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िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह

'िवदेह' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ ... - WordPress.com

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<strong>िव</strong> <strong>दे</strong> <strong>ह</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> <strong>Videha</strong> <strong>িবেদহ</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>Videha</strong> Ist Maithili Fortnightly e Magazine <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक '<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>''<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ अंक ५७)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम<strong>ह</strong> संस्कृ ताम्चुर पिरमाणमे योग करैत छिथ जे पाठकक ममर्केँ पशर् करबामे स<strong>ह</strong>ायक <strong>ह</strong>ोइत अिछ। जतेक दूर धिर एकांकी ओ <strong>ह</strong>सनमेभाषा योगक न अिछ ओि<strong>ह</strong> पिरे यमे िन<strong>िव</strong>र्वाद रूपेँ जा सकैछ जे लोकोिक्तक योग करबामे ई म<strong>ह</strong>ारथ <strong>ह</strong>ािसल कयने छिथ जेपाठकक यानाकिषर्त करैत अिछ। <strong>ह</strong>सन ओ एकांकीक भाषाशैली वा संवाद योजना तुत करबाक शैली एतेक सक्षम अिछ जेनेप यमे कोनो कारक आड बर करबाकक योजन नि<strong>ह</strong> पड़ैछ। रंगमंचक यवथाक ए<strong>ह</strong>न संकेत पाक मायमे <strong>दे</strong>लिन अिछ जेओकर भूिमकाक नि<strong>ह</strong> िनमण करैछ। पा जखन पर पर वातलाप करैछ तखन अपन मौन, आवेग, िथर दृिएँ, कखनो-कखनो<strong>ह</strong>ँिस क’ कखनो- कखनो बीचमे रूिक क’ नाटकीय भाव ग भीर बना दैत अिछ। एि<strong>ह</strong> कारेँ मंचीय स भावनासँ पिरपूणर् ि<strong>ह</strong>नक<strong>ह</strong>सन ओ एकांकी सामािजक जीवनक <strong>िव</strong>िभ न सम याकेँ जि<strong>ह</strong>ना-ति<strong>ह</strong>ना तुत कयलक अिछ।िमिथलांचलमे चिलत मु<strong>ह</strong>ावरा ओ लोकोिक्तक योगमे ि<strong>ह</strong>नक का य भाषाक संगि<strong>ह</strong>-संग गभाषाक वैिश य अिछ। ि<strong>ह</strong>नक एि<strong>ह</strong>वृिक ितफल <strong>ह</strong>सन ओ एकंाकीमे से<strong>ह</strong>ो उपल ध <strong>ह</strong>ोइत अिछ जकर िकछु बानगीक अवलोकन कयल जा सकैछ यथा पेट कािटक’ पोसल पूत सै<strong>ह</strong> क<strong>ह</strong>ै फलनामा भूत, पिरलागब, दाँत िनचोड़ब, <strong>ह</strong>क् कर पेलब, जीक पातर, नङो-चङो करब, मनक मनोरथ मनि<strong>ह</strong>िबलटल, आन करैत आन भेल <strong>ह</strong>ो रामा, गाल लगायब, अमार लगायब, बि<strong>ह</strong>रा नाचे अपने तालेँ, कुकुर माछी काटब, रनरनायबिफरब, बङौर लगाएब, भोथ<strong>ह</strong>ा कलम, सनक सवार, मन लो<strong>ह</strong>छब, गुमाने फाटब, पाँतरमे पड़ब, काछर काटब वंश कुड़<strong>ह</strong>िर, नुिड़ऐलिफरब, क<strong>ह</strong>ी गायकेँ िभ ने बथान, कट<strong>ह</strong>रमे नेढ़ा लगाएब, भोँडो छुड़ल ओ पेटो नि<strong>ह</strong> भरल, सोनक दोस की सोनारक दोस, प<strong>ह</strong>ाड़ढ़ा<strong>ह</strong>ब, छौड़ी िसखाबय बूढ़, दादीकेँ बुिड़सट<strong>ह</strong>ी, खोप सि<strong>ह</strong>त कबुतराय नमः, रड़ धु मस करब, द म ने दु सर खाली बात पकठोस,ग पीक खिर<strong>ह</strong>ान, दूरक