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Videha_01_01_2009_Tirhuta

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िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आइ फेर बहु-बदला भेलैए कहा ँ दन!...गे दाइ, गे दाए!रजदेबाके बहु िसिकिलया आ देबलरैनाके बहु सोनावती। िसिकिलया ओना छैमोसिकलसँ अढ़◌ाइ हाथक मौगी मुदा सउँ से गोर देहमे गजगज मासु करै छै।देिखते होएत जे का ँचे िचबा जाइ। टोिङ देबै, ब दऽ सोिनत फेिक देतै।देहपर जेना इस्ी कएल होइ; िछहलैत आऽ गतानल अंगअंग। देबलरैनके मुँहसँतँ किहया सऽ लेर चूबैत रहै-लसलस। देबलरैना-बहु सोनाबती, रोलल-छोलल,पोरगर करची सन लचलच करैत देह। रजदेबाके ततराटक लािग जाइक- देखैकतँ देिखते। एे टोलमे दसे घरक तऽ फरक हएतै द ुन ूक घरमे। िछनरझबालीसोनावितयो केहन मन सरभसी जे जख रजदेबासँ नयन िमलै िक छ दऽ िबहु ँिसउठै अंग-अंग- जेना लौका लौिक गेल होइ भीतरे भीतर। उपर सऽ सतबरतीजे बय। रजदेबा मा राजदेव म ंडल, अंचल अतालमे चपरासी अिछ। बापओकरा जनमऽ सँ पिहनिह सरग िसधािर गेल रहिथ। पोसल केऽ तऽ माए। एकटाबहीन रहै चंचिलया। सभ कहै कुमरठेी। सउँ से गाम अनघोलकए रहै छौ ंड़◌ी।किहयो खेसारीक झारमे पकड़ल जाइक, किहयो राहिर खेतमे केयो देिख लैक।किह कते आिग भगवान देहमे दे रहिथ। चंचिलयाक माय कहै जे ई देहकआिग थोड़बे रहैक, पेटक आिग रहै, पेटक। आब जे रहौक, मुदा ओ मारिलगेिल। ओकरा लऽ कऽ द ू टा मनसामे झगड़◌ा भऽ गेलैक। जगिदसबा कहै जेहमर धरबी अिछ, मनमोहना िराबला कहै जे हर माल अिछ। चंचिलया द ुूकेँ द ूहैछिल। से बरदा निह भेलै मनमोहना िराबलाकेँ । ताड़ ीक झोंकमे िराक पुरनाचेनसँ तेना ततारऽ लगलै जे होशे रहलै। सउँ से देहसँ सोिनत बिह रहलछलै आ ओ मुँह बािब दे छिल। पिरवारमे िवधवा माय छलै, यं छल, िसिकिलयाछलै आऽ पा ँच बरखक बेटा रहै। बेटा ब सुर आ बड़ ठोला! चंचिलया तऽसंसारसँ उिठए गेलै। आब पिरवारक सुखाएल आ ँतक घघरा िमझएबाक लेल सोिनतसुखएबाक िजेबारी रजबेक छलै। जूआमे चुपचाप का लगा देलक आ बहएलागल। बह ु रहै चमिचकनी, फरदेबाल आ फसलीटीबाली। रोज गमकौआ तेल चाही,ो-पाउडर चाही। रङसँ ठोर नइ ँ रङब, िलपेी चाही। िसमामे चसकिल। जी-मुँह चिलते रहइ। पनिपयाइमे घ ुघनी-मुरही, कचरी भिर पोख। द ुसंझी। रोज-रोज माछु-मासु गमकैत रहउ आङनभिर- िकछु तऽ डोका-ककिर। आिक कछुएकझोर। कतेक िदनसँ एक जोर परबा पोसक लेल रगड़◌ा कए रहिल छिल सा ँयसँ।छमिक कए एमहर, छमिक कए ओमहर। राित-राित भिर झ ूलन देखए, सलहेसक नाचमेखतबैया टोलक झ ुलिफया या नटुआक नाच आ सतरोहनाक िबपटइ देिख-देिख कऽलहालोट भऽ जाए। रजबाकेँ ई सभ सतखेी मौिगक लन ब ुझाइक, तेँ रोजबतकुटौअिल होइ। िराबला देबलरैनासँ यारी रहै रजदेबाकेँ । देबलरैनािसकिलयाके बड़ पिस। कारण रहै जे देबलरैना सेहो सलहेसक नाचमे ढोलिकयारहै। ईह ढोलक बजबैकाल ओकर कनहा जे उपर-नीचा ँ होइ छल- गुम-गुमुक-15

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