िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह

'िवदेह' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ ... - WordPress.com 'िवदेह' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ ... - WordPress.com

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िव दे िवदे Videha িবেদহ िवदे थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine िवदे थम मैिथली पािक्षक 'िवदे''िवदे' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ अंक ५७)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम संस्कृ ताम्‘‘गाममे मेलो ोइ छै आ पाविन यो िछ यै तेँ कलिख न जे घरपर गेने ओझरा जाएब। चािर थान माल अएकरे माए बुते स ारल नैने ेतै। परसू ऐथुन।’’परसू सुि न दुखनीक मन थीर भेल। छोटका बच् चाकेँ केरामे लऽ जेठकीकेँ आगू कऽ ि वदा भेिल । घरसँ कने पाछुऐ रै ि कदिछ नसँ एक गोटेकेँ ाथमे बैग, फुलपेंट-शटर् पीिर ने अवैत दुनू गोटे देखलक। मुदा ि कयो िच लक नि । बदलल चेराभुखनाक। भुखनो अंगने िद िश सँ अबैत आ दुनू गोटे दुखिन यो अंगने िद स बढ़ैत। घर लग आिब भुखना दुखनीकेँ कलक- ‘‘माए।’’भुखनाक माए कब दुखनी सुनलक मुदा, अनिठ या बुिझ अनठा देलक। ि कछु नि बाजिल । मुदा यामा चीि गेली। बाजिल -‘‘बौआ ौ।’’बौआ सुि न दुखिन यो चॱकली। ताधिर भुखना लग आिब माएकेँ पएर छुिब गोड़ लगलक। दुखनी अवाक् भऽ गेिल । ऑंिख मे नोरढबढ़बा गेलिन । ि नच् चॉंसँ उपर धिर भुखनाकेँ िन ग् ारए लगली।करेज दिल गेलिन । वामा बॉंि सँ नाित केँ दवने आ दि ना तर थीसँ ऑंिख पोिछ ि वल ोइत बजली- “ऑंइ रौ बौआ तूँ तँसमरथ भऽ गेलेँ। िच वे ने केिल यौ। आंङै-समांगे नीक रै छलेँ की ने। एते िद नपर ि कअए एलेँ। ि क बुिझ पड़ै छेलौ जे घरमेि कयो ने अिछ । कोनो ि क म मिर गेिल यौ। रूपैया नै कमेलेँ तँ नै कमेलेँ मुदा, छुछो देे तँ अिब तेँ। अखैन तँ म अपने थेगरछी।” यामक माथ परक मोटरी पकड़ैत भुखना बाजल- “दाय, तोर माथ अिग या गेल ेतौ।”“नै-नै कथी लए तूँ लेब। आब ि क अंगना कोनो बड़ दूर अिछ । मुदा बलजोरी भुखना यामक माथपर सँ मोटरी उतािड़ अपनामाथपर लेलक। आ वरे दुखनी बाजिल - “बौआ, र ता तँ भुखले आएल ेब।”“नइ गै। खाइत-पीबैत एलॱ ि क।”“बौआ, अंगनो गेल छेलक ि क र तेसँ र ता छ?”“अंगनामे बेग रिख देिल यै। घर बोन दे देखिल यै तँ तमोिर यावाली भौजीकेँ पुछिल यै। वएलिन जे दायकेँ आनै काकी आगूगेल छिथ ।”भुखनाक बात सुिन दुखनीकेँ तामस उठल। बाजिल - “ऑंइ रौ छौँड़ा, अंगना गेलेँ तँ गोसॉंइकेँ गोड़ लगलेँ की नै?”“घर बोन देखिल यै तँ बेगकेँ अोसरेपर रािख तोरा तकैले ि वदा भेलॱ।”“म कोनो ि बलेँत गेल छेलॱ। ताबे तूँ ाथ-पाएर धो कऽ अंगनेसँ गोसॉंइकेँ गोड़ लािग लइतेँ से तोरा बुते नै ोइतौ। जाबे मरातकै लए गेलेँ ताबे जे कोइ बेग चोरा लेतौ, तब की करबीी।”“मरा देिख ते मारे िध यो-पूतो आ जिन जाित यो सभ आिब गेल। ओते लोकमे के बेग चोराओत।”फुसफुसा कऽ माए बेटीकेँ पूछलक- “दाय, िक छु खाइयोबला सनेस छौ। देखै छीी छौँडाक मुँ केन सुखाइल छै।”“ँ। असकरे दुआरे कते अिन ित यौ। पॉंच गो दिल पूड़ी अिछ ।”56

