िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह
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िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक 'िवदेह''िवदेह' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ अंक ५७)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्जनकपुरमे िवशेष आकषर्णथाल मािटक पाविन िमिथला चलक हरेक थान पर ओतवे उ साह के सँग मनाओल जाइत अिछ । मुदा िमिथलाक राजधानीजनकपुरमे िकछ िवशेषे देखल गेल । जनकपुरक समािजक क्षेमे ल बा समयसँ काज करैत आएल राम युवा किमटी आरामजानकी युवा किमटी अलग अलग थान पर थाल मािटक उ सव मनौलक । ओ उ सवमे सैयकडो यिक्तक सहभािगता छल। राम युवा किमटी जनकपुरक अ यक्ष सोहन ठाकुर कहलि ह — जुडशीतल जािह उ साहके सँग पिहले मनाओल जाइत छलओिहमे िकछ वषर् सँ कमी बुझा रहल छल ।ओ कमी दुर करबाक लेल उ वसके रुपमे जुडशीतल मनेलौ ।उ सवक बाद पुरे जनकपुर थाल मािट सँ भिर गेल छल । संचारकम रामअशीष यादव कहलि ह ‘बहुत िदनक बाद जुडशीतलकअनुभव अिहवेर भेल ।’गाममे सेहोगाममे कोनो उ सव हुए वा स यनारायण भगवानक पूजा एकटा अलग होइत अिछ । लोकके किस कऽ सहभािगता रहैत अिछ ।फेर थाल मािटक बात करी तऽ गाममे अिहरुप सँ थालमािट खेलल जाइत अिछ की कतेको िदन तक गाममे थाले मािट निहरहैत अिछ । धनुषा िज लाक गंगुलीक गुडु गंगुली कहैत छिथ — ‘गंगुली गाममे थालमािट खेलबाक लेल बाहर कमायबलायुवासभ जुिम जाइत छी । पाविन सेहो मनालैत छी आ युवा सभ बीच भेटघाट सेहो भऽ जाइत अिछ ।’मैिथली रम चक कलाकार सेहो रहल गंगुली होरी सँ कम म जा जुडशीतलमे सेहो निह होइत अिछ दावी कएलि ह ।50
िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक 'िवदेह''िवदेह' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ अंक ५७)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िकछ िवकृती सेहोहोरीमे जिहना िजनका पेलौ र अिवर लगा देलौ तिहना अहु पाविनमे कतौ कतौ देखल गेल । सडक पर चलयबला बाट बटोहीसभके सेहो थालमािट सँ िभजा देल जाइत अिछ । जनकपुर मे सेहो कतेको ठाम लोकके थाल मािट सँ पोतल गेल छल ।सािह यकार डा. रेवती रमण लाल कहैत छिथ ‘पाविनके बिढया बनाबयकेँ लेल िवकृती सभकेँ समा त करय परत । ओ अिहमे युवासभकेँ आगा आगबयकेँ स लाह दैत छिथ ।जनकपुर अ चल अ पतालक कीन िवभागक िचिक सक डा. रामचिर साहक अनुसार िचकनी मािट वा यक लेल खराब निहहोइत अिछ मुदा नालाक पािन रािख देल जाइत अिछ ओ लोकके ल बा समयधिर परेशान कऽ सकैत अिछ । अिहके लेल बचबआव यक अिछ ।जगदीश साद मंडलजीवन संघर्ष- 3नीन टुिट तिह ओछाइनेपर दुखनीक मनमे उपकल आइये दीयोबाती छी आ काली-पूजाक मेलो गाममे हएत। ऐना कऽ बेटी यामाकेँसमाद देने छेिल यै जे एक िद न पिह निह धीया-पूताकेँ नेने अिव हेँ, से कहॉं आइिल । ओहो बेचारी की करत? अ न-पािन घरमे हेतैमुदा, तीनू तूर जे मेला देखत तइ लए तँ दसो-बीच रूपैया खचर् हेबे करतै। जँ कहॴ अपना हाथ-मुीमे नइ होइ तेकरो इ जाम नेकरए पड़तै। भऽ सकैए जे तेकर ओिर यान नइ भेल होय। हँ, हँ, भिर सक सएह भेल हेतै। ओना आइ भिर अबैक समए छै, बेरोधिर ऐवे करत। खाइले चाउर आ देखैले रूपैया नेने औत