Videha ‘िवदेह’
Videha_01_11_2008_Tirhuta
Videha_01_11_2008_Tirhuta
You also want an ePaper? Increase the reach of your titles
YUMPU automatically turns print PDFs into web optimized ePapers that Google loves.
<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्भऽ समाजकेँ िदशा-िनदेर्श करबामे सक्षम भऽ सकैछ। जतेक द ूर धिर िमिथला ंचलकसामािजक जीवनक आिथ र्क िितक अिछ ओ सदा सव र्दा आिथ र्क िवपतासँ संरहल जकर फलप का-िवय सदृश कुथाक ज भेलैक। जीवन झा अपननाटकािदमे आिथ र्क िवपताक िदश र्न अक लपर करौलिन अिछ। सामवतीपुनजर्मे सामवान एव ं सुमेधाक वैवािहक संगमे सामािजक आिथ र्क िवपताक िदश र्नहोइत अिछ जे िववाहक िनयोजनाथ र् चुर टाकाक योजनाथ र् समाजक िवपताकिदश र्न करौलिन अिछ। एिह संगमे बुजीवक कथन समसामियक समाजक िवपताकिच दश र्बैत अिछ जखन ओ कहैछ, “घरमे तैखन सुख जौ ं पया र् धन हो। हमरा तँसतत सभ वुक यता लगले रहैए”। (सामवती पुनजर्, प ृ-२०)।आिथ र्क िवपताक कारँ समसामियक समाजात भीख मङनी थाक ज भेल।नाटककार सामवती पुनजर्मे एिह थाक यथाथ र्ताक संग िचण कयलिन अिछ। िभक्षुकाणक ओतय भीखक हेतु ािथ र्त होइत छिथ िकु पिरिित वसात हुनका भीखनिह भेटैत छिन।शलाका पुष जीवन झाकेँ सामािजक जीवनक गीर अभव छलिन तेँ ओ ल-लपरनारी दोस िदस समाजकेँ साका ंक्ष करैत देखल जाइत छिथ। सामािजक, सा ंृितकतथा आिथ र्क प ृभूिममे नारीकेँ सामािजक मया र्दाक पालनाथ र् मपान, िनरथ र्क मणशीलबनब, ताक आान, पितपर िनष्योजन रोष, द ुजर्न िक संग वास गमनआिदकेँ ओ कुलललनाक िनिम विजर्त कयलिन। एिह संगमे ओ नम र्दा सागर सकमेअपन अिभमत गट कयलिन:मपान पर्टन पुिन ता पितपर रोष।द ुजर्न स वास यैह छवटा नािरक दोष॥(किववर जीवन झा रचनावली, प ृ-११२)बीसम शताीक थम दशकक मैिथली ना सिहक जनक अक्षर पुष जीवन झा अपनसमयक काश रहिथ जिनक नाटकािदमे िमिथलाक सामािजक, सा ंृितक एव ं आिथ र्कजीवनक जािह पक दश र्न करैछ तकर साथ र्कता एिहमे अिछ जे नाटककार ओकरसमुिचत समाधान ओही समात कयलिन। युग िवधायक जीवन झा एिह िवचारधाराकअ ापक भाव हुनक समसामियक सािहकार लोकिनपर पड़लिन जे परवतीर् युगकनाटककार लोकिनक हेतु एक काश-पु मािणत भेल। एकर य आ य किववरजीवन झाकेँ छिन जे िमिथला ंचलक तालीन सामािजक सा ंृितक एव ं आिथ र्क पिरिितकेँनीक जका ँ जािन बिझकऽ ू युगक आवकताकेँ ानमे रािखकऽ अपना सुखजनसाधारणक दृ िकोणकेँ समित कऽ कए मौिलक ना-रच्नाक स ूपात कयलिन तथा40