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Videha ‘िवदेह’

Videha_01_11_2008_Tirhuta

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<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आजाद, अशोक द आिदसमेत कतेको ाक गजल मैिथली गजल-संसारकेँ िवृितदैत आएल अिछ।गजलमे मिहला हाक्षर बहुत कम देखल जाइत अिछ। मैिथली िवकास माराबहराइत पवक प ूणा र् १५, २०५१ चैतक अ गजल अक पमे बहराएल अिछ।सवतः ३४ गोट अलग-अलग गजलकारक एकठाम भेल समायोजनक ई पिहल वानगीहएत। एिह अमे डा. शेफािलका वमा र् एक मा मिहला हाक्षरक पमे गजलकस ुत भेलीह अिछ। एही अक आधारपर पालीमे मैिथली गजल सी द ूगोटसमालोचनाक आलेख सेहो िलखाएल अिछ। पिहल म ाजाकीारा कािपुर २०५२जेठ २७ गतेक अमे आ दोसर डा. रामदयाल राकेशारा गोरखाप २०५२ फागुन२६ गतेक अमे। िछटफुट आनहु गजल सलन बहराएल होएत, मुदा तकरजानकारी एिह लेखककेँ निह छैक। हँ, िसयाराम झा “सरस”क सादनमे बहराएल“लोकवेद आ लालिकला” मैिथली गजलक ग आ प दऽ बहुत िकछु फिरछाकऽकहैत पाओल गेल अिछ। एिहमे सरससिहत तारान िवयोगी आ देवशर नवीनाराुत गजलसी आलेख सेहो मैिथली गजलक तालीन अवाधिरक साोपा िचुत करबामे सफल भेल अिछ।सममे मैिथली गजलक िवषयमे ई किह सकैत छी जे मैिथली गीतक खेतसँ ाहलगर मािटमे गुणवाक दृ िएँअिछ।मैिथली गजल िनरर बढ़ि◌रहल अिछ, बढ़ि◌एरहलगजल १झो ु जे निह डाइन नचौलक ओ भगता ओ धामी कीएको गाम जँ डािह सकलहु ँ तँ ओढ़ रमनामी कीअक्षत-चानन ध ूप-दीपसँ जतऽ यज्ञ सूण र् हुअए-ततऽ जँ ो ही रगड़◌ैए, ओ कामी ओ कलामी कीबाप-माएपय र् परोसै ेह जखन बटखारासँ-नकली सभक द ुलार लगैए, से काकी, से मामी की24

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