िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह

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िव दे िवदे Videha িবেদহ िवदे थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine िवदे थम मैिथली पािक्षक 'िवदे''िवदे' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ अंक ५७)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम संस्कृ ताम्छल । ँ ! कतौ कतौ पाक बीच संवादक बटबारा मे असंतुलन भ’ गेल अिछ । कोनो कोनो पा के संवादअयिधक लबा भ’ गेल अिछ जेना – दयावीर-2 मे अलावीन आ मीरदेवक संवाद, चोर-5 मे िवमक संवाद,सुबुि-॥ मे गणेर आ वामदेवक संवाद आिद । कोनो नायरूप बुत छोट भ’ गेल अिछ जेना तमोगुणी धािमर्क-31 ।अंत मे म ई त’ नि कि सकब जे एि पुतकक कतेक नाय रूपक मंचन कयल जायत मुदा ई त’ िनित जेमैिथली नाय सािय के योगानंद सुधीर जी अित मवपूनर् पुतक दान केलैथ अिछ । एि लेल मरा सभकेँ ुनकरआभारी ोमक चाी । ई पुरुष परीक्षाक नाय रूपांतरण सािियकी काशन, सिरसब पाी, मधुबनी सँ कािशतकयल गेल अिछ । पुतकक मूय 200 टाका आ कुल पृ सं. 318 अिछ । पुतक ाित थान – ो. योगानदिसं झा, वाडर् नं.- 06, िवनोदानंद झा कॉलोनी, मधुबनी- 847211 (िबार) ।२िबिपन झामजदूर सँ दूर मजदूर िदवसमजदूर िदवस पर िकछु िलखै लय सोचलुँ त िविभ लेबर चौराा पर भौरे-भोर एकित भेल मजदूर सभक छिब सामने आिबजाइत अिछ। दीन ीन दशा कमजोर वाय, चेरा पर काज भेटैकऽ आशा धारण करने, अवैवला याqक्त (मािलक) के तरफदौगैइक िसलिसला आ कते िदन १२-१ बजे तक काज नै भेटला पर आशा समात भेला पर िनतेज चेरा लेने घर वापस जाइकम इ सभटा उपिनषाक्य `मेव जयते' कऽ असली आयना देखवै छैक। इ सभटा मजदूर मुकराज आनद कऽ उपयास`कुली' के कुली कऽ भूिमका में एकदम िफट वैसैत छै।आिखर इ बार-बार िदमाग में कौध जाइत अिछ जे आइ कऽ म धान िव में, मकऽ पूजा करैवला भारत वषर् में मजदूरवगर् कऽ िवशेषकर असंगिठत क्षेकऽ मजदूरकऽ इ कारुिणक दुदर्शा िकया छैक। ओकर की अपराध? गरीब भेनै, शोिषत भेनै,मजबूर भेनै अथवा िवधाता कऽ जगत् पंच कऽ िसा भेनै?िआर्थक असुरक्षा - सामािजक असुरक्षा - उोगपित मािलक वगर् के शोषण - तथाकिथत उच्च वगर् के अपमानपूणर् दृिकोण -सरकारी उपेक्षा - भयंकर िन जीवन तर के अपन िनयित मानिनार िमक वगर् कऽ इ दशा कोनो गितशील उमशील समाजपर कलंक थीक।32

िव दे िवदे Videha িবেদহ िवदे थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine िवदे थम मैिथली पािक्षक 'िवदे''िवदे' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ अंक ५७)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम संस्कृ ताम्यिप िमक वगर् कऽ कयाण - याय के ेतु कते तर कऽ नाटक सायवाद माक्र्सवाद समाजवाद, Nउध्, ेडयूिनयनवाद केरूप में िकयान भेलै इ सभ िमक वगर् कऽ दशा कऽ इंटलेक्चुअल मावâिंटग कय अपन दुकान चले लिथ आ पिरणाम कऽ केरूप में वातनाम केवलम्।ामीण क्षे में चलैत नरेगा कऽ नाम पर सरकार भले कते िकया। अपन पीठ ठोकिट वातिवकता त इ थीक जे इ सभटाकायर्म अपन उेय सँ कोसो दूर अिछ।