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Videha_01_01_2009_Tirhuta

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िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्लोक – सािहक संश्क्षण मा एिह लेल जरी निह अिछ जे ओ अतीतक एकटा वुिथक; ओ अपन समयक िवमश र् आ आवाचन सेहो होइत अिछ आ एकटा ितमानउपित करैत अिछ । ओकर पक, तीक , भाव आ िशक उपयोग िलिखतसािह मे हम सभ अपन-अपन ढंग सँ करैत रहैत छी । तिहना िलिखत सािहसेहो लोक-सािह केँ भािवत करैत रहैत अिछ ।लोक-सािह संब ंधी अयन मुत: ान आ कालक िनधारण र् पर केित रहल अिछ ।ओकर काय, र् अिभाय आ अथ र् सँ संबिधत ं अख उपेिक्षत अिछ । मैिथली मेतऽ लोक-सािह संब ंधी अयन अखन ठीक सँ शुओ निह भेल अिछ । जे पोथीअिछ, तािह मे लोक-सािहक पिरभाषा आ स ूची उअपित कयल गेल अिछ ।लोक-कथाक उपल संकलन सभ मे ओहन कथाक संा बेसी अिछ जे देशा ंतरणककारँ मैिथली मे आयल अिछ। मैिथलीक अपन लोक – कथा, जकरा खा ँटी मैिथलकिह सकैत िछऐक , से कम आयल अिछ ।रामलोचन ठाकुर ारा संकिलत मैिथली लोक-कथा, जकरा हम अपन एिह अंत संिक्षअयनक आधार ब छी, ताहू मे खा ँटी मैिथली लोक-कथा के अिछ । लोक-कथाक अिभाय आ अथ र् संब ंधी अपन बात कहबाक लेल जािह द ूटा कथाक चयन हमकय छी, से अिछ — ‘एकटा ब ुढ़ि◌या रहय ‘ आ ‘ एकटा िचनता खेिलऐ रओ भैया‘।एिह द ुन ू कथाक वातावरण िवशु मैिथल अिछ । द ुन ू क िवमश र् , आवाचन आितमान मैिथल-मानसक अप अिछ । द ुन ू कथाक िवमश र् ाय पर कें ित अिछ ।पिहल कथाक ब ुढ़ि◌या दािलक एकटा फा ँक लेल बरही, राजा , रानी , आिग, पािन आहाथी केँ ाय पयबाक खाितर ललकारैत अिछ, िकएक तऽ ख ुी ओकर दािल का लेछैक आ दऽ निह रहल छैक ।र्ूूकथाक िवमश पाक प मे एना भेल अिछ – हाथी – हाथी – हाथी ! समुसोख समु । समु अिगन िमझाबय , अिगन । अिगन रानी डेराबय , रानी। रानी राजा ब ुझाबिथ , राजा । राजा बरही डा ँड़िथ , बरही । बरही ख ुी चीड़य , ख ुी। ख ुी दािल िडअय , दािल । की खाउ , की पीब , की लऽपरदेसजाउ।जाइत अिछ । चुी तैयार भऽ जाइत छैक । फेर तऽ चुीक डरँ हाथी ,हाथीक डरँ समु , समुक डरँ आिग , आिगक डरँ रानी , रानीक डरँ राजा ,राजाक डरँ बरही ाय करक लेल तैयार भऽ जाइत छैक आ ख ुी ब ुढ़ि◌या केँ दािलदऽ दैत छैक ।74

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