Videha ‘िवदेह’
Videha_01_11_2008_Tirhuta
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<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्दिनया ु ं आतंकसँ आा अिछ मा,ँअज्ञानताक-अंधकारसँ भरल अिछ मा ँअशासनक कमी खलै अिछ मा ँ॥अहा ँक शरणमे आएल छी मा, ँ दया कऽकेँ अपनाब ू मा...॥३॥ँअपन परायाक ज्ञान घटल अिछ,अधम र्क, अकम र्क बाजार गम र् अिछएिह जगसँ अज्ञानताक-अंधकार द ूर क मा ँ-अही ं क शरणमे आएल छी मा, ँ ताप रहहोँ...॥४॥द ुखी जनक द ुःख द ूर क मा ँसम र्क भाव जन-जनमेअिवल आिबकेँ अही ं भ मा ँ।अही ं क शरणमे आएल छी मा, ँ दया कऽकेँ अपनाव ू मा ँ॥५॥िव काणक भाव सभमे जगा िदयो मा,ँसम ् िशवम ् सुरम ् क ज्ञान सभमे भिर िदयो मा ँवसुधैव कुटुक िवचार सचािरत कऽ िदयो मा ँअही ं क शरणमे आएल छी मा, ँ दया कऽकेँ अपनाव ू मा ँ“अु”89