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Videha_01_01_2009_Tirhuta

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िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्नाम लैत जहर खा लेलक मुदा समये पर अताल पहुचाओल गेल आ जान विचगेलैक । जंगली आिग जका ँ वात सौसे पसिर गेल । मुदा ओकरा लेल धन-सन। को ितिया को हलचल – सव िकछु िवुल सामा । असलमे एकतरफा म छलैक । वात ओकरो तक जर गेल हेतै –लेिकन ओ वेहद गीरजे छिल । Eng. Hons. Gr oup मे ट◌ॉप कैलक । मुदा ओ जमाना वड़ वेजाएछलैक । लड़का – लड़कीमे बाता र्क संचार निह होइत छलैक । लाख कोिशशक वादहमरा आ िदशक मुँहसँ कं ाुलेसन श निह फुटल – निहए फुटल ।कालेज आ संवेदनशील घटना – संवेदनशील घटना आ कालेज – जेना एकदोसरक पया र्य रहैक । कतेक वात भेल । कतेक घटना घटल । मुदा पिहपाचारक म त शु होवऽ । िदश वहुत वातक जानकारी करा सकैए – ओिहपािन क’ जे अइ । जभूिम आ कम र्भूिम पाल भेलाक कार बहुत रास अपनलोक छुिट गेल । ओना सीमा निह ब ुझाइत छैक मुदा सकर् जे टुिटगेल अिछ ।मुदा एकटा वात । एिह सि-ल पर जीवाक अपन मजा छैक । कौखनउरािभमुख, कौखन दिक्षणािभमुख । द ूटा संृित िमित जीवनक उुता – जिनुपुछू । पहाड़क गीत खोलामे झहिरकऽ समुक लहिरमे िवलन भऽ जाइत अिछ ।भास द ू-मुदा भाव एके –ऐन-मेन । “जहा ँ जहा ँ वाछौ ितमी, म पाइला विनपयाई रहछु “ तु जहा ँ-जहा ँ चलेगा, मेरा साया साथ होगा” ।पहाड़क गीतक सभर्मे १९७१ ई. क एकटा सा ंझ मोन पडैत अिछ ।काठमाडौ सँ द ूर उर वालाज ुउानसँ उपर पहाडीपर Engl i sh LanguageTr ai nni ng I nst i t ut e ारा आयोिजत वनभोज समारोह । नाच करैए ओसव । कोन लड़का-कोन लड़की-नाचमे फकर् निह व ुझायत । िनिव र्कार । िनिव र्कारभऽ नाचत आ गाओत । मुदा एर, अपना समाजमे ल कलाके ुिटता निहहोवऽ दैत छैक । गीत गओलक राममिण । सूण र् मली अिभभूत आ म ंमुभऽ गेल । पहाडमे केवल िनजीर् व पाथरे निह होइत छैक । एकटा िशक्षाथीर् –एकटा िशिक्षकाक आिखसँ ँ र झहडऽ लागल आ सम वातावरण जेना जड़ भऽ गेल।, ओ गीत एख किहयो काल हंमरा मन-ाणके जेना आोिलत कऽ जाइत अिछ– “कोई जव तुारा दय तोड़ दे .......... “ द ुम पहाडी गाममे एह गीतगाओल जाइत अिछ- आ ओतुो लोक ओकर ताय र् बिझ ू िवभोर भऽ जाइत अिछ –हमरा आय र् लािग गेल ।ओइ िदन हम पहाडक आिख ँ रायल देख रही । । िनेह ।हमरा जत सैकड़◌ौ-हजारो वष र् पिह, को युगमे ओइ गीत सँ बहुत बेसी,कैएक गुना वेसी दद र्-भरल गीत सुिन पहाड जे कण न के हैत तकरे38

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