<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्घामक िसँचल धरती छोड़ि◌ जकरा कतौ भरोसातकरा लेल बनसीक सुअदगर बोरे की करतै?आिग पीिबकऽ ब ब छै जे अन छातीतकरा आगा ँ गोिहया आ ँ िखक रे की करतै?तैयो लागल “मिष” र् अिछ बस मक खेतीमेमक धन भेल घरमे जािबड़ चोरे की करतै?(िव.२०६२/०५/२०)शुभकामना िदआबातीक- धीरे मिष र्चमकैत दीपकेँ देिखकऽजेना झ ु कीड़◌ा-मकोड़◌ाकऽ दैछ ौछावर अपन अिद ुगु र्ण वा खलतत्पी कीड़◌ा-मकोड़◌ाकेँन करबाक लेल चाही आओर िकछुअपना भीतरक मानवीय इजोतक टेमीक आओर उसका लीअपनाकेँ सभक मन-मनमे मुसका ली26
<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्इएह अिछ शुभकामना िदआबातीक-देहिर दीप जरए जरएमनधिर सदित रहए िझलिमलिकएक तँ अपना मा इजोतमे रहमेटा निह सकैछ संसारसँ अार (अिगला अँकमे धीरे जीक गजल प ंभमे)महे मलंिगया काश झापरमहे मलंिगया :मैिथलीक सुपिरिचत नाटककार, र ंग िनदेर्शक एव ं मैलोर ंगक संापक अक्ष । लोक सािह परगंभीर शोध आलेख । मैिथलीमे 13टा नाटक, 19टा एका ंकी, 14टा ड़ आ 10टा रेिडयो नाटककािशत आ आकाशवाणी सँ सािरत । सीिनयर फेलोिशप (भारत सरकार), इ ंटरशनल िथएटरइिूट ं (पाल), बोध सािह सान आिद सँ सािनत । संित ोितरीर िलिखत मैिथलीकथम पुक वण र्राकर पर शोध काय र् । ी महे मलिगयाक ज २० जनबरी १९४६ मे मध ुबनीिजलाक मलंिगया गाममे भेलि। मलंिगयाजी मैिथली िही, अंजी आ पाली भाषाक जानकार आिथयेटर िशक्षण, पटकथा लेखन आ ती शोधक ीला िशक्षक छिथ। सान, उपािध आ पुरार:२००६(सीिनयर फ़◌ेलो, मानव ससाधन िवकास िवभाग, भारत सरकार), २००५ ई. मे मैिथली भाषाकसवािधक र् ितित बोध सान, उनाप सान, परवाहा (उवा ना पिरषद, परवाहा), भा कला पुरार(कला जानकी संान, जनकपुर), २००४- पाटिलपु पुरार ( ा ंगन िथएटर, पटना), इप्टा पुरार(किटहार इप्टा, किटहार), २००३- गोपीनाथ आय र्ल पुरार (इटरशनल िथएटर इीूट, पाल),याी चेतना पुरार (चेतना सिमित, पटना), बैनाथ िसयादेवी पुरार (बी.एस.डी.पी. काठमाू),२०००- चेतना सिमित सान (चेतना सिमित, पटना), िजला िवकास धषा सािह पुरार (िजला िवकाससिमित, जनकपुर), १९९९- िवापित सेवा संान सान (िवापित सेवा संान सान, दरभंगा), १९९८-र ंग र उपािध (अराष्ीय र् मैिथली सािह पिरषद, रा ँची), १९९७- सवो र्म िनदेर्शक पुरार (सा ंृितकसंान, काठमाू), १९९१- भा कला पुरार, िवराटनगर (भा कला पिरषद, िबराटनगर),१९९०- सव र्नामपुरार (सव र्नाम सिमित, काठमाू), १९८५- आरोहण सान, काठमाू, १९८३- वैदेही पुरार(िवापित ारक सिमित, रा ँची),शोध काय: र् सलहेस: एकटा ऐितहािसक अयन, िवरहा: िमिथलाक एकटा लोकप, सामा चकेबा: लोकनाकएक अवलोकन, सलहेसक काल िनधारण, र् व ्इापितक उगना, िशवक गण, मध ुबनी एकटा नगर अिछ, हमजनकपुर छी, ई जनकपुर अिछ।27