Videha_01_01_2009_Tirhuta
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िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्पया र् दहेज निह लयबाक कारँ काकेँ एतेक ताड◌ि◌त कयलजाइत अिछ जे ओ ायः आहा धिर क’ लैत अिछ। एतबे निह कखनह ु-कखनह ुतँ दहेजक लोभमे लोक अपन पी केँ घरक आन सदक संग िमिल कए हा सेहोक’ दैत छैक। एहन भावनाक पिरचय हमरा मिणप िलिखत एका ंकी नाटक ‘तेसरकिनया’ ँ मे भेटैत अिछ जािहमे दहेज ा करबाक लेल तण पीढ◌◌ी एव ं ओकरमाय-बाप नरभक्षी बिन द ू-टा काकेँ सुाह क’ देलक। एतय दहेज पीड◌ि◌ताककण चीार सुनल जा सकैत अिछ----षोडसीः “हम जीबय चाहै छी राजा, जीबय चाहैत छी, हमरा खोलबा िदअ।राितए एिह रोगी व ृसँ हमर िववाह एिह कारँ भेल जे हमरा सुलक्षणाहेबाक कारँ ई निह मरताह। हाय रे सुलक्षणा ! राितमे िववाह भेलआ आइ हम जरय जा रहल छी।व ृाःचुप पिपिनया ँ।षोडसीः हमरा बचा िलय राजा, हम जीबय चाहै छी।” 12एिह कुथा आ अितक ापारसँ क्षु भ’ नाटककार यं कहैत छिथ—“आरे ितलक आ दहेजक िपशाच, एिह देशक नारीकेँ आिसहसँ पोसल बेटी सभकेँ सुआिद-सुआिद खो।” 13भारतक संदभर्मे दहेजक कारँ घरेलु िहंसाक समाकेँ एिहचौ ंकाब’ वला तसँ ब ुझल जा सकैत अिछ। मानव संसाधन िवकास म ंालयक एकटाआ ँकड◌◌ासँ होइछ जे एतय ितिदन सोलह नारीक दहेजक कारँ हाहोइत छैक, लगभग सिर ितशत ामीण आ नगरीय पिरवार एहन अिछ जािहमेको को पमे नारीक िव िहंसा भ’ रहल छैक।98
िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २वेाविृमास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्वेावि ृ भारतीय समाजक कैंसर िथक। एिह लंत समासँ हमरसमाज तेना िसत अिछ। जे ओकरा आसात करबाक शि छैक आ ओकरा अ करबाक सामर् छैक। एतबा तँ िनिव र्वाद पेँ ीकार कयल जा सकैछजे ो नारी जजात वेा निह बत अिछ, ुत पिरिितक मािरक कारँ ओ एिहधाकेँ ीकार करैत अिछ जकर कितपय सामािजक प ृभूिम िथक जे एकर िनमा र्णमेसमान पेँ सहयोग दान करैत आयल अिछ। वेाक सामािजक मया र्दा छैकआ सामािजक ाणी ओकरा इितक दृ िसँ देखैत अिछ। तथािप ओकर समािजकपक्ष एहन अिछ जे ो ेया तँ ो पिरिितसँ लाचार भ’ समाजमे जीिवत रहबाकहेतु एिह धाकेँ ीकार क’ लैत अिछ। उष र् युगक मैिथली नाटककार नारीकेँउृंखल ओ पमे देखबाक आका ंक्षी निह छिथ, िकएक तँ जीवनक गहन अयनकपात् ओ अभव कएलिन जे समाजक आधार नारी िथक। िकु स्ीक ित पुषककुित मविमे ृ अािप को पिरवतर्न निह देखबामे अबैत अिछ। पािरवािरकजीवनमे अपन अिसँ सता आ संतोष उ कएिनहािर नारीकेँ डेग-डेग परपितसँ समझौता करय पड◌◌ैत छैक।