वातव में इ समाज सरकार के ाथिमक कतर्य ेवाक चाी िक ओ समाज क इ मजबूत ाथ के मजबूती दान करैिथ अयथारा अपन आमा कऽ नन कय िकऊ आगा नि बिढ़ सवैâत अिछ। आशा अिछ जे इ मजदूर िदवस िकछु िवशेष रत जेिमक वगर् के जीवन में िकछु काश अवय आनत तािक म सब मेव जयते कऽ साथर्क कय सकी।ेमशंकर िसं: ाम+पोट- जोिगयारा, थाना- जाले, िजला- दरभंगा।मौिलक मैिथली: १.मैिथली नाटकओ रंगमंच,मैिथली अकादमी, पटना, १९७८ २.मैिथली नाटक पिरचय, मैिथली अकादमी, पटना, १९८१३.पुरुषाथर् ओ िवापित, ऋचा काशन, भागलपुर, १९८६ ४.िमिथलाक िवभूित जीवन झा, मैिथली अकादमी,पटना, १९८७५.नायावाचय, शेखर काशन, पटना २००२ ६.आधुिनक मैिथली साियमे ाय-यंग्य, मैिथलीअकादमी, पटना, २००४ ७.पािणका, कणर्गोी, कोलकाता २००५, ८.ईक्षण, ऋचा काशन भागलपुर २००८९.युगसंिधक ितमान, ऋचा काशन, भागलपुर २००८ १०.चेतना सिमित ओ नायमंच, चेतना सिमित, पटना२००८। २००९ ई.-ी ेमशंकर िसं, जोिगयारा, दरभंगा याी-चेतना पुरकार।अमरक एकांकी-सनक सामािजक यथाथर्नाटकक कृ या सामािजक कला िथक। एकर आयोजनसँ ल’ कए अवलोकन धिर सम त िया समाजे ारा स पािदत ोइतअिछ। अ तत: एकर दशर्न समाज ारा सामािजक लेल कयल जाइत अिछ। अतएव एकर सवर् वर समाज ारा सामािजकतासँस पु ट अिछ। एकर संरचनाक मूल ेरणाक थल सामािजक िथक। लेखक समाजगत ेरणासँ अनुािणत भ’ कए नाय रचनािदस वृ ोइत छिथ। समािजक जीवनमे घिटत भेेिनार िविभ न िया कलाप, वेष-भूषा, भाषा आिदक आधारपर नाटकककारअपन नाय िया कृितमे कथानक, पा, रस, संवाद आिद िविभ न नाट कीय त वक समावेश करैत छिथ। नायकक मानसपटलपर समाजक जे वरूप अंिकत ोइत छिन ओकरा ओ पुन: सामािजकक समक्ष दिशर्त करैत छिथ। कोनो देशक समामािजकिवकास तथा नाय-साियेितािसक तुलना मक िव लेषणसँ प ट भ’ जाइछ नाटकक संरचनामे सामािजकक ेरणा सवर्दा मुख वरूप रल अिछ। मैिथली नाय पर पराक अवलोकनसँ सामािजक ेरणाक वरूप पूणर् रूपेण प ट भ’ जाइछ। एिमे समाजकयथ थ िथितक िचण नाटकककार अ य त सू मतासँ क’ कए वातिवकताक पिरचय देलिन अिछ। येक म वपूणर् नाटकककारएवं एकांकीकार ओ अपन कृितक मा यमे जीवनक कोनो-ने-कोनो मूयकेँ अपन अ तदृिकेँ अपन सामािजक, दाशर्िनक, नैितक,33

<strong>िव</strong> <strong>दे</strong> <strong>ह</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> <strong>Videha</strong> <strong>িবেদহ</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>Videha</strong> Ist Maithili Fortnightly e Magazine <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक '<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>''<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ अंक ५७)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम<strong>ह</strong> संस्कृ ताम्यिप िमक वगर् कऽ कयाण - याय के <strong>ह</strong>ेतु कते तर<strong>ह</strong> कऽ नाटक सायवाद माक्र्सवाद समाजवाद, Nउध्, ेडयूिनयनवाद केरूप में िकयान भेलै इ सभ िमक वगर् कऽ दशा कऽ इंटलेक्चुअल मावâिंटग कय अपन दुकान चले लिथ आ पिरणाम कऽ केरूप में वातनाम केवलम्।