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िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह

'िवदेह' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ ... - WordPress.com

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<strong>िव</strong> <strong>दे</strong> <strong>ह</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> <strong>Videha</strong> <strong>িবেদহ</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>Videha</strong> Ist Maithili Fortnightly e Magazine <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक '<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>''<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ अंक ५७)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम<strong>ह</strong> संस्कृ ताम्िद स खेती <strong>ह</strong>ोइत बाँकी उपर िद स गािछ ये कलम अिछ । बड़बिढ़ या आमक गाछक िन च् चॉंमे ठािढ़ भऽ सुखल ठौ<strong>ह</strong>री सभ ि <strong>ह</strong>यासएलागिल । रौिद या<strong>ह</strong> समए र<strong>ह</strong>ने मनस फे जारन <strong>दे</strong>खलक। जारन <strong>दे</strong>िख मन चपचपा गेलइ। आँचरक खूँट खोिल तमाकुल िन कािलएक चुटकी मुँ<strong>ह</strong>मे लेलक आ फेिर बाि <strong>ह</strong> लेलक। तमाकुल मुँ<strong>ह</strong>मे लइते मन पड़लै जे उक बनबै लए खढ़ क<strong>ह</strong>ॉं अिछ । आन साललोक आसीन-काित कमे खढ़<strong>ह</strong>ोिर कटबै छलए ओइमे सँ दू मुी रिख लइ छेलॱ। जइसँ सालो भिर बाढ़िन यो भऽ जाइ छलए आउको बना लेइ छेलॱ। मुदा जे<strong>ह</strong>न बाढ़िन चिड़ काटूक <strong>ह</strong>ोइए ते<strong>ह</strong>न राड़ीक थोड़े <strong>ह</strong>ोइए। <strong>ह</strong>ारल नटुआ की करत? तते ने लोक बकरीपोिस नेने अिछ जे कतौ एकोटा चिड़ कॉंटू र<strong>ह</strong>ए दैत अिछ । त<strong>ह</strong>ूमे ते<strong>ह</strong>न रौिद या<strong>ह</strong> समए भेल जे घसवा<strong>ह</strong> सभ चोरा-चोरा घासेमेकािट खर<strong>ह</strong>ोिर यो उपटा <strong>दे</strong>लक। कथीक उको बनाएव? उक नै <strong>ह</strong>एत तँ पाविन कोना <strong>ह</strong>एत। गाम ि क कोनो श<strong>ह</strong>र-बजार िछ यै जे नेलोक घरमे सीर-पाट रखैए आ ने उक फेड़ैए। सोझे छुड़छुड़ी-फटक् कासँ पाविन करैए। नजिर िख रा खढ़ भिज अवए लागिल ।भिज अवैत गंगवापर नजिर गेलइ। बुदवुदाइल- ‘‘त: अनेने एते मन औनाइ छलए। घरे लग पोखिर क म<strong>ह</strong>ारपर खढ़क जाक लगौनेअिछ । ओ<strong>ह</strong>ीमे सँ लऽ आनब। मुँ<strong>ह</strong>मे खैनी घुिल ति<strong>ह</strong> थूक फेकलक। खढ़क ओिर यान <strong>दे</strong>िख मन सनठीपर गेलइ। ि बना सनिठ ये उकक ना बनाएव? मनमे खॱझ उठलै। खॱझा कऽ बाजए लागिल - ‘‘सभ खेतबला पटुआ उपजौनाइ छोिड़ <strong>दे</strong>लक। आब अपनो उक बनािल अ। <strong>ह</strong>मसब तँ स<strong>ह</strong>जे गरीब छी अपना खेत-पथार नै अिछ । मुदा खेतोबला उक फेिड़ िल अ। माल-जालकेँ ठेका-गरदामी बनािल अ। आन<strong>ह</strong> आब बजारसँ कीिन कऽ लाि ट कक डोरी। अपने मालकेँ डोरीक रगड़ा लगतै, चमड़ी उड़तै माछी असाइ <strong>दे</strong>तै, घा<strong>ह</strong>ेतै, मरतै। तखन बुझत जे पटुआ नै उपजेने के<strong>ह</strong>न भेल।’’ बजैत-बजैत दुखनीक तामस कमल। ि बनु सनिठ ये जँ उक बनाइयोलेब तँ भोरमे सूप कथी लऽ कऽ बजाएव। लछमी ि दन छी जँ सूप बजा दिर दराकेँ नै भगाएव तँ ओ ि क न<strong>ह</strong>ुँ भागत। अपने गप-स प करै लागिल - ‘‘कोनो की <strong>ह</strong>मरेटा सेठी नै <strong>ह</strong>एत ि क गामेमे ककरो नै <strong>ह</strong>ेतै?’’‘‘अनका भेने <strong>ह</strong>मरा की? ि कयो अपन दिर दरा भगौत िआ क दोसराक?’’‘‘जँ कोनो जोगार कऽ सभ संठीक ओिर यान कऽ लेत आ <strong>ह</strong>मरा नै <strong>ह</strong>एत तखन तँ सब<strong>ह</strong>क भािग जेतै आ <strong>ह</strong>मरे रि<strong>ह</strong> जाएत।’’