Videha_01_01_2009_Tirhuta

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िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्यं शोधपरक दृ ि आ िच रखिनहार मोदान बाब ू िजज्ञासु लोकिनक मदितकरबालेल सदित तर रहैत रहिथ। हमरा कमसँ कम द ू अवसरपर एकर लाभभेटल। हम १९८७-८८मे िबहार िही अकादमी, पटनाक अरोधपर िबहारक एकप ूव र् मुम ंी पं. िवदान झाक जीवनी िलिख रहल छलहु ँ मुदा हुनकर व ंश-पिरचयकतहु ा निह छल। आधा-िछधा भेटबो कयल तँ ामािणक निह। हम कैकटापंजीकारसँ एिह समे िजज्ञासा कयलहु ँ मुदा थ र्। मा मोदान बाब ू स ूचना देलिनजे हुनकर एक पिरजन . िगिरजान झा गंगाक दिक्षण बसल मैिथल ाण आ पंडासभक व ंशावली तैयार करबाक ु यास कयलिन आ अपना संग िशवनगर ित हुनकरघरमे जाऽ ओिह संहमे िवदान झाक व ंश पिरचय तकबाक चेो कयलिन, मुदाहुनकर पंजी-पोथी सभ वित आ संगिठत निह भेलाक कारँ से संभव निहभेल। जे हो, हमरा ई अव ज्ञात भऽ गेल जे यिद . िगिरजान झाकपोथी-पंजी वित निह कयल गेलिन तऽ गंगाक दिक्षण बसल मैिथल ाण लोकिनकप ूव र्जसँ सित महप ूण र् स ूचना सभ लु भऽ जेतैक िकयैक तँ िगिरजान बाब ूकपिरवारमे आन िकनकहु पंजीकारीक वसायमे िच निह छिन। दोसर अवसर छलजखन भारतीय इितहास शोध पिरषदक अरोधपर हमरा पिण ू र्या ँ िजलाक धमदाहााममे उ सुिवज्ञात इितहासकार ोफेसर जगदीश च झाक अंजीमे िलखलिवलक्षण पोथी “माइशन ऐड एचीवमेट्स ऑफ मैिथल पंिड: िद माइैट ौलस र्ऑफ िमिथला (८००-१९४७)क १९९० मे समीक्षा िलखबाक छल। ओिह पोथीक पिरिशमेकम-सँ-कम तीन पंिडत (१) महामहोपााय नन िस दीनबु झा, (२) म.म.भवनाथझा आ(३)म.म.गुणाकर झा केर व ंश पिरचय देल छल िकु लेखककेँ हुनका लोकिनकम ूल ज्ञात निह भऽ सकलिन। मोदन बाब ू क्षण भिर ान भेलाह आ कहलिन जेई लोकिन मशः खौवालय सुखेत, नरौ प ूरे आ खौवालय नाहस म ूलक छलाह।एतय ई कहब आवक जे म ूल आ एक-द ू खाढ़ि◌क िक नाम देल रहलापर आनसित स ूचना देव संभव छैक मुदा उपयु र् उदाहरणमे तँ उनटा बात छैक आतैयो मोदाने बाब ू सन पंजीकार छलाह जे वािछत ं स ूचना ताल देबामे समथ र्भेलाह। ओ ओिह पुकमे उििखत पह खनाम म ूलक िस िवान ् गोकुलनाथ,हुनक िपता पीतार आ पु रघ ुनाथक िवषयमे बतौलिन जे ओ तीन ू िमिथलाक बारहसडयी अथवा सव र्ज्ञाता िवान ् मे सँ छलाह। गोकुलनाथक िपतामहक नाम रामभछलिन, रामच निह। एतबिह निह ओ इहो बतौलिन जे िमिथलाक एक घ ुमड़ िवान ्ककरौर वासी पड़वे महेपुर म ूलक गुणाकर झाक एक व ंशज धीरे झा सेहो छलाहजे आइसँ लगभग चािर सय वष र् प ूव र् ब ंगाल जाय ओतुा ाण सभक पंजी-स ूचनाकसंशोधन-संवर्नक ममे अक ातर ि सभकेँ ाणक पमे पंजीमेपिरगिणत कय देलिथन। अपन पंजी-पोथीमे उ धीरे झा अपनाकेँ आ अपनिपताकेँ पंजी पंचानन किह सोिधत कयलिन अिछ। एहन कतेको स ूचना मोदान बाब ूिजज्ञासु ि सभकेँ दैत रहैत छलिथन।68

िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ओ अपन समाजमे अपन िवता, उदारता आ सहज सम्षणीयताक कारँ सव र्समादृत रहिथ। हम जखन छट छलहु ँ, आइसँ ायः पचास वष र् प ूव , र् ओ हमर गामिवुपुर अथवा पिण ू र्या ँ शहर ित हमर डेरा आबिथ तऽ सूण र् पिरवार हुनकरसानमे स रहैत छल। ओ सभक छुइल भोजन किहयो निह कयलिन। बेसी कालसभ सामी दऽ देल जाइन तऽ ओ अपन पाक अपनिह करिथ। हमरा ब ूझल अिछजे कैक बेर हमर सभसँ जेठ िपी, पिण ू र्या ँक अ समादृत ओकील आ भिर िबहारमेसभसँ बेसी अविध धिर सरकारी ओकील रहिनहार . किपलेर िम अपन हाथें हुनकालेल पाक करिथन। हमरा पिरवारमे तऽ हुनका सदैव सान भेटबे करैत रहिनमुदा अो कम निह। एक बेरक घटना सुनबैत ओ कह छलाह जे ओ वतर्मानबा ंा देशक एक मैिथल ाण बहुल गाम बोधगाम गेल छलाह जतय हुनका चुरिवदाइ तऽ भेटबे कयलिन ओतुका लोक सभ हुनकर पएर पखािर चरदक सेहोले रहिन।मोदान बाब ू अपन िचनमे एक तरहेँ गितशील आ सुधारक सेहो रहिथ। हुनकरचेा रहिन जे पंजीकार लोकिन मा अिधक सँ अिधक धनाजर्न मे लािग अपन विकृिताथ र् सेहो सोचिथ। हुनका ई नीक निह लगिन जे पंजीकार सभ एक दोसराकित ेष भावसँ काय र् करिथ। हुनकर इा रहिन जे सभ िमिल पंजी आओरपंजीकारक संाकेँ जीव बनाबिथ तथा समाजमे हुनका सभकेँ जे आदर ा रहिनतकर लाभ लए समाजकेँ िदशा िनदेर्श देिथन। ओ राजदरभंगाक िनदेर्शमे चिल रहलपंजी वाक जातंीकरणक पक्षमे रहिथ जािहसँ ाण समाजक सभ वकितिनिध िमिल ओिहना परमानगी दय जातीय रीकरणमे समय-समयपर वािछतंपिरवतर्न करिथ जेना राज दरभंगाक तावधानमे अतीतमे कैक बेर कयल गेलछलैक। जे को ाण पिरवार पंजी-वा िविहत रीितसँ नीक वैवािहक सकरिथ तिनकर रोयन करबाक ओ पक्षमे रहिथ। १९६६ मे हमर िपी ड◌ॉ.रामेर िमक िववाह जखन सोनपुर (उजान) वासी िस ोिय ाण . द ुगे र्रठाकुरक कासँ िर भेलिन तँ मोदान बाब ू राजसँ परमानगी ा करबामे तऽसहयोगी भेबे केलिथन, सौराठमे अिधका ंश पंजीकारक बैसक बजाय सभक सहमितसँहमर िपतामह लाल िमक सभ सित लेल कौली पािजक ँ ापना सेहोकरबौलिन। ओ ायः खभगड़◌ा (अरिरया िजला) वासी . बालकृ झाक पिरवार आकितपय आ पिरवार लेल एह रोयनक पक्षमे रहिथ। हुनकर म रहिन जेजमीारी थाक उूलनसँ आन अक संाक संग पंजी वाक सेहो बड़ क्षितभेलैक। जमीार लोकिन पररा आ संृितक सोषक रहिथ मुदा आब हुनकरान लेिनहार सरकार अथवा को आन संा से काज तािह पेँ निह कऽ पािब रहलअिछ। पंजीकार लोकिनक द ुद र्शाक एक कारण जमीारक समाि सेहो भेल। हुनकासोष रहिन जे पटनाक मैिथली अकादमी सन संा हुनक जीवन पय र्क सेवाकमाता दय हुनका सािनत कय छलिन, मुदा से संभव भेल छल अकादमीक69

िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्यं शोधपरक दृ ि आ िच रखिनहार मोदान बाब ू िजज्ञासु लोकिनक मदितकरबालेल सदित तर रहैत रहिथ। हमरा कमसँ कम द ू अवसरपर एकर लाभभेटल। हम १९८७-८८मे िबहार िही अकादमी, पटनाक अरोधपर िबहारक एकप ूव र् मुम ंी पं. िवदान झाक जीवनी िलिख रहल छलहु ँ मुदा हुनकर व ंश-पिरचयकतहु ा निह छल। आधा-िछधा भेटबो कयल तँ ामािणक निह। हम कैकटापंजीकारसँ एिह समे िजज्ञासा कयलहु ँ मुदा थ र्। मा मोदान बाब ू स ूचना देलिनजे हुनकर एक पिरजन . िगिरजान झा गंगाक दिक्षण बसल मैिथल ाण आ पंडासभक व ंशावली तैयार करबाक ु यास कयलिन आ अपना संग िशवनगर ित हुनकरघरमे जाऽ ओिह संहमे िवदान झाक व ंश पिरचय तकबाक चेो कयलिन, मुदाहुनकर पंजी-पोथी सभ वित आ संगिठत निह भेलाक कारँ से संभव निहभेल। जे हो, हमरा ई अव ज्ञात भऽ गेल जे यिद . िगिरजान झाकपोथी-पंजी वित निह कयल गेलिन तऽ गंगाक दिक्षण बसल मैिथल ाण लोकिनकप ूव र्जसँ सित महप ूण र् स ूचना सभ लु भऽ जेतैक िकयैक तँ िगिरजान बाब ूकपिरवारमे आन िकनकहु पंजीकारीक वसायमे िच निह छिन। दोसर अवसर छलजखन भारतीय इितहास शोध पिरषदक अरोधपर हमरा पिण ू र्या ँ िजलाक धमदाहााममे उ सुिवज्ञात इितहासकार ोफेसर जगदीश च झाक अंजीमे िलखलिवलक्षण पोथी “माइशन ऐड एचीवमेट्स ऑफ मैिथल पंिड: िद माइैट ौलस र्ऑफ िमिथला (८००-१९४७)क १९९० मे समीक्षा िलखबाक छल। ओिह पोथीक पिरिशमेकम-सँ-कम तीन पंिडत (१) महामहोपााय नन िस दीनबु झा, (२) म.म.भवनाथझा आ(३)म.म.गुणाकर झा केर व ंश पिरचय देल छल िकु लेखककेँ हुनका लोकिनकम ूल ज्ञात निह भऽ सकलिन। मोदन बाब ू क्षण भिर ान भेलाह आ कहलिन जेई लोकिन मशः खौवालय सुखेत, नरौ प ूरे आ खौवालय नाहस म ूलक छलाह।एतय ई कहब आवक जे म ूल आ एक-द ू खाढ़ि◌क िक नाम देल रहलापर आनसित स ूचना देव संभव छैक मुदा उपयु र् उदाहरणमे तँ उनटा बात छैक आतैयो मोदाने बाब ू सन पंजीकार छलाह जे वािछत ं स ूचना ताल देबामे समथ र्भेलाह। ओ ओिह पुकमे उििखत पह खनाम म ूलक िस िवान ् गोकुलनाथ,हुनक िपता पीतार आ पु रघ ुनाथक िवषयमे बतौलिन जे ओ तीन ू िमिथलाक बारहसडयी अथवा सव र्ज्ञाता िवान ् मे सँ छलाह। गोकुलनाथक िपतामहक नाम रामभछलिन, रामच निह। एतबिह निह ओ इहो बतौलिन जे िमिथलाक एक घ ुमड़ िवान ्ककरौर वासी पड़वे महेपुर म ूलक गुणाकर झाक एक व ंशज धीरे झा सेहो छलाहजे आइसँ लगभग चािर सय वष र् प ूव र् ब ंगाल जाय ओतुा ाण सभक पंजी-स ूचनाकसंशोधन-संवर्नक ममे अक ातर ि सभकेँ ाणक पमे पंजीमेपिरगिणत कय देलिथन। अपन पंजी-पोथीमे उ धीरे झा अपनाकेँ आ अपनिपताकेँ पंजी पंचानन किह सोिधत कयलिन अिछ। एहन कतेको स ूचना मोदान बाब ूिजज्ञासु ि सभकेँ दैत रहैत छलिथन।68

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