Videha ‘िवदेह’

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Videha ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা Videha Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह Videha িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्पाविन-ितहार हमर सभक सता-संृितक पिरचायक अिछ। िहू धम र्मे पाबिनकिवशेष मह अिछ। िहू धमावली र् सभक कतेको पाबिनमे छिठक िवशेष महअिछ। ई पाबिन िबहारक लोक पाबिनक संग महापाबिन सेहो अिछ। ई सूण र्िबहारक संग प ूवीर् उर देश आ महाराष्, गुजरात, राजान आ िदीक िबहारी बहुल सभमे ाक संग मनाओल जाइत अिछ। पड़◌ोसी देश पालक मैिथली बह ुलमे सेहो एिह पाबिनक आयोजन कएल जाइत अिछ। अगाध ा, कड़गर तसाधना, एका िना आ आ संयम बाला एिह पाबिनक िबहारमे ओतबे मह अिछजतेक महाराष्मे गणपित महोव, पिम ब ंगालमे द ुगा र्प ूजा तथा पंजाबमे वैशाखीकअिछ। िबहारक िकछु मे एिह पाबिनकेँ “डाला छिठ” सेहो कहल जाइत अिछ।ई पाबिन स ूयो र्पासना आ साधनाक महापाबिन अिछ। शिक देवी द ुगा र्क आराधनाकसमािक बाद देशमे छिठ पाबिनक आगमनक अभास होमए लगैत अिछ आ काशकपाबिन दीया बातीक समािक बाद लोक एकर तैयारीमे लािग जाइत छिथ। एिहपाबिनमे भगवान स ूय र् देव आऽ षी माय (छिठ माता)क आराधना एक संग कएलजाइत अिछ। ओना तँ स ूय र् देवक प ूजाक पररा अित ाचीन अिछ आऽ कतेकोहजार वष र्सँ हमर सभक सा ंृितक िवरासत अिछ मुदा स ूय र् देवक संगिह षी मायकप ूजा एक संग किहयासँ शु भेल से एख रह बनल अिछ।छिठ पाबिनक आयोजन वष र्मे द ू बेर होइत अिछ। पिहल बेर चैत मासमे आदोसर बेर काितर्क मासमे छिठक पाबिन होइत अिछ। काितर्क मासमे एिह पाबिनकआयोजन िवृत पमे होइत अिछ। एिह अवसरपर वासी िबहारी आवक पसँअपन देश आऽ गाम अबैत छिथ आऽ अपन घरपर रिह सूण र् पिरवारक संग एिहपाबिनकेँ मनबैत छिथ। ा आऽ आाक संग एिह पाबिनकेँ कएलासँ मबािक्षतंफलक ाि होइत अिछ। धािम र्क सभमे ई जनतब देल गेल अिछ जे स ूय र्देवक प ूजा ाचीन कालसँ िस अिछ आऽ िबहारमे एकर िसि सहज पमे देखलजाऽ सकैत अिछ।चािर िदन धिर चलै बाला ई धािम र्क अान काितर्क शु चतुथीर्सँ शु होइत अिछआऽ समीकेँ समा होइत अिछ। पिहल िदन “नहाय-खाय” होइत अिछ। एिह िदनपबितन सुिवधासार नदी, पोखिर आऽ इनार आिदमे ान कऽ अरबा चाउरक भात,ब ुटक दािल आऽ सिजमिनक तरकारी भोजन करैत छिथ। पबितनक भोजन कएलाकबाद घरक आन सद भोजन हण करैत छिथ। एिह िदन छिठ पाबिन करबाकसंक लेल जाइत अिछ। दोसर िदन पंचमीकेँ खरना होइत अिछ जािहमे पबितनभिर िदन उपास रिह नदी, पोखिर आ इनारसँ पािन आिन पीतल, ताा अथवा मािटकबतर्नमे खीर, चाउरक आटाक गुलगुला बनबैत छिथ आऽ सा ंसमे नव वस् पिहर चा ँददेिख बनल सामी, केरा आऽ द ूध स ूय र् भगवानकेँ समिप र्त कऽ शा-िच भऽ सादहण करैत छिथ। खरनाक समय को आबाज निह होमए क चाही। खरनाक िविध52