दुनू <strong>ह</strong>ाथ माथपर लऽ संठीक िच तामे दुखनी डूिब गेल। रसे-रसे <strong>ह</strong>ूब टूटए लगलै। मन औनाए लगलै। जि<strong>ह</strong> ना कोनो भारीचीज अांगुरपर पिड़ गेलासँ छटपटाइत ति<strong>ह</strong> ना संठीक सोगसँ मन छटपटाए लगलै। तरे-तर नजिर गाममे ट<strong>ह</strong>लबए लागिल । एक बेिरट<strong>ह</strong>ला कऽ <strong>दे</strong>खलक तँ कतौ नि<strong>ह</strong> संठी अभरलै। फेिर दो<strong>ह</strong>रा कऽ ट<strong>ह</strong>लबए लागिल । फेिर नि<strong>ह</strong> कतौ अभरलै। मन क<strong>ह</strong>ै जे ि बनुसंिठ ये उक अशु <strong>ह</strong>एत। अशु उक गोसॉंइक आगूमे क ना फेड़ब। ओ<strong>ह</strong>ो की बुझता<strong>ह</strong>। फेिर मनमे भेलै गरीब लोककेँ एि<strong>ह</strong> नासभ चीजक खगता र<strong>ह</strong>ै छै मुदा, क<strong>ह</strong>ुना तँ जी<strong>िव</strong> ये लइए। <strong>दे</strong>वतो-िप तरकेँ बुा नै छिन जे अपनो पाविन -ित <strong>ह</strong>ारक िओ रयान करता<strong>ह</strong>।संठी ताकब छोिड़ िड <strong>ह</strong>वार थानक भागवत मन पड़लै। भागवत मनमे अ<strong>िव</strong> ति<strong>ह</strong> म<strong>ह</strong>ाभारतक कृ णकेँ कुरूक्षेमे शंख फूकैत<strong>दे</strong>खलक। मुदा जखन यासजी अथर् बुझवए लगलिथ न ि क ति<strong>ह</strong> काल खैनी खाइक मन भेलइ। ऑंचरक खूँटसँ खैनी िन काि लचुनवए लागिल । अथर् सुनबे ने केलक। भागवतक क मे बात र<strong>ह</strong>ै मनसँ िन किल गेलै। फेिर संिठ येपर मन िआ ब गेलइ। पटुआकसंठीक बदला च नी आ सनैपर नजिर प<strong>ह</strong>ुँचलै। सनै आ च नीपर नजिर प<strong>ह</strong>ुँचति<strong>ह</strong> मने-मन अपसोच करै लगल जे अनेरे ि गर<strong>ह</strong>तसभकेँ दुसिल यै। पटुआक खेती तँ बेपारी सब<strong>ह</strong>क दुआरे छोड़लक। मे<strong>ह</strong>नतो आ लगतो लगा उपजबैत छलै आ बेपारी सभ गरदिनकी कऽ लैत छलै। नीक केलक जे पटुआ उपजौनाइ छोिड़ <strong>दे</strong>लक। अपना जते डोरी-पग<strong>ह</strong>ाक काज <strong>ह</strong>ोइ छै अो तँ सनइयो आचि न योसँ कइये लैत अिछ । मुदा बेपािर यो सभकेँ भाभ स क<strong>ह</strong>ॉं भेलै। जि<strong>ह</strong> ना ि गर<strong>ह</strong>तक गरदिन कािट धन ढेिर औलक ति<strong>ह</strong> ना लाि ट क िआ ब सभटा खा गेलइ। बड़का-बड़का करख ना सभ ओि<strong>ह</strong> ना ढ़न-ढ़न करै छै। च नी मन पिड़ ति<strong>ह</strong> दुखनीक मनमे खुशीउपकल। खूँटसँ तमाकुल िन कािल -मुँ<strong>ह</strong>मे लेलक। पटुओ संठीसँ मोट-मोट संठी च नीक <strong>ह</strong>ोइ छै। सूपो बजबैमे नीक <strong>ह</strong>एत। खूबजोरसँ बजाएव जे दोसरे ि दन िद रदरा पड़ा जाएत। च नी मन पिड़ ति<strong>ह</strong> घुरनापर नजिर गेलइ। बा <strong>ह</strong>े कात खेतमे ओकरा खूब च नीभेिल छलै। सोनो सु दर मुदा, पटुआक सोन जेकॉं सक् कत नइ <strong>ह</strong>ोइ छै। खैर जे <strong>ह</strong>ौ काज तँ स <strong>ह</strong>ैर जाइ छै। घुरनाक घरवालीअिछ यो बड़ आवेशी। जखने क<strong>ह</strong>वै तखने बेिस ये कए कऽ <strong>दे</strong>त। जेललबा बौ<strong>ह</strong>ू धॱछ थोड़े अिछ जे सोझोक व तु लाथ कऽ लेत।अनकर चीज लइ बेिर मे धॱछीक मुँ<strong>ह</strong> के<strong>ह</strong>ेन मीठ भऽ जाइ छै जना मुँ<strong>ह</strong>सँ मौध चुवैत <strong>ह</strong>ोय। भगवान करौ जे सभ चीज िब ला जाइ।तामसपर दुखनी सरािप तँ <strong>दे</strong>लक मुदा, लगले अफसोच करए लागिल जे अनेरे ि कअए सरािप <strong>दे</strong>िल यै। क<strong>ह</strong>ुना भेलॱ तँ माइये-िप ित आइन भेलॱ ि क ने? माइये-बापक सराप ने धीया-पूताकेँ पड़ै छै। जे<strong>ह</strong>ेन चािल र<strong>ह</strong>तै ते<strong>ह</strong>ेन फल अपने <strong>ह</strong>ेतै। बीस बखर्सँ कि<strong>ह</strong> यो52

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