Videha ‘िवदेह’
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Videha ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা Videha Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह Videha িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िहनकर द ू टा पोथी “ओकरा आ ँगनक बारहमासा” आ “काठक लोक” लिलत नारायण िमिथला िविवालय,दरभंगाक मैिथली पाममे अिछ। िहनकर द ू टा पोथी िभुवन िविवालय, काठमाू केर एम.ए.पाममे अिछ। िहनकर कैकटा आलेख आ िकताब सेकेरी आ हायर सेकेरी पाममे अिछ।कािशत पोथी: नाटक: ओकरा आ ँगनक बारहमासा, ज ुआयल कं कनी, गाम निञ सुतय, काठक लोक,ओिरजनल काम, राजा सलहेस, कमला कातक राम, लण आ सीता, लण रेखा खित, एक कमलरमे, प ूष जाड़ िक माघ जाड़, िखड़ि◌, छुतहा घैल, ओ खाली मुँह देखै छै। ई सभटा कैक बेरआ कैक ठाम खेलाएल गेल अिछ। एकाी: टूटल तागक एकटा ओर, लेवराह आरमे एकटा इजोत,गोन ूक गबाह, हमरो जे सा भैया, “िबरजू, िबलटू आओर बाब ू”, मामा सावधान, देहपर कोठी खसा िदअ,नसबी, आल ूक बोरी, भूतहा घर, त चाहे असौच, फोनक करामात, एकटा बतािह आयल छलय,मािलक सभ चल गेलाह, भाषणक दोकान, फगुआ आयोजन आ भाषण, भूत, एक टुकड़◌ा पाप, मुहककात, ाण बचाबह सीता राम, ओ खाली घैल फोड़य छै। ई सभटा मिचत ं भऽ चुकल अिछ। २५ टाचौबिटया नाटक: चुह, लटर पटर अहा ँ ब क, बाढ़ि◌ फेर औतय, एक घर कानन एक घर गीत,सेर पर सवा सेर, ई गुर खे कान छेदे, आब कहू मन केहेन लगैए, नव घर, हमर बौआ ूलजेतए, बेचना गेलए बीतमोहना गबए गीत, मोड़ पर, ककर लाल आिद। ई सभटा चौबिटया वीथीपरखेलायल गेल अिछ। ११ टा रेिडयो नाटक: आल ूक बोरी, ई जनम हम थ र् गमाओल, नाकक प ूरा,फटफिटया काका आिद। ई सभटा टा पटना, दरभंगा आ पालक रेिडयो ेशनसँ सािरत भेलअिछ। सादन: मैिथली एकाी (सािह अकादमी, नई िदी), िवदेहक नगरीसँ (किवता संह), मैिथलीभाषा पुक (सेकेरी ूल पोथी), लोकवेद (मैिथली पिका)। कथा: ाद जड़ि◌ गेल, धार, एकिदनक िजनगी, बया सुगा, बाल ूक भीत, ब ुलब ुा आिद। लघ ुकथा: डपोरश ंख, मुहिचड़◌ा आिद।सदता: अक्ष, मैिथली लोक र ंग, सद काय र्कारी बोडर्, िमनाप, जनकपुर, याी मध ुबनी, िमिथलासा ंृितक म ंच, मध ुबनी। राष्ीय आ अराष्ीय र् सेिमनार सभमे सहभािगता।काश च झा : मैिथली र ंगकम र्मे ी-इन-वन- महेमलंिगयाकाश झा१९७५ ई. मे हम ज ुआयल कनकनी नामक एकटा नाटक िलख रही, जे ओही सालकािशत भेल रहय । एिह नाटकक संगमे मैिथलीक सुिस सािहकार जीवका ंतजीअपन ितिया करैत िलख रहिथ – मलंिगयाजी, िमिथला ंचलमे एखन ओहन28
Videha ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা Videha Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह Videha িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अिभता निह ज लेलक अिछ, जे एकर तेजकेँ सािर सकत । ई बात हमअपनहु ँ महस ूस कए रही आ तिहए सँ हमर आिख ँ एिह बातक खोज करैत रहल, जेओिह नाटकक अप को अिभता भेिटतए ।ओना िमिथला ंचलमे अिभताक कमी निह रहलैक अिछ, मुदा सभक िजनगी अकालीन। िकएक तँ एिहठाम एकरा टाइमपासक पमे देखैत अिछ । तेँ जहा ँ कतह ुकरी भेिट गेलैक िक ओ र ंगकम र् केँ ितला ंजली द’ दैत अिछ । दोसर कोगािजर्यन ई निह चाहैत छैक, जे हमर बेटा र ंगम ंचसँ ज ुड़ल रहय । िकएक तँमैिथली र ंगम ंच केँ ओ सामर् निह छैक जे ओकरा रोजी – रोटी द’ सकतै । तेँर ंगम ंच के छोड़’ बाला नाम अनिगनत अिछ आ ज ुटल रह’ बाला नाम आ ँगुरे पर गनल। एहन आ ँगुरेपर गन’ बाला नाम अिछ – अिभषेक, चशेखर, मुकुल, संतोष (मध ुबनीसँ ), रवी, ओमकाश, र ंजू, िय ंका ( जनकपुरसँ ), संजीव, िकशोर केशव,गुड़ि◌या, ाित, िजतेनाथ, िय ंका ( पटनासँ ), मुकेश, उल, काश, ोित, जीतू,कमल, द ुगे र्श, भारानंद ( िदीसँ ) आिद ।