Videha ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা Videha Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह Videha িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िविभ ानपर बदलैत अिछ मुदा म ूल पमे को पिरवतर्न निह होइत अिछ।एकरा बादसँ पबितन उपासमे रहैत छिथ आऽ चािरम िदन उगैत स ूय र्केँ अर् दऽसाद हण कऽ उपास तोड़◌ैत छिथ। खरनाकेँ िकछु मे “लोहंडा” सेहो कहलजाइत अिछ।तेसर िदन षीकेँ पबितन नदी, पोखिर आ इनारमे पािनमे ठाढ़ भऽ कतेकोतरहक पकबान, फल-फूल, सुपारी, पान आिदकेँ का ंच बासक बनल स ूपमे सजा ओिहमेदीप जड़◌ा डुबैत स ूय र् िदस म ँह ू कऽ भगवान स ूय र्केँ अर् चढ़बैत छिथ। पिरवारकआन सद सेहो स ूपक आगा ँ पािन अथवा द ूध ढ़◌ािर अर् दैत छिथ। षी िदनभगवान स ूय र्केँ अर् देलाक बाद देशक िकछु मे “कोसी भरबाक” पररा सेहोअिछ। एिह िदन अर् देलाक बाद स्ीगण अपन अंगनाकेँ गोबरसँ िनपैत छिथ आओिहपर अिरपन दैत छिथ। एकर बाद चािर टा पैघ कुिसयारसँ म ंडप बना एकरबीचमे मािटक बनल हाथी रखैत छिथ जकर चा कात दीप बनल रहैत अिछ। सभदीपकेँ मालासँ सजा ओिहमे घी ढ़◌ािर जड़◌ाओल जाइत अिछ। हाथीक ऊपरमे भगवानभारकेँ अिप र्त कएल जाए बाला साद, ठकुआ, केरा आऽ आन फलकेँ मािटकबतर्नमे राखल जाइत अिछ। दीप राित भिर जड़◌ैत रहैत अिछ आ स्ीगण म ंडपकचाकात बैिस भिर राित जागल रिह छिठ माइक गीत गबैत छिथ। भिर राित दीपजड़बऽ आऽ गीत गाबएमे िबतैत अिछ। षी जका ँ चािरम िदन समीकेँ उगैत स ूय र्किभनसरमे समिप र्त कएल जाइत अिछ। एकर बाद कोसी उठा लेल जाइत अिछ।अर् देलाक बाद सभ लोक पबितनकेँ णाम कऽ आशीवा र्द लैत छिथ। लोकपबितनक आशीवा र्दकेँ स ूय र्देवक आशीवा र्द मात छिथ। अमीर-गरीब, ब ूढ़-जवान,मािलक-कर, स्ी-पुष सभ भेदभाव िबसिर पबितनसँ आशीवा र्द लैत छिथ।तेजीसँ बदलैत पिरवेशक बावजूद ई पररा िनरर चिल रहल अिछ। समी अर्कबाद छिठ मायक साद हण कऽ पबितन अपन उपास समा करैत छिथ आ भोजनहण करैत छिथ। एिहक संग चािर िदनक ई धािम र्क अान समा होइत अिछ।अिम िदनकेँ पारन सेहो कहल जाइत अिछ।िबहारमे ई पाबिन िहूक संगिह मुसलमान आ िसख सेहो मनबैत अिछ। किटहारिजलाक लीपुर आऽ भोजपुर िजलाक कोइलवर गाममे तीन ू धम र्क लोक एिहपाबिनकें मनबैत छिथ। लीपुर गामक पिम ित नदीक िकनारमे तीन ू समुदायकालु एका होइत छिथ आऽ एक संग स ूय र्देवकेँ अर् दैत छिथ, ओतिह, कोइलवरगाममे िहू रोजा रखैत छिथ तऽ मुसलमान छिठक पाबिनमे िहू सभक घरमे स ूपपठा कऽ एिह पाबिनकेँ मनबैत छिथ।देशक सा ंृितक सताक उदाहरण ुत करैत एिह पाबिनमे उपयोगमे आबएबाला वु सभ खेतीक वाक अथ र्शास्ीय प ुत करैत अिछ। ई एकमा53

