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Videha ‘िवदेह’

Videha_01_11_2008_Tirhuta

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<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्नर ओ नर िरपु संग िनभै िकनको मुख निहं मपान।िविधना लैि अपर िवधान हुनकर निहं पिरमाण॥कक अ निहं कहुखन देखलह ु ँ किहं िवतय ाण।भूखक ाला द करै अिछ- ेह-म-सान॥िपता पुसँ झपिट खाए छिथ- रोटी-न महान।जठरानल धधकल अिछ सभतिर निहं ब ुझिथ संतान॥सव र् ा ंत कएलैि कोशी माता निहं िकछु बा ंचल जोर।प ूव र् िमिथला कोशी कातक चहु ँ िदिश करए िकलोल॥एिह िविच देखलह ु ँ अुत “ देखना” “मािरचक” भरमार।मौका पािव ल ू िट रहल अिछ सेवा भेल ापार॥दिनया ु ँ दौड़ल बािह ँ पसािरक, बैसोलक घड़जोड़ि◌,अ-वस् ओ आिलन दए, कएलक भाव-िवहोर॥सचमे! दिनया ु ँ एखनहु ँ बा ँचल- स भेल निहं थोड़।ृि िवधाता रक्षा करता, निहं होउ कमजोर- निहं होउ कमजोर।१.के- िशिवर२.धनजोर- स, धनी३.सरपोक- खतरा मु, िचामु४.नर-िरपु- सप र् इािद५.मािरच- मायावी राक्षस६.घड़जोड़ि◌- एक संग87

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