िव दे िवदे Videha িবেদহ िवदे थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine िवदे थम मैिथली पािक्षक 'िवदे''िवदे' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ अंक ५७)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम संस्कृ ताम्“अच् छा, वड़बिढ़ यॉं। म तँ अखैन धिर नेबो ने केलॱेँ।”“ि कअए? पाविन क िद न िछ यै तइयो ने नेलेँ।”“छुि यो ने भेल। िभ नसरेसँ जारिन क अोिर यानमे लागल छलॱ। बोझ उघैत-उघैत मन ठि या गेल। असकता गेलॱ। ने भानसेकेलॱ आ ने नेबो केलॱेँ। ओि ना ओसारपर ओघड़ेलॱ ि क नीन िआ ब गेल। जोिग नदरा िआ ब कऽ उठौलक। नइ तँ सुतलेरि तॱ। देी जे सॉंझ लिग चाइल जाइ छै ने अखैन तक उकक ओिर यान भेलेँ आ ने सॉंझ-बतीक।”आंगन अिब ते दुखनी-भुखनाकेँ कलक- “बौआ, पि न पएर-ाथ धो कऽ िस रा आगूमे गोड़ लाग। तखन ि कछु किर ।”भुखना सए केलक। यामा सेो घैलची लग जा घैला झुका एक चुरूक पािन िन च् चॉं खसा ओि मे दुनू पाएरक तरबा भीजाओसारेपर सँ गोसॉंइकेँ गोड़ लगलक। सौँसे अंगना िध यो-पूतो आ जिन जाित यो सभ कच-बच करैत। छोटका बच् चा सभ फुटे कॉंइ-ि कचीड़ करैत रै। ति बीच जुगेसराक बेटा रिव याक बेटाकेँ पाछुसँ पोनमे ि बठुआ कािट दोगे-दोग घुसुि क गेल। िछ लिम ला कऽरिव याक बेटा पाछु तकलक तँ िश बुआक बेटीकेँ देखलक। ओि छौँड़ाकेँ भेले जे यए छौँड़ी ि बठुआ कटलक। ॉंइ-ॉंइ कऽ दूमुक् का लगा देलक। मुक् का लिग ते िश वुआक बेटी िच िच आ कऽ कानए लागिल । िश वुआक घरवाली सेो पछवािर कात ठाढ़ छिल ।बेटीकेँ कनैत देिख कोरामे उठबैत पुछलक। ओ छौँड़ी रिव याक बेटा नाओ कलक। ओकरो ड़लै ने फुड़लै ओि छौँड़ाकेँ कानऐँिठ एक थापर लगा देलक। ति समए रिव याक घरवाली सेो अबैत छिल । बेटाकेँ देिख पुछलक। ओंगरीक इशारासँ छौँड़ािश वुआक घरवालीकेँ देखा देलक। िश वुआक घरवालीकेँ देिव तििव याक घरवाली लगमे जा झॲट पकिड़ मुँपर थूक फेि कदेलक। सौँसे आंगन ड़-िव रड़ो मिच गेल। छोटका िध या-पूता डरे पड़ाए लगल। तँ दोसर ि दस ला सुिन आन-आन अबौलगल। दुखनीक बकारे ब न। जि ना-जि ना िश वुआक घरवाली गािर पढ़ै ति ना-ति ना रिव याक घरवाली उनटबैत जाए। ि कएक तँ ीगणक झगड़ाक िव शेषता ोइत जे जे पाछु धिर गिर आओत ओकर जीत ोइत। अंगनाक दृ य देिख भुखनो आ यामो दुनूकबॉंि पकिड़ -पकिड़ ठेल-ठािल कऽ अपना-अपना अंगना दऽ आइल। भगलाा िध या-पूता सभ पुन: आबए लगल। जिन जाित यो आिध यो-पूतोमे पाटी बिन गेल। ि कछु गोटे ि शवुआक घरवालीक पक्ष लऽ आ ि कछु गोटे रिव याक घरवालीक पक्ष लऽ झगड़ाकेँ पुन:ठाढ़ केलक। एक दोसराक दोख लगवैत अपना पक्षकेँ िन दष सािब त करए लगल। मुदा जि ना पोखिर मे गोला फेकलापर पािन मेि लकोर उठैत जे धीरे-धीरे शा त भऽ जाइत ति ना शा त भऽ गेल।