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िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह

'िवदेह' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ ... - WordPress.com

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<strong>िव</strong> <strong>दे</strong> <strong>ह</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> <strong>Videha</strong> <strong>িবেদহ</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>Videha</strong> Ist Maithili Fortnightly e Magazine <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक '<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>''<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ अंक ५७)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम<strong>ह</strong> संस्कृ ताम्<strong>ह</strong>ािकमक <strong>ह</strong>ािकम वा ननिदओक ननिदमे स<strong>ह</strong>ो उक् त पर पराक पालन कयल गेल अिछ, जखन िमिडल कूलक ागंणमे चेयर मैनसा<strong>ह</strong>ेब उपिथत भ’ छा लोकिनकेँ वािषर्को सवक अवसरपर पािरतोिषक <strong>दे</strong>बाक लेल जाइत छिथ तखन <strong>ह</strong>ुनक वागताथर् वागतगानक आयोजन कयल जाइत अिछ। मदान एकांकीमे से<strong>ह</strong>ो एि<strong>ह</strong> पर पराक िनव<strong>ह</strong> कयल गेल अिछ। वयं सेवकक दलका <strong>ह</strong>पर कोदािर आ <strong>ह</strong>ाथमे िछा ल’ कए मक म<strong>ह</strong>ाकेँ ितिदन करैत मातृभूिम भारत माताक आान करैत छिथ जे मानवतापरदानवताक प ट झाँकी भेिट र<strong>ह</strong>ल अिछ। ए<strong>ह</strong>न <strong>िव</strong>षम िथितमे दिलतक उारक <strong>ह</strong>ेतु एि<strong>ह</strong>सँ उम साधन आ की भ’ सकैछ ?मक मा यमे <strong>ह</strong>मरा सभक उार संभा<strong>िव</strong>त अिछ। एि<strong>ह</strong>सँ ेिरत भ’ कए गबैया सब िमिल क’ <strong>दे</strong>शक िनमण, अपन भाग् यक िनमणतथा भावी संतानक भ<strong>िव</strong> य िनमणक <strong>ह</strong>ेतु कोसीक व दना करैत <strong>दे</strong>खल जाइत छिथ जाि<strong>ह</strong>मे मातृभिमक क याणाथर् ाितकारी डेगउठबैत <strong>िव</strong> व ब धु वक भावनासँ ेिरत भ’ कए अबला-वृ विनता <strong>दे</strong>शक नव-िनमणक <strong>ह</strong>ेतु स न भ’ जाइत छिथ जे याग त पया,आल य, भय, आिदक पिरयाग क’ <strong>दे</strong>शक िनमणमे लािग जािथ। उपयुर्क् त तीनू एकांकी गीतक श द-<strong>िव</strong> यास संगीत पर परानुरूपअिछ।उे य :च नाथ िम अमरक जतबे एकांकी ओ <strong>ह</strong>सन काशमे आलय अिछ ओि<strong>ह</strong>मे एकांकीकार िमिथलांचलक पिरे यमे जाि<strong>ह</strong> सामािजकसम यािदकेँ तुत कयलिन अिछ ओ मा िमिथलांचलेक सम या धिर सीिमत नि<strong>ह</strong> अिछ, युत स पूणर् भारतवषर्क ओि<strong>ह</strong> सामािजकपिरवेशक सम या िथक जाि<strong>ह</strong> पिरवेश मे भारतीय िन न एवं म य<strong>िव</strong>त पिरवार गुजर बसर करैत अिछ। <strong>ह</strong>मरा जनैत एकांकी ओ<strong>ह</strong>सनक रचनाक पाछाँ एकांकीकारक सविधक म<strong>ह</strong> वपूणर् उे य र<strong>ह</strong>लिन अिछ जे एक रा मा यमे िमिथलांचक