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Videha_01_01_2009_Tirhuta

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िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्बहराइत अर्न अरा केँ इ-बेर संग रभसैत, डेिट ंग िफ करैत ईा र् आोध सँ देखै छी।राष्पित भवनक िपछुआडक जंगल मे एक िदन एक टा बेल गाछ लगककाल ठमकल रही। ओकरा जिड◌ मे िकछु मािटक महादेव फेकल छल, िकछुिनमा र् आ कातक झोंिझ मे को सा ँपक छोड◌ल कें चुआ पुरबाक िसहकीमे डोिलरहल छल। हमर आिख ँ क्षणभिरक लेल मुना गेल। ओत’ एह सन एकटा बेल गाछतर हमर बालपनक ियाक गदिन र् भूत मचोडऩ◌े छलै। ओकरा मौनी मे कामधकचूड◌◌ा ओिहना नजिर पड◌◌ै अिछ!... मुदा हम कतहु ँ हेरायल-भोितआयल नइ ँरही।हम राष्पित भवनक िपछुआिड◌क जंगल मे ओही बेल गाछ लग ठाढ◌ रही।हमराओही आसपास मे एक टा अबलक िरपोिट ंग र् करबाक छल जत’ सँ किरयाघोड◌◌ाक नालक गिलंग होइत छलै। से ओिह बेरहट-बेरा मे भुखायल सन हमअपन िरपोट र् प ूरा करबाक ओिरआओन क’ रहल छलहु ँ िक अचानक एक टा गमक हमरािवचिलत क’ देलक। गाम मे नवका धान-चूड◌◌ा कुटैकाल जे गमक बहराइत छल,एकदम वैह गमक छल! आिसनक बसात अगहनी भ' गेल छलै।... मुदा हमर मनबताह हेबाक सीमा धिर अवसाद भ' गेल।ओिहना एक सा ँझ कुतुब मीनार लग सँ गुजिर रहल छलहँ। ु एक टा छौ ंड◌◌ी अपन संगीछौ ंड◌◌ा केँ जोर-जोर सँ बता रहल छलै जे ओकर सपना मीनारक एकदम ऊपर सँिदी देखैत रहबाक छै। हम सिद र्आयल भुइ ँ पर लगाओल पुआरक सेजौट परकसपना मन पाडय़ लगलहु ँ िक तख हमरा मोबाइल पर बीड◌◌ी सा ँग बाजल। छोटकीमामक फोन छल। ओ कत-कत बाजिल, ''देिखयौ यौ भािगन बाब, ू आब हम कीकरबै!... बैमनमा सब हुनका सी.बी.आई. सँ पकड◌◌ा देलकिन। फुिसयेपाइ लेबाकनाटक मे ओझराक'...।" हमर मामा इनकम टैकस कमीशनर। हम एक-द ू बेर गेलछी हुनका 'रेजीडेंस' पर, मुदा हमरा डेरा मोबाइल पर हुनका लोकिनक सिद र्आयलर आ िकछु एसएमएस टा आयल अिछ। तखन अपनाभीतरक भाव कबैत हम की आ कोना बाजल, से मन नइ ँ अिछ। हमर अदना-सनपकार काज नइ ँ अयलिन, अप पाइ वा जे कथ ुक एकबाल!... से बात जे-से।मोबाइल ीच-ऑफ क' हम जेब मे रखनिह रही िक हमर मन-ाण एक टा टटकागमक सँ सराबोर भ' गेल। धिनया, सिरसो सभ देलाक बाद झोर मे टभकैतमाछक तीमन सँ घर-आ ँगन मे जे गमक पसिर जाइत छै, सैह गमक हमरा मतौजा रहल छल। हम अगल-बगल िहयासल जे कतहु ककरो घर वा झ ुी मे रारहल होयतै, मुदा ओिह झोलअारी मे हमरा चाभर जंगल-झाड◌ आ करकटकअार छािड◌, िकछु तेहन नइ ँ देखा पड◌ल जत' ओिह गमकक ोत ठेकािन46

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