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िव दे िवदे Videha িবেদহ िवदे थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine िवदे थम मैिथली पािक्षक 'िवदे''िवदे' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ अंक ५७)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम संस्कृ ताम् वात योर भारतक मुख वृि जनसामायक सम ा आयल अिछ टाचार। टाचारी वृि मर जीवनमे एि कारेँ वेश क’गेल अिछ जे ओिसँ मुिक्तक मागर् नि भेिट रल अिछ। जीवनमे डेग-डेगपर एकर नग् न रूप प ट अिछ तथा समाजकेँ मुिक्तकमागर् नि भेिट रल छैक। जँ पिरचमी-एवसडर् नाटकक ल य ितीय मायुोर िवसंगितक िचण करब छल तँ वात योरभारतमे उपजल करब चिरीनता, ाचार एवं नूतन अध धािमर्कतापर तीण-यंग्यक ार करब मैिथली एकांकीकारक लयबिन गेल छिन। अतएव वातंयोर भारतमे उपजल चिर ीनता एवं ाचारक के-िवदुपर तीण-यंग्यक ार कयल गेलअिछ।उपयुर्क् त पिरे यमे िनक ािकमक ािकम वा ननिदओक नािन दमे प ट झाँकी भेटैत अिछ। एिमे एक िनधर्न सं कृत पाठशालाकिशक्षक िचक मा यमे एकांकी ओि ाचारी िड टीक चिरकेँ उपिथत कयल गेल अिछ जे आकंठ टाचारमे डूबल अिछ।िड टी साेब टाचारक तीक छिथ जिनक िनदर्यतासँ िशक्षक समुदाय बेचैन रैछ, िक तु ओ एि िवषयकेँ सवर्था िबसिर जाइतअिछ जे ओकरो ऊपर कोनो अिधकारी छैक। सं कृत पाठशालाक िशक्षक िवालयसँ अनुपिथत रलाक कारणेँ पाँच टाका घूसिड टीकेँ गछैत छिथ, िक तु टाकाक अभावक कारणेँ शीि अदा करबासँ वंिचत रैत छिथ। कूलक वािषर्को सवमे पिडत जीचेयरमेन साेबक सोझॉं रूपैया दैत छिथ। एि घटनासँ िड टी साेब आत भ’ जाइत छिथ, कारण ओ ुनक ािकम छिथन।जिना पािरवािरक जीवनमे ननिदक छैक, ओ अ याचार करबामे कनेको कुंिठत नि ोइछ। अतएव एकांकीकार अ य त िनयोिजतढ़ंगे सामािजक पिरे यमे घिटत भेिनार घटनाक िचांकन कयलिन अिछ एि एकांकीमे।िनधर्नता सामािजक जीवनक अिभशाप िथक। जतय ाचीन समयमे समाजवादी समाज छल ततय आधुिनक पिरे यमे यिक्तवादीसमाजक थापना शनै:-शनै भ’ रल अिछ। एकर ेय छैक पिमी सं कृित ओ स यताकेँ। वर्मान शता दीक उरार्मेसामािजक पिरवेशमे एतेक शीतासँ पिरवर्न भ’ रल अिछ जे सामािजक वरूप पिरवितर्त भ’ गेल अिछ। यिक्त आब एतेकबेसी आ म केित भ’ गेल अिछ जे एकैसम शता दीक वेश करैत-करैत अपन ाचीन पिरवेशक पिर याग करबाक ेतु िववश भ’गेल अिछ। मर सामािजक पिरवेश कतेक दूिषत भ’ गेल अिछ तकर वा तिवकताक िचण एकांकीकार कयलिन अिछ िदशाबोधएकांकीमे। सु दर युवाव थाक च ड िबािड़मे सामािजक पिरवेश पिरविर्त भ’ जयबाक कारणेँ एन िदग्िमत भ’ गेला जे अपनवृ माता-िपता पयर् तकेँ अपन सुख-सुिवधाक िजनगीमे बाधक मानैत छिथ। िक तु ुनक प नीपर पर पराक छाप एतेक वेसी छिनजे आधुिनक पिरवेशमे रिुँ ओ अपन मयदाक पृ ठ पोिषकाक रूपमे जन सामा यक सम ा तुत ोइत छिथ। इए कारण अिछजे ुनका अपन ससुर एवं सासुक ित असीम ा ओ सावना छिन। एकर पालन करबाक ेतु ओ अपन पितक िवरोध करैतछिथ :म अाँक गािजर्यन िकएक रब, मुदा जे माय - बाप एतेकिसित सि क’ पोसलिन - पाललिन, िलखौलिन - पढ़ौलिन,ताि मायक वा ते दवाइ लय अॉं कैत िछएेक बूढ़ाझीटय चाैत छिथ आ िसनेमामे पाइ फेकय जाइत छी सेउिचत िथकैक। (िमिथला िमिर 16 जुलाई, 1978)42

