ىرخأ ىلإ ةفاقث نم و ناسل ىلإ ناسل نم لقتناف ،مجرت اذإ<br />

و اعَونتم ،ادَدعتم حبصي ىرخأ ىلإ ةَفض نم هروبعب رع َشلاف ،هلبقتسا نم ةطلسل<br />

ةبرجَتلا هذه .روبع ةبرجت ءيش َلك لبق يه رع َشلا ةمجرتف .ادحاو لصلأا ناك نإ<br />

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ينابسلاا و يبرعلا رع َشلا لقنب تنتعا يَتلا ةمجرَتلا لامعأ يف هدصر نكمي لاقتنلاا<br />

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ىقتلملا جمانرب 112


Programa <strong>del</strong> II Encuentro<br />

113<br />

ABASSI, Houcine<br />

Curriculum Vitae abreviado<br />

Licenciado en Filología Hispánica en la Facultad de Letras de Túnez. Es<br />

profesor titular de Enseñanza Media desde 1979; en la actualidad desempeña<br />

su actividad en el Liceo Menzah VI de Túnez. Es corresponsal de la Revista<br />

literaria Fragmenta. Ha sido asesor de lengua española en la Enseñanza Media<br />

de 1989 a 1994 y profesor temporal de literatura española en la Facultad de<br />

Letras de La Manouba.<br />

Es Vicepresidente de la Asociación Tunecina de Hispanistas y miembro de la<br />

Asociación Tunecina de Estudios Semióticos.<br />

Título de la ponencia La travesía de la poesía<br />

Resumen de la ponencia<br />

Algunos de los significados de la metáfora en la lengua griega ”llevar”,<br />

”desplazarse” y “convertirse”; pues, toda cosa llevada y transportada a otro<br />

sitio, cambia y adquiere, necesariamente, otro estado. Semejante criterio se<br />

aplicará a la poesía cuando es traducida, y, por ende, se haya mudado de un<br />

idioma a otro, teniendo que sucumbir a las normas de este último. Por otro<br />

lado, cuando la poesía pasa de una orilla a otra, se pluraliza y varia, si bien<br />

seguirá refiriendo el mismo origen. Asimismo, la traducción de la poesía es,<br />

ante todo, una dura travesía, con todo lo que conlleva e implica este término.<br />

Se trataría, pues, de una intensa experiencia en la que se ve inmerso el propio<br />

traductor a la hora de trasladar versos de una lengua a otra, un traslado que<br />

se dejaría entrever en mucho trabajos de traducción de la poesía árabe y<br />

española.


