22.08.2015 Views

Videha_01_01_2009_Tirhuta

Videha_01_01_2009_Tirhuta

Videha_01_01_2009_Tirhuta

SHOW MORE
SHOW LESS

Create successful ePaper yourself

Turn your PDF publications into a flip-book with our unique Google optimized e-Paper software.

िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िनष र्मैिथली सामािजक नाटकक अयन आ अशीलपरा हम एिहिनष र् पर पहु ँचैत छी जे िवशेष क’ ातंयोर युगक मैिथली नाटककार सामािजकिववतर्नकेँ ानमे रािख िलखलिन जािहमे मुख र रहल अिछ नारी समा। यिपएखनहँ ु िमिथलामे द ुगा, र् काली, ली, सरती, जानकी आिदक प ूजा कयल जाइत अिछ,तथािप आज ुक नारी िविभ सामािजक कुथाक कारँ मजब ूर छिथ, लाचार छिथ। एिहउीड◌नक जड◌ि◌ जँ खोजल जाय तँ हमरा जिनतेँ सभसँ भयावह िित उहोइत अिछ दहेज आ िवधवा-िववाहक समाकेँ ल’ क’ । यिप बाल-िववाह, व ृ– िववाह, िबकौआ था एखनहँ ु समाजसँ उिठ निह गेल अिछ तथािप एिह िदशामेजागकता अवे देखबामे आिब रहल अिछ। मैिथली नाटककार लोकिन नारीककािणक दशासँ िवत भ’ कए कतोक नाटक म एिह समा सभकेँ ल बनानाटकक रचना कय छिथ जािहसँ समाज-सुधारक जागरण जोर पकड◌ि◌ सकय।मुदा एतय एकटा उपित होइत अिछ जे ातंयोर मैिथलीनाटकमे सामा नारीक ितिब कतेक द ूर धिर अिछ ? एिह कालाविधकनाटककार नारी-िचण आीयता एव ं सहाभूितसँ निह कयलिन, ुत पुषक दृ िएँकएलिन। ातंयोर नाटकमे नारीक िनष्म जीवनक कथा िथक जे सामािजकितबक अा र्लामे झ ुलिस कए न भ’ रहल अिछ। पुषक आका ंक्षा, आदश र् ओिनद र्यताकेँ टारब हुनका हेतु असंभव भ’ जाइत अिछ। नारी जीवनक था, किठनताएव ं कुाक िचण करबामे नाटककार तरता देखौलिन, िकु ओ समाजक हेतुिनष्योजनीय तीत भ’ रहल अिछ। एिह कालाविधमे मैिथली नाटकमे नारीकेँजतेक आदश र्वादी ढ◌◌ंगसँ िचण कयल गेल अिछ, ततेक यथाथ र्वादी दृ िएँ निह।107

Hooray! Your file is uploaded and ready to be published.

Saved successfully!

Ooh no, something went wrong!