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Videha ‘िवदेह’

Videha_01_11_2008_Tirhuta

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<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अइ उपासमे जतबे िविवधता पुष पाामे अिछ, तािहसँ कको कमस्ा◌ी-पाामे निह अिछ। मु स्ा◌ी पाा सब छिथ -- सुशीला, हिरनगरबाली(अिन बाब ूक तीया आ ितीया), ौपदी (कुलानक पी)। हिरनगर वालीकउपिित सौ ंसे उपासमे ओह कुिटल आ नाटकीय अिछ, जकर चचा र् उ उरणमेअिछ। मैिथल स्ा◌ीक सम द ुगु र्ण िहनकर आचरणमे भरल छिन। फूटल ढोल, िबनपेनीक लोटा, चुगलखोरनी, भाभट पसारैमे दक्ष, सौितनकें दष्चिरा◌ा ु सािबतकरबामे तीन स्ा◌ी छिथ, हिरनगरवाली।सौितया डाह, द ु स्ा◌ीक आचरण, दोसरकें बदनाम करबाक तसँ एकसँ एकद ुव िक ृर् कना आ आरोपन िमिथलाक कतोक स्ा◌ीमे पाओल जाइत अिछ, सौितयाडाहमे तँ ई कला आओर िनखिर उठैत अिछ। हिरनगरवाली सुशीला पर कलंक मढ़◌ैछिथ--धरमपुरवाली त डाइन अिछ, डाइन! गाछ हँकइए!...द ुइयो िदन िभ भेना ँनइ ं भेल छलइ आ ामीकें खा गेल...आब सुता भए गेल अिछ...ख ूब िछड़हड़◌ाखेलाएत... भािगनक संगे पटना-िदी करत...के रोकइबला छइ...कुलानो त' तेहछिथ। अपन स्ा◌ीकें हर पठा देलइन...आब सतमाइक सेवामे रहइ छिथ।--एहेन अ आ अवािछत ं गािर बदा र्श्त कइयो क' सुशीला को तरहें िवचिलत निहहोइ छिथ। िवपरीत पिरिित अएला पर िमिथलाक ब ुझक स्ा◌ी सागर सन गही ं रआ गीर भ' जाइ छिथ। सुशीला ब गही ं र आ ब गीर स्ा◌ी छिथ। समयकउतार-चढ़◌ाव आ हवा-पािनक िख िनके ना ब ुझै छिथ। उपासकार अइ उपासमेहुनकर इएह छिव ुत कए छिथ। सामािजक बन आ वैयिक ूरता वुतःएते कठोर होइत अिछ, जे िबना को दया-धम र्क ओ फूल सन कोमल इाकेंमोचािर क' रािख दैत अिछ। कुिटल आदश र्सँ भरल सामािजकता इएह िथक, जािहमेमानवीय सेदनाकें अक्षु रखबाक तकर् ताकबथ र् िथक। आिद कथाक इितवि ृ एकर उदाहरण िथक।सुशीला अइ कथाक आधार चिरा िथकीह। कथाक आरमे जखन देवकाआदश, र् मया र्दा, िता, पाप-पु, त-िनयम सभसँ डेराएल मािम संगें मिनवेदनमे संकोच करै छलाह; सम उट आका ंक्षाक अछैत इत-उतमे फँसल छलाह;सुशीला चािर डेग आग ू बढ़ि◌ कए मुखर भेलीह; आ अपन कतोक आचरणसँ प ूण र्समप र्णक कतोक संकेत पे ं देलिन। मुदा िवधवा भेलाक बाद कौिलकपरराक अकूल हुनकर सतौत बेटा कुलान हुनक रक्षक, ितपालक भेलिखन; आसुशीलाक भावना, मवेग, आिरक इा, साहस सब पर सामािजक अयथाथ र् आदश र्कबन िवजय ा क' लेलक; ओ कुलान संग रिह कए अप टुटैत रहलीह, जजर्रमया र्दाक पातर स ूतकें निह तोड़ि◌ सकलीह।43

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