Ab<strong>del</strong>fatteh Ben Hammouda<br />

A<strong>del</strong> Khedher<br />

A<strong>del</strong> Maizi<br />

Aida María Bahamonde<br />

Andrés Aberasturi<br />

Baset Ben Hacen<br />

Basilio Rodríguez Cañada<br />

Branca Vilela<br />

Enrique Revuelta<br />

Essaid Attawi<br />

Fátima Ben Mahmoud<br />

Gloria Nistal<br />

Helena Cosano<br />

Jamil Amami<br />

Juan Castrillo Tablado<br />

Kamel Bouajila<br />

Khaled Hadaji<br />

Luis Farnox<br />

Manuel Athané<br />

Manuel Camacho Fernández<br />

Poetas participantes en los recitales<br />

Manuel Neila<br />

María Gracia<br />

Marie Alix De Saint<br />

Roman<br />

Mohamed Khaldi<br />

Mohamed Sghaier Awled<br />

Ahmed<br />

Moncef Ouheibi<br />

Mostafa Dhaya<br />

Nizar Hamidi<br />

Omama Zayer<br />

Ridha Abidi<br />

Ridha Mami<br />

Saber Abassi<br />

Sagrario Núñez Molina<br />

Salaheddine Ben Ayed<br />

Sandy García<br />

Slah Ben Ayed<br />

Sofyen Rajab<br />

كراشملا<br />

114


Participante<br />

115<br />

Informaciones<br />

Asociación Tunecina de Hispanistas<br />

II Encuentro tunecino-español de intelectuales y escritores 2012<br />

Túnez y España: Hermanados en la historia y la literatura<br />

<strong>del</strong> 29 de octubre al 05 de noviembre de 2012<br />

Programa <strong>del</strong> II Encuentro 2012<br />

Los organizadores :<br />

Asociación Tunecina de Hispanistas (ATH)<br />

Asociación Española de Africanistas (AEA)<br />

Editorial Pigmalión Edypro<br />

Los Directores <strong>del</strong> II Encuentro<br />

Ridha Mami<br />

Basilio Rodríguez Cañada


LUNES 05 DE NOVIEMBRE DE 2012<br />

MAÑANA<br />

(Sousse)<br />

08:30 h.: Desayuno y tiempo libre.<br />

11:30 h.: Salida hacia el aeropuerto de Túnez –Cartago<br />

TARDE (Aeropuerto de Túnez- Cartago)<br />

15:20 h.: Salida <strong>del</strong> vuelo destino Madrid.<br />

17:15 h.: Llegada estimada al aeropuerto de Madrid-Barajas<br />

Los idiomas oficiales <strong>del</strong> II Encuentro serán el español, el francés y<br />

el árabe, con traducción simultánea.<br />

Los organizadores<br />

Asociación Tunecina de Hispanistas (ATH)<br />

Asociación Española de Africanistas (AEA)<br />

Editorial Pigmalión Edypro<br />

Los Directores <strong>del</strong> II Encuentro:<br />

RIDHA MAMI Y BASILIO, RODRÍGUEZ CAÑADA<br />

ىقتلملا جمانرب 116


Programa <strong>del</strong> II Encuentro<br />

117<br />

DOMINGO 04 DE NOVIEMBRE DE 2012<br />

MAÑANA<br />

(Sousse -Susa)<br />

08:30 h.: Desayuno.<br />

09:00 h.: Salida hacia Sousse<br />

10:30 h.: Visita de la Medina de Sousse )casco viejo(<br />

13:00 h.: Almuerzo.<br />

TARDE<br />

(El puerto marítimo de Kantaoui)<br />

15:30 h.: Visita <strong>del</strong> puerto deportivo y turístico de Kantaoui.<br />

NOCHE<br />

(Hotel Kuria palace Monastir)<br />

21:00 h.: Cena de despedida.


SABADO 03 DE NOVIEMBRE DE 2012<br />

MAÑANA<br />

(Hammamet)<br />

08:30 h.: Desayuno.<br />

09:00 h.: Visita de la Medina de Túnez )casco viejo(.<br />

11:00 h.: Visita de la Ciudad de Hammamet y de su Centro<br />

Cultural Internacional.<br />

13:00 h.: Almuerzo<br />

TARDE<br />

(La Ciudad Púnica de Karkuan y Al-Hawariya)<br />

16:00 h.: Visita de los restos arqueológicos de Karkuan.<br />

17:00 h.: Visita de las cuevas de Al-Hawariya.<br />

NOCHE<br />

(hotel Marina Palace Hammamet)<br />

21:30 h.: Cena<br />

ىقتلملا جمانرب 118


Programa <strong>del</strong> II Encuentro<br />

119<br />

VIERNES 02 DE NOVIEMBRE DE 2012<br />

MAÑANA<br />

(La ruta de los moriscos)<br />

08:00 h.: Desayuno.<br />

10:00 h.: Visita <strong>del</strong> pueblo morisco de Testur.<br />

12:00 h.: Visita <strong>del</strong> pueblo morisco de Kalat Al-Ándalus.<br />

13:00 h.: Almuerzo.<br />

TARDE<br />

(Feria Internacional <strong>del</strong> Libro de Túnez)<br />

16:00 h.: Cuarto recital de poesía tunecino-español<br />

Mohamed Sghaier Awled Ahmed, Andrés Aberasturi, Moncef<br />

Ouheibi, Basilio Rodríguez Cañada, A<strong>del</strong> Khedher, Branca Vilela,<br />

Ridha Mami, Helena Cosano, Mohamed Khaldi, Luis Farnox,<br />

Kamel Bouajila, Juan Castrillo, Slah Ben Ayed, Manuel Neila,<br />

A<strong>del</strong> Maizi, Gloria Nistal, Fatima Ben Mahmoud, Sagrario Núñez,<br />

Omama Zayer, Manuel Camacho, Sandy García.<br />

21:00 h.: Cena<br />

NOCHE<br />

(Hotel Diplomat)