<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्पाविन-ितहार हमर सभक सता-संृितक पिरचायक अिछ। िहू धम र्मे पाबिनकिवशेष मह अिछ। िहू धमावली र् सभक कतेको पाबिनमे छिठक िवशेष महअिछ। ई पाबिन िबहारक लोक पाबिनक संग महापाबिन सेहो अिछ। ई सूण र्िबहारक संग प ूवीर् उर देश आ महाराष्, गुजरात, राजान आ िदीक िबहारी बहुल सभमे ाक संग मनाओल जाइत अिछ। पड़◌ोसी देश पालक मैिथली बह ुलमे सेहो एिह पाबिनक आयोजन कएल जाइत अिछ। अगाध ा, कड़गर तसाधना, एका िना आ आ संयम बाला एिह पाबिनक िबहारमे ओतबे मह अिछजतेक महाराष्मे गणपित महोव, पिम ब ंगालमे द ुगा र्प ूजा तथा पंजाबमे वैशाखीकअिछ। िबहारक िकछु मे एिह पाबिनकेँ “डाला छिठ” सेहो कहल जाइत अिछ।ई पाबिन स ूयो र्पासना आ साधनाक महापाबिन अिछ। शिक देवी द ुगा र्क आराधनाकसमािक बाद देशमे छिठ पाबिनक आगमनक अभास होमए लगैत अिछ आ काशकपाबिन दीया बातीक समािक बाद लोक एकर तैयारीमे लािग जाइत छिथ। एिहपाबिनमे भगवान स ूय र् देव आऽ षी माय (छिठ माता)क आराधना एक संग कएलजाइत अिछ। ओना तँ स ूय र् देवक प ूजाक पररा अित ाचीन अिछ आऽ कतेकोहजार वष र्सँ हमर सभक सा ंृितक िवरासत अिछ मुदा स ूय र् देवक संगिह षी मायकप ूजा एक संग किहयासँ शु भेल से एख रह बनल अिछ।छिठ पाबिनक आयोजन वष र्मे द ू बेर होइत अिछ। पिहल बेर चैत मासमे आदोसर बेर काितर्क मासमे छिठक पाबिन होइत अिछ। काितर्क मासमे एिह पाबिनकआयोजन िवृत पमे होइत अिछ। एिह अवसरपर वासी िबहारी आवक पसँअपन देश आऽ गाम अबैत छिथ आऽ अपन घरपर रिह सूण र् पिरवारक संग एिहपाबिनकेँ मनबैत छिथ। ा आऽ आाक संग एिह पाबिनकेँ कएलासँ मबािक्षतंफलक ाि होइत अिछ। धािम र्क सभमे ई जनतब देल गेल अिछ जे स ूय र्देवक प ूजा ाचीन कालसँ िस अिछ आऽ िबहारमे एकर िसि सहज पमे देखलजाऽ सकैत अिछ।चािर िदन धिर चलै बाला ई धािम र्क अान काितर्क शु चतुथीर्सँ शु होइत अिछआऽ समीकेँ समा होइत अिछ। पिहल िदन “नहाय-खाय” होइत अिछ। एिह िदनपबितन सुिवधासार नदी, पोखिर आऽ इनार आिदमे ान कऽ अरबा चाउरक भात,ब ुटक दािल आऽ सिजमिनक तरकारी भोजन करैत छिथ। पबितनक भोजन कएलाकबाद घरक आन सद भोजन हण करैत छिथ। एिह िदन छिठ पाबिन करबाकसंक लेल जाइत अिछ। दोसर िदन पंचमीकेँ खरना होइत अिछ जािहमे पबितनभिर िदन उपास रिह नदी, पोखिर आ इनारसँ पािन आिन पीतल, ताा अथवा मािटकबतर्नमे खीर, चाउरक आटाक गुलगुला बनबैत छिथ आऽ सा ंसमे नव वस् पिहर चा ँददेिख बनल सामी, केरा आऽ द ूध स ूय र् भगवानकेँ समिप र्त कऽ शा-िच भऽ सादहण करैत छिथ। खरनाक समय को आबाज निह होमए क चाही। खरनाक िविध52

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