ढ़ोल सा <strong>ह</strong>ओन, पेट छूटल गोनू झाक ढ़ाकी, कन<strong>ह</strong>ा नछर, नाक दम ठेकब, यमराजक िपी, आँिखगुड़रब, कमला कातक दड़ािर जकाँ मुँ<strong>ह</strong> बायब, जीवइ छी ने मरइ छी <strong>ह</strong>ुकुर-<strong>ह</strong>ुकुर करइ छी, भोकना िबलाड़, सुिख क’ िटट<strong>ह</strong>ी,िफिफआइत र<strong>ह</strong>ब, छु<strong>ह</strong>ुक् का उड़ब, खगल लोक, डाँर पीठ एक् कठा <strong>ह</strong>ोयब, <strong>ह</strong>किललो भेल िफरब, खगले लोक की ने करय, पेटप<strong>ह</strong>ाड़, सुरता लागब, घूड़ घूऑं करब, टटी लागब, लते प दौड़ब, जोगार धरायब, छ पन छूरी चमकायब, कबुला करब, िजपोसब, आँिख फुटब, एक बजा बय सतर<strong>ह</strong> आबे, अकाश ठेकब, सािटधट राखब, लटार<strong>ह</strong>म करब, खेखिनयाँ करब, कुरर्काई करब,ऑंटागील करब, उम खेती म यम वान, अधम चाकरी भीख िनदान, <strong>ह</strong>ाथ पकड़ब, सेवा सँ मेवा पायब, कौआ ल’ गेल कान,इयािद। एि<strong>ह</strong>सँ प ट भ’ जाइछ जे ि<strong>ह</strong>नका भाषापर अूत अिधकार छिन तथा पाक मु<strong>ह</strong>े सुनैत <strong>दे</strong>री दशर्ककेँ वयं आ मबोध भ’जाइत छैक।एकांकी एवं <strong>ह</strong>सनक भाषा अ य साि<strong>ह</strong>ियक <strong>िव</strong>धािदक तुलनामे एक पृथक सं कारसँ संयुक् त अिछ। यथाथर्क आ<strong>ह</strong> कारणेँ ओकरासामा य जीवनक बोली वणर्क भाषासँ िनकट <strong>ह</strong>ोयब अिनवायर् अिछ। ि<strong>ह</strong>नक एकांकी ओ <strong>ह</strong>सन सामा य भाषाक भीतरि<strong>ह</strong>सँ संचिरतसं कािरत भेल अिछ। एि<strong>ह</strong> रूपमे एकांकीक व तुक लेल त ये नि<strong>ह</strong> करैछ, युत सपूणर् रचनात क िनमण से<strong>ह</strong>ो करैछ। व तुत:ि<strong>ह</strong>नक एकांकी ओ <strong>ह</strong>सनक भाषा स पूणर् स ेषणक भाषा िथक जाि<strong>ह</strong>मे एक-एक श द क<strong>ह</strong>ल गेल अिछ ओ म<strong>ह</strong> वपूणर् नि<strong>ह</strong> म<strong>ह</strong> वपूणर्अिछ एक सम भाव आ ओ जे नि<strong>ह</strong> क<strong>ह</strong>ल गेल अिछ, जे, विनत- यंिजत मा कयल जाइत अिछ। भाषा ि<strong>ह</strong>नक यिक्त वमेरचल-बचल छिन जे सामिजक पिरवेश, मािन सक चेतना सब िमिल क’ ि<strong>ह</strong>नक भािषक ितभाक िनमण करबयमे स<strong>ह</strong>ायक भेलअिछ। ि<strong>ह</strong>नक सजर्ना मक बोध, चयन ओ संयोजनक सायास आ<strong>ह</strong> सामा यसँ <strong>िव</strong>िश ट बना <strong>दे</strong>लिन अिछ।गीत :अमर मूल रूपेँ क<strong>िव</strong> छिथ तेँ एकांकीमे से<strong>ह</strong>ाे थल- थलपर ि<strong>ह</strong>नक का य ितभाक फुटन भेल छिन जकर ितफल घरैयालूिर,<strong>ह</strong>ािकमक <strong>ह</strong>ािकम एवं मदानमे से<strong>ह</strong>ो ि<strong>ह</strong>नक का य-ितभासँ पाठक एवं दशर्क पिरिचत <strong>ह</strong>ोइत अिछ घरैयालूिरमे ढ़ोलक झािलपर गबैतएक म डली वेश करैत अिछ जकर <strong>िव</strong>षय-व तु िथक रा िपता म<strong>ह</strong>ा मा गाँधी ारा <strong>दे</strong>खाओल गेल गृ<strong>ह</strong>-उोग एवं कुटीर-उोग,तकर म<strong>ह</strong>ापर काश <strong>दे</strong>ल गेल अिछ। एि<strong>ह</strong> एकांकीमे युक् त गीतक म<strong>ह</strong> व मूल वर िथक जनसामा यकेँ एि<strong>ह</strong> िदस आकिषर्त करब।46

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