Videha ‘िवदेह’
Videha_01_11_2008_Tirhuta
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<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सपना रहएआ अगरएबाक लालसा रहए तोरेजका ँअपन िजनगीपरमुदा की करबहक...!मोन पाड़ह छोटमे जखन अपनासभती-ती आ पँचगोिटया खेलाइबेसी काल हमही ँ जीतैत रहीमुदा िजनगी जीबाक खेलमेहम हािर गेल छी बिहना।का ँट का ँटे होइ छै बिहनागड़◌ै कतह ु निहमुदा हम का ँटेकेँ अङेिज ले छीमािलन जँ का ँटकेँनइ अङेजतै बिहना तँ फेर गुलाब महमहएतै कोना?2. ोितकेँ wwwpoet . r y. comसँ संपादकक च◌ॉयस अवाडर् (अंजी पक हेतु) भेटलछि। हुनकर अंजी प िकछु िदन धिर wwwpoet . r ysoup. com केर मु प ृ पर सेहो रहलअिछ। ोित िमिथला िचकलामे सेहो पार ंगत छिथ आऽ िहनकर िमिथला िचकलाक दश र्नी ईिलंग आट र्ुप केर अंतत ईिलंग ◌ॊडवे, लंडनमे दिश र्त कएल गेल अिछ।84