JUEVES 01 DE NOVIEMBRE DE 2012<br />

Octava Mesa Redonda-coloquio<br />

“Literatura y vida”<br />

Moderador: Mabrouk Mannai<br />

12:00 h.: kamel Zoghbani, La pregunta de la creación, la pregunta<br />

de la libertad.<br />

12:15 h.: María Bahamonde, ¿Cómo empecé a escribir?<br />

12:30 h.: Adem Fethi, Testimonio de mi experiencia poética.<br />

12:45 h.: Manuel Camacho Fernández, Por un mundo mejor.<br />

13:00 h.: Moncef Ouhaibi, Testimonio de mi experiencia literaria.<br />

13:15 h.: Branca Vilela, La literatura y la vida.<br />

TARDE<br />

(Biblioteca Nacional de Túnez Capital)<br />

15:00 h.: Visita <strong>del</strong> Museo <strong>del</strong> Bardo<br />

16:30 h.: III Soirée musical<br />

17:00 h.: Tercer recital poético de tunecino-español<br />

Baset Ben Hacen, Enrique Revuelta, Ridha Abidi, Basilio Rodríguez<br />

Cañada, Saber Abassi, Salaheddine Ben Ayed, Marie Alix De Saint<br />

Roman, Essaid Attawi, Branca Vilela, Sofyen Rajab,Mohamed Khaldi<br />

18:30 h.: Tendrá lugar una tertulia literaria, en la que se homenajeará<br />

a nuestro invitado de honor <strong>del</strong> II Encuentro: Andrés Aberasturi<br />

19:00 h.: Entrega <strong>del</strong> Premio Internacional de Poesía “Ciudad de<br />

Cartago” en su segunda edición.<br />

19:15 h.: Entrega <strong>del</strong> Premio” Certamen de poesía Fadhel Hamada<br />

” en su primera edición, para los estudiantes.<br />

19:30 h.: Descanso<br />

20:00 h.: Clausura oficial <strong>del</strong> II Encuentro.<br />

Discursos de: D. Chokri Mabkhout, rector de la Universidad de la Manouba<br />

Doña. Helena Cosano, en nombre de los participantes<br />

D. Aldo Ruffinatto, Presidente de la Asociación Internacional de Hispanistas<br />

D. mohamed Turki, vicepresidente de la Asociación Tunecina de Hispanistas<br />

ىقتلملا جمانرب 120


Programa <strong>del</strong> II Encuentro<br />

121<br />

JUEVES 01 DE NOVIEMBRE DE 2012<br />

MAÑANA<br />

(Universidad de la Manouba)<br />

Sexta Mesa Redonda-coloquio:<br />

“Túnez y España: Culturas y literaturas mediterráneas 2”<br />

Moderadora: Naila Sellini<br />

09:00 h.: Oumezine Ben Chikha, El arte y la memoria en la<br />

pintura de Salvador Dalí.<br />

09:15 h.: Mohamed Ali Yousfi, El- Ándalus en la literatura<br />

árabe: ¿un paraíso perdido o la liberación de un pueblo?<br />

09:30 h.: Basilio Rodríguez Cañada, Túnez y España: Historia y<br />

literaturas comunes.<br />

09:45 h.: Houcine Abassi, La travesía de la poesía<br />

Séptima Mesa Redonda-coloquio:<br />

“La literatura y el periodismo”<br />

Moderadora: Helena Cosano<br />

10:00 h.: Andrés Aberasturi, El periodismo <strong>del</strong> siglo XXI.<br />

10:15 h.: Racha Ettounsi, La literatura y el periodismo : El arte de la<br />

presentación de un libro.<br />

10:30 h.: Manuel Neila, La literatura y el periodismo, figuras de la<br />

superposición<br />

10:45 h.: Hacen Ben Othman, Testimonio de mi experiencia<br />

periodística- literaria.<br />

11:00 h.: Khemais khayati, El periodista como nexo de unión entre el<br />

cineasta y el novelista.<br />

11:15 h.: Maurilio de Miguel Lapuente, Literatura y periodismo:<br />

Fronteras abiertas.<br />

11:30 h.: Descanso


MIERCOLES 31 DE OCTUBRE DE 2012<br />

11:15 h.: Aymen Hacen, La religión <strong>del</strong> amor: Mohyeddine Ibn<br />

