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Videha ‘िवदेह’

Videha_01_11_2008_Tirhuta

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<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सभकें ल' चल जाए उिधया जेना अनचोखे को िबहाड़ि◌,आ ंगन मे सुखाइत डोर पर को आ ंगी जेका ंनिह जािन कोन िदशा आ कोन ठाम, ब ूझल हो मुदािबसरबो हो संभव ओिह आ ंगीक अथ र् जेनिह छल मा एकटा वस् कुंडाबोर लालेह िसंिचत को छुे देहक झंपनाओकर तानी भरनीक एक-एक ताग, तागक तंतु,लालीक संग आयुक छन अनभिर भुवनक अनो र ंग-रस-भीजलआ आ ंगी अंिगये निह, ल कृक श र्हुनके िद आ ंगुर हाथ आ ठोढ़क कहैत िकछु श,बजैत ब ंसुरीक िन-ितिन,चेतनामे सतत लगबैत गुदगुीओ छल िक क्षणक संगक श र्हुनकिह अमृतओएह छिथ हमर पिहरन ,कृें पिहर रही हम, उड़◌ा देलक जे िबहाड़ि◌आ ंगनक डोिर सं निह, जेना देहे सं,भेल छी उघार ,लाजें छी कायल, भेिल दोबिरएिह टटघर म ंडैया मे,जे अिछ य ं दस ठाम सं भूरे भूर अप उघारहमर की देह झा ंपत, की करत लाक रक्षा ?कहै लेल तं अप मड़◌ैया ई खासमुदा सेहो भेल कोन काय र्क ,माम ूली िवरड़◌ो-वसात सं पय र् बचा सकल,केहन अजगुत !तं िक कृे छिथ से हमर आ ंगी हरण कता र् िबहाड़ि◌ ?74

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