आधिनक ु समाजमे कितपय एहन पित छिथ जे पीकेँ पी निह बिझुकेवल हार-मा ँस वाली नारीक पमे देखैत छिथ। ओ अपन ाथ र् िस करय लेलपीकेँ अिचत यौन ापार कर’ लेल ोािहत करैत अिछ जकरा वेाविक ृ नामदेब सव र्था उिचत ब ुझना जाइत अिछ। करीमे पदोित ा करबाक लेल नारीकसद ुपयोग करबाक विक ृ िदश र्न हमरा निचकेताक ‘नाटकक लेल’ मे भेटैतअिछ। एकर पा श ंकर सतीकेँ वेाविक ृ िदस धकेिल रहल छिथ। सतीक संारइा एव ं मानिसकता सव र्था एकर िवरोध करैत अिछ, िकु पुष धान समाजमेओकर मह निह रिह जाइत अिछ। ओ अपन इाक ितकूल पर-पुषक अंक-शाियनी बत अिछ जे ओकर िनरीहताक पिरचायक कहल जा सकैछः-सतीः “(ोधसँ असंव ृत भए चीार करैत)अहा ँ हमरा वेा बना रहल छी,अहा ँ अपन मकेँ बेिच रहल छी,99
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िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २वेाविृमास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्वेावि ृ भारतीय समाजक कैंसर िथक। एिह लंत समासँ हमरसमाज तेना िसत अिछ। जे ओकरा आसात करबाक शि छैक आ ओकरा अ करबाक सामर् छैक। एतबा तँ िनिव र्वाद पेँ ीकार कयल जा सकैछजे ो नारी जजात वेा निह बत अिछ, ुत पिरिितक मािरक कारँ ओ एिहधाकेँ ीकार करैत अिछ जकर कितपय सामािजक प ृभूिम िथक जे एकर िनमा र्णमेसमान पेँ सहयोग दान करैत आयल अिछ। वेाक सामािजक मया र्दा छैकआ सामािजक ाणी ओकरा इितक दृ िसँ देखैत अिछ। तथािप ओकर समािजकपक्ष एहन अिछ जे ो ेया तँ ो पिरिितसँ लाचार भ’ समाजमे जीिवत रहबाकहेतु एिह धाकेँ ीकार क’ लैत अिछ। उष र् युगक मैिथली नाटककार नारीकेँउृंखल ओ पमे देखबाक आका ंक्षी निह छिथ, िकएक तँ जीवनक गहन अयनकपात् ओ अभव कएलिन जे समाजक आधार नारी िथक। िकु स्ीक ित पुषककुित मविमे ृ अािप को पिरवतर्न निह देखबामे अबैत अिछ। पािरवािरकजीवनमे अपन अिसँ सता आ संतोष उ कएिनहािर नारीकेँ डेग-डेग परपितसँ समझौता करय पड◌◌ैत छैक।आधिनक ु समाजमे कितपय एहन पित छिथ जे पीकेँ पी निह बिझुकेवल हार-मा ँस वाली नारीक पमे देखैत छिथ। ओ अपन ाथ र् िस करय लेलपीकेँ अिचत यौन ापार कर’ लेल ोािहत करैत अिछ जकरा वेाविक ृ नामदेब सव र्था उिचत ब ुझना जाइत अिछ। करीमे पदोित ा करबाक लेल नारीकसद ुपयोग करबाक विक ृ िदश र्न हमरा निचकेताक ‘नाटकक लेल’ मे भेटैतअिछ। एकर पा श ंकर सतीकेँ वेाविक ृ िदस धकेिल रहल छिथ। सतीक संारइा एव ं मानिसकता सव र्था एकर िवरोध करैत अिछ, िकु पुष धान समाजमेओकर मह निह रिह जाइत अिछ। ओ अपन इाक ितकूल पर-पुषक अंक-शाियनी बत अिछ जे ओकर िनरीहताक पिरचायक कहल जा सकैछः-सतीः “(ोधसँ असंव ृत भए चीार करैत)अहा ँ हमरा वेा बना रहल छी,अहा ँ अपन मकेँ बेिच रहल छी,99