ामीण क्षे में चलैत नरेगा कऽ नाम पर सरकार भले कते िकया। अपन पीठ ठोकिट वात<strong>िव</strong>कता त इ थीक जे इ सभटाकायर्म अपन उेय सँ कोसो दूर अिछ।वातव में इ समाज सरकार के ाथिमक कतर्य <strong>ह</strong>ेवाक चा<strong>ह</strong>ी िक ओ समाज क इ मजबूत <strong>ह</strong>ाथ के मजबूती दान करैिथ अयथारा अपन आमा कऽ <strong>ह</strong>नन कय िक<strong>ह</strong>ऊ आगा नि<strong>ह</strong> बिढ़ सवैâत अिछ। आशा अिछ जे इ मजदूर िदवस िकछु <strong>िव</strong>शेष र<strong>ह</strong>त जेिमक वगर् के जीवन में िकछु काश अवय आनत तािक <strong>ह</strong>म सब मेव जयते कऽ साथर्क कय सकी।ेमशंकर िसं<strong>ह</strong>: ाम+पोट- जोिगयारा, थाना- जाले, िजला- दरभंगा।मौिलक मैिथली: १.मैिथली नाटकओ रंगमंच,मैिथली अकादमी, पटना, १९७८ २.मैिथली नाटक पिरचय, मैिथली अकादमी, पटना, १९८१३.पुरुषाथर् ओ <strong>िव</strong>ापित, ऋचा काशन, भागलपुर, १९८६ ४.िमिथलाक <strong>िव</strong>भूित जीवन झा, मैिथली अकादमी,पटना, १९८७५.नायावाचय, शेखर काशन, पटना २००२ ६.आधुिनक मैिथली साि<strong>ह</strong>यमे <strong>ह</strong>ाय-यंग्य, मैिथलीअकादमी, पटना, २००४ ७.पािणका, कणर्गोी, कोलकाता २००५, ८.ईक्षण, ऋचा काशन भागलपुर २००८९.युगसंिधक ितमान, ऋचा काशन, भागलपुर २००८ १०.चेतना सिमित ओ नायमंच, चेतना सिमित, पटना२००८। २००९ ई.-ी ेमशंकर िसं<strong>ह</strong>, जोिगयारा, दरभंगा याी-चेतना पुरकार।अमरक एकांकी-<strong>ह</strong>सनक सामािजक यथाथर्नाटकक कृ या सामािजक कला िथक। एकर आयोजनसँ ल’ कए अवलोकन धिर सम त िया समाजे ारा स पािदत <strong>ह</strong>ोइतअिछ। अ तत: एकर दशर्न समाज ारा सामािजक लेल कयल जाइत अिछ। अतएव एकर सवर् वर समाज ारा सामािजकतासँस पु ट अिछ। एकर संरचनाक मूल ेरणाक थल सामािजक िथक। लेखक समाजगत ेरणासँ अनुािणत भ’ कए नाय रचनािदस वृ <strong>ह</strong>ोइत छिथ। समािजक जीवनमे घिटत भेेिन<strong>ह</strong>ार <strong>िव</strong>िभ न िया कलाप, वेष-भूषा, भाषा आिदक आधारपर नाटकककारअपन नाय िया कृितमे कथानक, पा, रस, संवाद आिद <strong>िव</strong>िभ न नाट कीय त वक समावेश करैत छिथ। नायकक मानसपटलपर समाजक जे वरूप अंिकत <strong>ह</strong>ोइत छिन ओकरा ओ पुन: सामािजकक समक्ष दिशर्त करैत छिथ। कोनो <strong>दे</strong>शक समामािजक<strong>िव</strong>कास तथा नाय-साि<strong>ह</strong>येित<strong>ह</strong>ािसक तुलना मक <strong>िव</strong> लेषणसँ प ट भ’ जाइछ नाटकक संरचनामे सामािजकक ेरणा सवर्दा मुख वरूप र<strong>ह</strong>ल अिछ। मैिथली नाय पर पराक अवलोकनसँ सामािजक ेरणाक वरूप पूणर् रूपेण प ट भ’ जाइछ। एि<strong>ह</strong>मे समाजकयथ थ िथितक िचण नाटकककार अ य त सू मतासँ क’ कए वात<strong>िव</strong>कताक पिरचय <strong>दे</strong>लिन अिछ। येक म<strong>ह</strong> वपूणर् नाटकककारएवं एकांकीकार ओ अपन कृितक मा यमे जीवनक कोनो-ने-कोनो मूयकेँ अपन अ तदृिकेँ अपन सामािजक, दाशर्िनक, नैितक,33

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