Videha_01_01_2009_Tirhuta
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िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अयिनहार लोकिन लेल िसाािद िलखिथन। ततबे निह ओऽ िनरस ू बाब ूक पुलोकिनकेँ पंजी-ज्ञान सेह् देलिथन आ आइयो कािलकाद बाब ू गु पिह हुनकाित ा रखैत छिथ।मोदान बाब ू पंजीकारीक वसायसँ जे धनाजर्न करिथ तािहसँ सु छलाह। िसािलखबासँ तथा िवदाइसँ हुनका पया र् कमाइ होइन आओर खेत-पथारसँ सेहो नीकआय होइत छलिन।कमाइसँ बेसी हुनकर अिभिच ज्ञानक िवारमे आ पंजीसँ सित िवषयपर शोधकरबामे छलिन। मैिथलीक महान ् िवान, आलोचक आ समीक्षक ड◌ॉ. रमानाथ झाक संगओऽ प ृथक-प ृथक िविभ म ूलक िवात छिव, िवान ् आ राजा-जमीार सबहक व ंश-पिरचय तैयार करबा िदस व ृ भेलाह आ तकरिह पिरणाम छल पिण ू र्या ँक िसबली राजव ंशक पिरचयाक पुक अलयीकुल काशक काशन। आन एहन कारककृ निह तैयार कयल जा सकल तकर हुनका भ छलिन। हुनकर शोधपरकसोचक अंग छल एक अ पिरयोजना जािहक अत िविश गाममे बसिनहार मैिथलाण सभक बीजी पुष धिरक पिरचयाक िववरण तैयार करब अभी छल। ओऽसव र्थम कोइलख गामक समे एहन रचना िलखलिन। ओऽ हमरा तकर कितपय अंशसुबो कयलिन। हुनकर इा रहिन जे उ रचनाक काशन हो मुदा से आइ धिरनिह भऽ सकल अिछ। उपयु र् द ुन ू कारक शोध पिरयोजनाक पंजीकार समाजमेसामातः आलोचना भेलैक िकयैक तँ ओऽ अपन रचनामे एह िववरणक सिवेशकरय चाहैत रहिथ जे पंजीकारीक वसायमे कािशत करब विजर्त कहल जाइतछैक- वुतः ओऽ िववरण सभ द ूषण पीक अंग होइत छैक जािहमे ि आऽपिरवार िवशेषक समे ज्ञात अशोभनीय आ अका बात उििखत रहैत छैक।एिह ममे एक तेसर पिरयोजना, जािहपर ओऽ उैस सय पचासिहक दशकमे काय र्आर कयलिन छल, ओहन पीकार पिरवार लग उपल पाुिलिपक संह करब जािहपिरवारमे आब ो पंजीकारीक वसायमे निह रिह गेल रहिथ आ हुनकर पंजी-पोथीसभ न भऽ रहल छलिन। िपताक म ृु भऽ गेलासँ हुनकर दरभंगा सकर् घिटगेलिन आ पिण ू र्या ँमे पािरवािरक सिक बनमे अपेक्षाकृत बेसी समय लगबयपड़िन। तथािप हुनकर शोध-दृ ि बनल रहलिन आऽ ओऽ अपेक्षा करिथ जे सामािजकिवज्ञानमे आधिनक ु शोध तकनीकसँ पिरिचत ो ि हुनका संग रिह उपयु र्पिरयोजना सभ तँ प ूण र् करबे करिथ पंजीसँ सित आआन िवषयपर काजकरिथ। हुनकर ई अिभलाषा निह प ूण र् भेलिन मुदा हुनक पु मोहनजी, जेपीकारीक पैिक वसायमे लािग िमक पेँ कौिलक िताक िवार कय रहलछिथ। आ अकरणीय पसँ िपभ सेहो छिथ, एिह िदशामे भिवमे ियाशीलभऽ सकैत छिथ।67