Arabi y José Ángel Valente.<br />

11:30 h.: Juan Manuel Riesgo, España y Túnez: Un encuentro y<br />

un reencuentro.<br />

11:45 h.: Visita de los vestigios de la Ciudad de Cartago<br />

TARDE<br />

(Palacio Al Yb<strong>del</strong>liya de Al-Marsa)<br />

16:00 h.: II Soirée musical<br />

16:30 h.: segundo recital poético de tunecino-español<br />

Kamel Bouajila, Juan Castrillo Tablado, Omama Ezzayer, Helena<br />

Cosano, Mohamed Sagair Awled Ahmed, Manuel Neila, Nizar<br />

Hamidi, Gloria Nistal, Khaled Hadaji, Sagrario Núñez Molina,<br />

Moncef Ouhaibi, Sandy García, Emilia Currás<br />

ىقتلملا جمانرب 122


Programa <strong>del</strong> II Encuentro<br />

123<br />

MIERCOLES 31 DE OCTUBRE DE 2012<br />

MAÑANA<br />

(Centro Fadhel Ben Achour de la Cultura de Al-Marsa)<br />

Cuarta Mesa redonda-coloquio<br />

“Novela histórica e historia novelada”<br />

Moderador: Aldo Ruffinatto<br />

09:00 h.: Sadiq Gsouma, La historia y la novela, observaciones<br />

preliminares<br />

09:15 h.: Héctor Huertas, La historia y la novela: Recorrido<br />

conceptual<br />

09:30 h.: Hasanin Ben Ammou, La novela histórica, un puente<br />

entre el ser y el devenir<br />

09:45 h.: Rym Zayani, Una aproximación gráfica a la novela<br />

de sagacidad y perspicacia árabe” shattaría” y a la novela<br />

picaresca española.<br />

10:00 h.: José Ruiz Mata, Literatura e historia.<br />

10:15 h.: Descanso<br />

Quinta Mesa redonda-coloquio:” Túnez y<br />

España: Culturas y literaturas mediterráneas 1”<br />

Moderadora: Faouzia Demnati<br />

10:30 h.: Sagrario Núñez Molina, Mi abuela no fue a la escuela.<br />

10:45 h.: Mabrouk Mannai, La poesía, ¿se puede traducir?<br />

11:00 h.: Hatem Bourial, Vicente Huidobro: de Cartagena de<br />

Chile a Cartago de Túnez.


MARTES 30 OCTUBRE DE 2012<br />

TARDE<br />

(Biblioteca Nacional de Túnez capital)<br />

Segunda Mesa redonda-coloquio<br />

“Leyenda, mito y referencia en la literatura”<br />

Moderador: Faouzi Zmerli<br />

16:00 h.: Juan Castrillo Tablado, La leyenda de la reina Dido según los<br />

autores de la comedia en el siglo XVIII.<br />

16:15 h.: Ridha Mami, La emigración <strong>del</strong> cuento de Oriente a<br />

Occidente.<br />

16:30 h.: Ala<strong>del</strong> Khidhr, El renacer <strong>del</strong> autor en forma de libro:<br />

Aljahadh, Attawhidi e ibnu Rochd.<br />

16:45 h.: Manuel Athané, Metáforas enigmáticas, luz de los misterios.<br />

17:00 h.: Dhouha Abid, La presencia femenina española en la poesía<br />

de Nizar Kabani<br />

17:15 h.: Luis Farnox, El mito en la literatura<br />

17:30 h.: Descanso<br />

Tercera Mesa redonda-coloquio<br />

“El arte de contar: de la tradición oral al relato corto”<br />

Moderador: Angeles Castillo Núñez<br />

17:45 h.: Faouzi Zmerli, La poética en la novela de “Bilara” de Al-bachir<br />

Khraif.<br />

18:00 h.: María Gracia Barber Cerdá, Vidas literarias.<br />

18:15 h.: Rachida Charni, Nuestra espantosa historia, interesante<br />

material para la creatividad.<br />

18:30 h.: Gloria Nistal Rosique, El arte de contar: de la tradición oral<br />

al relato corto.<br />

18:45 h.: Enrique Revuelta Lapique, El porvenir de la novela.<br />

19:00 h.: I Soirée musical<br />

Primer recital poético de tunecino-español<br />

Ab<strong>del</strong>fatteh Ben Hammouda, Manuel Athané, Fátima Ben<br />

Mahmoud,Aida María Bahamonde, Jamil Amami, María Gracia, A<strong>del</strong><br />

