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Videha_01_01_2009_Tirhuta

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िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सँ इ निह लािग रहल अिछ ? िक िमिथलाके पावन मािटमें सिहश ्ताक सिरता आबसन ्तक शीतल बसात बिहरहल अिछ । धन ्य छी हम जे हमर जनम िमिथलाकमािटमें भेल अिछ ।धीरेन ् मिष र्जीक गीत सकारात् मकतासँ भरल अिछ । समस ्या िकएक निहबडका होबय आ को तरहके होय िनरास निह होयवाक चािह आओर सिदखन धैय र्—धारणकय सकारात् मक सोच रािखकय आगा ँ बढवाक चािह । संगिह जािह तरहसँ मा ँ–बाप अपन सन ्तानक लेल सिदखन सकारात् मक दृष िटकोण ् राखैत छिथ, वएह तरहसँसंतानक कतर्व ्य होइछ जे ओ सभ अपन व ुढ मा ँ–बाप ित विहनाइते दृष िटकोण ्अपनावैत । गीतके शुके जे चार पाित“संझ ुका सुरजक लाल िकिरिनया, निह राितक इ िनशानी छैिछट छल जे भोर िपिरितया, तकरे मध ुर कहानी छै” ।सकारात् मकताक ोतक अिछ । एकर संगिह“सोना गढीके इएह फल पौलक, अप बिन गेल तामसनवाह ब ुढवा तैओ वाजैए, हमर बेटा रामसन” इ पाितसँ मा–बापके अपन सन ्तानक ितगाढ माया ममताक बोध करारहल अिछ ।नरेन ्कुमार िमाजीक गीत इ बतारहल अिछ िक संसारमे म, स ्ह, माया–ममता अिछ तएँ संसार एतेक सुन ्दर अिछ । यिद म, स ्ह, माया–ममता हटा देलजाय त संसार िनरस भजाएत आ िनरस लाग लागत । तएँ हेतु एक दोसरकित म, स ्हक आदन–ादान होनाइ आवश ्यक अिछ ।“आिख देखय त सिदखन सुन ्दर स ृजनठोर अलगय त िनकलय मध ुरगर बचन”पाती सँ म आ स ्ह वषा र् भरहल अिछ, लािग रहल अिछ ।विरष ्ट सािहत् यकार, किव, गीतकार य डा◌ राजेन ् ◌िवमल जी आचन ्शेखर ◌शेखर जीके गीत अप अपनमे उत् कृष ्ट आ िविशष ्ट अिछ । िहनकासभक गीत सम ्बन ्धमे िवशेष िकछु निह किहके िहनका सभक गीतक िकछु पाित उध ृतकयरहल छी, सबटा बखान कैय देत ।84

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