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Videha ‘िवदेह’

Videha_01_11_2008_Tirhuta

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<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्व ृ, अश जमीार अिन बाब ूक तेसर पी सुशीला अिन सुरी छिथ;आ दावानलक ाला सन, अथवा समुी तूफान सन, अथवा भदबिरया कोसीक वाह सनवेगमय यौवनक ािमनी छिथ; अइ वेगकें सािर सकबाक सामर् हुनका पितमे निहछिन। देवकाक यौवन, िशता, सौय र् आिद देिख ओ हुनका िदश अरभेलीह। एिह अरिमे अिभलाषा दैिहके टा निह, मक आदश र् प सेहो अथ र्वछलिन। इमानदारीसँ देखी तँ एिह उपासमे राजकमल चौधरी ारा सिजत ृ कथाकनाियका सोना मामी, अथा र्त् सुशीला सन स्ा◌ी; को कना-लोकक स्ा◌ी निह छिथ,समाजमे एहेन कैकटा सोना मामी ओिह समयमे अही िववरणक संग भेिट सकै छलीह;एहेन स्ा◌ीक मिवेषण कोन मवैज्ञािनक करत? सुशीलाक जीवन की छल?सुिर, , जवान, साहसी, ब ुझक, सिरत ... की छिथ सुशीला? एक िदश देवकासन समुमे िमलनक आका ंक्षामे म तीगािमनी गंगा छिथ; देवकाकें पैघ-पैघमािभिस पा िलखै छिथ; अपन अक आरचरणमे अरिक संकेतो दै छिथ;ग्ण पितकें अतालमे छोड़ि◌ देवकाक पिरचया र्मे पहु ँिच जाइ छिथ; हफीम खएलासँअथवा कामोादसँ बेहोश हएबाक कथा अपन मी देवकासँ कएबाक यास करैछिथ। व ृ पित अिन बाब ूक ित प ूण र् समप र्णक भाव करै छिथ। हुनकाग्णावामे देिख गाड़◌ी-बरद पर लािद अताल ल' जाइ छिथ; पित जखन अपनालेल व ृ वयसक चचा र् करै छिथन तँ िवरोध करै छिथ-- ÷सै बेर अहा ँकें किहदेलऊँ ए, हमरा सोझा ँमे अपनाकें व ृ नइ ं कहल क...।' अथा र्त अपन जवानी परएतेक आगिव र्ता जे व ृ पितक पी निह कहाबए चाहै छिथ। वैध ािकपात जखन सतबेटा कुलान संग तीथ र्वासमे जाइ छिथ, तँ धम र्शालाक मैजरकमुँहें अपन उृंखल सतबेटाक अनाचारक कथा सुिन कुिपत होइ छिथ आ मैजरकेंधोिप कए िवदा करै छिथ। देवका जखन बलजोरी अपन बासा पर आिन लै छिथन,तँ एकिह संग ितवाद आ िवलाप करै छिथ।... एकटा सिरा स्ा◌ीकें मया र्दा आमवेगमे; जीवनक साथ र्कता आ सामािजक आदश र्मे तालमेल बैसब'मे कोन-कोनयातना भोगए पड़◌ै छिन -- एकट अमान कते किठन अिछ!सुशीलाक जीवनक पय र्विित पर उपासकार नशेरी, िवलासी, कुलानक िवचारवा अ सटीक आ ँक छिथ। सुशीला जखन बेहोश भेलीह, आ लोक हा केलकजे ओ आहाक िनिम माहुर खा छिथ, तखन सद्पााक कोिटमे निह रहलाकअछैतो भा ँगक िनशा ँमे भिसआएल सुशीलाक सतौत बेटा कुलान, जे हुनकर समवयसीछिथन, सोचै छिथ--िकअए नइ ं सुशीलाकें मिर जाए िदअिन? जीिबए कए ओ कोनसुख कािट रहल छिथ? जीवनक कोन आशा, कोन इा कोन आवकता आइ धिरहुनका प ूर भेल छिन? आबे कोन प ूर हेतइन? एहेन अप ूव र् सुरी छिथ, जेनासाक्षाते सरती अथवा ली रहिथ। मुदा, भा केहेन दैबक मारल। एकटा बेटा-बेटी नइ ं छिन, जे तकरे म ँह ू देख कए जीिब िलतिथ।... सतमाय बािच ँ कए कीकरती...?44

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