मुदा, जरना तँ नै आनत। अखन धिर हमहूँ तँ जरनाक कोनो ओिर याननिह ये केलॱहेँ। आब किह या करब? भने मन पिड़ गेल। सोचने छेलॱ जे याम आउत तँ घर-अंगनाक काज स हािर देत सेहोनिह ये भेल। भिर ये ि दनमे की सभ करब। घरो छछाड़ै लए अिछ , ओलित यो ओिह ना पड़ल अिछ । क ना असकरे एते काजस हरत? ओलतीमे मािट भरब, ि क घर छछाड़ब िआ क जरना आनव। काज देिख अबूह लिग गेलइ। असकताइत मने िव छानसँउिठ ओलती देखलक। मुदा रौिद याह समए रहने मािट देव जरूरी निह वुिझ पड़लै। काज ह लुक होइत देिख मनमे खुशी एलै।ओलित येमे ठाढ़ भऽ ओसार ि हयासलक। कतौ चुबाट निह देिख सोचलक जे छछाड़वो जरूरी निह ये अिछ । बाढ़िन सँ झोल-झाड़झािड़ देवै। आरो मन ह लुक भेलै। मन ह लुक होइते बाढ़िन लऽ घरो-ओसारक झोल-झार झािड़ , अंगनो बहारलक। बाढ़िन रिखघैला नेने कलपर गेल। छउरेसँ मुँह धाेइ-कुड़ड़्ा कऽ घैल भरने आंगन आइिल । पािन पीिब तमाकुल िन कािल सोचलक जे एक जूमखाइयो लेब आ दू जूम बाि ह कऽ बाधो नेने जाएव। सएह केलक।ओनो दुखनी पिह ने तमाकुल निह खाित छिल , हुक् का पीबैत छिल । मुदा जिह यासँ लबहदक ि मल ब न भेल तिह यासँ छुआ भेटवेब न भऽ गेल। जिह सँ पीनी महग भऽ गेल। घर ब न कऽ का हपर लग् गी नेने मारन बाध िव दा भेिल । बाधक अधा भाग िन च् चॉं51
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<strong>िव</strong> <strong>दे</strong> <strong>ह</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> <strong>Videha</strong> <strong>িবেদহ</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>Videha</strong> Ist Maithili Fortnightly e Magazine <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक '<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>''<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ अंक ५७)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम<strong>ह</strong> संस्कृ ताम्िकछ <strong>िव</strong>कृती से<strong>ह</strong>ो<strong>ह</strong>ोरीमे जि<strong>ह</strong>ना िजनका पेलौ र अ<strong>िव</strong>र लगा <strong>दे</strong>लौ ति<strong>ह</strong>ना अ<strong>ह</strong>ु पाविनमे कतौ कतौ <strong>दे</strong>खल गेल । सडक पर चलयबला बाट बटो<strong>ह</strong>ीसभके से<strong>ह</strong>ो थालमािट सँ िभजा <strong>दे</strong>ल जाइत अिछ । जनकपुर मे से<strong>ह</strong>ो कतेको ठाम लोकके थाल मािट सँ पोतल गेल छल ।साि<strong>ह</strong> यकार डा. रेवती रमण लाल क<strong>ह</strong>ैत छिथ ‘पाविनके बिढया बनाबयकेँ लेल <strong>िव</strong>कृती सभकेँ समा त करय परत । ओ अि<strong>ह</strong>मे युवासभकेँ आगा आगबयकेँ स ला<strong>ह</strong> दैत छिथ ।जनकपुर अ चल अ पतालक कीन <strong>िव</strong>भागक िचिक सक डा. रामचिर सा<strong>ह</strong>क अनुसार िचकनी मािट वा यक लेल खराब नि<strong>ह</strong><strong>ह</strong>ोइत अिछ मुदा नालाक पािन रािख <strong>दे</strong>ल जाइत अिछ ओ लोकके ल बा समयधिर परेशान कऽ सकैत अिछ । अि<strong>ह</strong>के लेल बचबआव यक अिछ ।