Videha_01_01_2009_Tirhuta
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िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अहा ँ ज ुाक सा ँझमे ई ख ुशी सभ घरमे देिख सकैत छी, दरगा केर म कएलिचक सोझा ँमे जड़◌ैत लै, अगरबतीक सुगी वायुमे हेलैत; अपन माथ झँपस्ीगण घरक भीतर-बाहर होइत; आ नािरकेलक दाम दोकानक िखड़कीपर बढ़◌ैत।दरगा केर म कएल िच पर नािरकेल चढ़◌ेबाक िवधक वण र्न एतए अहा ँ निह छोड़ि◌सकैत िछयैक।िकएक तँ हमर अाकेँ अप र्ण िवधक ज्ञान निह छलि से ओ हजरतकेँ छओटका रासँघर अत रहिथ। हमर अी ई िसखबाक लेल हुनकर पछोर धे अबैत रहिथ।“अहा ँकेँ ई अरो निह ब ुझल अिछ कलमा..आिक गुसुल...हमरा अहा ँसँ िनकाह करेबाकलेल अपन अी-अाकेँ दोषी बनाबए पड़त...िकयो अहा ँसँ नीक हुनका सभकेँ निहभेटलि, अहा ँसँ हमर िबयाह करेलिथ। आब बो सभ अही ं क रा पकड़लिथ हँ...” ओहुनकासँ एिह तरहेँ िववादपर उतिर जािथ।“अहा ँ ..घरक...ई उीड़न हमरा लेल अस भऽ गेल अिछ..”। पजरैत, ओ मिस्जदजाइत रहिथ लाल-पीयर होइत हजरतकेँ घर अनबा लए।हजरत नािरकेलक अप र्ण िवध प ूरा करबाक बाद अपन मुँह आ पएर धोिब आ अपनदाढ़◌ीमे ककबा फेिर बाहरमे खाटपर बैसैत रहिथ। एिह बीच हमर अी फोड़लनािरकेलक गुा िनकािल ओकर कैक भाग कए ओिहमे िची िमलाबिथ। ओ तखन एिहिमणकेँ बाहर हातामे जमा भेल सभ गोटेमे बा ँटिथ। ओ अमे हमरा लेल राखलद ू-तीन टा टुकड़◌ी ले हमरा लग आबिथ।हम िशकाइत किरयि, “यैह हमरा लेल बचल अिछ”? “हमरा सभकेँ अाकेँ अिप र्तकएल वु निह खएबाक चाही, हमर बेटा..हम दोसरामे एकरा बा ँटी तैयो जहु ँ हमरासभ लेल िकछु निह बचए”। ओ हमरा शा करिथ।हुनकर मीठ बोल हमरा मोनसँ नािरकेलक पया र् िहा निह भेटबाक िनराशाकेँ खतमकए दैत छल। बादमे हमर िपता आ हजरत सा ँझमे अबेर धिर बैिस गप करैतरहिथ। अपन वस् बदिल सामा वस्मे हम, अपना संगी सभक संग पड़◌ोसक एकटािनमा र्ण लपर बाल ूक ढेरपर खेलाय लेल चिल जाइत रही।ई सभ सोिच हमर आ ँ िखमे रक इनार बिन गेल...“हमर पु, अहा ँ िकएक निह बािज रहल छी? की भेल? हम डरक अभव कऽरहल छी...बाजू...” हमर अी पुछैत रहलीह। ओना तँ हैदराबाद एनाइ तीन बरख भऽ171