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Videha_01_01_2009_Tirhuta

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िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ं''से के कहलकौ?" हम अकचकाइत पुछिलऐ।''अही गामक भोला कामित। ओ हमर मामा िछये।" गश िबहु ँिस रहल छल, जेनाओ को बडका जानकारी हािसल क' ले छल।''कत' छौ भोला?"''भोर मे आयल रहै। द ुपहिरया मे चिल गेलै। भोरे अहा ँ केँ बस पकड◌◌ैतअचानके देखलकै तँ बाजल, ''ई तँ धी भैया लागै छौ रे गसबा!" हमकहिलऐ, ''हँ, धीरजी...बड◌का पकार िछये! तो ं कोना िचै छक?... " आ तखनओ मारते सब टा कहलक।... आगा ँक बात ओ छौ ंड◌◌ा हमरा संग मे अपिरिचत देिखनइ ँबाजल।''गेलौ कत' भोला?" हम बात केँ भोला िदस मोड◌लहु ँ।''ओ बदरपुर मे रहै छै। काि-परस ू धिर फेर अयतै। एै दोकान शु करैवलाछै! "एते काल मे हम ओकरा दोकानक भीतर राखल बे ंच पर बैिस चुकल रही।महानंद जीसेहो। गस चाह बनब' लागल छल।सहसा महानंद जी बजलाह, ''एत' तँ डेग-डेग पर अपन मैिथल भेिट रहलाह अिछआ से मैिथली मे बजैतो छिथ। अपना दरभंगा-मध ुबनी मे चाह-पानवलाक कोनकथा, िरावला धिर केओ मैिथली मे जवाब नइ ँ देत।हमरा िकछु बाजब जरी नइ ँ ब ुझायल। चाहक पािन एखन खदिकए रहल छलै िकगश पुछलक, ''िकछु खयबो करबै, सर? "''हँ! किह हम महानंद जी िदस तकलह ु ँ, ''अंडा लैत छी की?... लैत होइ तँआमलेट-टो बनबा ली!"''हँ, िलय!" क्षणभिर िबलमक' ओ बजलाह, ''यौ धीरजी, आब द ूध-दही लोक केँभेटै नइ ँ छै। सागो-पातक दाम नइ ँ पुछू, आिग लािग गेल छै।ितलकोड◌कतआ कते साल भ' गेल, जीह पर नइ ँ गेल। तखन ईहो सब नइ ँ खाइतँ जीबी कोना? फेर िवज्ञा कहै छै जे ई पोिक चीज िछये।"49

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