जगदीश साद मंडलजीवन संघर्ष- 3नीन टुिट ति<strong>ह</strong> ओछाइनेपर दुखनीक मनमे उपकल आइये दीयोबाती छी आ काली-पूजाक मेलो गाममे <strong>ह</strong>एत। ऐना कऽ बेटी यामाकेँसमाद <strong>दे</strong>ने छेिल यै जे एक िद न पि<strong>ह</strong> नि<strong>ह</strong> धीया-पूताकेँ नेने अ<strong>िव</strong> <strong>ह</strong>ेँ, से क<strong>ह</strong>ॉं आइिल । ओ<strong>ह</strong>ो बेचारी की करत? अ न-पािन घरमे <strong>ह</strong>ेतैमुदा, तीनू तूर जे मेला <strong>दे</strong>खत तइ लए तँ दसो-बीच रूपैया खचर् <strong>ह</strong>ेबे करतै। जँ क<strong>ह</strong>ॴ अपना <strong>ह</strong>ाथ-मुीमे नइ <strong>ह</strong>ोइ तेकरो इ जाम नेकरए पड़तै। भऽ सकैए जे तेकर ओिर यान नइ भेल <strong>ह</strong>ोय। <strong>ह</strong>ँ, <strong>ह</strong>ँ, भिर सक सए<strong>ह</strong> भेल <strong>ह</strong>ेतै। ओना आइ भिर अबैक समए छै, बेरोधिर ऐवे करत। खाइले चाउर आ <strong>दे</strong>खैले रूपैया नेने औत मुदा, जरना तँ नै आनत। अखन धिर <strong>ह</strong>म<strong>ह</strong>ूँ तँ जरनाक कोनो ओिर याननि<strong>ह</strong> ये केलॱ<strong>ह</strong>ेँ। आब कि<strong>ह</strong> या करब? भने मन पिड़ गेल। सोचने छेलॱ जे याम आउत तँ घर-अंगनाक काज स <strong>ह</strong>ािर <strong>दे</strong>त से<strong>ह</strong>ोनि<strong>ह</strong> ये भेल। भिर ये ि दनमे की सभ करब। घरो छछाड़ै लए अिछ , ओलित यो ओि<strong>ह</strong> ना पड़ल अिछ । क ना असकरे एते काजस <strong>ह</strong>रत? ओलतीमे मािट भरब, ि क घर छछाड़ब िआ क जरना आनव। काज <strong>दे</strong>िख अबू<strong>ह</strong> लिग गेलइ। असकताइत मने <strong>िव</strong> छानसँउिठ ओलती <strong>दे</strong>खलक। मुदा रौिद या<strong>ह</strong> समए र<strong>ह</strong>ने मािट <strong>दे</strong>व जरूरी नि<strong>ह</strong> वुिझ पड़लै। काज <strong>ह</strong> लुक <strong>ह</strong>ोइत <strong>दे</strong>िख मनमे खुशी एलै।ओलित येमे ठाढ़ भऽ ओसार ि <strong>ह</strong>यासलक। कतौ चुबाट नि<strong>ह</strong> <strong>दे</strong>िख सोचलक जे छछाड़वो जरूरी नि<strong>ह</strong> ये अिछ । बाढ़िन सँ झोल-झाड़झािड़ <strong>दे</strong>वै। आरो मन <strong>ह</strong> लुक भेलै। मन <strong>ह</strong> लुक <strong>ह</strong>ोइते बाढ़िन लऽ घरो-ओसारक झोल-झार झािड़ , अंगनो ब<strong>ह</strong>ारलक। बाढ़िन रिखघैला नेने कलपर गेल। छउरेसँ मुँ<strong>ह</strong> धाेइ-कुड़ड़्ा कऽ घैल भरने आंगन आइिल । पािन पीिब तमाकुल िन कािल सोचलक जे एक जूमखाइयो लेब आ दू जूम बाि <strong>ह</strong> कऽ बाधो नेने जाएव। सए<strong>ह</strong> केलक।ओनो दुखनी पि<strong>ह</strong> ने तमाकुल नि<strong>ह</strong> खाित छिल , <strong>ह</strong>ुक् का पीबैत छिल । मुदा जि<strong>ह</strong> यासँ लब<strong>ह</strong>दक ि मल ब न भेल ति<strong>ह</strong> यासँ छुआ भेटवेब न भऽ गेल। जि<strong>ह</strong> सँ पीनी म<strong>ह</strong>ग भऽ गेल। घर ब न कऽ का <strong>ह</strong>पर लग् गी नेने मारन बाध <strong>िव</strong> दा भेिल । बाधक अधा भाग िन च् चॉं51