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Videha ‘िवदेह’

Videha_01_11_2008_Tirhuta

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<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ना-णालीक सभर्मे नवीन दृ िकोण अपलिन। हुनका ना-रचनाक ज्ञान िनयेिवृत छलिन। ओ समसामियक समाजमे घिटत होइत घटनाकेँ अपन अभवकआधारपर िवेषण कयलिन। आधिनक ु मैिथली ना सािहात अक्षर पुषजीवन झानाटकक मे सामािजक, सा ंृितक एव ं आिथ र्क िितक संगमे एक कीितर्मान ािपतकयलिन जे एिह सािहक िनिम एक अिवरणीय ऐितहािसक घटना िथक जे अध ुनातनसभर्मे मैिथल समाजक हेतु िदशा-बोधक मािणत भेल।२. ड◌ॉ. देवश ंकर नवीनड◌ॉ. देवश ंकर नवीन (१९६२- ), ओ ना मा सी (ग-प िमित िही-मैिथलीकारिक सजर्ना), चानन-काजर (मैिथली किवता संह), आधिनक ु (मैिथली) सािहक पिरद ृ, गीितकाके प में िवापित पदावली, राजकमल चौधरी का रचनाकम र् (आलोचना), जमाना बदल गया, सोना बाब ूका यार, पहचान (िही कहानी), अिभधा (िही किवता-संह), हाथी चलए बजार (कथा-संह)।सादन: ितिनिध कहािनया: ँ राजकमल चौधरी, अिान एव ं अ उपास (राजकमल चौधरी), पर केनीचे दबे हुए हाथ (राजकमल की कहािनया ँ), िविचा (राजकमल चौधरी की अकािशत किवताएँ), सा ँझकगाछ (राजकमल चौधरी की मैिथली कहािनया ँ), राजकमल चौधरी की चुनी हुई कहािनया, ँ ब कमरे मेंकगाह (राजकमल की कहािनया ँ), शवयाा के बाद देहशुि, ऑिडट िरपोट र् (राजकमल चौधरी कीकिवताएँ), बफ र् और सफेद क पर एक फूल, उर आधिनकता ु कुछ िवचार, साव िमशन (पिका)किकिछ अंकक सादन, उदाहरण (मैिथली कथा संह संपादन)।सम्ित शनल ब ुक मे सादक।बटुआमे िबहाड़ि◌ आ िबर ्ड़◌ो(राजकमल चौधरीक उपास) (आगा ँ)भय होइ छिन। मया र्दा आ सामािजक आदश र्क। आदश र् आ मया र्दा रक्षाक चपेटमेजरैत रहबाक ई उट िववरण वुतः पाठकक मोनमे अइ अयथाथ र् आ फोंकपरराक ित घ ृणा उ करैत अिछ।...तुलना करैत देखी तँ अइ मािमलामेसुशीला मुखर छिथ, देवका परम लजकोटर, संकोची आ डरपोक छिथ, सुलतानगंजमे41

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