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िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह

'िवदेह' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ ... - WordPress.com

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<strong>िव</strong> <strong>दे</strong> <strong>ह</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> <strong>Videha</strong> <strong>িবেদহ</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>Videha</strong> Ist Maithili Fortnightly e Magazine <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक '<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>''<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ अंक ५७)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम<strong>ह</strong> संस्कृ ताम्सु दर प नीक मानिसक दशाक <strong>िव</strong> लेषण करबामे सवर्था असमथर् छिथ, कारण आधुिनकताक अ <strong>ह</strong>रजाली <strong>ह</strong>ुनका लागल छिन। तेँप नीकेँ एकाकी छोिड़केँ’ िसनेमाक लाथेँ घरसँ पड़ा जाइत छिथ। एकांकीकार पित-प नीक वैचािरक िभ नताकेँ यथाथर्क घरातलपरआिन सामािजक पिरवेशमे बदलैत मानिसकताक <strong>िव</strong> लेषण करबामे सफल भ’ पौलिन अिछ। एतय ओ सामा य पाठककेँ सोचबाक <strong>ह</strong>ेतुबा य करैत छिथ जे अप वेतन भोगी कमर्चारीक मानिसकता आधुिनक सामािजक पिरवेशमे के<strong>ह</strong>न भेल जा र<strong>ह</strong>ल अिछ। ईमानिसकता मा िकरानीक नि<strong>ह</strong>, युत समपूणर् समाजक भ’ गेल अिछ। सु दरकेँ पिरिथितक वा त<strong>िव</strong>कताक ज्ञान तखन <strong>ह</strong>ोइतछिन जखन ओ अपन बालसंगीकेँ नूनूकेँ अपन वृ माता-िपताक ित अगाध आ मीयता ओ ा <strong>दे</strong>खैत छिथ जे व तुतःअनुकरणीय एवं सरा<strong>ह</strong>नीय अिछ। प नीकेँ ताि़ड़त क’ कए ओ नूनूक ओतय उपिथत <strong>ह</strong>ोइत छिथ। नूनू एम्.ए. इन िफलॉिसपीछिथ तथािप ओ नौकरीकेँ परामुखापेक्षी मानैत छिथ, की इए<strong>ह</strong> आधुिनक सयता वा सामािजक पिरवेशक उपज िथक।सामािजक पिरवेशमे ए<strong>ह</strong>न लोकक अभाव नि<strong>ह</strong> जे व तुिथितक यथाथर्तासँ िबनु अवगत भेनि<strong>ह</strong> ओकर स यापनक पाछाँ अप याँत भ’जाइत अिछ। एकांकीकार कौआ ल’ गेल कान मे ए<strong>ह</strong>ने एक घटनाक िनयोजन करबाक उपम कयलिन अिछ। डाक्टरक पुमनोज तथा ध नूक पु मो<strong>ह</strong>नक <strong>िव</strong>वा<strong>ह</strong> अप<strong>ह</strong>रण क’ कए करबाक अपवा<strong>ह</strong>सँ दुनू िम िकंकर् य<strong>िव</strong>मूढ़ भ’ जाइत छिथ, िक तुवा त<strong>िव</strong>कताक र<strong>ह</strong> योाटन <strong>ह</strong>ोइत सम िच ता स नतामे पिरविर्त भ’ जाइछ।<strong>ह</strong>ा य- यंग् यसँ उब-डूब करैत ि<strong>ह</strong>नक एक एकांकी िथक वाइचा स। िशक्षा काशसँ कोसो दुर र<strong>ह</strong>लाक कारणेँ िबजलीका त कोनाअपन िपताकँ ठकलिन तकर यथाथर्तासँ पिरचय करौलिन अिछ एकांकीकार। मधुकांत पुक परीक्षोीणर् भेलाक कारणेँ सुनतास यनाराण पूजाक धूमधामसँ आयोजन कयलिन, िक तु यथाथर् व तु िथितसँ अवगत भेलापर <strong>ह</strong>ुनक मानिसक िथित कोन तर<strong>ह</strong>कभ’ जाइत छिन तकरे एि<strong>ह</strong>मे उािटत कयल गेल अिछ।पा :पा एकांकी णेताक मानिसक स तान <strong>ह</strong>ोइछ। ओकरामे रक् त बीज संचरण करैछ। ओि<strong>ह</strong>मे संक प-<strong>िव</strong> वासक गोता तथा जीवनदशर्नमे वंशजता र<strong>ह</strong>ैछ। ओकर सम त अिभजा य कौिलक र<strong>ह</strong>ैछ जकर स पूणर् वणर् शु से<strong>ह</strong>ो र<strong>ह</strong>ैछ। समत: अपन णेताक जीव तरंग-साक्ष कारक जीव त रचना िथक। ओि<strong>ह</strong>मे रागा मकता, आसंग सृजन-संक पना, नायानुभव, रंग- सं कार तथा रंग-रािशकता<strong>िव</strong>क संधातसँ उूत रंगपु अिछ। एकांकी णेताक आ तिरक रंगयज्ञक रंग कु डसँ उ प न तथा वरदान रूपमे ा त रंग िसिरंगवंशी रंगकुमार अिछ। एकांकी णेताक रंग ियामे रचनामे पा के<strong>ह</strong>न <strong>ह</strong>ोइछ? ओ रंग-ियामे कतयसँ अबैत अिछ? एि<strong>ह</strong> नसँ बँिच क’ आगाँ जायब युिक्त संगत नि<strong>ह</strong> <strong>ह</strong>ोयत। एखन धिर ब<strong>ह</strong>ुधा पाक गुण-कार वगर् तथा ओकरा संगक बात <strong>ह</strong>ोइतअबैत <strong>ह</strong>ो, अिधकांशतः पृ ठपेषण <strong>ह</strong>ोइत अिछ। पाक रंग ियापर बड़ कम <strong>िव</strong>चार भेल अिछ। पा तँ रचनाकारक मानिसकस तान <strong>ह</strong>ोइछ। रचनाकारक जीवनगत ितवतामे पाक मयदा िथक। ओ से<strong>ह</strong>ो जीवनक ित ओि<strong>ह</strong>ना ितव <strong>ह</strong>ोिथ।ि<strong>ह</strong>नक पा योजनापर दृिपात करैत छी तँ प ट भ’ जाइछ जे ओ म य एवं िन नवगय सामािजक पिरवेशक ितिनिध व करैत<strong>दे</strong>खल जाइत अिछ जकरा समक्ष रोजी-रोटीक संगि<strong>ह</strong>-संग अपन जीवको्पाजर्नाथर् <strong>िव</strong><strong>िव</strong>ध सम या सुरसा सदृश मु<strong>ह</strong> बौने ठाढ़ छैक।एि<strong>ह</strong> दृष् िटएँ थान एवं घरैयालूिरक अिधकांश पा िन न गमैया सामािजक पिरवेशक ितिनध व करैत अिछ। ननिदओकेँ ननिद,मलर<strong>िव</strong>, िदशाबोध, वाइचा स, कौआ ल’ गेल कानक अिधकांश पा से<strong>ह</strong>ो ओ<strong>ह</strong>ी ेणीमे अबैत छिथ। म यम वगय ेणीमे43

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