22.08.2015 Views

Videha_01_01_2009_Tirhuta

Videha_01_01_2009_Tirhuta

Videha_01_01_2009_Tirhuta

SHOW MORE
SHOW LESS

Create successful ePaper yourself

Turn your PDF publications into a flip-book with our unique Google optimized e-Paper software.

िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्म जीवनक सपमे िनयामक छी।जीवन आओर जगक िवकासक सोपान छी।हर मे मक िविशताकेँ नकारल निह जाऽ सकैत अिछम, धम, र् िवज्ञान, मिवज्ञान, समाजशास् तकमे-समाओल गेल अिछ, िपराओल गेल अिछ।म मानव जीवनक अिनवाय र् एव ं अपिरहाय र्अंग मानल गेल अिछ, से से जान ू॥म से अथ र्मे जीवन छी॥म एक सार त अिछ,जे असँ अमे, परमाकेँ परमा िमलाबैत अिछ।पैघ-पैघ हकेँ एक दोसरसँ आकृ कराबैत अिछ,पुषकेँ स्ीक ओर, स्ीकेँ पुषक ओर,मकेँ मक ओर, पशुकेँ पशुक ओर,मान ू तँ सम संसारकेँ एक केक ओर िखचैत अिछम सवो र्पिर सुख आओर आन छी।म जीवनक सार वु छी॥म यथाथ र्मे िनःाथ र्क भावनाक तीक छी,मकेँ दैवी भावनाक संज्ञा सेहो दऽ सकैत छी,ममे सदैव आदश र्क चरमोष र् अिछ॥म जीवनक महानतम धरोहर छी॥143

Hooray! Your file is uploaded and ready to be published.

Saved successfully!

Ooh no, something went wrong!