Videha_01_01_2009_Tirhuta

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िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्८.िन-लोप : िनिलिखत अवामे शसँ िन-लोप भऽ जाइत अिछ:(क)ियायी य अयमे य वा ए लु भऽ जाइत अिछ। ओिहमेसँ पिह अकउारण दीघ र् भऽ जाइत अिछ। ओकर आगा ँ लोप-स ूचक िच वा िवकारी (’ / ऽ)लगाओल जाइछ। जेना-प ूण र् प : पढ़ए (पढ़य) गेलाह, कए (कय) लेल, उठए (उठय) पड़तौक।अप ूण र् प : पढ़’ गेलाह, क’ लेल, उठ’ पड़तौक।पढ़ऽ गेलाह, कऽ लेल, उठऽ पड़तौक।(ख)प ूव र्कािलक कृत आय (आए) यमे य (ए) लु भऽ जाइछ, मुदा लोप-स ूचकिवकारी निह लगाओल जाइछ। जेना-प ूण र् प : खाए (य) गेल, पठाय (ए) देब, नहाए (य) अएलाह।अप ूण र् प : खा गेल, पठा देब, नहा अएलाह।(ग)स्ी य इक उारण ियापद, संज्ञा, ओ िवशेषण तीन ूमे लु भऽ जाइतअिछ। जेना-प ूण र् प : दोसिर मािलिन चिल गेिल।अप ूण र् प : दोसर मािलन चिल गेल।(घ)वतर्मान कृदक अिम त लु भऽ जाइत अिछ। जेना-प ूण र् प : पढ़◌ैत अिछ, बजैत अिछ, गबैत अिछ।अप ूण र् प : पढ़◌ै अिछ, बजै अिछ, गबै अिछ।(ङ)ियापदक अवसान इक, उक, ऐक तथा हीकमे लु भऽ जाइत अिछ। जेना-प ूण र् प: िछयौक, िछयैक, छहीक, छौक, छैक, अिबतैक, होइक।अप ूण र् प : िछयौ, िछयै, छही, छौ, छै, अिबतै, होइ।(च)ियापदीय य , हु तथा हकारक लोप भऽ जाइछ। जेना-प ूण र् प : छि, कहलि, कहलहँ, ु गेलह, निह।अप ूण र् प : छिन, कहलिन, कहलौ, ँ गेलऽ, नइ, निञ, ।९.िन ानारण : को-को र-िन अपना जगहसँ हिटकऽ दोसरठाम चिलजाइत अिछ। खास कऽ इ आ उक समे ई बात लाग ू होइत अिछ।मैिथलीकरण भऽ गेल शक म वा अमे जँ इ वा उ आबए तँ ओकर िनानािरत भऽ एक अक्षर आगा ँ आिब जाइत अिछ। जेना- शिन (शइन), पािन(पाइन), दािल ( दाइल), मािट (माइट), काछु (काउछ), मासु(माउस) आिद। मुदातम शसभमे ई िनयम लाग ू निह होइत अिछ। जेना- रिकेँ रइ आ सुधा ंशुकेँ208

िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सुधाउं स निह कहल जा सकैत अिछ।१०.हल(◌्)क योग : मैिथली भाषामे सामातया हल (◌्)क आवकता निहहोइत अिछ। कारण जे शक अमे अ उारण निह होइत अिछ। मुदा संृतभाषासँ जिहनाक तिहना मैिथलीमे आएल (तम) शसभमे हल योग कएल जाइतअिछ। एिह पोथीमे सामातया सूण र् शकेँ मैिथली भाषासी िनयमअसारहलिवहीन राखल गेल अिछ। मुदा ाकरणसी योजनक लेल अावक ानपरकतहु-कतहु हल देल गेल अिछ। ुत पोथीमे मिथली लेखनक ाचीन आ नवीनद ुन ू श ैलीक सरल आ समीचीन पक्षसभकेँ समेिटकऽ वण र्-िवास कएल गेल अिछ। ानआ समयमे बचतक सिह ह-लेखन तथा तकिनकी दृ िसँ सेहो सरल होबऽवलािहसाबसँ वण र्-िवास िमलाओल गेल अिछ। वतर्मान समयमे मैिथली माभाषीपय र्केँआन भाषाक मामसँ मैिथलीक ज्ञान लेबऽ पड़ि◌रहल पिरमे लेखनमे सहजतातथा एकपतापर ान देल गेल अिछ। तखन मैिथली भाषाक म ूल िवशेषतासभकुित निह होइक, ताहूिदस लेखक-मल सचेत अिछ। िस भाषाशास्ी डा.रामावतार यादवक कहब छिन जे सरलताक असानमे एहन अवा िकहु आबऽदेबाक चाही जे भाषाक िवशेषता छा ँहमे पिड जाए। हमसभ हुनक धारणाकेँ प ूण र्पसँ स लऽ चलबाक यास कएलहँ ु अिछ।पोथीक वणिवास र् कक्षा ९ क पोथीसँ िकछु माामे िभ अिछ। िनरर अयन,असान आ िवेषणक कार ई सुधाराक िभता आएल अिछ। भिवमे आनहुपोथीकेँ पिरमािजर्त करैत मैिथली पापुकक वणिवासमे र् प ूण र्पेण एकपताअनबाक हमरासभक य रहत।कक्षा १० मैिथली लेखन तथा पिरमाजर्न महे मलंिगया/ धीरे मिष र् संयोजन-गशसाद भराईकाशक िशक्षा तथा खेलकूद मालय, पाम िवकास के,सािठमी, भपुरसवािधकार र् पाम िवकास के एव ं जनक िशक्षा सामी के, सािठमी, भपुर।पिहल संरण २०५८ बैशाख (२००२ ई.)योगदान: िशवसाद साल, जगाथ अवा, गोरखबहाद ुर िसंह, गशसाद भराई, डा.रामावतार यादव, डा. राजे िवमल, डा. रामदयाल राकेश, धमे र् िवल, पा धी,नीरज कण, र् रमेश रनभाषा सादन- नीरज कण, र् पा झा2. मैिथली अकादमी, पटना ारा िनधािरत र् मैिथली लेखन-श ैली209

िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्८.िन-लोप : िनिलिखत अवामे शसँ िन-लोप भऽ जाइत अिछ:(क)ियायी य अयमे य वा ए लु भऽ जाइत अिछ। ओिहमेसँ पिह अकउारण दीघ र् भऽ जाइत अिछ। ओकर आगा ँ लोप-स ूचक िच वा िवकारी (’ / ऽ)लगाओल जाइछ। जेना-प ूण र् प : पढ़ए (पढ़य) गेलाह, कए (कय) लेल, उठए (उठय) पड़तौक।अप ूण र् प : पढ़’ गेलाह, क’ लेल, उठ’ पड़तौक।पढ़ऽ गेलाह, कऽ लेल, उठऽ पड़तौक।(ख)प ूव र्कािलक कृत आय (आए) यमे य (ए) लु भऽ जाइछ, मुदा लोप-स ूचकिवकारी निह लगाओल जाइछ। जेना-प ूण र् प : खाए (य) गेल, पठाय (ए) देब, नहाए (य) अएलाह।अप ूण र् प : खा गेल, पठा देब, नहा अएलाह।(ग)स्ी य इक उारण ियापद, संज्ञा, ओ िवशेषण तीन ूमे लु भऽ जाइतअिछ। जेना-प ूण र् प : दोसिर मािलिन चिल गेिल।अप ूण र् प : दोसर मािलन चिल गेल।(घ)वतर्मान कृदक अिम त लु भऽ जाइत अिछ। जेना-प ूण र् प : पढ़◌ैत अिछ, बजैत अिछ, गबैत अिछ।अप ूण र् प : पढ़◌ै अिछ, बजै अिछ, गबै अिछ।(ङ)ियापदक अवसान इक, उक, ऐक तथा हीकमे लु भऽ जाइत अिछ। जेना-प ूण र् प: िछयौक, िछयैक, छहीक, छौक, छैक, अिबतैक, होइक।अप ूण र् प : िछयौ, िछयै, छही, छौ, छै, अिबतै, होइ।(च)ियापदीय य , हु तथा हकारक लोप भऽ जाइछ। जेना-प ूण र् प : छि, कहलि, कहलहँ, ु गेलह, निह।अप ूण र् प : छिन, कहलिन, कहलौ, ँ गेलऽ, नइ, निञ, ।९.िन ानारण : को-को र-िन अपना जगहसँ हिटकऽ दोसरठाम चिलजाइत अिछ। खास कऽ इ आ उक समे ई बात लाग ू होइत अिछ।मैिथलीकरण भऽ गेल शक म वा अमे जँ इ वा उ आबए तँ ओकर िनानािरत भऽ एक अक्षर आगा ँ आिब जाइत अिछ। जेना- शिन (शइन), पािन(पाइन), दािल ( दाइल), मािट (माइट), काछु (काउछ), मासु(माउस) आिद। मुदातम शसभमे ई िनयम लाग ू निह होइत अिछ। जेना- रिकेँ रइ आ सुधा ंशुकेँ208

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