िव दे िवदे Videha িবেদহ िवदे थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine िवदे थम मैिथली पािक्षक 'िवदे''िवदे' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ अंक ५७)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम संस्कृ ताम्सु दर प नीक मानिसक दशाक िव लेषण करबामे सवर्था असमथर् छिथ, कारण आधुिनकताक अ रजाली ुनका लागल छिन। तेँप नीकेँ एकाकी छोिड़केँ’ िसनेमाक लाथेँ घरसँ पड़ा जाइत छिथ। एकांकीकार पित-प नीक वैचािरक िभ नताकेँ यथाथर्क घरातलपरआिन सामािजक पिरवेशमे बदलैत मानिसकताक िव लेषण करबामे सफल भ’ पौलिन अिछ। एतय ओ सामा य पाठककेँ सोचबाक ेतुबा य करैत छिथ जे अप वेतन भोगी कमर्चारीक मानिसकता आधुिनक सामािजक पिरवेशमे केन भेल जा रल अिछ। ईमानिसकता मा िकरानीक नि, युत समपूणर् समाजक भ’ गेल अिछ। सु दरकेँ पिरिथितक वा तिवकताक ज्ञान तखन ोइतछिन जखन ओ अपन बालसंगीकेँ नूनूकेँ अपन वृ माता-िपताक ित अगाध आ मीयता ओ ा देखैत छिथ जे व तुतःअनुकरणीय एवं सरानीय अिछ। प नीकेँ ताि़ड़त क’ कए ओ नूनूक ओतय उपिथत ोइत छिथ। नूनू एम्.ए. इन िफलॉिसपीछिथ तथािप ओ नौकरीकेँ परामुखापेक्षी मानैत छिथ, की इए आधुिनक सयता वा सामािजक पिरवेशक उपज िथक।सामािजक पिरवेशमे एन लोकक अभाव नि जे व तुिथितक यथाथर्तासँ िबनु अवगत भेनि ओकर स यापनक पाछाँ अप याँत भ’जाइत अिछ। एकांकीकार कौआ ल’ गेल कान मे एने एक घटनाक िनयोजन करबाक उपम कयलिन अिछ। डाक्टरक पुमनोज तथा ध नूक पु मोनक िववा अपरण क’ कए करबाक अपवासँ दुनू िम िकंकर् यिवमूढ़ भ’ जाइत छिथ, िक तुवा तिवकताक र योाटन ोइत सम िच ता स नतामे पिरविर्त भ’ जाइछ।ा य- यंग् यसँ उब-डूब करैत िनक एक एकांकी िथक वाइचा स। िशक्षा काशसँ कोसो दुर रलाक कारणेँ िबजलीका त कोनाअपन िपताकँ ठकलिन तकर यथाथर्तासँ पिरचय करौलिन अिछ एकांकीकार। मधुकांत पुक परीक्षोीणर् भेलाक कारणेँ सुनतास यनाराण पूजाक धूमधामसँ आयोजन कयलिन, िक तु यथाथर् व तु िथितसँ अवगत भेलापर ुनक मानिसक िथित कोन तरकभ’ जाइत छिन तकरे एिमे उािटत कयल गेल अिछ।पा :पा एकांकी णेताक मानिसक स तान ोइछ। ओकरामे रक् त बीज संचरण करैछ। ओिमे संक प-िव वासक गोता तथा जीवनदशर्नमे वंशजता रैछ। ओकर सम त अिभजा य कौिलक रैछ जकर स पूणर् वणर् शु सेो रैछ। समत: अपन णेताक जीव तरंग-साक्ष कारक जीव त रचना िथक। ओिमे रागा मकता, आसंग सृजन-संक पना, नायानुभव, रंग- सं कार तथा रंग-रािशकतािवक संधातसँ उूत रंगपु अिछ। एकांकी णेताक आ तिरक रंगयज्ञक रंग कु डसँ उ प न तथा वरदान रूपमे ा त रंग िसिरंगवंशी रंगकुमार अिछ। एकांकी णेताक रंग ियामे रचनामे पा केोइछ? ओ रंग-ियामे कतयसँ अबैत अिछ? एि नसँ बँिच क’ आगाँ जायब युिक्त संगत नि ोयत। एखन धिर बुधा पाक गुण-कार वगर् तथा ओकरा संगक बात ोइतअबैत ो, अिधकांशतः पृ ठपेषण ोइत अिछ। पाक रंग ियापर बड़ कम िवचार भेल अिछ। पा तँ रचनाकारक मानिसकस तान ोइछ। रचनाकारक जीवनगत ितवतामे पाक मयदा िथक। ओ सेो जीवनक ित ओिना ितव ोिथ।