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Videha ‘िवदेह’

Videha_01_11_2008_Tirhuta

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<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्“कखन नाटक समा होएतैक” ?एिहपर हम कहिलएिन जे एक चौथाई बा ँकी अिछ । अवलोकनज थकान सँअप-अप बािज उठलीहओ“एह, तखन तँ आधा घंटा सँ बेिसए बैस’ पड़त” ।आब को क्षकक मुँहसँिच लगबैत अिछ ।िनकलल “बैस’ पड़त” श नाटक दश र्नपर एकटा पैघइएह सान 2007 मे मयान िम केँ भेटलिन । ओिह सानक अवसरपर ड◌ॉ.निचकेता ारा रिचत नायकक नाम जीवन, एक छल राजा , रामलीला, ावतर्न आिदमेसँ को एकटा नाटकक म ंचन होएबाक चाही से िवचार कएल गेल छल । संगिह ानबदिलक’ िदी पर मोहर लािग गेल छल । उ आयोजनक सूण र् अिभभारा काशच झा केँ भेटल छलैक । तेँ ओ निचकेताक सभ नाटक म ंगौलक । गीरता सँपढलक आ अंतमे एक छल राजापर आिबक’ केित भ’ गेल ।निचकेताक जतेक नाटक छैक ओिहमे सँ सभसँ नीक नाटक एक छल राजा अिछ जेाय: 1970 क दसकमे कािशत भेल रहैक । एकरा जँ एना ब ूझी तँ किह सकैतछी जे जिहया काश जों निह ले होयत तिहए ई नाटक कािशत भेल रहैक। तेँ जतेक जे एिह नाटकक मादे कािशत भेल छल होएतैक तािहसँ ओ पिरिचतनिह छल । तथािप ओिहमे सँ एक छल राजा केँ चूिन लेलक से ओकर िनदेर्शकीयदृ िक माण दैत छैक । कारण, िनदेर्शक वाे नाटक चयन एकटा अहम मुारखैत छैक ।जँ स पुछल जाए तँ ओ नाटक काश च झाक हेतु एकटा चुती भरल काजछलैक । एखन धिर जतेक िनदेर्शक ओकरा ुत कए छल ओकरा कओमा आप ूण िवराम र् सिहत म ंचपर उतािर दैत छल तेँ क्षककेँ पुछ’ पड़◌ैत छलैक जे आबकतेक नाटक बा ँकी अिछ । एहन िित उ होएबाक कारणपर िवचार करबासँपिह हमरा नाटक कथानकपर िवचार सेहो कर’ पड़त ।एिह नाटकमे राजा साहेब नामक एकटा जमीार अिछ जकर जमीारी पुखे र्क समयसँधीरे-धीरे कमल जाइत छै । राजा साहेब लग आिबक’ िवपता पराकाापर पहु ँचजाइत छै । कजर्क बोझ ततेक बिढ जाइत छै जकरा सधाएब मिश्कल भ’जाइत छैक । फजूल खचीर् आ िवलािसताक कारँ एिह िितमे पहु ँचब एकटा िनयितछैक । फेर ओही जमीारीमे पलल राजा साहेबक िपताक अवैध संतान धिनकलालशहर जाइत अिछ । ओिहठाम अपन लगन आ पिरमसँ काफी धपाजर्न करैत अिछ33

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