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Videha ‘िवदेह’

Videha_01_11_2008_Tirhuta

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<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्लागल रहय ई ुित । हमर मोन मािन गेल छल जे एकरा नीक िनदेर्शककपा ँतीमे राखल जा सकैए । जँसे बात नइ रिहतै तँ नाटक एिह पमे नइचमिकतै । राामे हम पीसँ पुिछ्लयिन -“केहन लागल नाटक” ?“बहुत बिढया ँ”“तखन कहै छिलऎ जे नइ जाएब” ।“हमरा थोड़बे ब ुझल छल जे एहन नाटक हेतै” ।ई छलैक एकटा साक्षर मा लोकक म ूा ंकन । ी मायानंद िम, ड◌ॉ. गंगेश गुंजन,ड◌ॉ. देवश ंकर नवीन, ड◌ॉ. ओमकाश भारती आिद िदज िवान लोकिन एिहुितक श ंसा कएलिथन । ओना दशरथ जखन भार जनकपुर पठौलिथन तँजनकपुरबासी मेसँ ो बािज ऊठल— भार तँ बहुत बिढया ँ छिन, मुदा अंकुरीक अख ुआटेढ छिन । एहन अख ुआ टेढबाला लोक क्षकक ितिया देिखक’ अपनाकेँ चुेराखब उिचत ब ुझलक ।एिह ठाम एकटा बात कह’ चाहब—आदमीक क्षमताक ाना ंतरण दोसर मे सेहोहोइत छैक । यिद हम दिहना हाथसँ ‘अ’ िलखैत छी तँ बामा हाथसँ ‘अ’ सेहोिलिख सकैत छी । कारण, दिहना हाथक क्षमता बामा हाथमे ाना ंतिरत भ’ जाइतछैक । एही अवधारणापर लोक कहैत छैक जे बी.ए. भ’ क’ घास िछलतै तँ म ूख र्सँबिढए जका ँ िछलतै िकएक तँ ओ अपन पढ’–िलख’ बाला क्षमता घास छील’ मे लगादेतैक । एिह मवैज्ञािनक तक सापन काश च झाक अिभनयाक एव ंिनदेर्शकीय क्षमतासँ जोड़ि◌क’ संगठनाक क्षमताकेँ सेहो देखल जा सकैए । ओजतबए नीक अिभता तथा िनदेर्शक अिछ ओतबए एकटा सफल संगठनकता र् सेहो ।आ हम सभ िकयो जत छी जे र ंगकम र् मे संगठनाक क्षमताक िवशेष मह छैक।एिहठाम संगठनाक क्षमताकेँ र ंगकम र्सँ जोड़ि◌एक’ देखल जा सकैत अिछ कारण,भरतक नाशास्क पैितसम ं अायमे नादलक चचा र् आएल अिछ जािहमे स ूधार,अिभता, काकार, माली(माकार), ण र्कार(मुकुट एव ं गहना बनब’बाला),सिचकार(दजीर् ू ), िचकार आिदक चचा र् अिछ । हमरा जत एिह सभ केँ िमलाक’राख’बाला स ूधार छल होएतैक । ईसभ अपन-अपन योगदान ना दश र्नमे दैतछलैक । जँ एकरा सभकेँ िमलाक’ निह राखल जैतैक तँ नादश र्न असंभव भ’35

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