तत्-खनात तँ दुखनीक आंगन शा त भऽ गेल। अंगनासँ बार र तो आ आनो-आनो जगपर गुद-गुद-फुस-फुस ोइते रल।जि ना कोनो गाम वा घरमे आिग लगलापर पािन देने िम झा जाइत मुदा आिग क गरमी रबे करैत ति ना भेल। आन सभ तँआंगनसँ ि नकिल गेल मुदा, दुखनीक मनक आिग पजिर गेल। बेटी यामा िद स देख जोर-जोरसँ बजए लागिल - “म ककरो बजबैलेगेल छेिल यै जे आिब पाविन क िद न अंगनामे झगड़ा केलक। पाविन ि क कोनो एक िद नक ोइत अिछ िआ क सालो भिर ले ोइए।सालो भिर अंगनामे झगड़ा ोइते रत ि क ने। तूमे जे ि कयो डोरी बॉंिट घरक पछुऐत बाि देत तखन तँ आरो सालो भिरझगड़ा ोइते रत िक ने?”माइयक बोली ब न करै दुआरे थोम-थाम लगबैत यामा कलक- “अनेरे तूँ ि कअए आफन तोड़ै छेँ। तोरा अंगनामे छेबे के करौजे साल भिर झगड़ा ेतौ।”बेटीक बात सुि न दुखनी दम कसलक। मुदा तइओ मनमे आिग लगले रै। घरसँ िव छान िन कािल यामा अंगनामे ि वछौलक।िब छा अपन मोटरी खोललक। एक धारा चाउर, सेर तीिन ऐक खेसारीक दािल , पॉंचटा दिल पूड़ी आ अपनो आ बच् चो सभक कपड़ािन कािल रखलक। पॉंचो पूड़ीमे सँ दूटा भुखनाकेँ एकटा कऽ सरस-िन रस तोिड़ दुनू बच् चाक ाथमे देलक। एकटा अपना लेल आएकटा माए लेल फुटा कऽ रखलक। बैग खोिल भुखना रूपैयाक गडी िन कािल माएकेँ कलक- “माए, यए कमा कऽअनिल यौ।”57

<strong>िव</strong> <strong>दे</strong> <strong>ह</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> <strong>Videha</strong> <strong>িবেদহ</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>Videha</strong> Ist Maithili Fortnightly e Magazine <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक '<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>''<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ अंक ५७)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम<strong>ह</strong> संस्कृ ताम्‘‘गाममे मेलो <strong>ह</strong>ोइ छै आ पाविन यो िछ यै तेँ क<strong>ह</strong>लिख न जे घरपर गेने ओझरा जाएब। चािर थान माल अएकरे माए बुते स <strong>ह</strong>ारल नैने <strong>ह</strong>ेतै। परसू ऐथुन।’’परसू सुि न दुखनीक मन थीर भेल। छोटका बच् चाकेँ केरामे लऽ जेठकीकेँ आगू कऽ ि वदा भेिल । घरसँ कने पाछुऐ र<strong>ह</strong>ै ि कदिछ नसँ एक गोटेकेँ <strong>ह</strong>ाथमे बैग, फुलपेंट-शटर् प<strong>ह</strong>ीिर ने अवैत दुनू गोटे <strong>दे</strong>खलक। मुदा ि कयो िच <strong>ह</strong>लक नि<strong>ह</strong> । बदलल चे<strong>ह</strong>राभुखनाक। भुखनो अंगने िद िश सँ अबैत आ दुनू गोटे दुखिन यो अंगने िद स बढ़ैत। घर लग आिब भुखना दुखनीकेँ क<strong>ह</strong>लक- ‘‘माए।’’