Videha ‘िवदेह’
Videha_01_11_2008_Tirhuta
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<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्चलै मन...मध ु कैटभक डरे पड़एला जिटया यं िवधाता।प ूजन ान बना कएलिन कह हे माता॥बोधल हिर मारल मध ु कैटभ िबिधकेँ कएल गोहािर।चलै मन..मिहषासुरक ाससँ धरती थर-थर का ँपए लागलछोड़ि◌ अपन घर ािर देवता ऋिष मुिन जंगल भागल।हुनका सबहक क हिर लेलिन मिहषासुरकेँ मािर। चलै मन..हु ँ कारक उिरत शसँ ध ु गेल सुरधाम।च-मु आ रवीजकेँ िमटा देलिन मा ँ नाम।शु-िनशु मािर धरतीसँ दै कएल िनकटािर॥ चलै मन...शिश कुज ब ुध गु शु शिनवर की िदनमिणक तारा।सर, नर मुिन, गव र् अरा सबहक अही ँ सहारा।हमरो या पार क मा, ँ भबसँ िदय उबािर। चलै मन...१.पा धी २.ोितपा धीकेँ मैिथली सािहमे को िलिख कऽ सुयश ा छि। गृहणीक भूिमका कुशलतासँ िनभाबयबालीपाक सािह साधारण मिहलाक सजीवतासँ िचण करैत अिछ। लेखनक अितिर पा संगीतसँ सेहोज ुड़ल छिथ। पालक राजधानी काठमाूमे रहैत ई मैिथली, पाली, भोजपुरी आऽ िही भाषाक सयसँबेशी गीतकेँ अपन रसँ सजओ छिथ। गायन मे िहनका िताक संग-संग साधारण लोककगीतकेँ गाबए वाली गाियकाक पमे िचल जाइत छि। रेिडयो काय र्म ुतकता र्क पमे िहनकर82