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Videha_01_01_2009_Tirhuta

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िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्चाह पीबए खाितर कल रहए लेिकन...!!हमहु ँ ओिह चाहबलाक दोकानपर रोज कैत रही- अगर ब ुढ़ ीमाता निञ भेिटतए तँहमहु ँ ओिह समयमे चाहक दोकापर रिहतहु ँ ...फेर पता निञ...)- चाह िपबैक तँआदित निह रहए मुदा ठंढ़◌ाक चलते पीिब लैत रही।कहुना इ ंीूट पहु ँचलहु ँ..ओिहठाम घटनाक स ूचना पहु ँिच गेल रहए...इ ंीूट द ू िदकालेल ब कऽ देल गेल। छाक घरबलाकेँ सेहो सिचत ू कए देल गेल, हमहु ँ ब ुझलमोनसँ घर घ ुरए लगलहु ँ, घर घ ुरैत काल वैह ब ुढ़ि◌या ओहीठाम भेटल...ओिहना घोघतन...लग जाऽ कए सभ घटना सुलाक बादो ओऽ को जवाब निह देलक...िकछुकालक बाद कहलक...बौआ हमरा भूख लागल यऽ!!की खेबए!!! हम पुछिलयए।चूड़◌ा आऽ शर..जवाब भेटल।संयोग एहन रहए जे ताऽ तक हम सभ तरहक समान िकनबाक वाे कोदोकानपर निह गेल रही, कारण घरमे काज करए लेल बहुत आदमी रहए दोसरघरक सभसँ छोट रही। तैयो दोकानपर गेलहु ँ आरो ब ुढ़◌ी-माता लऽ चूड़◌ा-शरकीिन कए अनलहु ँ।िकछु देरक बाद हम पुछलहु ँ..कतए जेबही, हम पहु ँचा देबौ।“कतहु निञ”, जवाब भेटल।“रहबीही ं कतए”, हम पुछलहु ँ।“यैह जगह” सीधा जवाब भेटल।“खाना कतए खेबही ं ”...पुछलापर जवाब भेटल- “ तू ँ ख ुआ, बेशी बक-बक निञ कर,खाइ लेल दे फेर तू पुिछहेँ जे प ूछए के छौ”- िबुल खल जवाब सेहोभेटल। संगिह ेहसँ कहलक- “तू ँहो खो”।हम तँ अजीब मुिश्कलमे पड़ि◌ गेलहु ँ..ओकरा अकेले छोड़ि◌ कए जाइ के मोन सेहोनिञ करैत रहए...आिखर की करी...बहुत सोचलाक बाद िनण र्य लेलहु ँ..जे हुअए एकरा22

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