Videha_01_01_2009_Tirhuta

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िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्जीवन एक जोिखम छी, जीवन एक समर छी।जीवनकेँ एिह पमे ीकार करब, तकर अलावे को चारो तेँ निह अिछ।से कहैत छी, जीवन एक तप ूण र् रहमयी भाव छी।जीवन एक ितली छी, जीवन एक भूल-भुलैया छी।एक तरहेँ ई एक गोरख ध ंधा सेहो छी।िजनकर िजा गंभीर पय र्वेक्षण करबाक दृ ि छैक (अिछ)ओ जन जोिह भावनाक तहतक पहु ँच सकैत अिछ,जीवनसँ ज ुड़ल ाि, कुहासा सेहो,िमटाएल जाऽ सकैत अिछ, अकाक खतरासँ सेहो बा ँचल जाऽ सकैत अिछजेना ९यथा)- हँसैत, हँसाबैत, हलका, फुलका र ंगम ंच,मािनकेँ , िवदप ूव र्क म ंचन करैत,आनप ूव र्क समय तीत करबाक दृढ़ िनयी-भाव,लऽ केँ चली तँ-जे िक प ूणानक र् सव र् इा छी॥ जीवन एक जोिखम छी॥जीवन एक गीत छी,जे गीतकेँ हम पंचम रमे गािब सकैत छी,क िवशेषज्ञ बनल जाऽ सकैत अिछ॥ जीवन एक जोिखम छी॥जीवन एक अवसर छी!एिह अवसरकेँ हाथसँ गँवा निह देबाक अिछ,कारण ई शुभ अवसर जीवनमे ईरक अकासँ,140

िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्कमसँ कम एक बेर अवमेव भेटबेटा करतई िनःसंदेह अिछ॥ जीवन एक शुभावसर सेहो छी॥५गायी महाम ंाथ र्ना करैत छी हुनकासँ (परमाासँ)ओऽ ाणप, द ुखनाशक, सुखप, , तेजी, पापनाशक,देवप परमााकेँ हम अपन अराामे धारण करी।ओऽ परमाा हमर ब ु िकेँ सामे िरत करताह,जे अवंभावी अिछ।ओऽ परमाा हमर ब ु िकेँ सा, सापर चलबालेल सुब ु ि देिथ॥गायीकेँ भारतीय संृितक जननी कहाएल अिछ॥१॥गायी भारतीय धम र्शास्क ओऽ सम िदज्ञानक काश अिछ,गायीकेँ बीजाक्षरक िवार मानल गेल अिछ।गायी मा ँकेँ आ ँचर पकड़एबला साधक,कख िनराश भऽ निह सकैत अिछ।ई म ंक चौबीस अक्षर , चौबीस शिक एव ं िसिक मा अिछ,गायी म ंक उपासना करएबला साधकक-मकामना,अवमेव सफलीभूत होइत अिछ।।गायीकेँ भारतीय संृितक जननी कहल गेल अिछ॥२।।141

िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्कमसँ कम एक बेर अवमेव भेटबेटा करतई िनःसंदेह अिछ॥ जीवन एक शुभावसर सेहो छी॥५गायी महाम ंाथ र्ना करैत छी हुनकासँ (परमाासँ)ओऽ ाणप, द ुखनाशक, सुखप, , तेजी, पापनाशक,देवप परमााकेँ हम अपन अराामे धारण करी।ओऽ परमाा हमर ब ु िकेँ सामे िरत करताह,जे अवंभावी अिछ।ओऽ परमाा हमर ब ु िकेँ सा, सापर चलबालेल सुब ु ि देिथ॥गायीकेँ भारतीय संृितक जननी कहाएल अिछ॥१॥गायी भारतीय धम र्शास्क ओऽ सम िदज्ञानक काश अिछ,गायीकेँ बीजाक्षरक िवार मानल गेल अिछ।गायी मा ँकेँ आ ँचर पकड़एबला साधक,कख िनराश भऽ निह सकैत अिछ।ई म ंक चौबीस अक्षर , चौबीस शिक एव ं िसिक मा अिछ,गायी म ंक उपासना करएबला साधकक-मकामना,अवमेव सफलीभूत होइत अिछ।।गायीकेँ भारतीय संृितक जननी कहल गेल अिछ॥२।।141

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