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Videha_01_01_2009_Tirhuta

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िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आएल वो पिव मुहुतर्, जखन निह नारीये सतयुग आनत औ॥१॥करलक जीव सिक ृ संरचना, चेतनाक संचार लाएत औ,सव-वेदनाकेँ सहलक, मा ँ बिनकेँ ार देलक औ,ा, ज्ञा, िना बिन, ई अकाक पररा िनभौलक औ,आिब रहल अिछ वो पिव मुहुतर्, जखनिह नारीये सतयुग आनत औ॥२॥देव युोमे थम नारी, तात् नरक नाम आएल औयथा-उमा-महेश, शची-पुरर, राधा-कृ, िकया हुएवो सीता-राममाषी पमे देवी थीिक, ई तकेँ ज्ञात कराएत औ।आिब रहल अिछ वो पिव मुहुतर्, जखनिह नारीये सतयुग आनत औ॥३॥नारी-दय अिछ िनम र्ल-कोमल, मक भंडार छुपल अिछ सभटा,मानवताक िसंचन करवा लेल, िनकलल अिहसँ अम ृत-धारा,मुिछ र्त बसुरा पर पुनः जागृित अवेष आएत औ,आिब रहल अिछ वो पिव मुहुतर्, जखनिह नारीये सतयुग आनत औ॥४॥३युगिनमा र्णी संकआइ कमर किसकेँ आएल अिछ, द ु िनयाक युगिनमा र्णी,बहुत भऽ चुकल, आब निञ हुअए देबए मनमानी।धनक लेल वासना भड़काबैवला, सुन ू औ!137

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