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Videha_01_01_2009_Tirhuta

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िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्द ुराचार-अपराधकेँ , उकसावैवाला सुन ू औ,केिवल, टी.वी. आओर िसमामे सुधार आब होएत,ई िवनाशकारी श ैली आब हमरा सभकेँ अपनावैक निह अिछ,बहुत भऽ चुकल आओर निञ होमे देबए हम मनमानी॥१॥जे िकशोरक मनकेँ भड़कावै,ई कोन मर ंजन भेल?जे अपराधकेँ उकसावै, ई कोन मर ंजन थीक?ल ूट-पाट, िहंसा, हा, अिहलेल होएत अिछ,द ुराचारक घिणत ृ िया, अिह लेल होइत अिछ,ईएह महामारी समाजक लेल, जड़ि◌सँ िमटेबाक दृढ़ितज्ञ छी,बहुत भऽ चुकल, आब निञ हुअए देबए हम मनमानी॥२॥घर-घर जे अील िच अिछ, तकरा जरा कए हम दम लेब,बा सभकेँ भड़कदार वस् निञ पिहराएब हम,ब ुक ◌ॉलपर जहरीला सािह निञ िबकाय लए देबए,मानवीय म ूक आग ू निञ गलत भावकेँ िटकए लेल देबए,कतो निञ रहए लेल देबए को कुित कथा-कहानी।बहुत भऽ चुकल आओर निञ होमए देबए हम मनमानी॥३॥आिरक किवक भावप-पिकामे पुनः होएत रक गाथाएँअपराधक लेल मुखताक निञ होएत थाएँसहज िवधेयाक होएत पुनः दृ ि कलाकारक138

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