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िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह

'िवदेह' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ ... - WordPress.com

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<strong>िव</strong> <strong>दे</strong> <strong>ह</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> <strong>Videha</strong> <strong>িবেদহ</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>Videha</strong> Ist Maithili Fortnightly e Magazine <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक '<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>''<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ अंक ५७)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम<strong>ह</strong> संस्कृ ताम्मुदा <strong>ह</strong>म जे न<strong>ह</strong>ा कऽ आएब तँ कतऽ ई पाइ गाड़ल अिछ से <strong>ह</strong>मरो कोना बूझऽ मे आएत। ठीक छै।(कोड़ला<strong>ह</strong>ा थानपर अबैत अिछ।)एतऽ िशविलंग बना दै िछऐ। ( कोड़ला<strong>ह</strong>ा थलपर पएर रखैत अिछ आ पएरक चारू कात बालु राखए लगैत अिछ। चारू कातसँबालु भिर गेलाक बाद आतेसँ पएर <strong>ह</strong>टा लैत अिछ आ नीक-न<strong>ह</strong>ाँित िशविलंग बना दैत अिछ। फेर िनित मोनसँ कमला-नानकलेल िबदा भऽ जाइत अिछ। ए<strong>ह</strong>र ओ धार िदस िबदा <strong>ह</strong>ोइत छिथ आ ओ<strong>ह</strong>र दूरसँ िकछु आर नानाथ, पुरुष <strong>ह</strong>ाथमे धोती आमि<strong>ह</strong>ला <strong>ह</strong>ाथमे नुआ लेने, अबैत दृिगोचर <strong>ह</strong>ोइत छिथ।)(मोने-मोन सोचैत) नीके भेल जे फुरा गेल। कएक सालक कमाइक छी ई पैसा। ई लोक सभ आब नान करबा लेल आिब र<strong>ह</strong>लअिछ। ने जािन ककर मोनमे खोट <strong>ह</strong>ेतै आ ककर मोनमे नै।(न<strong>ह</strong>ाइ लेल मंचसँ नीचाँ धारमे फाँिग जाइत अिछ।)पुरुष नानाथ - (अपन कपड़ा ला राखै अए) चली कमलामे डूम दऽ आबी।ी नानाथ- (िभखमंगा ारा बनाओल िशविलंग िदस इशारा करैत) <strong>ह</strong>े <strong>दे</strong>िखयौ ओ िशविलंग। लागैए एतऽ नान करबाक पि<strong>ह</strong>नेिशविलंग बनेबाक <strong>िव</strong>धान छै।पुरुष नानाथ- अपना सभ िदस, गंगा कातमे तँ ए<strong>ह</strong>ेन कोनो परपरा नै छै।ी नानाथ- एऽ मुदा छै। आ भोलाबाबाक थापना कऽ डूम लै मे <strong>ह</strong>ज की।पुरुष नानाथ- <strong>ह</strong>ँ से तँ ठीके।( दुनू गोटे एक-एकटा िशविलंगक थापनामे लािग जाइत छिथ। पएरक चारूकात बालु चढ़बऽ लगै छिथ। तावत् आनो लोक सभआिब कऽ िकछु पूछऽ लगै छिथ आ अच्छा-अच्छा कि<strong>ह</strong> ओ<strong>ह</strong>ो सभ एक-एकटा िशव िलंगक थापनामे अपन-अपन पएरक चारू कातबालु चढ़बए लगै छिथ। किनये कालमे मंचपर िशविलंगे-िशविलंगे भिर जाइत अिछ। मंचपर <strong>ह</strong>र-<strong>ह</strong>र म<strong>ह</strong>ा<strong>दे</strong>वक वरसँ अनघोल भऽजाइए। )िभखमंगा: (न<strong>ह</strong>ा कऽ िनकलैत) <strong>दे</strong>खू, जखन आएल र<strong>ह</strong>ी तँ एकोटा लोक नि<strong>ह</strong> छल आ आब <strong>दे</strong>खू कतेक भीड़ भऽ गेल। <strong>ह</strong>मरा की।जोगी छी, ब<strong>ह</strong>ैत पािन सन। ई अंगव रतेमे सुखा जाएत। जए माँ कमलेरी। कमलाक भगता बिन चली आब जनकपुर। मुदाओ चुकड़ी तँ लऽ ली।(अपन बनाओल िशविलंग ताकऽ लगैत अिछ। मुदा चारू कात िशविलंगे-िशविलंग। एक दूटा िशविलंगकेँ भखराबैत अिछ मुदा ओि<strong>ह</strong>नीचाँसँ िकछु नि<strong>ह</strong> ब<strong>ह</strong>राइत अिछ।)(िभखमंगा माथपर <strong>ह</strong>ाथ रािख मंचपर बैिस जाइत अिछ आ आते-आते मंचपरसँ काश <strong>िव</strong>लीन भऽ जाइत अिछ।)(पटाक्षेप)80

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