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िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह

'िवदेह' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ ... - WordPress.com

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<strong>िव</strong> <strong>दे</strong> <strong>ह</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> <strong>Videha</strong> <strong>িবেদহ</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>Videha</strong> Ist Maithili Fortnightly e Magazine <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक '<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>''<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ अंक ५७)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम<strong>ह</strong> संस्कृ ताम्शोिषत वा गरीब वा <strong>िव</strong>प न वगर्पर <strong>ह</strong>ोइत अ याचारक वा त<strong>िव</strong>कतासँ अवगत करौलिन अिछ। ामीण पिरवेशमे ए<strong>ह</strong>न पर परा र<strong>ह</strong>लअिछ जे गामक िड<strong>ह</strong>बाक अथत थान गामक यायालय तीक मानल जाइत छल, जतय नीक अधला<strong>ह</strong>क <strong>िव</strong> लेषण क’ कएदोषीकेँ द ड <strong>दे</strong>ल जाइत छलैक, जकर ओ साक्षी <strong>ह</strong>ोइत छला<strong>ह</strong>। समाजक आचार संि<strong>ह</strong>ताक ओ तीक <strong>ह</strong>ोइत छला<strong>ह</strong>। थानजतय गाममे र<strong>ह</strong>िन<strong>ह</strong>ारक सुख-दुःखक समान रूपेण स<strong>ह</strong>भागी <strong>ह</strong>ाेइत छिथ। समाज क याण जिनक सवर्मुख वैिश य छिन तथासामािजक क याणमे अपन क याण मानैत छिथ। ए<strong>ह</strong>न यायालयमे बैिस क’ लोक दूधक दूध आ पािनक पािन याय करबामेव तुतः सक्षम <strong>ह</strong>ोइत छिथ। वै<strong>ह</strong> िड<strong>ह</strong>बार समाजमे सतत पूिजत <strong>ह</strong>ोइत र<strong>ह</strong>ल छिथ तथा समाज <strong>ह</strong>ुनक स मान करैत आयल अिछ।बदलैत समािजक पिरवेशमे ए<strong>ह</strong>न मा यतामे पिरवर्न भेल जकर पिरणाम भेल अिछ जे वातंयोर भारतमे राम रा यक थापनाकउे यसँ ाम पंचायतक थापना कयल गेलैक तथा ओकर धान मुिखयाक <strong>ह</strong>ाथमे गामक याय करबाक उरदाियव <strong>दे</strong>ल गेलिन।मुदा मुिखया याय की करैत छिथ ओ तँ अ यायक तीक बिन क’ अपन राक्षसी वृिसँ समाजपर अ याचार करैत छिथ। ए <strong>ह</strong>ीयथ थताक पृ ठभूि ममे एकांकीकार थान एकांकीक कथािभिक िनमण कयलिन अिछ।गामक मुिखया <strong>ह</strong>िरवंश बाबूकेँ युग-युगा तरसँ दीन-<strong>ह</strong>ीन जनमानसकेँ शोिषत करबाक अयास छिन। सुिगयाक बेटा मखना <strong>िव</strong>गतअठार<strong>ह</strong> िदनसँ वराा त छैक जे <strong>ह</strong>ुनक शोषण नीितक फलस् वरूप अक मात् काल-क्विलत भ’ जाइत अिछ। सुिगयाक मा एतबेअपराध छैक जे समयपर <strong>ह</strong>ुनका ओतय पािन भरबाक <strong>ह</strong>ेतु नि<strong>ह</strong> जाइत अिछ, जकर इनाम ओकरा भेटैत छैक मािर-गािर सुनबैतिनमर्मतापूवर्क पीटब ओ अपमािनत करब। सुिगयाक अ घभक् त पित पचकौड़ी अपन पुक मृयुसँ आ<strong>ह</strong>त भ’ परम् परागत यायालयकतीक थानक अित वकेँ मेटैयबाक लेल किटब अिछ, िक तु ठकाइक बात मािन अपन <strong>िव</strong>चारकेँ बदिल दैछ। अततः ओ<strong>ह</strong>ी थानमे गामक सब क् यो उपिथत भ’ वर्मान मुिखया <strong>ह</strong>िरवंश बाबूकेँ पदच् युत क’ कए एक नव मुिखयाक चुनावक नारा दैतअिछ।एकांकीकार शोिषत वगर्क बीच युगयुगा तरसँ चल आिब र<strong>ह</strong>ल आोशसँ कथानकक िनमण कयलिन अिछ। ितपा एकांकीमेमूलत: दुइ <strong>िव</strong>चारधारासँ संघषर्रत अिछ। एक तँ पर परासँ चल अ ािब र<strong>ह</strong>ल बि<strong>ह</strong>याक ित शोषक वगर्क नृशंस <strong>ह</strong> या दोसर भागसमसामियक सामािजक पिरवेशमे चिलत चुनाव-पित तथा आधुिनक मुिखयाक ियाकलापक वा त<strong>िव</strong>कतापर जे अ <strong>ह</strong>रजाली छलतकरा <strong>ह</strong>टयबाक उपम कयल गेल अिछ। पिरविर्त पिरवेशमे समाजमे <strong>िव</strong>ो<strong>ह</strong>क वर अ य त तीवर् भ’ गेल अिछ तेँ सामािजकपिरवेशकेँ पिरविर्त करबाक योजन अिछ। एकंाकीकार इए<strong>ह</strong> वृि छिन।कतोक शता दीक गुलामीक प चात् भारतकेँ वत ता ा त भेलैक। <strong>दे</strong>शक नव-िनमणक <strong>ह</strong>ेतु कितपय योजनािद िया<strong>िव</strong>त करबाकिदशामे सरकार यासो मुख भेल। सरकारक िदससँ से<strong>ह</strong>ो कितपय योजनाकेँ कायर्रूप <strong>दे</strong>बाक <strong>ह</strong>ेतु यास कयल गेल। एकर एकमा उे य छलैक को<strong>ह</strong>ुना यिक्त- यिक्त जे गरीबीक मािरसँ कु<strong>ह</strong>िर र<strong>ह</strong>ल अिछ ताि<strong>ह</strong>सँ मुिक्त िदयबाक िदशामे यास कयल जाय।अिधकांश ामीण गामक पिर याग क’ श<strong>ह</strong>रो मुख <strong>ह</strong>ैबाक िदशामे यास करय लागल। तकर भीषण दु पिरणाम भेलैक जे गामक गामजनशू यताक कगारपर प<strong>ह</strong>ुँचय लागल। समाजक समक्ष एक <strong>िव</strong>षम िथित उ प न <strong>ह</strong>ोमय लगलैक। ए<strong>ह</strong>ना िथितमे ामीण पिरवेशकेँबचयबाक लेल जनमानसमे ए<strong>ह</strong>न वातावरणक िनमण कयल गेल जे ओ ओ<strong>ह</strong>ी पिरवेशमे रि<strong>ह</strong> अपन जीवकोपाजर्नाथर् अपन कौिलकध धाकेँ पुनः वीकार करय। एकर दूटा भाव पिड़तैक। एक तँ लोक अपन गृ<strong>ह</strong>-उोग िदस उ मुख <strong>ह</strong>ोइत आ दोसर श<strong>ह</strong>रीपिरवेशपर अनाव यक दबाब नि<strong>ह</strong> पिड़तैक।40

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