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Videha ‘िवदेह’

Videha_01_11_2008_Tirhuta

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<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्हम सुना रहल छी तीन धारभारी सहैत अिछ भार कहिथ सभ खेती सिहते अिछ उजाड़।िगड़ सन सुटकओ नाङिर आग ू पाछ जे छल करैत।जे भोर सा ँझ, दश लोक माझ, हमरे िदश छल रिह-रिह बढ़◌ैत।हम आङुर पकड़ि◌ जकरा पथपर अित िश चलाऽ देलौ ंहमरे गितक पथकेँ आगा, ँ से ठाढ़ भेल बिनकऽ पहाड़॥हम सुनाककरा कहबै के सुनत आब, पओ कतौ छैक छै कतौ घाव,हम भेलौ ं आब ही समान, किहयो हमही ं िचगर कवाव।हम घास खाअकऽ पािल-पोिस, जकरा कएलौ ं द ुधगिर लगहिर,तकरा लगमे जँ जाइत िछयै, तऽ हमरे मारैए लथार॥ हम सुना,हम तोड़ि◌ देबै िझक-झोड़ि◌ देबै शाखा फल-फूल मचोड़ि◌ देबै,ाथ र्क छै जे जड़ि◌आएल ब ृक्ष तकरा जड़ि◌स हक कोड़ि◌ देबै।मनमे जे िचनगी सुनिग रहल, से किहयाधिर हम झािप ँ सकब,तें ई मन जिहया लहिर जेतै, तिहया खएतै धोिवया पछाड़॥ हम सुना३चलैमन जगदाक ािर चलैमन जगदाक ािर।सब द ुःख हरती झोड़◌ी भरती, िबगड़ल देती सािर॥81

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