िनक पा योजनापर दृिपात करैत छी तँ प ट भ’ जाइछ जे ओ म य एवं िन नवगय सामािजक पिरवेशक ितिनिध व करैतदेखल जाइत अिछ जकरा समक्ष रोजी-रोटीक संगि-संग अपन जीवको्पाजर्नाथर् िविवध सम या सुरसा सदृश मु बौने ठाढ़ छैक।एि दृष् िटएँ थान एवं घरैयालूिरक अिधकांश पा िन न गमैया सामािजक पिरवेशक ितिनध व करैत अिछ। ननिदओकेँ ननिद,मलरिव, िदशाबोध, वाइचा स, कौआ ल’ गेल कानक अिधकांश पा सेो ओी ेणीमे अबैत छिथ। म यम वगय ेणीमे43

<strong>िव</strong> <strong>दे</strong> <strong>ह</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> <strong>Videha</strong> <strong>িবেদহ</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>Videha</strong> Ist Maithili Fortnightly e Magazine <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक '<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>''<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ अंक ५७)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम<strong>ह</strong> संस्कृ ताम् वात योर भारतक मुख वृि जनसामायक सम ा आयल अिछ टाचार। टाचारी वृि <strong>ह</strong>मर जीवनमे एि<strong>ह</strong> कारेँ वेश क’गेल अिछ जे ओि<strong>ह</strong>सँ मुिक्तक मागर् नि<strong>ह</strong> भेिट र<strong>ह</strong>ल अिछ। जीवनमे डेग-डेगपर एकर नग् न रूप प ट अिछ तथा समाजकेँ मुिक्तकमागर् नि<strong>ह</strong> भेिट र<strong>ह</strong>ल छैक। जँ पिरचमी-एवसडर् नाटकक ल य ितीय म<strong>ह</strong>ायुोर <strong>िव</strong>संगितक िचण करब छल तँ वात योरभारतमे उपजल करब चिर<strong>ह</strong>ीनता, ाचार एवं नूतन अध धािमर्कतापर तीण-यंग्यक <strong>ह</strong>ार करब मैिथली एकांकीकारक लयबिन गेल छिन। अतएव वातंयोर भारतमे उपजल चिर <strong>ह</strong>ीनता एवं ाचारक के-<strong>िव</strong>दुपर तीण-यंग्यक <strong>ह</strong>ार कयल गेलअिछ।उपयुर्क् त पिरे यमे ि<strong>ह</strong>नक <strong>ह</strong>ािकमक <strong>ह</strong>ािकम वा ननिदओक नािन दमे प ट झाँकी भेटैत अिछ। एि<strong>ह</strong>मे एक िनधर्न सं कृत पाठशालाकिशक्षक िचक मा यमे एकांकी ओि<strong>ह</strong> ाचारी िड टीक चिरकेँ उपिथत कयल गेल अिछ जे आकंठ टाचारमे डूबल अिछ।