िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह
'िवदà¥à¤¹' ५ॠम ठà¤à¤ ०१ मठ२०१० (वषरॠ३ मास २९ ... - WordPress.com
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<strong>िव</strong> <strong>दे</strong> <strong>ह</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> <strong>Videha</strong> <strong>িবেদহ</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>Videha</strong> Ist Maithili Fortnightly e Magazine <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक '<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>''<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>' ५७ म अंक ०१ मइ २०१० (वषर् ३ मास २९ अंक ५७)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम<strong>ह</strong> संस्कृ ताम्मैिथलीमे उच्चारण िनदश, मैिथली गजल-शा- भाग-२ मे <strong>दे</strong>ल गेल अिछ।<strong>ह</strong>मर मो.नं. ९९११३८२०७८ अिछ।सादर४आशीष अनिच<strong>ह</strong>ारकािफया केखनो शदक नि<strong>ह</strong> , वणर् आ मााक <strong>ह</strong>ोइत छैक। जेना <strong>ह</strong>मरापर आ ओकरापर दूनू शद मे र कािफया छैक। तेनाि<strong>ह</strong>तेआरे आ माँड़े(<strong>ह</strong>मर गजलक) मे ए माा किफया छैक।एकै भाव बला गजल दूिषत मानल जाइत अिछ।उर:मैिथली आ संकृतमे मा तुकात (अतक तुक) लयक िनमण नि<strong>ह</strong> करै छै, मुदा किरतो छै।से ई गप जे-जे तुक िमलानीक दृिएँ ओ<strong>ह</strong>ूमे शदक आरभ-मय-आिखरीक िकछु अक्षर नि<strong>ह</strong> बदलै छै।सायास िलखल गेल अिछ।वेद-ए-मुकस मे वेदक <strong>िव</strong>षएमे अली सरदार जाफरी िलखै छिथ- शुऊरे-इसाँ के आफताबे-अजीम की अवलॴ शुआएँ- मनुयकचेतनाक पि<strong>ह</strong>ल िकिरण।जेना तिमलमे संकृत शदक आ तुकमे अरबी शदक बि<strong>ह</strong>कारक आदोलन चलल ति<strong>ह</strong>ना फारसीमे (फारसक ाचीन थ अवेताआ वैिदक-संकृतक मय समानता य) से<strong>ह</strong>ो अरबी शदक बि<strong>ह</strong>कार आ तकरा थानपर आयर् भाषा-समू<strong>ह</strong>क शदक <strong>ह</strong>णकआदोलन चलल अिछ। मैिथलीमे से<strong>ह</strong>ो ि<strong>ह</strong>दी-उदूर् शदक ब<strong>ह</strong>ुलतासँ योग भाषाक अितवपर संकट जेकाँ अिछ, खास कऽिमिथलाक्षरक मैिथल ाण संदाय ारा दा<strong>ह</strong>-संकार कएलाक बाद।आब उदूर् गजलपर आबी। १८९३ ई.मे <strong>ह</strong>ाली मुकमा-ए-शेर-ओ-शायरी िलखलि<strong>ह</strong> जे <strong>ह</strong>ुनकर काय-सं<strong>ह</strong>क भूिमका छल। ओि<strong>ह</strong>समए धिर उदूर् गजलक <strong>िव</strong>षय आ रूप दुनू मृताय छल से <strong>ह</strong>ाली <strong>िव</strong>षय-पिरवतर्नक आान तँ केबे कएलि<strong>ह</strong> संगि<strong>ह</strong> कािफया आरदीफक सरल वरूपक ओकालित कएलि<strong>ह</strong>। ओ िलखै छिथ जे एकाधे टा शेर आइ-काि नीक र<strong>ह</strong>ैए आ शेष गजल फारसीकशद सभसँ भिर <strong>दे</strong>ल गेल शेरक संकलन भऽ जाइए जाि<strong>ह</strong>सँ ओकर तर<strong>ह</strong>ीनतापर लोकक यान निञ जाए। से उदूर् गजल धािमर्ककरतापर यंग्यक क्षेमे फारसी गजलसँ आगाँ बिढ़ गेल।11