Videha ‘िवदेह’
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Videha ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা Videha Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह Videha িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्तिह पर ट ंगल हमर शरीर भारी, तथािपनिह टुटैये निह टुटैये, ध आसक डोिर,एिह िचक तीक्षा आशाबाटीक ईिवलक्षण खेल देल िसखाय,केहन कारी दय भेल, कृ ?िकछु पड़◌ैये मन अहूं के एको िमिसयाएको िमिसया ेह ,सोधन ?अही ं कें टुटैत रहैत छल मुंह-अनो नाम ल क' फुसफुसा क' कहब ,गे जवािसन छौड़◌ी ं !आिदवािसन कत' छलें कायिल?कोन जंगल-पहाड़ मे भ'गेल रहें अलोपभिर िदन, भ' गेलौ ंहें अक तोरा तािक-तािक...बा अचानक आिब पाछा ं कान मे कू-उ-उ क' देबठोढ़ सटाय हमर जीवन कें देहक बाटे , भिर देबतेहन द ुल र्भ अलौिकक झ ुरझ ुरी सवांग, र् जेबिन महातीथ र्क भोरहिरयाक िद मिदरंगनगनाय लागय भ सबहक अनवरतबजाओल जाइत मिदरक ं घ ंटी सं टनाटनहमर सूण र् अिे िननािदत क', पल खिसते जािन से कत' भ' जाइत रही अलोप...हमरा ाण कें िवकलताक एकपिहया टुटलबएलगाड़◌ी पर बैसा क' जेना कही-ताकू आब हमरा,तािक िलय', हम छी कोन ठाम, क ?केहेन बैसिल शािच हमरा, अरेई उपव क' कोना क' दी अशाअिछ िकछु एको िमिसया यािद, एकहु री मन ?से िकयेक हएत, आब तािह सं अहा ंक कोन संब ंधतकरा सं कोन अहा ं कें काज,िवकल जे भेल, होइत रहओ।छटपटाइत रहओ,72
Videha ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা Videha Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह Videha িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अहा ंक नाटक अपन अिगला-अिगला दृ सबहककरैत रहओ ओिरयाओन, िनरर।नव-नव िनम र्म रसक असंधान मेलागल रही, बड़ िदव ।कहा ं िकछु लोक लेल िचाको मुंहछुआओ एक बेर "िकयेक छौ मन हूस छौड़◌ी" ं ?''छौड़◌ी ं !'' नाम तं अिछये को हमर राधा,केहन मायावी केहन अिभनय असंभव लोक अहा ं यौ,मोिह बैसब बेबस भेल अपनिह ेही, आकअनवरत करब हरानिहनकर भ' गेलय िहक,बड़◌े आबय मजा लोक के क' िवकल अिरकोनहु ं कारें क' दी िकछु बेचैन आअप पार ।नाटक अहु ंक धिर अिछ कृ अपरार,हे सरकार !कख उिठतो अिछ मनक महासागरमे अपक,हमर नामक को टा पोठीयोक तर ंग ?कत' सं िकछु छूिट जाइत छैक जीवनकोन क्षण मनक महल ढनमना ढिह जाइछआ सब िकछु ब ुझाय लागत-थ,र्होयवाक अपन िकछु मतलब सौ ंसे प ृी परभेटत तक , इे रहत बा ंचल शेष जेताकी अपन से संसार ,पिछलो पहर धिर छल अप संगमनक सजल सपना सब कें अन मखमले सनआस-िवासें भरल आ ंचर सं झारैतओकरा पर पड़ल अवहेला उपेक्षाक गदा र्सेह बड़ म बहुत भावें भरल संप ूण र्73
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<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्तिह पर ट ंगल हमर शरीर भारी, तथािपनिह टुटैये निह टुटैये, ध आसक डोिर,एिह िचक तीक्षा आशाबाटीक ईिवलक्षण खेल देल िसखाय,केहन कारी दय भेल, कृ ?िकछु पड़◌ैये मन अहूं के एको िमिसयाएको िमिसया ेह ,सोधन ?अही ं कें टुटैत रहैत छल मुंह-अनो नाम ल क' फुसफुसा क' कहब ,गे जवािसन छौड़◌ी ं !आिदवािसन कत' छलें कायिल?कोन जंगल-पहाड़ मे भ'गेल रहें अलोपभिर िदन, भ' गेलौ ंहें अक तोरा तािक-तािक...बा अचानक आिब पाछा ं कान मे कू-उ-उ क' देबठोढ़ सटाय हमर जीवन कें देहक बाटे , भिर देबतेहन द ुल र्भ अलौिकक झ ुरझ ुरी सवांग, र् जेबिन महातीथ र्क भोरहिरयाक िद मिदरंगनगनाय लागय भ सबहक अनवरतबजाओल जाइत मिदरक ं घ ंटी सं टनाटनहमर सूण र् अिे िननािदत क', पल खिसते जािन से कत' भ' जाइत रही अलोप...हमरा ाण कें िवकलताक एकपिहया टुटलबएलगाड़◌ी पर बैसा क' जेना कही-ताकू आब हमरा,तािक िलय', हम छी कोन ठाम, क ?केहेन बैसिल शािच हमरा, अरेई उपव क' कोना क' दी अशाअिछ िकछु एको िमिसया यािद, एकहु री मन ?से िकयेक हएत, आब तािह सं अहा ंक कोन संब ंधतकरा सं कोन अहा ं कें काज,िवकल जे भेल, होइत रहओ।छटपटाइत रहओ,72