सामािजक पिरवेशपुनिनमणक संगि<strong>ह</strong>-संग समाजमे एक ए<strong>ह</strong>न चेतना अानब जाि<strong>ह</strong>सँ जजर्िरत समाजक कायाकप कैल जा सकइयै। एक सफलिशक्षक <strong>ह</strong>ोयबाक कारणेँ याव <strong>ह</strong>ािरक जीवनक अनुभवक आधारपर एक युग टा साि<strong>ह</strong> कार सदृश ओ इए<strong>ह</strong> स <strong>दे</strong>श <strong>दे</strong>बाक उपमकयलिन जे िशक्षा जगतमे आमूल पिरवर्न, पिरवर्न ओ पिरमाजर्नक याेजन अिछ। एि<strong>ह</strong> पृ ठभूि ममे ओ अपन एकांकी ओ <strong>ह</strong>सनक<strong>िव</strong>षयव तुक चयन कयलिन जे याव<strong>ह</strong>ािरक जीवनमे जनसामा यक <strong>ह</strong>ेतु लाभद िस भ’ सकय। येक यिक्तक जीवनक एक सुिनित उे य <strong>ह</strong>ोइछ। ओि<strong>ह</strong> येयक ाि तक <strong>ह</strong>ेतु यिक्त सब िकछु तन-मन-धन समिपर्त क’ दैतअिछ। पु तक मनुयक गुरु एवं िमक संगि<strong>ह</strong> सब िकछु अिछ। ओि<strong>ह</strong>सँ फराक रि<strong>ह</strong> क’ मनु यकेँ सुखक अनुभूित नि<strong>ह</strong> भ’सकैछ। मृगतृ णाक पाछाँ-पाछाँ दौड़लासँ मनु यकेँ मा थकाने <strong>ह</strong>ोइत छैक। िक तु पु तकमे य त र<strong>ह</strong>लापर मानिसक समाधान ओज्ञानक संगि<strong>ह</strong> स मान भेटैछ। अतएव समाजसँ िकछु माँगबाक लालसासँ नीक िथक जे अ ययन- अयापनक स य दुिनया अपनायबराजमागर् िथक। च नाथ िम अमरक <strong>िव</strong>फुल साि<strong>ह</strong> य साधनाकेँ <strong>दे</strong>िख ितभािषत <strong>ह</strong>ोइत अिछ जे ि<strong>ह</strong>नक साि<strong>ह</strong> य साधना िनिशचतरूपेँ ि<strong>ह</strong>नक राजमागर् छिन जकरा अनुसरण क’ कए एतेक अवदान मैिथली साि<strong>ह</strong> यकेँ ीवृि बनयबामे द’ पौलिन ओ जाि<strong>ह</strong>सामािजक पिरवेशक न एकांकी ओ <strong>ह</strong>सनमे उठौलिन ओ िनित रूपेँ िमिशलाक पृ ठभूिममे एक अिभशाप िथक।<strong>ह</strong>ा थान एक उ लेखनीय एकांकीक रूपमे पाठकक समक्ष अबैत अिछ जाि<strong>ह</strong>मे एकांकीकार िन नवगय गमैया समाजक तीक रूपमेसुिगया ओ पंचकौड़ीकेँ तुत क’ कए ई जनयबाक उपम कयलिन अिछ जे युग-युगसँ सीिदत अिछ, पीिड़त अिछ, जकरापरअ याचार तँ अव य <strong>ह</strong>ोइत छैक, िक तु अपन आोशकेँ गामक मुिखया <strong>ह</strong>िरवंश बाबूपर नि<strong>ह</strong> कट क’ कए थानपर कटकरैत अिछ जे भगवान से<strong>ह</strong>ो शोषक वगर्क संग िमिल क’ अ याचार करबामे स<strong>ह</strong>योग <strong>दे</strong>बामे कनेको कुंिठत नि<strong>ह</strong> <strong>ह</strong>ोइत छिथ। जाि<strong>ह</strong>समाजमे अिशक्षा ओ अ धाक भाव छैक ओतय गरीब तथा मजदूरक शोषणक पर परा बिन क’ रि<strong>ह</strong> जाइत अिछ। ओकरमानिसकता ए<strong>ह</strong>न छैक जे ओ ने तँ भगवानक <strong>िव</strong>रोध क’ सकैत अिछ आ ने शोषक वगर्क ित िनिध बिन क’ मूक रि<strong>ह</strong> सकैछ। ओअ यायसँ डेरायल अिछ तथा ओि<strong>ह</strong>सँ मुिक्त पयबाक आकांक्षी से<strong>ह</strong>ो अिछ। एतय संघषर् दोसर पक्ष से<strong>ह</strong>ो अिछ जे मुिखया एि<strong>ह</strong>अ यायक एक पुज मा अिछ।47

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