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Videha_01_01_2009_Tirhuta

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िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सिकतहु ँ। अंतत: हम अपन जेब मे हथोिडय़◌ा देब' लगलहु ँ जे माछक इ ंतजामभ' सकै छै वा निह!...हाले मे हम अपन सेठक कृपा सँ महीनबारी गुलामी सँ मु कयल गेल छलहु ँ। आबहम तथाकिथत 'तं' िदहाड◌◌ी मजद ूर छी। आ िदहाड◌◌ी पर खट'वलक कपार मेजे बौअयनी िलखल रहै छै, से हमरो संग छल। आ तेँ ओत' सँ एत' आयल मैिथललोकिन सँ भेंटघाट सेहो िकछु बेसी भ' रहल छल। से एक टा एह भेंट मे हमरएक ामीण कहलिन, ''बाउ, ई नगर तेजाबक नदी िथक जािह मे अपन मैिथले टानिह, को म बािढ◌ मे भिसआइत माल-जाल, घर-ार आ लोकवेद जका ँिनपायअिछ।"िक मधेपुरा-िसंहेर िदस सँ आयल एक टा युवक बाजल, ''हौ भैया!,बाजार, मशीनआ सीमेंट तर दबैत-मरैत लोकक नगर िछयह ई।"''हँ, भाइ, ठीक कहलह! मुदा ओत' दलदलो मे जकरा जगह नइ ँ भेटलै, ओ एत',बादक ढेरी पर सही, एक टा नव िमिथला तँ बसबै छै!..." बजैत-बजैत हमहकम' लागल रही आ भीतर पसेना-पसेना भ' गेल रहय।से लगातार एह सन मन:िित सँ गुजिर रहल छलहु ँ हम। आ, यैह पिछला पखकग िथक। एक सा ँझ िवापित बाबाक बरखीक हकार प ूर' हम एडा गेलहु ँ। ओत'बहुत िदन पर भेटलाह, बतौर कलाकार दरभंगा सँ आयल िमिथला नरेशक अंितमपुरोिहतक परपौ महानंद झा। आयोजक सँ प ूराप ूरी िवदाइअसिल ू अटैची डोलबैत फराक भेले छलाह िक हम नमा कयिलयिन। बहुत बरखकभेंटक बादो िचलिन आ एक कात ल' जाक' हाल-चाल प ूछ' लगलाह।गक म मे ओ बेर-बेर एर-ओर ताकिथ। िक हम पुछिलयिन, ''िकनको तकैछीकी?"''हँ यौ! दरभंगक कमीशनर साहेबक बेटा एत' ोफेसर छिथ। ओ हमरा अपनाओत' ल' जाइवला छलाह। देिखयौ , हुनकर आह देिख हम अपन सभ श ंसककेँिनराश क' देिलयिन। सा ंसद जी धिर सँ लाथ क' लेलहु ँ। असल मे होटल मे हमराजिहना जेल ब ुझाइ अिछ, तिहना ता सभक ठाम मेला ब ुझाइछ। तेँ हम कतहुजाइ छी तँ अप को समा ँगक घर रहै छी।" चेहराक बेचैनीक बादहु महानंदजीक र समधानल छलिन।''से तँ नीके करै छी!" हुनक बेचैनी कम करबाक लेल हम आ कयिलयिन,''कह छिथ, तँ अिबते हेताह!"47

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