Maizi, Manuel Camacho Fernández, Mostafa Dhaya, Mohamed Ali<br />

Yousfi<br />

ىقتلملا جمانرب 124


Programa <strong>del</strong> II Encuentro<br />

125<br />

MARTES 30 OCTUBRE DE 2012<br />

MAÑANA<br />

(Biblioteca Nacional de Túnez Capital)<br />

09:00 h.: Acreditación de invitados y participantes<br />

09:30 h.: Recepción de asistentes<br />

10.00 h.: Inauguración <strong>del</strong> Encuentro<br />

Discursos de bienvenida<br />

- Su Excelencia, El Ministro de Cultura de Túnez, D. Mahdi<br />

Mabrouk.<br />

- Su Excelencia, El Embajador de España en Túnez, D. Antonio<br />

Cosano.<br />

- D. Rafael Rodríguez Ponga, Secretario General <strong>del</strong> <strong>Instituto</strong><br />

<strong>Cervantes</strong>, Madrid.<br />

- Decano de la Facultad de Letras, Artes y Humanidades de la<br />

Manouba, D. Habib Kazdaghli.<br />

- D. Ab<strong>del</strong>jelil Temimi, Presidente de la Fundación Temimi para la<br />

Investigación Científica y la Información.<br />

- D. Basilio Rodríguez Cañada, Director de la Editorial Pigmalión y<br />

Presidente de la Asociación Española de Africanistas.<br />

- D. Ridha Mami, Catedrático de la Facultad de Letras, Artes y<br />

Humanidades de la Manouba y Presidente de la Asociación Tunecina<br />

de Hispanistas.<br />

11:00 h.: Descanso.<br />

Primera Mesa Redonda-coloquio<br />

”Túnez y España: Hermanados en la historia y la literatura.”<br />

Moderador: Rafael Rodríguez Ponga<br />

11:30 h.: Jomaa Chikha, El palacio de la Alhambra: escenario de mitos.<br />

11:45 h.: Javier Bahamonde, Relectura y paseo por la Alhambra.<br />

12:00 h.: Mohamed Turki, Los moriscos entre las dos orillas <strong>del</strong><br />

Mediterráneo.<br />

12:15 h.: François Cherpion, La amistad mediterránea, Túnez y España.<br />

12:30 h.: Fathi Abed, los fenicios entre Túnez y España: raíces culturales comunes.


Prólogo<br />

El II Encuentro tunecino-español de intelectuales y escritores<br />

2012, que se celebra <strong>del</strong> 30 de octubre al 05 de noviembre de 2012, bajo<br />

