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Videha ‘िवदेह’

Videha_01_11_2008_Tirhuta

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<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्मौिलक िही: १.िवापित अशीलन और म ूा ंकन, थमख, िबहार िही अकादमी, पटना १९७१२.िवापित अशीलन और म ूा ंकन, ितीय ख, िबहार िही अकादमी, पटना १९७२, ३.िही नाटककोश, शनल पिब्लकेशन हाउस, िदी १९७६.अवाद: िही एव ं मैिथली- १.ीपादकृ कोटकर, सािह अकादमी, नई िदी १९८८, २.अर फिसल,सािह अकादेमी, नई िदी २००१ ३.पागल दिनया, ु सािह अकादेमी, नई िदी २००१, ४.गोिवदास, सािहअकादेमी, नई िदी २००७ ५.रानल, ऋचा काशन, भागलपुर २००८.िलारण-१. अीयानाट, मज काशन, भागलपुर, १९६७।सादन- १. गवरी, महेश काशन, भागलपुर, १९६६, २. नव एका ंकी, महेश काशन, भागलपुर,१९६७, ३.प-पु, महेश काशन, भागलपुर, १९७०, ४.पदलितका, महेश काशन, भागलपुर, १९८७, ५.अनिमल आखर, कण र्गोी, कोलकाता, २००० ६.मिणकण, कण र्गोी, कोलकाता २००३, ७.हुनकासँ भेट भेलछल, कण र्गोी, कोलकाता २००४, ८. मैिथली लोकगाथाक इितहास, कण र्गोी, कोलकाता २००३, ९.भारतीक िबलाड़ि◌, कण र्गोी, कोलकाता २००३, १०.िचा-िविचा, कण र्गोी, कोलकाता २००३, ११.सािहकारक िदन, िमिथला सा ंृितक पिरषद, कोलकाता, २००७. १२. व ुआड़ि◌भितरिणी, ऋचा काशन,भागलपुर २००८, १३.मैिथली लोकोि कोश, भारतीय भाषा संान, मैस ूर, २००८, १४.पा सोना हीरा,कण र्गोी, कोलकाता, २००८।पिका सादन- भूिमजा २००२जीवन झाक नाटकक सामािजक िववतर्न (आगा ँ)सामवती पुनजर्मे नाटककार समाजमे चिलत नवलोकक बीच मिदरापानक पररासँक्षु भऽ एकर बिहार करबाक उोषणा कयलिन। एिह संगमे सुमेधाक कथन छिन,“एिह सभ कारणसँ रा िनिष िथक। देखू तँ मिदरापान कयँ केहन लाल लालआिख ँ छलैकय। दीदी आब मन स भेल अिछ मह अवहमे पड़ल छलहु ँ”।(सामवती पुनजर्, प ृ-१९)।िमिथला ंचल िनवासीक मुख भो वुमे रहल अिछ रेडीमेड चूड़◌ा आ दही जकर चचा र्पौरािणक सािहमे सेहो य-त उपल होइछ। नम र्दा सागर सकमे एिहभो-सामीक िवेषण नाटककारक मुख ितपा अिछ जखन घटकराज भोजनकरैत छिथ:केव नथबै र् अिछ नाकक प ूड़◌ा।ककरहु केव आगा ँ बैसौलेँ थकड़ि◌ बै अिछ जूड़◌ा॥झट झट गट गट घटक िगड़◌ै छिथ सब दही संग चूड़◌ा।38

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