िड टी सा<strong>ह</strong>ेब टाचारक तीक छिथ जिनक िनदर्यतासँ िशक्षक समुदाय बेचैन र<strong>ह</strong>ैछ, िक तु ओ एि<strong>ह</strong> <strong>िव</strong>षयकेँ सवर्था िबसिर जाइतअिछ जे ओकरो ऊपर कोनो अिधकारी छैक। सं कृत पाठशालाक िशक्षक <strong>िव</strong>ालयसँ अनुपिथत र<strong>ह</strong>लाक कारणेँ पाँच टाका घूसिड टीकेँ गछैत छिथ, िक तु टाकाक अभावक कारणेँ शीि<strong>ह</strong> अदा करबासँ वंिचत र<strong>ह</strong>ैत छिथ। कूलक वािषर्को सवमे पिडत जीचेयरमेन सा<strong>ह</strong>ेबक सोझॉं रूपैया दैत छिथ। एि<strong>ह</strong> घटनासँ िड टी सा<strong>ह</strong>ेब आ<strong>ह</strong>त भ’ जाइत छिथ, कारण ओ <strong>ह</strong>ुनक <strong>ह</strong>ािकम छिथन।जि<strong>ह</strong>ना पािरवािरक जीवनमे ननिदक छैक, ओ अ याचार करबामे कनेको कुंिठत नि<strong>ह</strong> <strong>ह</strong>ोइछ। अतएव एकांकीकार अ य त िनयोिजतढ़ंगे सामािजक पिरे यमे घिटत भेिन<strong>ह</strong>ार घटनाक िचांकन कयलिन अिछ एि<strong>ह</strong> एकांकीमे।िनधर्नता सामािजक जीवनक अिभशाप िथक। जतय ाचीन समयमे समाजवादी समाज छल ततय आधुिनक पिरे यमे यिक्तवादीसमाजक थापना शनै:-शनै भ’ र<strong>ह</strong>ल अिछ। एकर ेय छैक पिमी सं कृित ओ स यताकेँ। वर्मान शता दीक उरार्मेसामािजक पिरवेशमे एतेक शीतासँ पिरवर्न भ’ र<strong>ह</strong>ल अिछ जे सामािजक वरूप पिरवितर्त भ’ गेल अिछ। यिक्त आब एतेकबेसी आ म केित भ’ गेल अिछ जे एकैसम शता दीक वेश करैत-करैत अपन ाचीन पिरवेशक पिर याग करबाक <strong>ह</strong>ेतु <strong>िव</strong>वश भ’गेल अिछ। <strong>ह</strong>मर सामािजक पिरवेश कतेक दूिषत भ’ गेल अिछ तकर वा त<strong>िव</strong>कताक िचण एकांकीकार कयलिन अिछ िदशाबोधएकांकीमे। सु दर युवाव थाक च ड िब<strong>ह</strong>ािड़मे सामािजक पिरवेश पिरविर्त भ’ जयबाक कारणेँ ए<strong>ह</strong>न िदग्िमत भ’ गेला<strong>ह</strong> जे अपनवृ माता-िपता पयर् तकेँ अपन सुख-सु<strong>िव</strong>धाक िजनगीमे बाधक मानैत छिथ। िक तु <strong>ह</strong>ुनक प नीपर पर पराक छाप एतेक वेसी छिनजे आधुिनक पिरवेशमे रि<strong>ह</strong>त<strong>ह</strong>ुँ ओ अपन मयदाक पृ ठ पोिषकाक रूपमे जन सामा यक सम ा तुत <strong>ह</strong>ोइत छिथ। इए<strong>ह</strong> कारण अिछजे <strong>ह</strong>ुनका अपन ससुर एवं सासुक ित असीम ा ओ सावना छिन। एकर पालन करबाक <strong>ह</strong>ेतु ओ अपन पितक <strong>िव</strong>रोध करैतछिथ :<strong>ह</strong>म अ<strong>ह</strong>ाँक गािजर्यन िकएक र<strong>ह</strong>ब, मुदा जे माय - बाप एतेकिसित सि<strong>ह</strong> क’ पोसलिन - पाललिन, िलखौलिन - पढ़ौलिन,ताि<strong>ह</strong> मायक वा ते दवाइ लय अ<strong>ह</strong>ॉं क<strong>ह</strong>ैत िछएेक बूढ़ाझीटय चा<strong>ह</strong>ैत छिथ आ िसनेमामे पाइ फेकय जाइत छी सेउिचत िथकैक। (िमिथला िमि<strong>ह</strong>र 16 जुलाई, 1978)42

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