el lema de” Túnez y España: Hermanados en la historia y la literatura”,<br />

constituye, sin lugar a dudas, una invitación abierta, en un marco único e<br />

inmejorable, a todos los escritores e intelectuales tunecinos y españoles,<br />

interesados en dar a conocer al gran público, su obra creativa reciente;<br />

todo ello auspiciado por la inspiración de la historia y la literatura<br />

tunecinas, una inspiración, por otra parte, plenamente armonizada con<br />

la lengua, la cultura y la historia españolas, que comparten millones de<br />

hispanoparlantes repartidos por el ancho mundo.<br />

El II Encuentro tunecino-español de intelectuales y<br />

escritores 2012 se estructura en diferentes bloques y actividades. En<br />

primer lugar, contará con la inestimable presencia de intelectuales y<br />

autores de gran prestigio, bagaje intelectual y de obra consolidada, que<br />

acudirán a entablar puentes para el diálogo directo, abierto, y que se<br />

espera fructífero y ameno con los asistentes, haciendo especial hincapié<br />

en la temática que nos ocupa en este II Encuentro, y que no es otra sino<br />

“Túnez y España: Hermanados en la historia y la literatura”. En segundo<br />

lugar, reconocidos autores tunecinos y españoles, que se desenvuelven<br />

con excelente soltura en los diversos géneros literarios, entre otros,<br />

la narrativa, el ensayo, la poesía, la prosa, el periodismo, etc., darán a<br />

conocer a los asistentes, en su mayoría ávidos lectores, versados en todo<br />

lo relacionado con la lengua y la literatura españolas, su obra creativa,<br />

dilucidando, de paso, las sinuosas pautas de un proceso creativo, donde<br />

dar con las claves de una nueva concepción literaria, suele ser una tarea<br />

ardua y de difícil manejo. En tercer lugar, una antología de recitales<br />

poéticos tendrá lugar en un ambiente inmejorable, donde harán las<br />

<strong>del</strong>icias de los asistentes a este II Encuentro, que tendrán la ocasión de<br />

apreciar de cerca, la estética impronta de la sensibilidad y la <strong>del</strong>icadeza<br />

sensoriales, con la que los propios autores impregnarán, al recitar sus<br />

versos, a sus creaciones poéticas. Del mismo modo, se fallará, el día<br />

de la clausura, el segundo Premio Internacional de Poesía “Ciudad de<br />

Cartago”. Finalmente, y para poner el broche de oro a las jornadas <strong>del</strong> II<br />

Encuentro, está previsto un programa completo de actividades lúdicas<br />

y culturales, entre otros, presentaciones de libros, actuaciones musicales<br />

tanto folclóricas como comprometidas, visitas culturales a lugares<br />

emblemáticos donde se respira la esencia histórica de Túnez a través de<br />

más de 3000 años.<br />

ىقتلملا جمانرب 126


Programa <strong>del</strong> II Encuentro<br />

127<br />

Prólogo<br />

Asociación Tunecina de Hispanistas<br />

II Encuentro tunecino-español de intelectuales y escritores 2012<br />

Túnez y España: Hermanados en la historia y la literatura<br />

(<strong>del</strong> 29 de octubre al 05 de noviembre de 2012)<br />

Desde que se tiene conocimiento de la génesis poética, la excelencia<br />

creativa de los hombres, no ha cejado nunca en su empeño, porque los<br />

dardos recurrentes de la nostalgia poética, atinen el blanco de aquella<br />

tierra prometida, fuente original de felicidad, inocencia e inspiración<br />

poéticas: a saber, Arcadia, Cartago, Beirut, Bagdad, El Ándalus y la<br />

tierra de “Sham”; estos apelativos, referentes a ciudades y enclaves<br />

míticos, metas de poetas nostálgicos, que transgredieron toda limitación<br />

geográfica impuesta, y rompieron sucesivos eslabones de inflexibles<br />

épocas históricas, no hacen sino afianzar esa tendencia de vuelta a las<br />

raíces fundacionales de la creatividad poética, sin referir traba alguna<br />

por parte de dos referentes esenciales: el tiempo y el espacio. Asimismo,<br />

poetas, maestros <strong>del</strong> verbo, escritores y libres pensadores, emigraban<br />

a la búsqueda de su anhelada ciudad ideal o un paraíso perdido, o un<br />

edén prometido. Por otro lado, y tenida cuenta la universalidad de la<br />

característica y la proyección de los asentamientos poéticos en la tierra,<br />

que se antojan, ante todo, humanos, no tardará en emerger una inercia<br />

arrolladora, que aunará esfuerzos para transgredir tabús, e ir más allá de<br />

toda obstinación nacionalista, y vencer cualquier obcecación identitaria.<br />

Así, pues, se trataría de una inercia que destilaría positivismo, y que<br />

debería llevarnos a la construcción de puentes intercontinentales, por<br />

los que cruzasen infinidad de lenguas e idiomas diversos; luego, se<br />

retomarían tratados inconclusos, dándoles perspectivas innovadoras,<br />

que los resaltase por encima de los demás contratos y convenios sociales,<br />

letalmente monótonos. En efecto, serían contratos donde confluyesen<br />

pensamientos dispares, dialogasen culturas opuestas e interactuasen<br />

las diferencias en un nuevo espacio público, eso es, un contexto que<br />

haría las veces de un mecanismo aglutinador de sólidos convenios de<br />

amistad y generosos tratados de hospitalidad, que se extienden allende<br />

los confines de la ciudad…


Concepción y diseño: Rym Zayani

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