एिह सभमे काश किहया हमरा भेटल - रण निह अिछ, मुदा एतेक धिर अवरण अिछ, जे ओ कह रहय-“सर, हमर घर घोंघौर अिछ आ हम आर. के. क◌ॉलेज मध ुबनी में पढैत छी” ।“ कोन कक्षामे ?”“ बी.एस सी.क फर् पाट र्मे ” । हमरा िदससँ को ितिया निह अएबाक कार ंिकछु कालक बाद पुन: बाजल –“ हम नाटकसँ सेहो ज ुड़ल छी ” ।“ कोन संासँ ?”“ मध ुबनी इप्टासँ ”“ बहुत ख ुशीक बात ”काश कोन अपेक्षा ल’ क’ हमरा लग आएल रहय से ओ किह पओलक आ हम बिझ ू सकिलऎ । मुदा, एतेक अव जानकारी भेटैत रहल जे ड़ नाटककेँमध ुबनी िजलामे बहुत लोकिय बना देलक अिछ । एेटा िबजिलया ु भौजीक पचासटाशो कएलक अिछ आ सभमे एकर अिनवाय र् सहभािगता छैक । मुदा, ई हमर द ुभा र्29
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<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िहनकर द ू टा पोथी “ओकरा आ ँगनक बारहमासा” आ “काठक लोक” लिलत नारायण िमिथला िविवालय,दरभंगाक मैिथली पाममे अिछ। िहनकर द ू टा पोथी िभुवन िविवालय, काठमाू केर एम.ए.पाममे अिछ। िहनकर कैकटा आलेख आ िकताब सेकेरी आ हायर सेकेरी पाममे अिछ।कािशत पोथी: नाटक: ओकरा आ ँगनक बारहमासा, ज ुआयल कं कनी, गाम निञ सुतय, काठक लोक,ओिरजनल काम, राजा सलहेस, कमला कातक राम, लण आ सीता, लण रेखा खित, एक कमलरमे, प ूष जाड़ िक माघ जाड़, िखड़ि◌, छुतहा घैल, ओ खाली मुँह देखै छै। ई सभटा कैक बेरआ कैक ठाम खेलाएल गेल अिछ। एकाी: टूटल तागक एकटा ओर, लेवराह आरमे एकटा इजोत,गोन ूक गबाह, हमरो जे सा भैया, “िबरजू, िबलटू आओर बाब ू”, मामा सावधान, देहपर कोठी खसा िदअ,नसबी, आल ूक बोरी, भूतहा घर, त चाहे असौच, फोनक करामात, एकटा बतािह आयल छलय,मािलक सभ चल गेलाह, भाषणक दोकान, फगुआ आयोजन आ भाषण, भूत, एक टुकड़◌ा पाप, मुहककात, ाण बचाबह सीता राम, ओ खाली घैल फोड़य छै। ई सभटा मिचत ं भऽ चुकल अिछ। २५ टाचौबिटया नाटक: चुह, लटर पटर अहा ँ ब क, बाढ़ि◌ फेर औतय, एक घर कानन एक घर गीत,सेर पर सवा सेर, ई गुर खे कान छेदे, आब कहू मन केहेन लगैए, नव घर, हमर बौआ ूलजेतए, बेचना गेलए बीतमोहना गबए गीत, मोड़ पर, ककर लाल आिद। ई सभटा चौबिटया वीथीपरखेलायल गेल अिछ। ११ टा रेिडयो नाटक: आल ूक बोरी, ई जनम हम थ र् गमाओल, नाकक प ूरा,फटफिटया काका आिद। ई सभटा टा पटना, दरभंगा आ पालक रेिडयो ेशनसँ सािरत भेलअिछ। सादन: मैिथली एकाी (सािह अकादमी, नई िदी), िवदेहक नगरीसँ (किवता संह), मैिथलीभाषा पुक (सेकेरी ूल पोथी), लोकवेद (मैिथली पिका)। कथा: ाद जड़ि◌ गेल, धार, एकिदनक िजनगी, बया सुगा, बाल ूक भीत, ब ुलब ुा आिद। लघ ुकथा: डपोरश ंख, मुहिचड़◌ा आिद।सदता: अक्ष, मैिथली लोक र ंग, सद काय र्कारी बोडर्, िमनाप, जनकपुर, याी मध ुबनी, िमिथलासा ंृितक म ंच, मध ुबनी। राष्ीय आ अराष्ीय र् सेिमनार सभमे सहभािगता।काश च झा : मैिथली र ंगकम र्मे ी-इन-वन- महेमलंिगयाकाश झा१९७५ ई. मे हम ज ुआयल कनकनी नामक एकटा नाटक िलख रही, जे ओही सालकािशत भेल रहय । एिह नाटकक संगमे मैिथलीक सुिस सािहकार जीवका ंतजीअपन ितिया करैत िलख रहिथ – मलंिगयाजी, िमिथला ंचलमे एखन ओहन28