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Videha_01_01_2009_Tirhuta

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िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्गेल मुदा एको िदन हम नमाज निह पढ़लहु ँ। असमयक पारीमे काज करबा अनरहम ईहो िबसिर गेलहु ँ जे नमाज पढ़नाइ की िछयैक। “अी..” हम उर लेल शतकैत बजलहु ँ। “अी, हम किहया हैदराबादमे नमाज पढ़बाक लेल मिस्जद जाइतछी जे अहा ँ एतेक िचित भऽ रहल छी”? हम पुछलहँ।ुहम मोन पाड़लहु ँ ओिह िदनकेँ जखन ओ हैदराबाद आएल रहिथ कारण हम कह्रिहयि जे हम हुनका हैदराबाद नगर देखेबि। मुदा हैदराबाद आिब अपन िवरोधदेखबैत ओ बजलिथ, “हम कतह ु जाए निह चाहैत छी...हमरापर िकएक पाइ खच र् कऽरहल छी”? हम हुनकर मोनक गप ब ुझैत रही। ओ हमरापर बोझ निह बनएचाहिथ, मुदा हम हुनकर िवरोधपर ान निह देलहु ँ। हमर जोर देलापर ओ एक बेरअएलीह। हम हुनकर हाथ पकड़ि◌ रा पार करबामे मदित किरयि। एक बेरखैरताबादक लग सड़क पार करबा काल हुनकर आिख ँ रसँ आ भऽ गेलि।“अहा ँ कतए ज लेलहु ँ...कतए अहा ँ बढ़लहु ँ...अहा ँ कतेक टा भऽ गेलहु ँ? अहा ँ एिहपैघ नगरमे कोना रहए छी? अहा ँ बहुत पैघ भऽ गेलहु ँ...” ओ बड़◌ाई करैतकानए लगलीह।“अहा ँ जखन बा रही तखन हम अहा ँकेँ नानीगाम बससँ लऽ गेल रही। हम अहा ँकहाथ किस कऽ पकड़ रही िक अहा ँ कतह ु हेराऽ जाइ। आब अहा ँ एतेक पैघभऽ गेलहु ँ जे हमर हाथ पकड़ि◌ बसपर चढ़बामे मदित करी”। ई कहैत ओ रकारे ठहिर गेलीह। ओ खखसलीह, “ख ुस...ख ुस...” पिरमसँ अपन ास वापस अनलि।ओ जखन भूतकेँ मोन पाड़ि◌ रहल छलीह हम हुनका साना देिलयि आ हुनकर रपोछिलयि।“अी...हम एतए जीबाक इासँ अएलहु ँ। हम साहस केलहु ँ आ कतेक रास किठनक्षणकेँ सहन कएलहु ँ। जखन दिखत ु रही, हम अपसँ दबाइ लए ले जाइ आ संगमेतख न करी।, ई सभ अी...ई सभ अहा ँक आशीवा र्दसँ भेल, आिक निह? एिहनगरमे अपना किह कऽ संबोिधत करए बला हमर ो निह अिछ, तख हम एतएिबना असगर रहबाक अभूितक रहैत छी”। अपन आिखक ँ र पोिछ कऽ ओ हमराआशीवा र्द दैत कहलि, “दीघा र्यु रहू हमर पु”।समाक आर तकर बाद भेल।“सभ ज ुा..ज ुा...अहा ँ नमाज पड़ए छी हमर बाउ”? ओ पुछलि।172

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