भुखनाक माए क<strong>ह</strong>ब दुखनी सुनलक मुदा, अनिठ या बुिझ अनठा <strong>दे</strong>लक। ि कछु नि<strong>ह</strong> बाजिल । मुदा यामा चीि <strong>ह</strong> गेली। बाजिल -‘‘बौआ <strong>ह</strong>ौ।’’बौआ सुि न दुखिन यो चॱकली<strong>ह</strong>। ताधिर भुखना लग आिब माएकेँ पएर छुिब गोड़ लगलक। दुखनी अवाक् भऽ गेिल । ऑंिख मे नोरढबढ़बा गेलिन । ि नच् चॉंसँ उपर धिर भुखनाकेँ िन ग् <strong>ह</strong>ारए लगली<strong>ह</strong>।करेज द<strong>ह</strong>िल गेलिन । वामा बॉंि<strong>ह</strong> सँ नाित केँ दवने आ दि<strong>ह</strong> ना तर<strong>ह</strong> थीसँ ऑंिख पोिछ ि वल <strong>ह</strong>ोइत बजली<strong>ह</strong>- “ऑंइ रौ बौआ तूँ तँसमरथ भऽ गेलेँ। िच <strong>ह</strong>वे ने केिल यौ। आंङै-समांगे नीक र<strong>ह</strong>ै छलेँ की ने। एते िद नपर ि कअए एलेँ। ि क बुिझ पड़ै छेलौ जे घरमेि कयो ने अिछ । कोनो ि क <strong>ह</strong>म मिर गेिल यौ। रूपैया नै कमेलेँ तँ नै कमेलेँ मुदा, छुछो <strong>दे</strong><strong>ह</strong>े तँ अिब तेँ। अखैन तँ <strong>ह</strong>म अपने थे<strong>ह</strong>गरछी।” यामक माथ परक मोटरी पकड़ैत भुखना बाजल- “दाय, तो<strong>ह</strong>र माथ अिग या गेल <strong>ह</strong>ेतौ।”“नै-नै कथी लए तूँ लेब<strong>ह</strong>। आब ि क अंगना कोनो बड़ दूर अिछ । मुदा बलजोरी भुखना यामक माथपर सँ मोटरी उतािड़ अपनामाथपर लेलक। आ वरे दुखनी बाजिल - “बौआ, र ता तँ भुखले आएल <strong>ह</strong>ेब<strong>ह</strong>।”“नइ गै। खाइत-पीबैत एलॱ ि क।”“बौआ, अंगनो गेल छेल<strong>ह</strong>क ि क र तेसँ र ता छ<strong>ह</strong>?”“अंगनामे बेग रिख <strong>दे</strong>िल यै। घर बोन <strong>दे</strong> <strong>दे</strong>खिल यै तँ तमोिर यावाली भौजीकेँ पुछिल यै। वए<strong>ह</strong> क<strong>ह</strong>लिन जे दायकेँ आनै काकी आगूगेल छिथ ।”भुखनाक बात सुिन दुखनीकेँ तामस उठल। बाजिल - “ऑंइ रौ छौँड़ा, अंगना गेलेँ तँ गोसॉंइकेँ गोड़ लगलेँ की नै?”“घर बोन <strong>दे</strong>खिल यै तँ बेगकेँ अोसरेपर रािख तोरा तकैले ि वदा भेलॱ।”“<strong>ह</strong>म कोनो ि बलेँत गेल छेलॱ। ताबे तूँ <strong>ह</strong>ाथ-पाएर धो कऽ अंगनेसँ गोसॉंइकेँ गोड़ लािग लइतेँ से तोरा बुते नै <strong>ह</strong>ोइतौ। जाबे <strong>ह</strong>मरातकै लए गेलेँ ताबे जे कोइ बेग चोरा लेतौ, तब की करबी<strong>ह</strong>ी।”“<strong>ह</strong>मरा <strong>दे</strong>िख ते मारे िध यो-पूतो आ जिन जाित यो सभ आिब गेल। ओते लोकमे के बेग चोराओत।”फुसफुसा कऽ माए बेटीकेँ पूछलक- “दाय, िक छु खाइयोबला सनेस छौ। <strong>दे</strong>खै छी<strong>ह</strong>ी छौँडाक मुँ<strong>ह</strong> के<strong>ह</strong>न सुखाइल छै।”“<strong>ह</strong>ँ। असकरे दुआरे कते अिन ित यौ। पॉंच गो दिल पूड़ी अिछ ।”56

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