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िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह

'िवदेह' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ ... - WordPress.com

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<strong>िव</strong> <strong>दे</strong> <strong>ह</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> <strong>Videha</strong> <strong>িবেদহ</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>Videha</strong> Ist Maithili Fortnightly e Magazine <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक '<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>''<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ अंक ५७)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम<strong>ह</strong> संस्कृ ताम्एि<strong>ह</strong> पिरे यमे ि<strong>ह</strong>नक एकांकी घरैया लूिर (1958) एक म<strong>ह</strong> वपूणर् उपलिध िथक। <strong>िव</strong>सुन<strong>दे</strong>व ामीण पिरवेशक पिर याग क’<strong>िव</strong>से सरक संग कलका सदृश म<strong>ह</strong>ानगरीय पिरवेशमे रोजगारक तलाशमे जयबाक आकांक्षी अिछ। मुदा <strong>िव</strong>से सर श<strong>ह</strong>री पिरवेशसँपिरिचत र<strong>ह</strong>लाक कारणेँ ओकर वा त<strong>िव</strong>क किठनाइसँ अपन बाल संगी िम <strong>िव</strong>सुन<strong>दे</strong>वकेँ ए<strong>ह</strong>न िनणर्य करबासँ सवर्था मना करैत अिछ:<strong>ह</strong>म सौचैत िछऔक जे तोरा की करक चाि<strong>ह</strong>अउ तो<strong>ह</strong>ूँ नीकजकाँ सोिच ले। (वैद<strong>ह</strong>ी, नव बर-िदस बर 1958, पृ ठ -407)<strong>िव</strong>से सर, अपन नेक सला<strong>ह</strong> दैत छैक जे अपन पुतैनी अथात्र् करघा चला क’ अपन पिरवारक संग, सुखी स प न रि<strong>ह</strong> सकैतअिछ। एकर ओ समुिचत ब ध से<strong>ह</strong>ो क’ दैत छैक, जकर पिरणाम <strong>ह</strong>ोइछ जे <strong>िव</strong>सुन<strong>दे</strong>व गामि<strong>ह</strong>मे रि<strong>ह</strong> अपन रोजगार क’ कए सुखी-स प भ’ जाइत अिछ। <strong>िव</strong>सुन<strong>दे</strong>वक <strong>दे</strong>खा-<strong>दे</strong>खी गो<strong>िव</strong> द िम ी, सैनी ठठेेरी एवं िझंगुर चमार ारा िनिमर्त पलंग, झािल ओ ढ़ोलकबाजारमे छु<strong>ह</strong>ुा उिड़ जाइत अिछ। एकांकीकारक मा यता छिन, जे आधुिनक िशक्षा णाली यिक्त - यिक्तकेँ रोजगार मु<strong>ह</strong>ैया नि<strong>ह</strong>करा सकैछ। जा धिर यिक्त पु तैनी ध धाकेँ नि<strong>ह</strong> अपनाओत ता धिर ओकर सामािजक पिरवेश कोनो तर<strong>ह</strong>क सुधारक स भावनानि<strong>ह</strong> दृिगत <strong>ह</strong>ोइछ। अतएव एकांकीक मूल वर छैक अपन कौिलक ध धाक अनुरूपि<strong>ह</strong> िशिक्षत भ’ कए काज करब। तखने <strong>ह</strong>मरसामाि जक पिरवेश पिरविर्त भ’ सकैछ तथा यिक्त- यिक्त सुखी स प न बनबाक कामनाक पूितर् भ’ सकैछ।रा िपता म<strong>ह</strong>ा मा गाँधीक रामरा यक सपना एकरे फल वरूप साकार भ’ सकैछ। <strong>ह</strong>मर चीन सामािजक यव थामे येक जाितककायर् ओकर सामािजक पिरवेशानुसारेँ <strong>िव</strong>भािजत छलैक, तेँ वेरोजगारीक सम या नि<strong>ह</strong> उ प न <strong>ह</strong>ोइत छलैक। वणमक जे यव था<strong>ह</strong>मर समाजमे कयल गेल छलैक तकर मूल पिरक पना इए<strong>ह</strong> छलैक। िक तु पिरविर्त पिरवेशमे लोक ओि<strong>ह</strong>सँ <strong>िव</strong>मुख भ’ अिछ तेँवेरोजगारीक सम या समाज ओ सरकारक सम ा उपिथत भ’ गेल गेल अिछ। ितपा एकांकीमे एकांकीकार मूल रूपेँ कुटीर-उोग एवं गृ<strong>ह</strong>-उोग िदस जन सामायक यानाकषर्ण कयलिन अिछ। अ याधुिनक पिरवेशमे समाजमे, <strong>दे</strong>शमे, पुनिनमण तथासामािजक चेतनाक आव यकता अिछ। एकांकीकार अपन यिक्तगत जीवनक याव<strong>ह</strong>ािरक अनुभवक आधारपर समाज ओ <strong>दे</strong>शमेचिलत योजना तगर्त घरैया लूिरक के -<strong>िव</strong> दुमे िनरूिपत कयलिन अिछ। ओ समाजक ओि<strong>ह</strong> पक्ष िदस संकेत कय लिन अिछ जेअ याधुिनकताक चवातमे पि़ड़ कौिलक िया-कलापके ितलांजिल द’ कए श<strong>ह</strong>रो मुख <strong>ह</strong>ैबाक आकांक्षी भ’ गेल अिछ। िक तुयोजन अिछ जनमानसमे िदशा-िनदशनक जकर फल वरूप ओकर कायाकप कयल जा सकैछ। उिचत िदशा बोधक फल वरूप<strong>िव</strong>सुन<strong>दे</strong>व, गो<strong>िव</strong> द िम ी, सैनी ठठेरी ओ िझंगुर चमार समािजक पिरवेशमे रि<strong>ह</strong> क’ अपन आिथर्क िथितकेँ सुधारबामे सक्षम भ’सकला<strong>ह</strong> आ उितक िशखरपर चिढ़ समाजक अ य यिक्तकेँ अपन कौिलक यवसाय िदस उ मुख कयलिन।मलर<strong>िव</strong>मे एकांकीकार <strong>ह</strong>ा य- यंग् यक अूत धारा वाि<strong>ह</strong>त कयलिन अिछ। जि<strong>ह</strong>ना का यक क्षेमे एि<strong>ह</strong> वृिक फुटन भेल अिछति<strong>ह</strong>ना ओकर वा त<strong>िव</strong>क वरूप एि<strong>ह</strong> एकांकीमे प ट अिछ जे पिडत लोकिन झूठक पंच रि<strong>ह</strong> सवर्साधारणक शोषण करैत आयलछिथ। एि<strong>ह</strong>मे राउत लोकिनक तथा पंिडत लोकिनक घूर्ताकेँ अ य त मनोरंजक ढ़ंगे एकांकीकार तुत कय लिन अिछ।41

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